प्रभु की दृष्टि में नास्तिक (Atheist in the Eyes of the Lord God)
इस संसार में बहुत से लोग हैं जो
मानते हैं कि कोई ईश्वर नहीं है। यह विचार अपने आप में ही भ्रमपूर्ण और
दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि हमारे चारों
ओर प्रकृति, जीवन, ब्रह्मांड — सब कुछ
इस सच्चाई की ओर इशारा करता है कि कोई सर्वशक्तिमान परमेश्वर है जो इन सबका रचयिता
और संचालक है।
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बाइबल नास्तिकों के बारे में क्या कहती है?
भजन संहिता 53:1
"मूढ़ ने अपने मन में कहा है, कि कोई
परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के
घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं॥"
बाइबल नास्तिक को "मूढ़" (fool) कहती
है, क्योंकि वह उस सत्य का इनकार करता है जो उसके चारों ओर
प्रकट है।
1.
परमेश्वर का अस्तित्व
स्पष्ट है
रोमियों 1:19-20
“इसलिये कि परमेश्वर के
विषय का ज्ञान उनके मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने
उन्हें प्रगट किया है। उसके अनदेखे गुण — उसकी सनातन सामर्थ और परमेश्वरत्व — जगत
की सृष्टि के समय से उसके कार्यों के द्वारा स्पष्ट दिखाई देते हैं; यहाँ तक कि वे निरुत्तर हैं।”
बाइबल बताती है कि सृष्टि ही गवाही
देती है कि कोई ईश्वर है। आकाश, पृथ्वी,
जीव-जंतु, समुद्र — सब उसकी रचना के प्रमाण
हैं। इसीलिए कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसे परमेश्वर के बारे में बताया नहीं गया।
2.
नास्तिकता का स्रोत
— धोखा और अधर्म
1 तीमुथियुस 4:1-2
"आत्मा स्पष्ट रूप
से कहता है कि आने वाले समयों में कुछ लोग विश्वास से भटक जाएंगे और भ्रामक
आत्माओं और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं की ओर मुड़ जाएंगे..."
नास्तिकता केवल मानसिक भ्रम नहीं,
बल्कि आत्मिक धोखे का परिणाम है। बहुत से लोग दुष्ट आत्माओं की
बातों में आकर परमेश्वर का इंकार करते हैं।
3.
प्रकृति भी परमेश्वर
का साक्ष्य देती है
अय्यूब 12:7-10
"पशुओं से पूछ,
और वे तुझे सिखाएंगे; पक्षियों से, और वे तुझे बताएंगे... कौन नहीं जानता कि यहोवा ही ने यह सब बनाया है?"
यदि हम केवल प्रकृति को ध्यान से
देखें, तो वह स्वयं हमें परमेश्वर के बारे में सिखाती
है। संसार की जटिलता और सामंजस्य किसी महान रचयिता की योजना को सिद्ध करती है।
4.
नास्तिकता का अंतिम
परिणाम — न्याय
प्रकाशितवाक्य 21:8
"डरपोकों, अविश्वासियों... सब झूठों का भाग उस आग की झील में होगा जो गन्धक से जलती
रहती है: यही दूसरी मृत्यु है।"
परमेश्वर का इंकार करना केवल बौद्धिक
गलती नहीं, बल्कि आत्मिक अपराध है। अंत समय में जो लोग
परमेश्वर को नहीं पहचानते, उनका स्थान नरक में होगा — जहाँ
शाश्वत सज़ा है।
✅ इसलिए क्या सिखें?
- नास्तिकता बुद्धिमानी नहीं, मूर्खता है।
- सृष्टि, आत्मा
और विवेक — सब परमेश्वर की गवाही देते हैं।
- नास्तिकता केवल विचार नहीं, आत्मिक अंधकार है।
- हर व्यक्ति को परमेश्वर के सामने एक दिन उत्तर देना है।
✝ उपाय
— यीशु मसीह में विश्वास
परमेश्वर चाहते हैं कि कोई भी नरक में
न जाए। इसी कारण उन्होंने अपने पुत्र यीशु मसीह को संसार में भेजा,
ताकि वह हमारे पापों के लिए क्रूस पर बलिदान दे और हमें नया जीवन
दे।
यूहन्ना 3:16
"क्योंकि परमेश्वर
ने संसार से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो,
परन्तु अनन्त जीवन पाए।"
यदि आपने अब तक अपने पापों की क्षमा
यीशु मसीह में नहीं पाई है, तो आज ही उसे अपना
उद्धारकर्ता स्वीकार करें। वह आपसे प्रेम करता है और आपको अनन्त जीवन देना चाहता
है।