🎙यशायाह अध्याय 1 – परमेश्वर की चेतावनी और प्रेमपूर्ण बुलावा

हम यशायाह की किताब का पहला अध्याय पढ़ेंगे, जो बहुत ज़रूरी और गहरा है।

📌 1. यह अध्याय किस बारे में है?

यह अध्याय एक चेतावनी है। परमेश्वर अपने लोगों से नाराज़ है, लेकिन उन्हें प्यार से वापस बुला भी रहा है।


📖 परमेश्वर क्यों नाराज़ है?

  • परमेश्वर यशायाह नबी से कहता है – "हे आकाश, सुनो! हे पृथ्वी, कान लगाओ!"
  • परमेश्वर कहता है कि उसके बच्चों (इस्राएलियों) ने उसे छोड़ दिया है।
  • लोग पापों में डूब गए हैं – वे मंदिर जाते हैं, बलि चढ़ाते हैं, लेकिन उनका दिल साफ़ नहीं है।

🙍♂️ "यह प्रजा केवल ज़ुबान से मेरी उपासना करती है, पर उनका मन मुझसे दूर है।"


⚖️ क्या परमेश्वर सिर्फ दंड देना चाहता है?

नहीं! परमेश्वर का दिल दुखी है। जैसे कोई पिता अपने भटके हुए बेटे को बुलाता है, वैसे ही परमेश्वर कहता है:

🤝 "आओ, हम आपस में विचार करें... अगर तुम्हारे पाप लाल भी हों, तो वे बर्फ जैसे श्वेत हो जाएंगे।" (यशायाह 1:18)

परमेश्वर सुधार चाहता है, विनाश नहीं।


💥 क्या हुआ था उस समय?

इस्राएल की राजधानी यरूशलेम पापों में गिर चुकी थी:

  • लोग गरीबों को दबा रहे थे।
  • न्याय बिक चुका था।
  • धर्म के नाम पर ढोंग हो रहा था।

परमेश्वर कहता है: "तुम्हारे त्योहार, उपवास, और बलिदान मुझे घिनौने लगते हैं जब तक तुम्हारा मन साफ़ न हो।"


🛐 परमेश्वर का बुलावा:

"बुराई करना छोड़ो, अच्छा करना सीखो। न्याय के पीछे चलो, अनाथ की रक्षा करो, विधवाओं के लिए लड़ो।" (1:17)

परमेश्वर चाहता है कि लोग सच्चा जीवन जिएं – दिखावे से नहीं, बल्कि प्रेम और न्याय से।


इस अध्याय से क्या सीखते हैं?

  1. परमेश्वर धर्मनिष्ठ जीवन चाहता है, सिर्फ़ धार्मिक दिखावा नहीं।
  2. पाप चाहे जितने बड़े हों, यदि हम लौट आएं तो परमेश्वर क्षमा करने को तैयार है।
  3. परमेश्वर को दिखावा नहीं, दिल चाहिए।

📌 याद रखने वाली बात:

💡 "अगर तुम आज्ञा मानोगे तो आशीर्वाद मिलेगा, लेकिन अगर मुँह मोड़ लोगे तो हानि होगी।" (यशायाह 1:19-20)


 

🎙यशायाह अध्याय 2 – भविष्य का सुनहरा समय और आज की चेतावनी

आज हम यशायाह की किताब का दूसरा अध्याय पढ़ेंगे। ये अध्याय दो हिस्सों में बंटा है – एक बहुत ही सुंदर भविष्य की भविष्यवाणी और फिर लोगों के पापों पर चेतावनी।


🌄 1. भविष्य का दर्शन: परमेश्वर का पहाड़

यशायाह एक सपना देखता है – एक भविष्य जहाँ पूरी दुनिया शांति से रहेगी।

🏔अंत के दिनों में यहोवा का पर्वत सब पहाड़ों से ऊंचा होगा... सब जातियाँ उसकी ओर आएंगी।” (2:2)

इसका मतलब है कि आने वाले समय में सब लोग परमेश्वर को खोजेंगे। वे लड़ना छोड़ देंगे, और शांति से जीना सीखेंगे।

⚔️ वे अपनी तलवारों को हल बनाने के औज़ार और अपने भालों को हंसिया बना लेंगे।” (2:4)

कोई युद्ध नहीं होगा, कोई देश दूसरे से नहीं लड़ेगा। लोग एक-दूसरे को चोट नहीं पहुँचाएँगे। ये यशु के राज्य का समय हो सकता है।


🧍‍♂️ 2. परमेश्वर की बुलाहट – चलो, हम यहोवा की ज्योति में चलें!

यशायाह लोगों को कहता है:

💡 "आओ, हम यहोवा की रोशनी में चलें!" (2:5)

मतलब – अंधकार में मत चलो, पाप और गर्व को छोड़ो, और परमेश्वर के रास्ते पर चलो।


⚠️ 3. चेतावनी – लोगों का घमंड और मूर्ति-पूजा

परमेश्वर कहता है कि लोग:

  • गर्व से फूले हुए हैं
  • सोने-चाँदी की मूर्तियों को पूजते हैं
  • अपने धन और ताकत पर भरोसा करते हैं, न कि परमेश्वर पर।

परमेश्वर कहता है कि एक दिन आएगा जब हर घमंडी इंसान नीचे गिरा दिया जाएगा, और सिर्फ़ परमेश्वर ऊँचा दिखाई देगा।


🌪️ 4. परमेश्वर का दिन – डर और न्याय

😨 "उस दिन लोग चट्टानों में छिपेंगे, जब यहोवा उठेगा पृथ्वी का न्याय करने के लिए।" (2:19)

यह "परमेश्वर का दिन" होगा – जब वह दुनिया का न्याय करेगा। जो लोग गर्व करते हैं और मूर्तियों में भरोसा रखते हैं, उन्हें शर्मिंदा होना पड़ेगा।


🛑 5. आखिरी चेतावनी – इंसान पर भरोसा मत करो

अध्याय के अंत में यशायाह कहता है:

"मनुष्य पर भरोसा मत करो, क्योंकि वह केवल एक साँस भर है!" (2:22)

मतलब – इंसान कमजोर है, बदल सकता है, धोखा दे सकता है। लेकिन परमेश्वर सच्चा और स्थिर है।


इस अध्याय से क्या सीखते हैं?

  1. भविष्य में परमेश्वर का राज्य आएगा, जहाँ शांति और न्याय होगा।
  2. हमें घमंड छोड़कर परमेश्वर के रास्ते पर चलना है।
  3. मूर्ति-पूजा और इंसानी भरोसे से दूर रहना है।
  4. परमेश्वर का न्याय सच्चा है, और हमें उसके लिए तैयार रहना है।

🧠 याद रखने वाली आयत:

💬 आओ, हम यहोवा की ज्योति में चलें।” (यशायाह 2:5)


 

🎙यशायाह अध्याय 3 – जब परमेश्वर न्याय करता है

आज हम यशायाह का तीसरा अध्याय पढ़ेंगे। यह अध्याय हमें बताता है कि जब कोई समाज परमेश्वर को छोड़ देता है, और पाप में डूब जाता है, तो उसका क्या अंजाम होता है।


⚖️ 1. यरूशलेम और यहूदा पर संकट

परमेश्वर कहता है:

🔥 "देखो, प्रभु सेनाओं का यहोवा यरूशलेम और यहूदा से सहारा और समर्थन, यानी रोटी और पानी तक छीन लेगा।" (3:1)

मतलब – लोग जब पाप में जीते हैं, तो परमेश्वर उनके जीवन से आशीष हटा लेता है। फिर उन्हें रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ें भी नहीं मिलतीं।


👑 2. अच्छे नेता हटा दिए जाएंगे

⚠️ "वह वीरों, योद्धाओं, न्यायियों, भविष्यद्वक्ताओं... सबको हटा देगा।" (3:2-3)

जब समाज पाप में जीता है, तो परमेश्वर वहाँ से बुद्धिमान और अच्छे नेताओं को हटा लेता है। फिर क्या होता है?

🧒 "बच्चों को उनके ऊपर हाकिम करेगा, और लड़के उन पर प्रभुता करेंगे।" (3:4)

मतलब – बिना अनुभव वाले, मूर्ख और अहंकारी लोग सत्ता में आ जाते हैं। फिर समाज में अराजकता फैल जाती है।


😔 3. समाज का हाल – लोग एक-दूसरे को सताते हैं

🔁 "लोग एक-दूसरे पर अत्याचार करेंगे, पड़ोसी पड़ोसी पर, लड़का बूढ़े पर और नीच व्यक्ति प्रतिष्ठित पर।" (3:5)

मतलब – जब परमेश्वर को लोग भूल जाते हैं, तब समाज का ताना-बाना टूट जाता है। लोग एक-दूसरे का आदर नहीं करते।


👩‍🦰 4. स्त्रियों का गर्व और दिखावा

इस अध्याय में खास तौर पर यरूशलेम की स्त्रियों के बारे में भी बात की गई है। वे बहुत घमंडी हो गई थीं – ज़्यादा सज-धज, दिखावा, चाल-चलन और आभूषणों में डूबी हुईं।

💍 "वे घमंड से गर्दन उठाकर चलती हैं और अपनी आँखों से इशारे करती हैं..." (3:16)

परमेश्वर कहता है कि वह उनके इस घमंड को तोड़ेगा। उनकी सुंदरता, गहने और इतराना सब व्यर्थ हो जाएगा।


💔 5. परिणाम – दुख, विधवापन और शर्म

😢 "तेरे वीर तलवार से, और तेरे पराक्रमी युद्ध में मरेंगे।" (3:25)

लोगों की स्थिति दयनीय हो जाएगी – दुख, विधवापन और शर्म का समय आएगा। यह सब इसलिए होगा क्योंकि लोगों ने परमेश्वर को छोड़ दिया और पाप में जीना शुरू कर दिया।


इस अध्याय से क्या सीखते हैं?

  1. जब लोग परमेश्वर को छोड़ देते हैं, तो समाज में अराजकता आती है।
  2. बुद्धिमान नेता हट जाते हैं और मूर्ख लोग हुकूमत करने लगते हैं।
  3. घमंड, दिखावा और अहंकार का अंजाम शर्म और दुःख होता है।
  4. परमेश्वर का न्याय हर स्तर पर होता है – पुरुषों, स्त्रियों और नेताओं पर भी।

🧠 याद रखने वाली आयत:

💬 "आओ, हम यहोवा की ज्योति में चलें।" (2:5 – पिछले अध्याय से जुड़ी हुई सीख)


 

🎙यशायाह अध्याय 4 – शुद्धता और उद्धार की आशा

अब हम पढ़ रहे हैं यशायाह का अध्याय 4। यह अध्याय हमें बताता है कि जब परमेश्वर का न्याय पूरा हो जाता है, तब वह अपने लोगों को शुद्ध करता है और उन्हें फिर से उठाता है। यह अध्याय छोटी सी आशा की किरण है – जो हमें सिखाता है कि पाप के बाद भी परमेश्वर माफ करता है और फिर से नया जीवन देता है।


👩👩👧👧 1. लज्जा का समय

💬 "उस दिन सात स्त्रियाँ एक ही पुरुष को पकड़ कर कहेंगी: हम अपना भोजन और वस्त्र आप ही लेंगी, हमें केवल तेरा नाम दे दे..." (4:1)

इसका अर्थ है कि युद्ध और दुख के कारण पुरुष मर जाएंगे और बहुत सारी स्त्रियाँ विधवा या अकेली रह जाएंगी। वे कहेंगी कि हम खुद सब कुछ करेंगी, बस हमें एक पति का नाम मिल जाए ताकि समाज में हमारा सम्मान बना रहे।

➡️ यह हमें यह सिखाता है कि जब समाज में पाप बढ़ता है, तो ऐसी दुखद स्थिति भी आ सकती है।


🌱 2. एक नया आरंभ – मसीह की भविष्यवाणी

"उस दिन यहोवा का अंकुर शोभायुक्त और तेजोमय होगा..." (4:2)

यह "अंकुर" (branch) शब्द, यीशु मसीह की भविष्यवाणी है। इसका मतलब है – वह दिन आएगा जब परमेश्वर एक नया जीवन, एक नया नेता देगा – जो पवित्र और महिमामय होगा।

➡️ यीशु मसीह ही वह "अंकुर" हैं, जो पाप से भरे समाज में नया जीवन लाते हैं।


🧼 3. परमेश्वर शुद्ध करेगा

💧 "जब प्रभु यरूशलेम की बेटियों की अशुद्धता धो देगा..." (4:4)

यहाँ परमेश्वर कहता है कि वह अपने लोगों को शुद्ध (clean) करेगा – उनकी अशुद्धता, गर्व और पापों को मिटा देगा।

➡️ यह हमें बताता है कि परमेश्वर का उद्देश्य केवल दंड देना नहीं है, बल्कि शुद्ध करना और फिर से नया बनाना है।


🔥 4. परमेश्वर की सुरक्षा

🔥 "और वह सिय्योन पर्वत पर... दिन को धुएँ और रात को अग्नि की चमक देगा..." (4:5)

यहाँ परमेश्वर वादा करता है कि वह अपने लोगों की रक्षा करेगा – जैसे पुराने समय में उसने इस्राएल को जंगल में बादल और आग के द्वारा मार्ग दिखाया था।

➡️ आज भी परमेश्वर अपने लोगों को आत्मिक रूप से सुरक्षा देता है – वह हमें अंधकार में रास्ता दिखाता है।


🛖 5. एक छाया और शरणस्थान

🌳 "वह एक छाया और शरण स्थान होगा..." (4:6)

यह वादा करता है कि परमेश्वर उन लोगों के लिए शांति और शरण (shelter) देगा जो उसके पास लौटते हैं।


इस अध्याय से क्या सीखते हैं?

  1. पाप के बाद परमेश्वर माफ करता है और नई शुरुआत देता है।
  2. यीशु मसीह उस “अंकुर” की तरह हैं जो नया जीवन लाते हैं।
  3. परमेश्वर अपने लोगों को शुद्ध करता है और उनकी रक्षा करता है।
  4. उसके पास लौटने वाले लोगों को वह शरण और सुरक्षा देता है।

🧠 याद रखने वाली आयत:

"उस दिन यहोवा का अंकुर शोभायुक्त और तेजोमय होगा..." (यशायाह 4:2)


 

🎙यशायाह अध्याय 5 – परमेश्वर की दाख की बारी और न्याय

अब हम पढ़ रहे हैं यशायाह का 5वां अध्याय। इस अध्याय में परमेश्वर एक कहानी सुनाता है — दाख की बारी की कहानी। यह एक उदाहरण है जिससे परमेश्वर हमें बताता है कि वह अपने लोगों से क्या उम्मीद करता है और जब लोग ग़लत रास्ते पर चलते हैं, तो वह दुखी होता है और फिर न्याय भी करता है।


🍇 1. दाख की बारी की दुखद कहानी (पद 1-7)

"मेरे प्रिय का एक दाख का बाग था... उसने वहां अच्छे अंगूर की आशा की, परन्तु निकले बुरे अंगूर।" (5:1-2)

परमेश्वर कहता है कि उसने इस्राएल को प्यार किया, जैसे कोई किसान अपने खेत को बहुत मेहनत से तैयार करता है। उसने उनकी रक्षा की, नियम दिए, दया की — जैसे एक बग़ीचे की देखभाल की जाती है।

पर उन्होंने अच्छे फल (भले कर्म) नहीं दिए, बल्कि बुरे कर्म किए – बेइमानी, अत्याचार, और मूर्तिपूजा।

➡️ यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर चाहता है कि हम अच्छे कर्म करें, प्यार, न्याय और दया से जिएं।


⚖️ 2. बुरे फलों के कारण न्याय (पद 8-23)

इस हिस्से में परमेश्वर 6 “हाय!” (शोक की घोषणाएँ) कहता है, यानी वह चीजें जो उसे बहुत दुख देती हैं:

  1. लालचलोग अपने घर और ज़मीन बढ़ाते जाते हैं, गरीबों को हटा देते हैं। (पद 8-10)
  2. नशा और मौज-मस्तीलोग मस्ती में लगे हैं और परमेश्वर को भूल गए हैं। (पद 11-12)
  3. पाप पर गर्वलोग अपने पापों को रस्सियों की तरह खींचते हैं। (पद 18)
  4. बुराई को भलाई कहनालोग बुराई को सही ठहराते हैं और सच्चाई को दबाते हैं। (पद 20)
  5. अपने आप को बुद्धिमान समझनावे सोचते हैं कि उन्हें सब कुछ पता है, लेकिन परमेश्वर से दूर हो गए हैं। (पद 21)
  6. न्याय में रिश्वत लेनापैसे के लिए निर्दोष को दोषी ठहराते हैं। (पद 22-23)

➡️ ये सब चीज़ें आज भी समाज में होती हैं। परमेश्वर इन चीज़ों से बहुत दुखी होता है।


🔥 3. परिणाम – परमेश्वर का क्रोध (पद 24-30)

"इस कारण यहोवा का क्रोध उसके लोगों पर भड़क उठा है..." (5:25)

परमेश्वर कहता है कि अगर लोग सुधरते नहीं हैं, तो वह न्याय करेगा। वह दुश्मन देशों को लाएगा जो इस्राएल को हरा देंगे।

➡️ यह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर सिर्फ प्रेमी नहीं है, वो न्यायी भी है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. हम परमेश्वर की दाख की बारी हैं। हमें अच्छे फल (भले कर्म) देने चाहिए।
  2. पाप को हल्के में मत लो। परमेश्वर हर चीज़ देखता है।
  3. दया, न्याय और सच्चाई में चलना परमेश्वर को प्रिय है।
  4. यदि हम परमेश्वर की बात को अनसुना करें, तो परिणाम होंगे।

🧠 याद रखने वाली आयत:

"उसने अच्छे अंगूर की आशा की, परन्तु निकले बुरे अंगूर।" (यशायाह 5:2)


 

🎙यशायाह अध्याय 6 – यशायाह की बुलाहट और परमेश्वर की महिमा

अब हम पहुँच चुके हैं यशायाह के 6वें अध्याय में। यह अध्याय बहुत खास है क्योंकि इसमें यशायाह को परमेश्वर की एक महान दर्शन (vision) होता है। इसी अध्याय में परमेश्वर उसे एक नबी बनने के लिए बुलाता है।


👑 1. यशायाह को परमेश्वर की महिमा का दर्शन होता है (पद 1-4)

जिस वर्ष उज्जियाह राजा मरा, मैंने प्रभु को एक ऊँचे और ऊँचे सिंहासन पर बैठे देखा...” (6:1)

यशायाह मंदिर में था, और उसे एक अद्भुत दर्शन मिला। उसने परमेश्वर को स्वर्ग के सिंहासन पर बैठे देखा।

  • उसके चारों ओर सेराफ़ (स्वर्गदूत जैसे विशेष जीव) थे, जिनके छह-छह पंख थे।
  • वे ज़ोर से कहते थे:

"पवित्र, पवित्र, पवित्र है सेनाओं का यहोवा!"

इससे दिखता है कि परमेश्वर कितना पवित्र और महान है।


😨 2. यशायाह को अपने पाप का एहसास होता है (पद 5)

जब यशायाह ने परमेश्वर की महिमा देखी, तो वह डर गया और कहा:

हाय मुझ पर! मैं नाश हुआ जाता हूँ, क्योंकि मैं अशुद्ध होंठों वाला मनुष्य हूँ।”

➡️ जब हम परमेश्वर की महिमा को पहचानते हैं, तो हमें अपने पाप का गहरा एहसास होता है।


🔥 3. परमेश्वर यशायाह को शुद्ध करता है (पद 6-7)

फिर एक सेराफ़ स्वर्गदूत जलते अंगारे (कोयले) को लेकर आया और यशायाह के होंठों को छुआ।

यह संकेत था कि परमेश्वर ने उसे शुद्ध किया और उसका पाप दूर कर दिया।

➡️ परमेश्वर हमें भी माफ़ कर सकता है और शुद्ध बना सकता है जब हम दिल से पश्चाताप करें।


📣 4. परमेश्वर की पुकार और यशायाह का उत्तर (पद 8)

फिर परमेश्वर ने पूछा:

मैं किसे भेजूँ? और कौन हमारे लिए जाएगा?”

और यशायाह ने जवाब दिया:

"मैं यहाँ हूँ, मुझे भेज!"

➡️ यह सिखाता है कि हमें परमेश्वर की सेवा के लिए तैयार रहना चाहिए।


📜 5. यशायाह को कठिन संदेश मिलता है (पद 9-13)

परमेश्वर ने यशायाह को बताया कि वह जो संदेश सुनाएगा, लोग उसे नहीं समझेंगे और उनके दिल कठोर रहेंगे।

यह आसान काम नहीं था, लेकिन यशायाह ने इसे स्वीकार किया।

➡️ परमेश्वर का संदेश सुनाना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन हमें ईमानदारी से उसे सुनाना चाहिए।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर महान और पवित्र है।
  2. हमारे पापों का एहसास होना ज़रूरी है।
  3. परमेश्वर माफ़ करता है और हमें उपयोग करता है।
  4. हमें कहना चाहिए — "मैं यहाँ हूँ, मुझे भेज!"
  5. सेवा हमेशा आसान नहीं होती, पर परमेश्वर के साथ संभव होती है।

🧠 याद रखने वाली आयत:

"मैं किसे भेजूँ? और कौन हमारे लिये जाएगा? तब मैंने कहा, मैं यहाँ हूँ, मुझे भेज!" (यशायाह 6:8)


 

🎙यशायाह अध्याय 7 – भविष्यवाणी: एक कुँवारी गर्भवती होगी

आज हम यशायाह के अध्याय 7 को आसान भाषा में समझेंगे। इस अध्याय में एक बहुत खास भविष्यवाणी दी गई है — जो मसीह यीशु के जन्म से जुड़ी है।


📜 1. यहूदा पर हमला और राजा आहाज़ का डर (पद 1-2)

इस समय यहूदा देश का राजा आहाज़ था।
अराम (Syria) और इस्राएल की सेनाएं आहाज़ के खिलाफ लड़ने आ रही थीं।

➡️ आहाज़ और उसकी प्रजा डर गए — जैसे पेड़ तेज़ हवा में हिलते हैं, वैसे ही उनका दिल काँप गया।


🙏 2. परमेश्वर की आश्वासन (पद 3-9)

परमेश्वर ने यशायाह से कहा कि वह आहाज़ के पास जाकर उसे दिलासा दे।

यशायाह ने कहा:

"मत डर, ये दो राजा तुझे हानि नहीं पहुँचाएंगे। उनका षड्यंत्र सफल नहीं होगा।"

परमेश्वर ने राजा से कहा:

"यदि तुम विश्वास नहीं करोगे, तो स्थिर नहीं रह सकोगे।" (पद 9)

➡️ इसका मतलब है — जब मुश्किलें आएँ, तो हमें परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए, तभी हम टिक पाएँगे।


3. एक महान भविष्यवाणी – कुँवारी और बालक (पद 10-14)

फिर परमेश्वर ने आहाज़ से कहा:

"तू कोई चिन्ह माँग, मैं तुझे दूँगा।"

पर आहाज़ ने मना कर दिया।

फिर यशायाह ने कहा:

"देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।" (पद 14)

👉 इम्मानुएल का मतलब होता है – "परमेश्वर हमारे साथ है"।

➡️ यह भविष्यवाणी सीधे यीशु मसीह के जन्म से जुड़ी है। जब यीशु इस दुनिया में आए, तो वे एक कुँवारी मरियम से जन्मे — और वह वास्तव में "परमेश्वर हमारे साथ" बन गए।


🍼 4. बालक के बढ़ने की भविष्यवाणी (पद 15-17)

यशायाह ने कहा कि जब यह बच्चा बड़ा होगा और अच्छे-बुरे को पहचानने लगेगा, तब तक इन शत्रु राज्यों का अंत हो जाएगा।

➡️ यानी परमेश्वर समय के साथ अपने वादों को पूरा करता है।


⚠️ 5. यहूदा के लिए चेतावनी (पद 18-25)

आगे यशायाह बताता है कि यदि यहूदा परमेश्वर पर भरोसा नहीं करेगा, तो असीरिया की सेना आकर उन्हें परेशान करेगी। उनकी ज़मीन वीरान होगी, और लोग डर में जीएँगे।

➡️ यह हमें सिखाता है कि यदि हम परमेश्वर से मुँह मोड़ते हैं, तो संकट आ सकते हैं।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. डरने के बजाय परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए।
  2. परमेश्वर अपने वादे पूरे करता है।
  3. यीशु मसीह का जन्म पहले से भविष्यवाणी किया गया था।
  4. विश्वास के बिना हम स्थिर नहीं रह सकते।
  5. परमेश्वर हमेशा अपनी संतान के साथ रहता है – इम्मानुएल!

🧠 याद रखने वाली आयत:

"देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र को जन्म देगी और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।"
(यशायाह 7:14)


 

🎙यशायाह अध्याय 8 – चेतावनी, न्याय और आशा

आज हम यशायाह अध्याय 8 को आसान भाषा में समझेंगे। इस अध्याय में परमेश्वर हमें यह सिखाते हैं कि जब लोग उसकी बात नहीं मानते, तब क्या होता है, और फिर भी कैसे वह अपने लोगों को आशा देता है।


📜 1. एक खास नाम वाला बच्चा (पद 1-4)

परमेश्वर ने यशायाह से कहा कि एक बड़ी पट्टी पर एक नाम लिखो:
👉 "महेर-शालाल-हाश-बज़"
इसका मतलब है – “लूट जल्दी होगी, शिकार जल्द बाँटा जाएगा।”

🔹 फिर यशायाह की पत्नी गर्भवती हुई और उसने एक बेटे को जन्म दिया।
परमेश्वर ने कहा:

जब तक ये बच्चा बोलना सीखे, तब तक दमिश्क और सामरिया (अराम और इस्राएल की राजधानियाँ) को असूर (Assyria) का राजा जीत लेगा।

🔸 इसका मतलब था कि परमेश्वर ने पहले ही बता दिया था कि दुश्मनों का नाश जल्दी होगा।


⚠️ 2. यहूदा के लिए चेतावनी (पद 5-8)

परमेश्वर ने कहा कि यहूदा के लोगों ने शांति और उसकी व्यवस्था को छोड़ दिया है। इसलिए वह एक बड़ी और तेज़ नदी (असीरिया की सेना) को लाएगा जो यहूदा देश में फैल जाएगी।

➡️ यह एक चेतावनी थी:
"अगर तुम परमेश्वर पर भरोसा नहीं करोगे, तो दुश्मन तुम्हें बहा ले जाएगा।"


3. परमेश्वर हमारे साथ है (पद 9-10)

फिर यशायाह कहता है:

"तुम लोग योजनाएँ बनाओ, लेकिन वो सफल नहीं होंगी। क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है।"

👉 यहाँ फिर से "इम्मानुएल" का जिक्र आता है — यानी "परमेश्वर हमारे साथ है"।

➡️ यह हमें सिखाता है कि चाहे दुश्मन कितने भी ज़ोर लगाएँ, अगर परमेश्वर हमारे साथ है, तो हम डरने की ज़रूरत नहीं है।


🙏 4. डर नहीं, भरोसा (पद 11-15)

परमेश्वर ने यशायाह से कहा:

"तुम उस चीज़ से मत डरना जिससे बाकी लोग डरते हैं। सिर्फ मुझसे डरना और मेरी महिमा का आदर करना।"

🔹 अगर कोई परमेश्वर को ठुकरा देगा, तो वही परमेश्वर उसके लिए ठोकर का कारण बन जाएगा।


🌟 5. सच्चाई कहाँ से मिलेगी? (पद 16-22)

लोग आत्माओं (spirits) या तांत्रिकों से जवाब पूछना चाहेंगे।
लेकिन यशायाह कहता है:

"अगर लोग परमेश्वर की व्यवस्था (Bible) को नहीं सुनते, तो उनके लिए कोई सुबह (उम्मीद) नहीं होगी।"

🔸 जो लोग परमेश्वर को छोड़ देंगे, वे अंधकार और परेशानी में रहेंगे।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर अपने वचन को पूरा करता है, चाहे लोग माने या नहीं।
  2. अगर हम परमेश्वर पर भरोसा न करें, तो संकट आ सकता है।
  3. डरने की नहीं, परमेश्वर पर भरोसा करने की ज़रूरत है।
  4. हमें किसी और से नहीं, सिर्फ परमेश्वर से मार्गदर्शन लेना चाहिए।
  5. इम्मानुएल” – परमेश्वर हमारे साथ है, यह सच्चाई हमें शक्ति देती है।

🧠 याद रखने वाली आयत:

"परमेश्वर हमारे साथ है।" (यशायाह 8:10)


 

🎙यशायाह अध्याय 9 – अंधकार के बीच आशा का प्रकाश

आज हम यशायाह अध्याय 9 को समझेंगे। पिछला अध्याय जहाँ अंधकार और डर की बात पर खत्म हुआ था, यह अध्याय हमें आशा और रोशनी की तरफ लेकर आता है।


🌟 1. अंधकार के बाद रोशनी आएगी (पद 1-2)

परमेश्वर कहता है कि:

जो लोग अंधकार में चल रहे थे, उन्होंने एक बड़ी रोशनी देखी है।

🔹 यह भविष्यवाणी थी यीशु मसीह के आने की!
🔹 जब यीशु आएंगे, तो वे लोगों के अंधकार (पाप और दुख) को दूर करेंगे और उन्हें आशा देंगे।

➡️ यह आयत नए नियम (New Testament) में भी दोहराई गई है (मत्ती 4:16) – यानी यह साफ है कि यीशु ही वह रोशनी हैं।


🎉 2. आनंद और स्वतंत्रता (पद 3-5)

परमेश्वर कहता है कि वह लोगों को फिर से खुश कर देगा।
जैसे लोग फसल काटते हैं या युद्ध में जीतकर लौटते हैं, वैसे ही खुश होंगे।

➡️ यह बताता है कि परमेश्वर अपने लोगों को फिर से आज़ादी और खुशी देगा।

उन्होंने उनके बोझ को तोड़ दिया है जैसे मिद्यान के समय में किया था (यह गिदोन की कहानी की तरफ इशारा है – न्यायियों 6-7 अध्याय)।


👶 3. एक बच्चा हमारे लिए (पद 6-7)

यहाँ इस अध्याय की सबसे प्रसिद्ध भविष्यवाणी है:

"एक बालक हमारे लिए उत्पन्न हुआ है, एक पुत्र हमें दिया गया है..."

🔹 यह बालक कोई आम बच्चा नहीं है — यह यीशु मसीह की भविष्यवाणी है!

उसके नाम होंगे:

  • अद्भुत परामर्शदाता (Wonderful Counselor)
  • शक्तिमान परमेश्वर (Mighty God)
  • अनंत काल का पिता (Everlasting Father)
  • शांति का राजकुमार (Prince of Peace)

➡️ यह दिखाता है कि यीशु ही वह राजा होंगे जो सच्ची शांति लाएंगे और जिनका राज्य कभी खत्म नहीं होगा।


⚠️ 4. परमेश्वर का क्रोध (पद 8-21)

अब दूसरी आधी में परमेश्वर इस्राएल के लोगों को डांटते हैं क्योंकि:

  1. वे घमंडी बन गए हैं।
  2. उन्होंने परमेश्वर की चेतावनी को नज़रअंदाज़ किया।
  3. नेता झूठ बोलते हैं, और लोग बुराई में डूबे हैं।

हर बार यह वाक्य आता है:

"उसका क्रोध फिर भी शांत नहीं हुआ है..."
मतलब – परमेश्वर उन्हें समय दे रहा है, लेकिन अगर वे नहीं सुधरते, तो दंड आएगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. यीशु मसीह ही सच्ची रोशनी हैं।
  2. परमेश्वर अंधकार के बाद रोशनी जरूर लाता है।
  3. घमंड और बुराई परमेश्वर को पसंद नहीं।
  4. हमें विनम्र और सच के साथ जीना चाहिए।
  5. यीशु शांति के राजकुमार हैं — वही हमारे जीवन में सच्ची शांति लाते हैं।

📖 याद रखने वाली आयत:

"एक बालक हमारे लिए उत्पन्न हुआ है, एक पुत्र हमें दिया गया है..."
(यशायाह 9:6)


 

🎙यशायाह अध्याय 10 – घमंडी लोगों और राष्ट्रों का अंत

आज हम देखेंगे कि परमेश्वर ने किस तरह घमंडी लोगों, झूठे नेताओं और अत्याचारी देशों को चेतावनी दी।


⚖️ 1. गलत न्याय और गरीबों पर अत्याचार (पद 1-4)

"हाय उन पर जो अन्याय के नियम बनाते हैं..."

🔹 कुछ लोग ऐसे नियम बना रहे थे जो गरीबों और बेसहारा लोगों को और दुखी कर रहे थे।
🔹 परमेश्वर को यह बिलकुल पसंद नहीं कि कोई कमजोरों का फायदा उठाए।

➡️ इसलिए परमेश्वर कहता है:
"जब तुम पर संकट आएगा, तब कौन बचाएगा?"

👉 सबको सिखाया गया है कि सच्चाई और न्याय से काम करो, नहीं तो परमेश्वर का न्याय आएगा।


⚔️ 2. अश्शूर (Assyria) पर परमेश्वर का न्याय (पद 5-19)

परमेश्वर ने अश्शूर देश को "अपने क्रोध की छड़ी" कहा।

🔹 परमेश्वर ने अश्शूर को इस्राएल को सज़ा देने के लिए इस्तेमाल किया।
🔹 लेकिन जब अश्शूर खुद घमंडी हो गया और बोला कि “मैंने सब पर विजय पाई,” तो परमेश्वर ने उसे भी दंड देने का फैसला किया।

🎯 शिक्षा:
जब परमेश्वर किसी को इस्तेमाल करता है, वह उन्हें भी ज़िम्मेदारी से चलने को कहता है।
अगर कोई घमंडी हो जाए, तो वह उसे भी दंड देता है।


🔥 3. घमंड का विनाश (पद 15)

यहाँ एक मज़ेदार उदाहरण है:

"क्या कुल्हाड़ी अपने चलाने वाले पर घमंड कर सकती है?"

मतलब – जैसे कुल्हाड़ी खुद नहीं चलती, वैसे ही अश्शूर को समझना चाहिए कि वह बस एक औज़ार है, चलाने वाला परमेश्वर है।

➡️ परमेश्वर कहता है – “मैं उसके बड़े-बड़े सैनिकों को जला दूँगा।”


🌱 4. एक छोटा झुंड बचेगा (पद 20-23)

परमेश्वर कहता है:

इस्राएल का केवल एक छोटा हिस्सा ही बचेगा।”

🔹 लोग बहुत अधिक नहीं बचेंगे, लेकिन जो बचेंगे वो परमेश्वर पर भरोसा करेंगे।
🔹 यही लोग परमेश्वर के लिए वफादार रहेंगे।


5. यहूदा को डरने की जरूरत नहीं (पद 24-34)

परमेश्वर यहूदा के लोगों को दिलासा देता है:

अश्शूर तुम्हें डराने की कोशिश करेगा, लेकिन वह ज्यादा दिन नहीं चलेगा। मैंने उसे रोका है।”

🔹 वो कहता है कि जैसे मिस्र में इस्राएल को छुड़ाया, वैसे ही अब भी बचाऊंगा।
🔹 और अंत में, परमेश्वर घमंडी अश्शूर को काट डालेगा – जैसे कोई ऊँचे पेड़ों को काट डालता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. गलत और अन्याय के नियम परमेश्वर को पसंद नहीं।
  2. परमेश्वर न्याय करता है – वह अत्याचारियों को ज़रूर दंड देता है।
  3. घमंड करना हमेशा विनाश की ओर ले जाता है।
  4. हम सिर्फ औज़ार हैं – काम परमेश्वर करता है।
  5. जो परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, वही बचे रहते हैं।

📖 याद रखने वाली आयत:

"क्या कुल्हाड़ी अपने चलाने वाले पर घमंड कर सकती है?"
(यशायाह 10:15)


 

🎙यशायाह अध्याय 11 – मसीहा का राज्य और शांति का समय

आज हम एक बहुत सुंदर और उम्मीद से भरे हुए अध्याय को पढ़ेंगे – मसीहा के आने की भविष्यवाणी और उसके शांति से भरे राज्य की झलक।


🌿 1. यिशै के तने से एक नई शाखा निकलेगी (पद 1-2)

"यिशै के तने से एक कोपल फूटेगी..."

🔹 यिशै राजा दाऊद के पिता थे।
🔹 यशायाह बता रहे हैं कि दाऊद के वंश में से एक राजा (मसीहा/Jesus) आएगा।

🎯 वह एक खास राजा होगा, जिसमें ये सात बातें होंगी:

  1. बुद्धि
  2. समझ
  3. सलाह
  4. पराक्रम (ताकत)
  5. ज्ञान
  6. यहोवा का भय
  7. न्याय करने की क्षमता

➡️ ये सब बातें यीशु मसीह में पूरी हुईं।


⚖️ 2. मसीहा का न्याय और दया (पद 3-5)

🔹 मसीहा लोगों का चेहरा देखकर न्याय नहीं करेगा।
🔹 वो सच्चाई से और गरीबों के पक्ष में फैसला करेगा।
🔹 वह दुष्टों को अपने वचन (शब्द) से नाश कर देगा।

👉 उसके पास धर्म की कमरबंद और सच्चाई की पट्टी होगी – मतलब उसका पूरा स्वभाव धर्मी और सत्यपूर्ण होगा।


🐑🦁 3. शांति का अद्भुत समय (पद 6-9)

"भेड़िया मेम्ने के साथ रहेगा..."

🔹 ये एक बहुत सुंदर भविष्य की तस्वीर है:

  • भेड़िया और मेम्ना एक साथ रहेंगे।
  • शेर भूसा खाएगा जैसे गाय।
  • बच्चा साँप के बिल में हाथ डालेगा और कोई नुकसान नहीं होगा।

🎯 यह सब दर्शाता है कि मसीहा का राज्य बहुत शांतिपूर्ण और सुरक्षित होगा – जहाँ किसी को डर नहीं होगा।


🌍 4. पूरी धरती पर परमेश्वर का ज्ञान फैलेगा (पद 9)

"जैसे समुद्र जल से भरा है, वैसे ही सारी धरती यहोवा के ज्ञान से भर जाएगी।"

🔹 यह उस समय की बात है जब लोग पूरी दुनिया में परमेश्वर को जानेंगे और उसकी आज्ञा मानेंगे।


🌐 5. सब जातियों के लिए आशा (पद 10-16)

"उस दिन यिशै की जड़ खड़ी की जाएगी…"

🔹 मसीहा (यीशु) न सिर्फ यहूदियों के लिए, बल्कि सारी दुनिया के लोगों के लिए आशा और उद्धार का स्रोत होगा।
🔹 वो सब को एक साथ एक झंडे के नीचे बुलाएगा।

👉 वो इस्राएल के बिछड़े हुए लोगों को इकट्ठा करेगा।
👉 मिस्र, अश्शूर, और अन्य राष्ट्रों से उन्हें वापस लाएगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. मसीहा (यीशु) दाऊद के वंश से आएगा और वह सच्चे धर्मी राजा होंगे।
  2. उनका राज्य शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण होगा।
  3. वहां पर कोई हिंसा या डर नहीं होगा।
  4. पूरी धरती पर परमेश्वर का ज्ञान फैलेगा।
  5. यीशु सब जातियों के लिए उद्धार की आशा हैं।

📖 याद रखने वाली आयत:

"जैसे समुद्र जल से भरा है, वैसे ही सारी पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से भर जाएगी।"
(यशायाह 11:9)


 

🎙यशायाह अध्याय 12 – धन्यवाद और स्तुति का गीत

अब तक हमने मसीहा के आने और उसके शांतिपूर्ण राज्य के बारे में जाना। अब अध्याय 12 एक छोटा लेकिन बहुत सुंदर गीत है — यह परमेश्वर को धन्यवाद देने और उसकी प्रशंसा करने की प्रेरणा देता है।

यह पूरे अध्याय को हम एक स्तुति के गीत (Praise Song) की तरह समझ सकते हैं, जो कि परमेश्वर के उद्धार (salvation) के लिए गाया गया है।


🕊️ 1. जब परमेश्वर का क्रोध बदल जाता है प्यार में (पद 1)

"हे यहोवा, मैं तेरा धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू मुझ पर क्रोधित हुआ था, पर अब तेरा क्रोध दूर हो गया है, और तू ने मुझे शांति दी है।"

🔹 यह आयत दिखाती है कि कभी परमेश्वर हमसे नाराज़ हो सकते हैं, लेकिन जब हम पश्चाताप करते हैं, तो वह हमें माफ करके शांति और प्रेम से भर देते हैं।


🛡️ 2. परमेश्वर ही उद्धार है (पद 2)

"देखो, परमेश्वर ही मेरा उद्धार है; मैं भरोसा रखूंगा और डरूंगा नहीं।"

🔹 ये वचन बताता है कि जब परमेश्वर हमारा उद्धार करता है (हमें पापों से बचाता है), तब हमें किसी भी चीज़ से डरने की ज़रूरत नहीं।

🔹 वह हमारी ताकत और गीत बन जाता है – मतलब हम उससे शक्ति पाते हैं और खुश होकर उसकी स्तुति करते हैं।


💧 3. उद्धार के जल के सोते (पद 3)

"तुम आनन्द से उद्धार के जल के सोते भर लोगे।"

🔹 उद्धार को यहां जल (water) की तरह बताया गया है – जैसे एक प्यासे को पानी राहत देता है, वैसे ही परमेश्वर का उद्धार हमारी आत्मा को ताज़गी देता है।


🙌 4-6. परमेश्वर का नाम महान है – सबको बताओ!

इन पदों में हमें 5 बातें करने के लिए कहा गया है:

  1. यहोवा का धन्यवाद करो
  2. उसका नाम पुकारो
  3. लोगों को बताओ कि उसने क्या किया है
  4. उसका नाम ऊंचा करो (महिमा दो)
  5. गाओ और आनंद मनाओ

"इस्राएल का पवित्र तुम्हारे बीच में महान है।" (पद 6)

🔹 इसका मतलब है कि परमेश्वर हमारे बीच में है – वह केवल दूर स्वर्ग में नहीं, बल्कि हमारे दिल में, हमारे जीवन में मौजूद है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर क्रोधी नहीं रहते, वो हमें शांति देना चाहते हैं।
  2. उद्धार (salvation) परमेश्वर से मिलता है — और इसमें डर की कोई जगह नहीं होती।
  3. उद्धार की खुशी से हमारा जीवन भर जाता है।
  4. हमें परमेश्वर की भलाई दूसरों से बांटनी चाहिए।
  5. परमेश्वर हमारे बीच में है — यह सबसे बड़ी आशा है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"देखो, परमेश्वर ही मेरा उद्धार है; मैं भरोसा रखूंगा और डरूंगा नहीं।"
(यशायाह 12:2)


 

🎙यशायाह अध्याय 13 – बाबुल (Babylon) का न्याय

नमस्त,
अब हम यशायाह की किताब के उस भाग में आ गए हैं जहाँ परमेश्वर अलग-अलग देशों के बारे में भविष्यवाणी करवा रहे हैं — कि वे क्या गलत कर रहे हैं और उनका क्या अंजाम होगा।

अध्याय 13 में, परमेश्वर यशायाह के द्वारा बाबुल (Babylon) के बारे में भविष्यवाणी कर रहे हैं। बाबुल उस समय का एक बहुत ही शक्तिशाली और घमंडी देश था।


🏰 1. बाबुल के विरुद्ध भविष्यवाणी (पद 1)

"बाबुल के विषय में जो दर्शन यशायाह... ने पाया..."

🔹 यह अध्याय बाबुल के विनाश (destruction) के बारे में एक भविष्यवाणी है।
🔹 बाबुल उस समय बहुत शक्तिशाली था, लेकिन उसने घमंड किया, पाप किया और परमेश्वर के लोगों को सताया।


⚔️ 2-5. परमेश्वर की सेना तैयार है

"पहाड़ पर झंडा फहराओ... मेरी पवित्र सेना को बुलाओ..."

🔹 परमेश्वर कह रहे हैं कि उन्होंने एक सेना तैयार की है, जो बाबुल को सज़ा देगी।
🔹 ये सेना दूसरे देशों से होगी, जिन्हें परमेश्वर उपयोग करेंगे न्याय के लिए।


🌍 6-9. यहोवा का दिन – "Day of the Lord"

"यहोवा का दिन निकट है... वह दिन क्रोध और जलन का होगा..."

🔹 "यहोवा का दिन" का मतलब है – जब परमेश्वर न्याय करेगा।
🔹 बाबुल के लिए वह दिन बहुत ही डरावना होगा – क्योंकि उन्होंने घमंड और बुराई की थी।


🌑 10-13. प्रकृति भी कांप उठेगी

"सूरज, चाँद और तारे अपना प्रकाश नहीं देंगे..."

🔹 इसका मतलब है कि यह दिन इतना भयानक और गंभीर होगा कि ऐसा लगेगा जैसे पूरा ब्रह्मांड भी कांप रहा हो।
🔹 ये प्रतीकात्मक (symbolic) भाषा है जो बताती है कि कितना बड़ा संकट आने वाला है।


💥 14-22. बाबुल का पूर्ण विनाश

"वे हरिण की तरह भागेंगे... उनका घर उजाड़ हो जाएगा..."

🔹 बाबुल पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा।
🔹 यहाँ तक कि उनका शाही महल, सैनिक, और आम लोग – कोई भी नहीं बचेगा।
🔹 यह भविष्यवाणी आगे चलकर सच भी हुई जब मादी और फारस की सेना ने बाबुल को जीत लिया।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. कोई भी देश या व्यक्ति, चाहे कितना भी बड़ा हो, अगर घमंडी और पाप में रहेगा, तो परमेश्वर का न्याय जरूर आएगा।
  2. परमेश्वर हर देश और राजा के ऊपर नियंत्रण रखता है।
  3. यहोवा का दिन न्याय का दिन होता है – इसलिए हमें हमेशा सही रास्ते पर चलना चाहिए।

📖 याद रखने वाली आयत:

"यहोवा का दिन निकट है, वह सर्वशक्तिमान की ओर से संकट के समान आएगा।"
(यशायाह 13:6)


🎧 एक छोटा संदेश:

ये अध्याय हमें सिखाता है कि परमेश्वर किसी के भी साथ पक्षपात नहीं करते। जो लोग घमंड करते हैं, दूसरों को सताते हैं और पाप में जीते हैं – उनके लिए एक दिन न्याय आता है। लेकिन अगर हम परमेश्वर से डरे और सही राह पर चलें, तो हमें डरने की जरूरत नहीं।


 

🎙यशायाह अध्याय 14 – बाबुल का पतन और इस्राएल की आशा

इस अध्याय में दो बड़ी बातें सिखाई गई हैं – एक तरफ परमेश्वर अपने लोगों (इस्राएल) को फिर से चढ़ाएगा, और दूसरी तरफ बाबुल जैसे घमंडी राष्ट्रों को गिरा देगा।


🌿 1-2. इस्राएल को फिर से चढ़ाया जाएगा

"यहोवा याकूब पर फिर दया करेगा..."

🔹 इस्राएल के लोग जिन पर अत्याचार हुआ था, वे फिर से अपने देश में लौटेंगे।
🔹 वे ही नहीं, पर अन्य देश भी इस्राएल के साथ होंगे और उनकी सेवा करेंगे।
🔹 मतलब – परमेश्वर अपने लोगों को कभी नहीं भूलता।


😂 3-11. बाबुल के राजा का मज़ाक

"कैसे तू नीचे गिर गया..."

🔹 यशायाह एक उल्टा गीत गाते हैं – जैसे बाबुल के राजा की हार पर लोग मज़ाक उड़ा रहे हों।
🔹 जिसने सब पर अत्याचार किया था, अब वह खुद नीचे गिर गया है।
🔹 यह दिखाता है कि घमंड चाहे कितना भी ऊँचा हो, परमेश्वर उसे गिरा सकता है।


🌠 12-15. “भोर का पुत्र” का पतन – Lucifer

"हे भोर के पुत्र, तू कैसे गिर पड़ा..."

🔹 यहाँ एक घमंडी शख्स की बात है जो कहता था, “मैं स्वर्ग तक चढ़ जाऊँगा...”
🔹 पर वह नरक में गिराया गया।

🔹 यह हिस्सा बाबुल के राजा के घमंड के बारे में है — लेकिन कई लोग इसे शैतान (Lucifer) के पतन का प्रतीक भी मानते हैं।
🔹 वो भी स्वर्ग में ऊँचा बनना चाहता था, पर परमेश्वर ने उसे गिरा दिया।


🧟‍♂️ 16-23. लोग उसकी हालत देखकर चकित होंगे

"क्या यही वह व्यक्ति है जो धरती को काँपाता था?"

🔹 लोग देखकर हैरान होंगे कि जिसने दुनिया को डराया – वो अब खुद मिट्टी में पड़ा है।
🔹 उसका वंश भी मिटा दिया जाएगा — क्योंकि उसने निर्दोषों को मारा।


🌍 24-27. अश्शूर का भी विनाश

🔹 परमेश्वर सिर्फ बाबुल को नहीं, बल्कि अश्शूर (Assyria) जैसे और भी घमंडी देशों को गिराएगा।
🔹 परमेश्वर का निर्णय कोई रोक नहीं सकता।


🕓 28-32. पलिश्ती (Philistines) को चेतावनी

"मत समझो कि अब तुम सुरक्षित हो..."

🔹 जब दुष्ट राजा मरेगा, लोग सोचेंगे अब खतरा टल गया।
🔹 लेकिन यशायाह चेताते हैं कि नई विपत्ति फिर से आएगी, इसलिए घमंड मत करो।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर घमंडी लोगों और राष्ट्रों को गिराता है।
  2. जो दुखी और पीड़ित हैं, परमेश्वर उन्हें फिर से उठाता है।
  3. शैतान या कोई भी जो परमेश्वर के विरुद्ध घमंड करता है, अंत में हारता है।
  4. परमेश्वर की योजना को कोई रोक नहीं सकता।

📖 याद रखने वाली आयत:

"मैं उठ खड़ा हुआ हूँ और यह सोच कर लिया है, और यह निश्चय पूरा होकर रहेगा।"
(यशायाह 14:24)


🎧 एक सरल संदेश:

अगर हम नम्र बनकर परमेश्वर में विश्वास रखें, तो वो हमें ऊँचा उठाएगा। लेकिन जो लोग घमंड करते हैं और पाप करते हैं, उनका अंत बुरा होता है। परमेश्वर सब देखता है – और अंत में वही न्याय करता है।


 

🎙यशायाह अध्याय 15 – मोआब का शोकगीत (Moab’s Lament)

यह अध्याय एक छोटे से देश "मोआब (Moab)" के बारे में है। यह इस्राएल का पड़ोसी देश था, लेकिन कई बार इस्राएल के खिलाफ रहा। यशायाह यहाँ बता रहे हैं कि कैसे मोआब पर दुख और विनाश आने वाला है।


💔 1. रातों-रात तबाही

"रातों रात में मोआब का अर्घ और कीर नगर उजड़ गया..."

🔹 दो बड़े शहरअर्घ और कीर – अचानक रात में ही नष्ट हो जाते हैं।
🔹 इस अचानक विनाश से मोआब के लोग डर और दुख में भर जाते हैं।


😢 2-4. शोक, रोना और चिल्लाहट

"दीबोन, नीबो, और मेदबा के लोग छतों पर चढ़कर रोते हैं..."

🔹 मोआब के लोग अपने देवताओं के मंदिरों और घरों की छतों पर चढ़कर रो रहे हैं।
🔹 वे अपने शरीर के बाल मुंडवा लेते हैं और कपड़े फाड़ते हैं – ये शोक प्रकट करने के तरीके थे।
🔹 हर तरफ चिल्लाहट, विलाप और डर का माहौल है।


🌊 5-6. मोआब भागता है, लेकिन पानी सूख गया

"मोआब का मन कांप रहा है, वे रोते-रोते भाग रहे हैं..."

🔹 मोआब के लोग जान बचाकर दूर शहरों की ओर भाग रहे हैं।
🔹 लेकिन उनकी नदियाँ और पानी के स्रोत भी सूख चुके हैं – इसका मतलब है, भागने का रास्ता भी कठिन है।


🐃 7-9. मोआब की संपत्ति भी बेकार

"जो कुछ उन्होंने कमाया था, वे सब पीठ पर लादकर ले जा रहे हैं..."

🔹 लोग अपनी संपत्ति और धन लेकर भाग रहे हैं – लेकिन ये उन्हें बचा नहीं पाएगा।
🔹 क्योंकि हर जगह हत्या और विनाश है।
🔹 नीम्रिम का पानी भी लहू से भर गया है – यानी हर जगह हानि और मौत है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. घमंडी राष्ट्र या लोग – चाहे कितने भी समृद्ध क्यों न हों – अगर परमेश्वर के विरुद्ध चलते हैं, तो वे बच नहीं सकते।
  2. परमेश्वर सब देखता है – और जब समय आता है, न्याय करता है।
  3. दुनियावी धन या ताकत दुख और विनाश के समय काम नहीं आती।

📖 याद रखने वाली आयत:

"मोआब का हृदय उसके लोगों के लिए रोता है..."
(यशायाह 15:5)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय हमें सिखाता है कि अगर कोई देश या व्यक्ति परमेश्वर से मुंह मोड़कर जीता है, तो अंत में उसे दुख और हानि झेलनी पड़ती है। लेकिन जो लोग परमेश्वर के साथ चलते हैं, उन्हें आशा और शांति मिलती है।


 

🎙यशायाह अध्याय 16 – मोआब के लिए दया और न्याय का सन्देश

(Message of Mercy and Judgment for Moab)

पिछले अध्याय में हमने देखा कि मोआब पर परमेश्वर का न्याय आने वाला है। इस अध्याय में भी मोआब का ज़िक्र है, लेकिन यहाँ एक ओर तो न्याय, और दूसरी ओर परमेश्वर की दया और मसीहा का भविष्यवाणी भी दिखाई देती है।


🕊️ 1-2. शांति और आश्रय की पुकार

"तू देश के हाकिम को भेंट भेज..."

🔹 यशायाह कह रहे हैं कि मोआब को इस्राएल के राजा को शांति की भेंट भेजनी चाहिए।
🔹 वो कहते हैं कि जैसे चिड़ियाँ अपने घोंसले से भटक जाती हैं, वैसे ही मोआब की स्त्रियाँ दर-दर भटक रही हैं


🛡️ 3-5. मसीहाई भविष्यवाणी – न्याय के सिंहासन पर बैठने वाला

"दया करके हमारा न्याय कर; तू हमारा छाया देने वाला हो..."

🔹 यहाँ परमेश्वर कहता है कि एक दिन एक धर्मी राजा आएगा, जो दया और न्याय के साथ राज करेगा।
🔹 यह भविष्यवाणी यीशु मसीह के बारे में मानी जाती है – जो दया और सच्चाई से राज करेगा।


😔 6-8. मोआब का घमंड और उसका पतन

"हमने मोआब का बड़ा घमंड सुना है..."

🔹 मोआब बहुत घमंडी और अभिमानी हो गया था।
🔹 लेकिन उसका यह घमंड उसे पतन की ओर ले गया।
🔹 खेती-बाड़ी और अंगूरों के खेत तक उजड़ जाएंगे – इसका मतलब है आर्थिक विनाश।


😢 9-11. रोना और दुख

"मैं याज़ेर के अंगूरों के लिए रोऊंगा..."

🔹 यशायाह खुद मोआब के लिए दुख प्रकट करते हैं
🔹 उनके अंगूर के खेत, जो कभी फले-फूले थे, अब बर्बाद हो चुके हैं।


⏳ 12-14. न्याय टल नहीं सकता

"मोआब जब अपने ऊँचे स्थानों पर जाकर थकेगा... तब भी कुछ न होगा..."

🔹 मोआब अपने देवताओं के मंदिरों में जाकर पूजा करेगा, लेकिन कोई मदद नहीं मिलेगी।
🔹 यशायाह भविष्यवाणी करते हैं कि तीन साल में मोआब की सारी शक्ति जाती रहेगी


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर न्यायी है, पर साथ ही वह दयालु भी हैअगर कोई विनम्रता से उसकी ओर लौटता है, तो वह शरण देता है।
  2. घमंड किसी को नहीं बचा सकतामोआब घमंड के कारण गिरा।
  3. यीशु मसीह ही सच्चे न्याय और दया का राजा हैकेवल वही सुरक्षित आश्रय है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"तो दया से एक सिंहासन स्थिर किया जाएगा, और उस पर दया और सच्चाई से एक राजा विराजमान होगा।"
(यशायाह 16:5)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें सिखाता है कि जब हम घमंड करते हैं और परमेश्वर से दूर हो जाते हैं, तो हम हार जाते हैं। लेकिन जब हम परमेश्वर की दया में आते हैं, तो हमें शांति और सुरक्षा मिलती है। यीशु मसीह ही वो राजा हैं जो हमें आश्रय देते हैं।


 

🎙यशायाह अध्याय 17 – दमिश्क और इस्राएल पर न्याय का सन्देश

(Judgment against Damascus and Israel)

इस अध्याय में यशायाह भविष्यवाणी करते हैं कि कैसे दमिश्क (सीरिया की राजधानी) और इस्राएल पर परमेश्वर का न्याय आएगा। लेकिन साथ ही एक आशा की झलक भी दिखाई देती है।


🌆 1-3. दमिश्क का विनाश

"देखो, दमिश्क अब नगर न रहेगा..."
🔹 दमिश्क, जो उस समय एक बहुत बड़ा और ताकतवर नगर था, बिल्कुल नष्ट हो जाएगा
🔹 वो एक वीरान जगह बन जाएगा – जहाँ कोई नहीं रहेगा।


🇮🇱 4-6. इस्राएल (एप्रैम) का भी पतन

"एप्रैम की महिमा घट जाएगी..."
🔹 एप्रैम यहाँ उत्तरी इस्राएल को दर्शाता है।
🔹 वहां भी लोग कम हो जाएंगे – जैसे कि खेतों में कुछ ही बालें बचती हैं, वैसे ही इस्राएल में थोड़े ही लोग बचेंगे।


👀 7-8. कुछ लोग परमेश्वर की ओर फिरेंगे

"उस समय मनुष्य अपने सृष्टिकर्ता की ओर दृष्टि करेगा..."

🔹 जब दुख आएगा, तब कुछ लोग फिर से परमेश्वर की ओर देखेंगे
🔹 वे मूर्तियों और झूठे देवताओं को छोड़कर सच्चे परमेश्वर की ओर लौटेंगे।


🏚️ 9-11. फलते-फूलते नगर वीरान हो जाएंगे

"उनके गढ़वाले नगर जंगल जैसे हो जाएंगे..."

🔹 जो शहर कभी बहुत सुंदर और समृद्ध थे, वे खाली और उजड़े हुए हो जाएंगे।
🔹 क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को भुला दिया, और अपने बनाए हुए देवताओं पर भरोसा किया।


⚔️ 12-14. परमेश्वर अपने दुश्मनों को हरा देगा

"देश-देश के लोग समुद्र की गड़गड़ाहट की नाईं गरजेंगे..."

🔹 शत्रु बहुत से और शक्तिशाली होंगे, लेकिन परमेश्वर उन्हें एक ही रात में डराकर भगा देगा
🔹 यह हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की शक्ति शत्रुओं से कहीं अधिक है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर के बिना कोई भी महानता टिक नहीं सकती। दमिश्क और इस्राएल की ताकत भी समाप्त हो गई।
  2. सच्चे संकट के समय मनुष्य को परमेश्वर की याद आती है। इसलिए हमेशा उसी पर भरोसा करें।
  3. झूठे देवताओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए। केवल परमेश्वर ही उद्धार देने वाला है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"उस समय मनुष्य अपने सृष्टिकर्ता की ओर दृष्टि करेगा, और इस्राएल का पवित्र उसके ध्यान में रहेगा।"
(यशायाह 17:7)


🎧 सरल संदेश:

इस अध्याय में हमें सिखाया गया है कि अगर हम परमेश्वर को छोड़कर अपने मन से चलेंगे, तो हम गिर जाएंगे। पर अगर हम संकट में भी परमेश्वर की ओर देखें, तो वह हमें बचा सकता है। हमें मूर्तियों, झूठे भरोसों और अपने बल पर नहीं चलना चाहिए – सिर्फ यीशु मसीह ही हमारा सहारा हैं।


 

🎙यशायाह अध्याय 18 – कुश देश के लिए भविष्यवाणी

(A Prophecy about the Land of Cush / Ethiopia)

यह अध्याय एक खास देश के बारे में है – कुश देश। आज के समय में यह इथियोपिया और सूडान के आसपास का क्षेत्र है। यहाँ परमेश्वर एक संदेश देता है, और अंत में एक अद्भुत बात भी बताता है!


🐦 1-2. कुश देश की विशेषता

"हे उस देश के लोगों, जिनके पास पंखों की आवाज़ है..."

🔹 यह देश नील नदी के पार है और यहाँ तेज़ गति से दूतों को भेजा जाता है
🔹 यानी यह देश चुस्त और चालाक है, लेकिन शायद घमंडी भी


📯 3-6. परमेश्वर कहता है – मैं शांत रहकर देखूंगा

"मैं चुपचाप अपनी जगह से देखता रहूंगा..."

🔹 परमेश्वर कहता है कि वह जल्दबाज़ी में कुछ नहीं करता
🔹 वो सब कुछ ध्यान से देखता है, जैसे कोई किसान फसल काटने से पहले धूप और बरसात की प्रतीक्षा करता है
🔹 जब समय सही होगा, परमेश्वर शत्रु को काट देगा, जैसे फसल काटी जाती है


🌾 फसल का काटा जाना = न्याय

🔹 यहाँ पर परमेश्वर कहता है कि जैसे अंगूर की बेल काट दी जाती है, वैसे ही शत्रुओं का भी अंत होगा
🔹 वो घमंड से भरे लोग नाश हो जाएंगे, और उनके शरीर पर्वतों पर पड़े रहेंगे, उन्हें पक्षी और जानवर खाएंगे।


7. भविष्य की आशा – कुश देश परमेश्वर की उपासना करेगा

"उस समय यह उपहार ले जाकर सेनाओं के यहोवा की ओर चढ़ाएंगे..."

🔹 अंत में एक सुंदर बात होती है – कुश देश के लोग परमेश्वर को भेंट देंगे
🔹 यानी वो लोग परमेश्वर की उपासना करेंगे और उसकी महिमा करेंगे।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर जल्दी नहीं करता, लेकिन सटीक समय पर न्याय करता है।
  2. जो घमंडी और शक्तिशाली लगते हैं, वे भी परमेश्वर से नहीं बच सकते।
  3. हर देश और हर जाति एक दिन परमेश्वर की उपासना करेगी।

📖 याद रखने वाली आयत:

"उस समय एक ऐसा उपहार सेनाओं के यहोवा के पास भेजा जाएगा..."
(यशायाह 18:7)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें बताता है कि परमेश्वर सब कुछ धैर्य से और समय के अनुसार करता है। अगर कोई व्यक्ति या देश बहुत ताकतवर है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो परमेश्वर से ऊपर है। अंत में हर घुटना परमेश्वर के सामने झुकेगा। तुम भी सीखो कि जब तक परमेश्वर काम कर रहा हो, धैर्य रखो और भरोसा मत छोड़ो

 

 

 

 

🎙यशायाह अध्याय 19 – मिस्र (Egypt) के लिए भविष्यवाणी

(A Prophecy Against Egypt)

यह अध्याय एक बहुत पुराने और शक्तिशाली देश मिस्र (Egypt) के बारे में है। परमेश्वर बताता है कि कैसे मिस्र को उसकी घमंड और मूर्तिपूजा के कारण दंड मिलेगा, लेकिन बाद में परमेश्वर उन्हें माफ करके उन्हें आशीर्वाद देगा। चलो इसे आसान भाषा में समझते हैं:


1-4: परमेश्वर मिस्र के विरुद्ध आता है

"देखो, यहोवा एक तेज़ बादल पर चढ़कर मिस्र में आएगा..."

🔹 यह बताता है कि परमेश्वर सीधे मिस्र के विरुद्ध कदम उठाता है
🔹 मिस्र के लोग डर से कांपने लगते हैं, और उनके मूर्तियाँ गिर जाती हैं
🔹 वहाँ गृहयुद्ध होगा – मिस्र के लोग आपस में लड़ने लगेंगे।


🌊 5-10: नील नदी सूख जाती है

🔹 मिस्र की सबसे बड़ी ताकत थी – नील नदी
🔹 लेकिन परमेश्वर उसे सूखा कर देगा
🔹 इससे खेती, मछली पकड़ना, और कपड़ा बनाना सब ठप हो जाएगा
🔹 लोग गरीब और हताश हो जाएंगे।


🤯 11-15: बुद्धिमान लोग मूर्ख बन जाएंगे

"सोआन के राजकुमार मूर्ख बन गए हैं..."

🔹 जो मिस्र के ज्ञानी और सलाहकार कहलाते हैं, वे गलत फैसले लेने लगते हैं।
🔹 क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें एक मूर्खता की आत्मा दे दी है।
🔹 देश अंधाधुंध निर्णयों से गिरता चला जाता है, जैसे एक पियक्कड़ इधर-उधर डगमगाता है।


️‍🩹 16-22: मिस्र परमेश्वर से डरेगा और उसे पहचानेगा

"उस दिन मिस्र यहोवा को पहचानेगा..."

🔹 एक दिन ऐसा आएगा जब मिस्र के लोग यहोवा से डरेंगे और उसकी उपासना करेंगे
🔹 वे वेदी बनाएंगे, बलिदान चढ़ाएँगे और मन्नतें पूरी करेंगे।
🔹 परमेश्वर उन्हें दंड देगा लेकिन जब वे उससे माफ़ी माँगेंगे, तो वह उन्हें चंगा करेगा


🌍 23-25: मिस्र, अश्शूर और इस्राएल – सब एक साथ

"उस दिन मिस्र, अश्शूर और इस्राएल को यहोवा आशीर्वाद देगा..."

🔹 यह भविष्यवाणी कहती है कि तीन पुराने दुश्मन देश – मिस्र, अश्शूर और इस्राएल – एक दिन परमेश्वर के लोग बनेंगे
🔹 वो आपस में मेल करेंगे, और परमेश्वर तीनों को आशीर्वाद देगा


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. कोई भी देश या शक्ति परमेश्वर के न्याय से नहीं बच सकती।
  2. जब लोग परमेश्वर की ओर लौटते हैं, वह उन्हें चंगा करता है।
  3. भविष्य में हर देश से लोग परमेश्वर की आराधना करेंगे।

📖 याद रखने वाली आयत:

"और यहोवा मिस्र को मारकर चंगा करेगा..."
(यशायाह 19:22)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें बताता है कि परमेश्वर हर देश के लोगों से प्रेम करता है, लेकिन वह पाप और घमंड को सहन नहीं करता। जब कोई देश या व्यक्ति पश्चाताप करता है, तो परमेश्वर उन्हें क्षमा करता है और आशीर्वाद देता है। हमें भी सच्चे दिल से परमेश्वर की ओर मुड़ना चाहिए


 

🎙यशायाह अध्याय 20 – अश्शूर और मिस्र के बारे में चेतावनी

(A Visual Prophecy Against Egypt and Cush)

ये अध्याय छोटा है, लेकिन बहुत खास और थोड़ा अजीब भी लग सकता है, क्योंकि इसमें यशायाह खुद एक संकेत (sign) बनते हैं। परमेश्वर लोगों को एक भविष्य की घटना दिखाने के लिए यशायाह से कुछ अजीब करने को कहता है। चलो इसे आसानी से समझते हैं:


👕 1-2: यशायाह कपड़े और जूते उतार देता है

"तब यहोवा ने कहा, ‘जैसे मेरे दास यशायाह तीन वर्ष तक नंगा और नंगे पांव रहा...’"

🔹 परमेश्वर ने यशायाह से कहा कि वह तीन साल तक बिना ऊपरी वस्त्र और जूते के चले
🔹 यह कोई शर्म की बात नहीं थी, बल्कि एक भविष्य की चेतावनी का प्रतीक था।
🔹 इसका मतलब था कि मिस्र और कूश (इथियोपिया) के लोग जल्द ही पराजित होकर बंदी बनाए जाएंगेनंगे पैर और अपमान में


🏹 3-4: मिस्र और कूश हारेंगे

"राजा अश्शूर मिस्र और कूश के लोगों को... नंगे पांव और नंगे शरीर, बंदी बनाकर ले जाएगा।"

🔹 अश्शूर (Assyria) एक ताकतवर देश था जो दूसरे देशों को जीत लेता था।
🔹 वो मिस्र और कूश को भी जीतकर उनके लोगों को अपमानजनक हालत में बंदी बनाकर ले जाएगा।
🔹 जैसे यशायाह नंगे पांव चला, वैसे ही वे लोग भी शर्मिंदगी से बंधक बनाकर ले जाए जाएंगे


😟 5-6: जिन पर भरोसा था, वे हार जाएंगे

"तब वे डरकर कहेंगे, देखो, जिन पर हमने आशा रखी थी, वे ही अश्शूर के विरुद्ध न बच सके..."

🔹 इस्राएल के लोग सोचते थे कि मिस्र और कूश उनकी रक्षा करेंगे
🔹 लेकिन अब वे देखेंगे कि जिन पर भरोसा किया, वही खुद हार गए।
🔹 इसलिए यह चेतावनी थी: सच्चा भरोसा सिर्फ यहोवा परमेश्वर पर रखना चाहिए


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर कभी-कभी भविष्य बताने के लिए अपने दासों को अलग तरीके से प्रयोग करता है।
  2. दुनियावी ताकतों पर भरोसा करना गलत है, हमें सिर्फ परमेश्वर पर ही भरोसा रखना चाहिए।
  3. परमेश्वर हर समय अपने लोगों को सचेत करता है – ताकि वे सही रास्ता चुनें।

📖 याद रखने वाली आयत:

"देखो, जिन पर हमने आशा रखी थी... वे ही अश्शूर के विरुद्ध न बच सके।" (यशायाह 20:6)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय बताता है कि परमेश्वर कभी-कभी हमें दिखाता है कि किन चीज़ों पर हमें भरोसा नहीं करना चाहिए। मिस्र और कूश जैसे ताकतवर देश भी हार सकते हैं, पर यहोवा परमेश्वर कभी नहीं हारता। इसलिए हमेशा उसका सहारा लेना चाहिए।

 


 

🎙यशायाह अध्याय 21 – बाबुल, एदोम और अरबी देशों के लिए भविष्यवाणी

(Isaiah’s Prophecies About Babylon, Edom, and Arabia)

यह अध्याय तीन देशों के बारे में है: बाबुल, एदोम और अरब देश। इस अध्याय में यशायाह को तीन सपने या दर्शन (visions) मिलते हैं, जो अलग-अलग देशों के बारे में चेतावनी देते हैं। चलो इसे धीरे-धीरे और आसानी से समझते हैं:


🌪️ 1-10: बाबुल के विनाश का दर्शन (Babylon's Fall)

"एक भयानक दर्शन मुझे दिखाया गया..." (पद 2)

🔹 यशायाह को एक डरावना सपना दिखता है – एक बड़ी लड़ाई और विनाश का सपना।
🔹 ये सपना बाबुल (Babylon) के बारे में है – जो उस समय बहुत ताकतवर देश था।
🔹 इस सपने में यशायाह को इतना डर लगता है कि उसका दिल कांपने लगता है

🔹 वह देखता है कि एक दुश्मन सेना बाबुल पर हमला करती है और उसे पूरी तरह नष्ट कर देती है
🔹 ये भविष्यवाणी सच हुई जब मेद और फारस की सेनाओं ने बाबुल को जीत लिया

📖 "बाबुल गिरा! गिरा! और उसके सब देवता भूमि पर टूट गए!" (पद 9)


🐪 11-12: एदोम (Dumah) के लिए संदेश

"दूमा के विषय में यह भारी वाणी है..." (पद 11)

🔹 एदोम (जिसे दूमा भी कहा गया) एक पड़ोसी देश था।
🔹 कोई एक व्यक्ति यशायाह से पूछता है: "रात कब खत्म होगी?"
🔹 इसका मतलब है – "दुख और संकट कब खत्म होगा?"

🔹 यशायाह कहता है: "सुबह भी आएगी और रात भी।"
🔹 मतलब ये है कि थोड़ा आराम मिलेगा लेकिन फिर से संकट आएगा

📖 "यदि पूछना चाहो, तो पूछो; लौट आओ, फिर आना!" (पद 12)
(मतलब: अगर सच जानना है, तो बार-बार परमेश्वर के पास आओ।)


🏜️ 13-17: अरबी लोगों के लिए चेतावनी

"अरब के जंगल के विषय में भारी वाणी है..." (पद 13)

🔹 यह संदेश अरब देशों के बारे में है – जो उस समय रेगिस्तानों में रहते थे
🔹 यशायाह कहता है कि जल्द ही ये लोग भागने पर मजबूर होंगे, क्योंकि युद्ध और विनाश आ रहा है

📖 "कदर के वीर थोड़े ही बचेंगे!" (पद 17)
(कदर एक अरबी गोत्र था।)


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर सब राष्ट्रों पर अधिकार रखता हैचाहे वे कितने भी ताकतवर क्यों न हों।
  2. जो लोग बुराई में जीते हैं, उनके लिए परमेश्वर का न्याय जरूर आता है
  3. हर किसी को परमेश्वर की ओर लौटने का अवसर मिलता हैअगर वो सच में जानना चाहे।

📖 याद रखने वाली आयत:

"बाबुल गिरा! गिरा! और उसके सब देवता भूमि पर टूट गए!" (यशायाह 21:9)


🎧 सरल संदेश:

इस अध्याय में परमेश्वर हमें सिखाता है कि कोई भी देश या इंसान कितना भी ताकतवर क्यों न हो, अगर वो पाप में जीते हैं, तो उन पर न्याय आता है। और जो लोग परमेश्वर से मदद मांगते हैं, उन्हें वह सही समय पर चेतावनी और मार्गदर्शन देता है। हमें हमेशा उसके पास लौटते रहना चाहिए।


 

🎙यशायाह अध्याय 22 – यरूशलेम के लोगों की लापरवाही और चेतावनी

(Isaiah 22 – A Warning to Jerusalem’s People)

यह अध्याय यशायाह की यरूशलेम के लोगों को दी गई चेतावनी है। इस अध्याय में परमेश्वर दुखी है क्योंकि उसके लोग संकट के समय भी न तो पश्चाताप करते हैं और न ही उसकी ओर लौटते हैं। इस अध्याय को दो हिस्सों में समझते हैं:


📌 1-14 पद: यरूशलेम की लापरवाही और ग़लत रवैया

"हे दर्शन की तराई, यह क्या हुआ कि तेरे सब लोग घरों से बाहर निकल आए हैं?" (पद 1)

🔹 यशायाह एक दर्शन (vision) देखता है कि यरूशलेम संकट में है – शत्रु आने वाला है
🔹 लेकिन लोग डरने या प्रार्थना करने की बजाय, उत्सव मना रहे हैं

🔹 वे कहते हैं:
👉 "आओ, खाएं और पिएं, क्योंकि कल मर जाएंगे!" (पद 13)

🔹 इसका मतलब है कि उन्हें अपनी जान की चिंता नहीं, और न ही पाप से कोई दुख है।
🔹 परमेश्वर दुखी होता है कि उसके लोग इस हालत में भी उससे मुंह मोड़ रहे हैं

📖 "इसलिए यहोवा ने कहा: यह अधर्म तुम्हें क्षमा नहीं किया जाएगा..." (पद 14)


📌 15-25 पद: शेबना और एलियाकीम – दो अधिकारियों का उदाहरण

🔹 इस भाग में परमेश्वर दो लोगों का उदाहरण देता है:


1. शेबना – घमंडी अधिकारी

(पद 15-19)

शेबना एक सरकारी अधिकारी था जो अपने लिए बड़ा मकबरा बनवा रहा था।

🔸 वह अपनी शोहरत और ताकत पर घमंड कर रहा था, जैसे वह हमेशा जिंदा रहेगा।
🔸 परमेश्वर कहता है कि उसे उसके पद से हटा दिया जाएगा

📖 "तू एक बलवान व्यक्ति के समान दूर फेंका जाएगा!" (पद 18)


2. एलियाकीम – विश्वासयोग्य सेवक

(पद 20-25)

परमेश्वर एलियाकीम को उसका स्थान देने वाला है।

🔸 वह ईमानदार, दयालु और लोगों की सेवा करने वाला होगा।
🔸 परमेश्वर उसे कहता है:
📖 "मैं उसके कंधे पर दाऊद के घर की कुंजी रखूंगा..." (पद 22)
(
मतलब: उसे परमेश्वर का भरोसा मिलेगा और नेतृत्व की जिम्मेदारी दी जाएगी।)


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. जब संकट आए तो हमें उत्सव नहीं, बल्कि परमेश्वर की ओर लौटना चाहिए।
  2. पश्चाताप (repentance) जरूरी है – वरना परमेश्वर दुखी होता है।
  3. परमेश्वर घमंडी लोगों को नीचे करता है, और नम्र लोगों को ऊपर उठाता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"आओ, खाएं और पिएं, क्योंकि कल मर जाएंगे!" (यशायाह 22:13)
️ (यह गलत सोच है – जीवन के गंभीर समय में हमें परमेश्वर की ओर लौटना चाहिए।)


🎧 सरल संदेश:

जब भी हम मुश्किल में हों, तो हमें खुद पर या अपनी योजना पर भरोसा नहीं करना चाहिए, बल्कि परमेश्वर की ओर लौटना चाहिए, प्रार्थना करनी चाहिए, और पाप से दूर होना चाहिए। परमेश्वर घमंडियों को हटा देता है लेकिन नम्र लोगों को ऊंचा करता है।


 

🎙यशायाह अध्याय 23 – सूर देश का पतन और घमंड का परिणाम

(Isaiah 23 – The Fall of Tyre and the End of Pride)

यह अध्याय सूर (Tyre) नाम के एक समृद्ध शहर के बारे में है। सूर बहुत अमीर और प्रसिद्ध शहर था, लेकिन उसमें घमंड और पाप भर गया था। इसलिए परमेश्वर ने भविष्यवाणी की कि उसका विनाश होगा।


📌 1-14 पद: सूर देश की तबाही

🔹 सूर समुद्र के किनारे बसा था और व्यापार से बहुत पैसा कमाता था।
🔹 वहां के लोग दूसरे देशों से सामान लाते और बेचते थे – जैसे मिस्र, तरसीश (Spain की ओर), सिद्धोन, आदि।

"हे तरसीश के जहाज़ों, चुप हो जाओ! क्योंकि वह नगर उजड़ गया है..." (पद 1)

🔸 सूर के बारे में बताया गया है कि वह अब एक सुनसान और वीरान जगह बन जाएगा।
🔸 व्यापार बंद हो जाएगा, और दूसरे देश दुख मनाएंगे क्योंकि उन्हें भी नुक़सान होगा।

📖 "यहोवा ने सेनाओं के परमेश्वर की यह युक्ति है, कि वह सारे घमंडियों के अभिमान को नीचा करे..." (पद 9)

🔸 सूर का घमंड और धन पर घमंड – यही उसके पतन का कारण बना।


📌 15-18 पद: बहाली (पुनर्स्थापना)

"परन्तु सत्तर वर्ष के बाद फिर सूर का हाल वेश्या की सी हो जाएगा..." (पद 15)

🔹 70 वर्षों तक सूर उजड़ा रहेगा, फिर दोबारा उसकी स्थिति कुछ हद तक सुधरेगी।
🔹 लेकिन वह फिर वही पुराने पापों में लौटेगाधन और घमंड की ओर।

📖 "तौभी उसकी कमाई यहोवा के लिये पवित्र ठहरेगी..." (पद 18)
🔸 इसका मतलब है कि एक दिन सूर की दौलत परमेश्वर के उद्देश्य में इस्तेमाल होगी।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. धन और व्यापार में घमंड नहीं करना चाहिए – क्योंकि सब कुछ परमेश्वर का है।
  2. अगर कोई देश या व्यक्ति घमंड करता है, तो उसका अंत विनाश होता है।
  3. परमेश्वर दया भी करता है – जैसे सूर को 70 साल बाद मौका मिला।

📖 याद रखने वाली आयत:

"यहोवा ने सेनाओं के परमेश्वर की यह युक्ति है, कि वह सारे घमंडियों के अभिमान को नीचा करे।" (यशायाह 23:9)


🎧 सरल संदेश:

अगर हमारे पास पैसा, बुद्धि या प्रतिष्ठा हो, तो हमें घमंड नहीं करना चाहिए। परमेश्वर हर चीज़ देखता है, और वह चाहता है कि हम नम्र और भरोसेमंद बनें। अगर हम गलती करें, फिर भी वह हमें दूसरा मौका देता हैलेकिन हमें सुधरना चाहिए।


 

🎙यशायाह अध्याय 24 – पूरी पृथ्वी का न्याय और परमेश्वर की महिमा

(Isaiah 24 – God's Judgment on the Whole Earth)

अब तक हमनें देखा कि यशायाह ने अलग-अलग देशों के लिए भविष्यवाणियाँ कीं। लेकिन अब अध्याय 24 में यशायाह पूरी दुनिया (earth) के लिए एक भविष्यवाणी करता है। यह अध्याय बताता है कि एक दिन परमेश्वर पूरी पृथ्वी का न्याय करेगा, क्योंकि लोग पापों में डूबे हुए हैं।


📌 1-13 पद: पृथ्वी का विनाश और लोगों की दशा

"देखो, यहोवा पृथ्वी को सुनसान करता, उसे उजाड़ता, उसका रूप बिगाड़ता है..." (पद 1)

🔹 परमेश्वर कहता है कि वह पूरी पृथ्वी को हिला देगा, लोग डरेंगे, और सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो जाएगा।
🔹 कोई अमीर, कोई गरीब, कोई मालिक, कोई नौकर – सबको बराबर दंड मिलेगा।

🔹 क्यों?

"क्योंकि उन्होंने व्यवस्था का उल्लंघन किया, विधियों को तोड़ा..." (पद 5)

🔸 मनुष्यों ने परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ा, इसलिए अब सज़ा तय है।
🔸 शराब और ख़ुशी खत्म हो जाएगी, और लोग शोक में डूबे होंगे


📌 14-16 पद: परमेश्वर की महिमा में आशा की किरण

"वे समुद्र की ओर से यहोवा की महिमा का जयजयकार करेंगे..." (पद 14)

🔹 कुछ लोग फिर भी परमेश्वर की महिमा करेंगे
🔹 इससे पता चलता है कि सब कुछ बर्बाद होने के बावजूद, कुछ लोग परमेश्वर में आशा रखेंगे


📌 17-23 पद: डर, दंड और अंत में परमेश्वर का राज्य

"डर, गड्ढा और फंदा, हे पृथ्वी के रहनेवाले, तुम पर पड़े हैं।" (पद 17)

🔸 हर जगह डर और तबाही होगी – ऐसा लगेगा जैसे दुनिया का अंत हो रहा है।
🔸 परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी दोनों में दंड देगा, और फिर...

"उस समय यहोवा सेनाओं का राजा होगा सिय्योन पर्वत पर..." (पद 23)

🔹 अंत में परमेश्वर का राज्य स्थापित होगा और उसकी महिमा सब जगह दिखाई देगी।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. पाप का अंत हमेशा विनाश होता है – चाहे वह कोई भी हो।
  2. परमेश्वर निष्पक्ष न्याय करता है – हर किसी के लिए।
  3. जो लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, उनके लिए आशा हमेशा रहती है।
  4. अंत में परमेश्वर का राज्य ही बचेगा – हमें उसी में जीवन बनाना है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"परन्तु यहोवा सेनाओं का राजा होगा सिय्योन पर्वत पर..." (यशायाह 24:23)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय हमें सिखाता है कि परमेश्वर सब कुछ देखता है। अगर लोग उसके रास्ते से भटकते हैं, तो वह समय पर न्याय करता है। लेकिन वह उन लोगों को नहीं भूलता जो उसे प्यार करते हैं और उसकी राह पर चलते हैं। तू हमेशा परमेश्वर से जुड़ी रह, चाहे दुनिया में कुछ भी हो जाए – तेरा जीवन सुरक्षित रहेगा।


 

🎙यशायाह अध्याय 25 – परमेश्वर की स्तुति और अंतिम विजय

(Isaiah 25 – Praise for God's Victory)

पिछले अध्याय (24) में हमने देखा कि परमेश्वर पूरे संसार का न्याय करेगा। लेकिन अब इस अध्याय में यशायाह एक स्तुति गीत गाता है। वह परमेश्वर की महानता, दया और विजय के लिए उसकी प्रशंसा करता है।


📌 1-5 पद: परमेश्वर की महानता की स्तुति

हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तेरी स्तुति करूंगा…” (पद 1)

🔹 यशायाह कहता है – "हे प्रभु, तू विश्वासयोग्य है।"
🔹 उसने जो योजनाएँ बनाईं, उन्हें ठीक वैसे ही पूरा किया – पुराने ज़माने से तय की गई बातों को

🔹 परमेश्वर ने अत्याचारी नगरों को नष्ट कर दिया, और गरीबों को शरण और सुरक्षा दी।

"तू कंगालों के लिए बलवंतों से शरणस्थान बना, संकट के समय उनका गढ़ बना है..." (पद 4)

🔸 यशायाह कहता है कि प्रभु ने उन लोगों की मदद की जिन्हें कोई सहारा नहीं था।


📌 6-8 पद: परमेश्वर का पर्व – मृतकों की मृत्यु पर विजय

"सिय्योन पर्वत पर यहोवा सेनाओं का भोज होगा..." (पद 6)

🔹 परमेश्वर अपने लोगों के लिए एक विशेष भोज तैयार करेगा – जैसे एक शादी या उत्सव का भोज।

🔹 और फिर सबसे बड़ी बात:

"वह मृत्यु को सदा के लिए नाश करेगा..." (पद 8)
"प्रभु यहोवा सबके चेहरों से आंसू पोंछ डालेगा..."

🟢 ये शब्द हमें यीशु की विजय की ओर ले जाते हैं – जो मृत्यु पर जीत लाएगा, और हर दुख का अंत करेगा।


📌 9-12 पद: उद्धार पानेवालों की खुशी

"देखो, यह हमारा परमेश्वर है; हम इसी की आशा रखते थे..." (पद 9)

🔹 लोग परमेश्वर में आशा रखेंगे और कहेंगे – "यह वही है जिसकी हम राह देख रहे थे।"

🔹 परंतु जो घमंडी और दुष्ट होंगे, वे नष्ट कर दिए जाएंगे। मोआब (एक घमंडी राष्ट्र) का उदाहरण देकर यह दिखाया गया है कि कोई भी गर्वीला परमेश्वर के सामने टिक नहीं पाएगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर विश्वासयोग्य है – वह हर बात पूरी करता है।
  2. जो लोग दबे-कुचले हैं, परमेश्वर उनका रक्षक बनता है।
  3. परमेश्वर मृत्यु को हरा देगा – और हर आंसू पोंछेगा।
  4. वह दिन आएगा जब सब कहेंगे – यह है हमारा उद्धारक परमेश्वर!

📖 याद रखने वाली आयत:

"वह मृत्यु को सदा के लिए नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सबके चेहरों से आंसू पोंछ डालेगा..." (यशायाह 25:8)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें सिखाता है कि परमेश्वर न सिर्फ न्याय करता है, बल्कि वह अपने लोगों को दिलासा, सुरक्षा और खुशी भी देता है। जब हम दुख में होते हैं, तो याद रखो – एक दिन प्रभु हर आंसू पोंछ देगा। उस दिन हम खुशी से कहेंगे – “यही तो है हमारा परमेश्वर!”

🎙यशायाह अध्याय 27 – परमेश्वर की लता और न्याय

(Isaiah 27 – God's Vineyard and His Judgment)

पिछले अध्यायों में हमने देखा कि कैसे परमेश्वर न्याय करता है, लोगों को बुलाता है, और उन्हें वापस अपनी ओर लाता है। अब इस अध्याय में भी परमेश्वर अपने लोगों के लिए योजना और देखभाल को बताता है।


📌 पद 1 – परमेश्वर राक्षसी शक्तियों को नष्ट करता है

"उस दिन यहोवा अपनी कड़ी, बड़ी और बलवन्त तलवार से लिव्यातान नामक साँप को... मार डालेगा।"

🔸 मतलब:
यहाँ "लिव्यातान" एक विशालकाय समुद्री राक्षस (symbolic monster) के रूप में बताया गया है, जो परमेश्वर के दुश्मनों का प्रतीक है।

👉 परमेश्वर एक दिन हर बुराई, अराजकता और अंधकार की शक्तियों को पूरी तरह खत्म कर देगा।


📌 पद 2-6 – परमेश्वर की अंगूर की बारी (Vineyard)

"उस दिन तुम कहोगे, ‘लाल दाख की बारी; इसे मधुरता से गा।’"

🔸 यह बारी इस्राएल की प्रजा है – परमेश्वर की अपनी प्रिय संतान।

🔸 वह उसकी देखभाल करता है, उसे पानी देता है, उसकी रक्षा करता है।

🔸 अगर कोई उस बारी को नुकसान पहुँचाने आए, तो परमेश्वर खुद उसे रोकता है।

🔹 सिखने की बात:
परमेश्वर अपने लोगों की देखभाल करता है जैसे कोई माली अपनी सबसे प्यारी बगिया की करता है।


📌 पद 7-11 – न्याय और सुधार

🔸 परमेश्वर ने इस्राएल को दंडित तो किया, लेकिन न्याय के साथ – सुधार के लिए, विनाश के लिए नहीं।

🔸 जब उन्होंने मूर्तिपूजा की, परमेश्वर ने उन्हें सुधरने का अवसर दिया।

🔹 परमेश्वर क्यों दंड देता है?
ताकि लोग अपने पापों को समझें और परमेश्वर की ओर लौट आएँ।

👉 सिखने की बात:
जैसे माता-पिता अपने बच्चों को सुधारने के लिए डाँटते हैं, वैसे ही परमेश्वर भी हमें बेहतर बनाने के लिए कभी-कभी सिखाता है।


📌 पद 12-13 – अंतिम सभा का दृश्य

"उस दिन यहोवा अपने लोगों को... इकट्ठा करेगा।"

🔸 परमेश्वर अपने बिखरे हुए लोगों को फिर से बुलाएगा – जैसे एक मसीहा सबको इकट्ठा करता है।

🔸 सब लोग यरूशलेम में आकर यहोवा की आराधना करेंगे और एक बड़ा उत्सव होगा।

🔹 सिखने की बात:
परमेश्वर हमें कभी नहीं भूलता। वह हमें वापस बुलाता है, इकट्ठा करता है, और फिर हमें अपने पास रखता है।


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. परमेश्वर बुराई को पूरी तरह खत्म करेगा – वह शक्तिशाली है।
  2. हम परमेश्वर की बगिया हैं – वह हमें सहेजता, सींचता और रक्षा करता है।
  3. यदि हम भटक जाएँ, तो परमेश्वर हमें सुधारता है – दंड प्यार से देता है।
  4. एक दिन परमेश्वर अपने सभी लोगों को इकट्ठा करेगा और वे मिलकर उसकी स्तुति करेंगे।

📖 याद रखने वाली आयत:

"उस दिन यहोवा अपनी बड़ी और बलवन्त तलवार से लिव्यातान को मार डालेगा..."
(यशायाह 27:1)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय बताता है कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करता है। वह हमें सुरक्षित रखता है, चाहे हम कितनी भी परेशानी में क्यों न हों। अगर हम गलती करें भी, तो वह हमें सुधारता है ताकि हम फिर से सही रास्ते पर चल सकें।

जैसे माली अपनी बगिया को पानी देता है, देखभाल करता है – वैसे ही परमेश्वर तुम्हारी देखभाल करता है। और याद रखो, एक दिन वो सबको इकट्ठा करेगा और अपने पास रखेगा – हमेशा के लिए।


 

🎙यशायाह अध्याय 28 – घमंड, न्याय और सच्ची शिक्षा

(Isaiah 28 – Pride, Judgment and True Teaching)

इस अध्याय में परमेश्वर विशेष रूप से उत्तर इस्राएल (एप्रैम) और यहूदा को चेतावनी देता है। ये लोग घमंडी हो गए थे, पाप में जी रहे थे और परमेश्वर की बात नहीं सुन रहे थे।


📌 1-6 पद: एप्रैम का घमंड और गिरावट

"हाय उस घमंड की पतीली माला पर..." (पद 1)

🔹 एप्रैम के लोग बहुत घमंडी थे। वे शराब में डूबे रहते, अपनी ताकत पर घमंड करते।

🔹 परमेश्वर कहता है – घमंड एक सूखते हुए फूल जैसा है, जो जल्दी ही गिर जाएगा।

🔸 लेकिन जो न्यायप्रिय और परमेश्वर से डरनेवाले हैं – परमेश्वर उन्हें ताज की तरह आदर देगा।


📌 7-13 पद: यहूदा के अगुवों की भी गलती

"याजक और भविष्यवक्ता भी मदिरा के कारण ठोकर खाते हैं..." (पद 7)

🔹 अब परमेश्वर यहूदा के अगुवों को भी फटकारता है।

🔸 वे लोग भी शराब के कारण भटक गए, ठीक से निर्णय नहीं कर पाए।

🔸 जब परमेश्वर उन्हें शिक्षा देता है, तो वे कहते हैं, "ये तो बच्चों जैसी बातें हैं..."
जैसे कोई कहे: "बा बा बा, अ आ इ ई" – मतलब उन्होंने परमेश्वर की गहराई को मज़ाक बना दिया।

🔹 इसलिए परमेश्वर कहता है – "ठीक है, अब मैं अजनबी भाषा और लोगों के माध्यम से तुमसे बात करूंगा!"
(यह भविष्यवाणी पेंटेकोस्त (प्रेरितों के काम) में पूरी हुई – जब परमेश्वर ने अजनबी भाषाओं में अपने संदेश दिए।)


📌 14-22 पद: झूठे समझौते और सच्ची नींव

"तुमने मरण से वाचा बांधी है, और अधोलोक से समझौता किया है..." (पद 15)

🔹 यहूदा के अगुवों ने सोचा – "हम चालाक हैं, हमने मौत से भी समझौता कर लिया है, हम बच जाएँगे।"

🔸 लेकिन परमेश्वर कहता है – "तुमने जो सुरक्षा बनाई है, वह झूठ है – वह दीवार गिरेगी।"


📌 16 पद: एक बहुत ही महत्वपूर्ण भविष्यवाणी

"देखो, मैं सिय्योन में एक कोना पत्थर रखता हूँ... जो उस पर विश्वास करेगा, वह घबरा नहीं जाएगा।" (पद 16)

👉 यह भविष्यवाणी यीशु मसीह के बारे में है!

🔹 यीशु ही वो असली नींव का पत्थर है – जिस पर विश्वास करने से हम स्थिर रह सकते हैं।


📌 23-29 पद: किसान का उदाहरण – परमेश्वर कैसे काम करता है

🔹 परमेश्वर एक किसान की तरह है।

🔸 जैसे किसान अलग-अलग बीजों को अलग-अलग तरीके से बोता और काटता है, वैसे ही परमेश्वर हर किसी से उसके हिसाब से व्यवहार करता है – बुद्धि और प्यार से।


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. घमंड हमेशा गिरावट की ओर ले जाता है।
  2. जो लोग परमेश्वर की बात को मज़ाक समझते हैं, वे उसे समझ नहीं पाते।
  3. परमेश्वर ने यीशु को एक "आधार पत्थर" बनाया है – जो उस पर विश्वास करेगा, वह कभी न हिलेगा।
  4. परमेश्वर सबको अलग-अलग तरीके से सिखाता और सुधारता है – जैसे एक अच्छा किसान।

📖 याद रखने वाली आयत:

"देखो, मैं सिय्योन में एक कोना पत्थर रखता हूँ... जो उस पर विश्वास करेगा, वह घबरा नहीं जाएगा।"
(यशायाह 28:16)


🎧 सरल संदेश:

परमेश्वर हमसे चाहता है कि हम घमंड न करें और उसकी बातों को ध्यान से सुनें। जब हम यीशु पर विश्वास करते हैं, तो हम एक मज़बूत घर की नींव पर खड़े होते हैं – जो आँधियों में भी नहीं हिलता। चाहे दुनिया कुछ भी कहे, परमेश्वर के वचन में स्थिर रहना ही सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।


 

🎙यशायाह अध्याय 29 – झूठी भक्ति और सच्चा उद्धार

(Isaiah 29 – False Worship and True Salvation)

इस अध्याय में परमेश्वर यरूशलेम (जिसे यहां अरियेल कहा गया है) को चेतावनी देता है। वह लोगों को उनके झूठे धर्म, घमंड और पाखंड के लिए सुधारता है, लेकिन साथ ही आने वाले उद्धार की भी आशा देता है।


📌 1-4 पद: यरूशलेम को चेतावनी

🔹अरियेलका मतलब है “परमेश्वर का सिंहासन”। यह यरूशलेम का एक और नाम है।

🔸 परमेश्वर कहता है – यरूशलेम, तू हर साल त्योहार तो मनाता है, पर तेरा दिल मुझसे दूर है।

🔸 इसलिए तेरे ऊपर संकट आएगा। दुश्मन चारों ओर से घेर लेंगे। तू नीचे झुकेगा, और तेरी आवाज़ ज़मीन से आएगी – जैसे कोई मरे हुए से बोल रहा हो।


📌 5-8 पद: दुश्मनों का नाश

🔹 परमेश्वर कहता है – जो लोग यरूशलेम को सताएंगे, वे एक सपना या स्वप्न जैसे खत्म हो जाएंगे।

🔸 जैसे कोई सपना देखता है कि वह खा रहा है, लेकिन जागने पर भूखा ही होता है – वैसे ही तेरे दुश्मन कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे।

👉 यह बताता है कि प्रभु अपने लोगों की रक्षा करेगा, चाहे वे कितनी ही कठिनाई में हों।


📌 9-14 पद: झूठी भक्ति की आलोचना

🔹 लोग कहते हैं – "हम तो परमेश्वर की पूजा करते हैं", पर वे सिर्फ अपने होंठों से ऐसा कहते हैं। उनका दिल दूर होता है।

"यह लोग मुझसे केवल अपने मुंह से निकट होते हैं, पर उनका मन मुझसे दूर रहता है..." (पद 13)

🔸 परमेश्वर कहता है – "तुम्हारी भक्ति दिखावे की है, इसलिए मैं अद्भुत काम करूंगा, ताकि तुम्हारी बुद्धि भी चौंक जाए।"


📌 15-16 पद: जो लोग छिपकर पाप करते हैं

🔹 कुछ लोग सोचते हैं कि वे परमेश्वर से अपने काम छुपा सकते हैं।

🔸 लेकिन परमेश्वर कहता है – "क्या कुम्हार और मिट्टी में फर्क नहीं रहेगा?"
तू कुम्हार (परमेश्वर) को कैसे पूछ सकता है, "तू क्या कर रहा है?"

👉 इसका मतलब: हम परमेश्वर की योजनाओं और कामों को समझ नहीं सकते, लेकिन हमें उस पर विश्वास रखना चाहिए।


📌 17-24 पद: भविष्य की आशा – जब सब कुछ बदल जाएगा

🔹 अब परमेश्वर आशा की बात करता है – वह दिन आएगा जब:

  • अंधे देखेंगे
  • बहरे सुनेंगे
  • नम्र लोग आनन्द करेंगे
  • दुष्ट नष्ट हो जाएंगे

🔹 लोग अब से परमेश्वर को सच में जानेंगे, डरेंगे और उसकी महिमा करेंगे।


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. सिर्फ धार्मिक रीति-रिवाज नहीं, हमें सच्चे दिल से परमेश्वर की भक्ति करनी है।
  2. परमेश्वर हमारे हर काम को जानता है – हम उससे कुछ नहीं छुपा सकते।
  3. जो विनम्र और भरोसा करनेवाले हैं, परमेश्वर उनके लिए आशा और चमत्कार लाता है।
  4. एक दिन ऐसा आएगा जब हर आंख परमेश्वर की महिमा को देखेगी।

📖 याद रखने वाली आयत:

"यह लोग मुझसे केवल अपने मुंह से निकट होते हैं, पर उनका मन मुझसे दूर रहता है..."
(यशायाह 29:13)


🎧 सरल संदेश:

इस अध्याय में परमेश्वर हमें याद दिलाता है कि पूजा सिर्फ बाहरी दिखावा नहीं होनी चाहिए। हमारा दिल भी परमेश्वर के करीब होना चाहिए। जब हम दिल से प्रार्थना करते हैं, उसे प्यार करते हैं, तो वह हमें बचाता है, चमत्कार करता है, और हमें अपना बना लेता है। वह दिन जरूर आएगा जब सारी दुनिया कहेगी – “परमेश्वर सच्चा है!”


 

🎙यशायाह अध्याय 30 – मिस्र पर भरोसा और परमेश्वर की दया

(Isaiah 30 – Trusting Egypt vs Trusting God)

इस अध्याय में परमेश्वर अपने लोगों को डांटता है क्योंकि उन्होंने उस पर भरोसा करने के बजाय मिस्र देश पर भरोसा किया। लेकिन अंत में वह फिर से अपने प्रेम को दिखाता है और उन्हें वापस बुलाता है।


📌 1-7 पद: गलत भरोसा – मिस्र की मदद लेना

🔹 परमेश्वर कहता है – "हाय, वे विद्रोही बच्चे जो मेरी सलाह नहीं मानते।"

🔹 इसराएली लोग मुश्किल में थे, लेकिन उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना करने की बजाय मिस्र देश से मदद मांगी।

🔸 उन्होंने सोचा कि मिस्र की सेना उन्हें बचा लेगी, लेकिन परमेश्वर कहता है – "मिस्र की मदद व्यर्थ है।"

👉 यह हमें सिखाता है: जब हम मुश्किल में होते हैं, तो हमें इंसानों पर नहीं, परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए।


📌 8-14 पद: लोग सच्चाई नहीं सुनना चाहते

🔹 परमेश्वर यशायाह से कहता है – "ये लोग झूठ सुनना चाहते हैं, सच्चाई नहीं।"

🔸 वे कहते हैं – "हमें भविष्यवाणी मत करो, अच्छी बातें बताओ।"

🔹 लेकिन परमेश्वर कहता है – "तुमने मेरे वचन को ठुकराया है, इसलिए तुम गिरोगे जैसे दीवार अचानक गिरती है।"

👉 हमें सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वह कठिन क्यों न हो।


📌 15-18 पद: परमेश्वर की दया

🔹 "यदि तुम लौटकर चुपचाप रहो, और मुझ पर भरोसा रखो, तो तुम्हें बचाया जाएगा।" (पद 15)

🔸 लेकिन लोग माने नहीं, उन्होंने कहा – "हम घोड़ों पर भाग जाएंगे।"

🔹 परमेश्वर कहता है – "फिर तुम अकेले रह जाओगे और दुश्मन तुम्हें पकड़ लेगा।"

💖 फिर भी, पद 18 में एक खूबसूरत वचन आता है:

"यहोवा तुम्हारे अनुग्रह करने की बाट जोहता है..."

👉 इसका मतलब: प्रभु अब भी इंतजार कर रहा है कि तुम वापस आओ, और वह फिर से तुम पर दया करेगा।


📌 19-26 पद: आशा और आशीर्वाद का वादा

🔹 एक दिन आएगा जब परमेश्वर फिर से अपने लोगों पर कृपा करेगा।

  • वह उन्हें रास्ता दिखाएगा – "यह है मार्ग, इसी पर चलो।"
  • वे अपने मूर्तियों को फेंक देंगे।
  • धरती पर फिर से बारिश होगी, खेत फलेंगे।
  • बीमार लोग चंगे होंगे और सूरज और चांद की रोशनी दुगनी होगी।

👉 परमेश्वर का वादा है – अगर तुम मेरी ओर लौटोगे, तो मैं तुम्हें आशीष दूंगा।


📌 27-33 पद: परमेश्वर अपने दुश्मनों से न्याय करेगा

🔹 अंत में परमेश्वर कहता है कि वह अपने दुश्मनों को दंड देगा।

🔸 वह अपने लोगों को बचाएगा और अपने शत्रुओं को नाश करेगा।


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. मुश्किल में इंसानों पर नहीं, परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए।
  2. सच्चाई से डरना नहीं चाहिए – हमें परमेश्वर की बातों को सुनना और मानना चाहिए।
  3. जब हम परमेश्वर से दूर जाते हैं, तब भी वह हमारा इंतजार करता है।
  4. जब हम वापस लौटते हैं, तो वह हमें आशीर्वाद, मार्गदर्शन और सुरक्षा देता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"यहोवा अनुग्रह करने के लिये बाट जोहता है, और वह तुम्हारे ऊपर दया करने को तैयार रहता है..."
(यशायाह 30:18)


🎧 सरल संदेश:

अगर हम कभी गलती कर भी बैठें, तो डरने की जरूरत नहीं। हमारा परमेश्वर ऐसा है जो हमें फिर से बुलाता है। वो इंतजार करता है कि हम उसके पास लौटें। जब हम उसकी बात मानते हैं, तो वह हमें सच्ची शांति, मार्ग और आशीर्वाद देता है। इसलिए हमेशा उस पर भरोसा रखो – वो सबसे अच्छा मार्गदर्शक है।


 

🎙यशायाह अध्याय 31 – मिस्र पर भरोसा या परमेश्वर पर?

(Isaiah 31 – Trusting Egypt or Trusting God?)

इस अध्याय में फिर से वही बात दोहराई जाती है जो पिछले अध्याय में थी – लोग परमेश्वर पर भरोसा नहीं कर रहे थे, बल्कि मिस्र जैसे ताकतवर देश की तरफ दौड़ रहे थे। लेकिन यशायाह उन्हें समझाता है कि सच्चा बचाव सिर्फ परमेश्वर से ही आता है।


📌 1-3 पद: मनुष्यों पर भरोसा करने की गलती

🔹 "हाय, जो लोग मिस्र के पास मदद के लिए जाते हैं!"
क्योंकि उन्हें घोड़े और रथों की ताकत पर भरोसा है, लेकिन परमेश्वर को नहीं पूछते

🔸 मिस्र के पास ताकत थी – बड़ी सेनाएं, घोड़े, रथ – लेकिन परमेश्वर कहता है:

"मिस्र भी मनुष्य है, ईश्वर नहीं; उनके घोड़े शरीर हैं, आत्मा नहीं।"

👉 मतलब: मिस्र चाहे कितना भी ताकतवर दिखे, लेकिन वो परमेश्वर जैसा नहीं है। उनकी ताकत सीमित है, लेकिन परमेश्वर की ताकत अनंत है।


📌 4-5 पद: परमेश्वर की सुरक्षा का चित्र

🔸 अब यशायाह एक सुंदर तुलना करता है:

  • जैसे सिंह शिकार के समय डरता नहीं...
  • जैसे चील अपने घोंसले की रक्षा करती है...

वैसे ही प्रभु यरूशलेम की रक्षा करेगा।

🔹 वह कहता है – "मैं बचाऊंगा, छोड़ाऊंगा और सुरक्षित रखूंगा।"

👉 यह हमें सिखाता है कि जब हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, तो वह हमें ताकतवर तरीके से बचाता है।


📌 6-7 पद: लौट आओ प्रभु के पास

🔸 यशायाह सब लोगों से कहता है:

"जिससे तुम बहुत दूर हट गए थे, उसी की ओर लौट आओ!"

🔹 और लोग अपने मूर्तियों को फेंक देंगे, जिनकी उन्होंने पूजा की थी।

👉 जब हम परमेश्वर की ओर लौटते हैं, तो हमें पुराने पापों और झूठे सहारों को छोड़ना होता है।


📌 8-9 पद: परमेश्वर दुश्मनों से लड़ेगा

🔹 परमेश्वर कहता है कि अशूर (जो उस समय का बड़ा शत्रु था) मनुष्य की तलवार से नहीं, परमेश्वर की शक्ति से हार जाएगा।

🔸 उनकी ताकत मिट जाएगी, वे डरकर भागेंगे।

👉 यह दिखाता है कि परमेश्वर अपने लोगों के लिए खुद युद्ध करता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. जब हम मुसीबत में हों, तो परमेश्वर की सलाह लें, न कि सिर्फ इंसानों की।
  2. परमेश्वर की ताकत इंसानों की ताकत से कहीं अधिक है।
  3. वह अपने लोगों की सिंह और चील जैसी रक्षा करता है।
  4. हमें मूर्तियों और झूठे सहारों को त्याग कर परमेश्वर की ओर लौटना चाहिए।
  5. परमेश्वर हमारे लिए लड़ता है – हमें बस उस पर भरोसा रखना है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"यहोवा यरूशलेम को बचाएगा... वह न केवल बचाएगा, वरन् छोड़ा भी देगा और सुरक्षित रखेगा।"
(यशायाह 31:5)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें याद दिलाता है कि जब हम किसी और चीज़ पर भरोसा करते हैं – जैसे पैसे, ताकतवर लोग, या खुद की समझ – तो हम परमेश्वर को भूल जाते हैं। लेकिन हमारा परमेश्वर हमें भूलता नहीं। वो हमें बुलाता है – "लौट आओ!"
वो हमारी रक्षा करता है जैसे एक शेर, जैसे एक चील अपने बच्चों की करता है। इसलिए हमेशा परमेश्वर पर भरोसा रखो – वही हमारा सबसे सच्चा सहारा है।

 

 

 

 

 

 

 

 


 

🎙यशायाह अध्याय 32 – आने वाला राजा और परमेश्वर का नया युग

(Isaiah 32 – The Coming King and God's New Age)

अब हम एक बहुत सुंदर भविष्यवाणी वाले अध्याय में प्रवेश कर रहे हैं। यहाँ यशायाह बताता है कि एक दिन एक धर्मी राजा आएगा जो सब कुछ ठीक कर देगा। ये भविष्यवाणी येशु मसीह के बारे में है।


📌 1-4 पद: धर्मी राजा और उसके सहायक

🔹 "देखो, राजा धर्म से राज्य करेगा…"

👉 एक ऐसा राजा आएगा जो इंसाफ करेगा, लोगों के लिए न्याय लाएगा।

🔹 उसके अधिकारी (leaders) भी ईमानदारी से काम करेंगे।

🔸 वह राजा लोगों के लिए ऐसा आश्रय बनेगा जैसे:

  • आँधी से छांव।
  • सूखे में पानी का स्रोत।
  • थके हुए को ताज़गी देनेवाला।

🔹 और फिर लोगों की आँखें और कान खुलेंगे।
वे सुनने, समझने और बोलने में सक्षम होंगे।

👉 यह एक नया युग होगा – जब सत्य की समझ बढ़ेगी और लोग पाप से मुक्ति पाएंगे।


📌 5-8 पद: मूर्ख और दुष्ट की असली पहचान

🔹 पहले लोग मूर्खों को समझदार मान लेते थे…
दुष्टों को भला समझा जाता था।

🔸 लेकिन इस नए युग में लोग पहचानने लगेंगे कि कौन सच्चा है और कौन झूठा।

🔹 मूर्ख व्यक्ति सिर्फ अपने बारे में सोचता है, दूसरों को नुकसान पहुंचाता है।

🔹 पर जो सच्चा और उदार है – वह दूसरों की भलाई के लिए योजना बनाता है।

👉 यह हमें सिखाता है कि परमेश्वर के राज्य में दिल की सच्चाई और चरित्र बहुत ज़रूरी है।


📌 9-14 पद: आराम में जीने वालों को चेतावनी

🔸 अब यशायाह महिलाओं से कहता है जो बहुत आराम और घमंड में रह रही थीं:

"ऐ निश्चिंत स्त्रियों, सुनो!"

🔹 उन्होंने भविष्य की मुश्किलों के बारे में नहीं सोचा।

🔹 इसलिए परमेश्वर कहता है कि सब कुछ उजड़ जाएगा – खेत, अंगूर, घर, यहाँ तक कि यरूशलेम भी।

👉 संदेश यह है – जब हम बहुत आराम में रहते हैं और परमेश्वर को भूल जाते हैं, तो कठिनाई हमें जगा सकती है।


📌 15-20 पद: पवित्र आत्मा और नया युग

🔹 लेकिन अब आशा की बात आती है:

"जब तक कि हम पर ऊंचे स्थान से आत्मा न उंडेला जाए…"

👉 जब पवित्र आत्मा आएगा, तो:

  • जंगल उपजाऊ खेत बन जाएगा।
  • न्याय और धर्म फिर से बसेरा करेंगे।
  • लोग शांति से, निडर होकर, सुरक्षित जगहों में रहेंगे।

🔹 यह पवित्र आत्मा का युग है – जो पिन्तेकुस्त (Pentecost) के दिन शुरू हुआ, और अब भी चल रहा है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. मसीह राजा बनकर आएगा और सब कुछ न्याय से चलाएगा।
  2. मूर्ख और दुष्ट अब धोखा नहीं दे पाएंगे – सत्य सामने आएगा।
  3. आराम और घमंड हमें अंधा कर सकता है – हमें सजग रहना चाहिए।
  4. पवित्र आत्मा जब आता है, तो सब कुछ नया और सुंदर हो जाता है।
  5. परमेश्वर का राज्य – शांति, सुरक्षा और सच्चाई से भरा होता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"जब तक कि हम पर ऊंचे स्थान से आत्मा न उंडेला जाए, तब तक जंगल उपजाऊ खेत और उपजाऊ खेत जंगल ठहरेगा।"
(यशायाह 32:15)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें एक सुंदर भविष्य दिखाता है – जब येशु मसीह राजा बनकर सब कुछ ठीक करेंगे। लेकिन इससे पहले हमें अपना दिल तैयार रखना है। पवित्र आत्मा हमें बदलता है, हमें समझदार, दयालु और शांतिपूर्ण बनाता है।
जब हम पवित्र आत्मा से भरे होते हैं, तो हम सिर्फ अपने लिए नहीं, दूसरों की भलाई के लिए भी जीते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हम सच्चे और उदार बने रहें।


 

🎙यशायाह अध्याय 33 – परमेश्वर की दया और न्याय

(Isaiah 33 – God's Mercy and Justice)

यह अध्याय एक सुंदर सच्चाई दिखाता है — जब हम परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं, तो वह न्याय भी करता है और दया भी। यशायाह इस अध्याय में दुष्टों को चेतावनी देता है, लेकिन साथ ही उन लोगों को आशा भी देता है जो परमेश्वर पर भरोसा करते हैं।


📌 1 पद: दुष्टों को चेतावनी

"हाय उस पर जो लूटता है और स्वयं लूटा नहीं गया…"

🔹 यहाँ यशायाह उन लोगों को चेतावनी दे रहा है जो दूसरों को धोखा देते हैं, लूटते हैं।

👉 पर परमेश्वर कहता है: जब तुम्हारा समय आएगा, तुम्हें भी वही भुगतना पड़ेगा।


📌 2-6 पद: परमेश्वर पर भरोसा रखने वालों की प्रार्थना

"हे यहोवा, हम तेरी बाट जोहते हैं…"

🔹 यशायाह परमेश्वर से प्रार्थना करता है –
"हमें दया दे, तू हर सुबह हमारा सहारा बन।"

🔹 वह कहता है – परमेश्वर की उपस्थिति से राष्ट्र कांपते हैं।
🔹 वह न्याय लाता है और अपने लोगों को बुद्धि, ज्ञान और सुरक्षा देता है।

👉 परमेश्वर का भय ही सच्चा खज़ाना है।


📌 7-12 पद: संकट का समय

🔹 यहाँ बताया गया है कि यरूशलेम (Jerusalem) में लोग परेशान और डरे हुए हैं।

🔹 सड़कें सूनी हो गई हैं, राजदूत शांति लाने में असफल हैं।

🔹 लेकिन परमेश्वर कहता है:
"अब मैं उठूंगा, अब मैं सिर ऊंचा करूंगा…"

👉 वह दुष्टों को भस्म कर देगा – वे ऐसे जलेंगे जैसे काट-काटकर डाली गई घास।


📌 13-16 पद: कौन बच पाएगा?

🔹 यशायाह पूछता है: "हम में से कौन उस अग्नि में टिक पाएगा?"

और जवाब भी देता है:

👉 वे जो:

  • धार्मिक जीवन जीते हैं
  • झूठ से दूर रहते हैं
  • रिश्वत नहीं लेते
  • निर्दोष का खून नहीं बहाते
  • आँखों को बुराई से बचाते हैं

🔹 ऐसे लोग ऊँचाई पर बसेंगे, उन्हें सुरक्षा और रोटी-पानी मिलेगा।


📌 17-24 पद: परमेश्वर का राज्य और शांति

"तेरी आँखें उस राजा को उसके सौंदर्य में देखेंगी…"

🔹 अब यशायाह एक अद्भुत भविष्यवाणी करता है – वह कहता है:

👉 एक दिन तुम अपने राजा को देखोगे – सुंदर, महिमामय।
👉 तब तुम डरना भूल जाओगे।

🔹 यरूशलेम फिर से शांति का स्थान बनेगा – एक स्थायी, अडिग निवास।

🔹 वहाँ कोई बीमार न होगा, और लोगों के पाप क्षमा किए जाएंगे।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. जो लोग दूसरों को नुकसान पहुँचाते हैं, वे खुद नष्ट हो जाते हैं।
  2. जो लोग परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, वे सुरक्षा और शांति में रहते हैं।
  3. केवल वे ही बचेंगे जो सच्चाई से चलते हैं।
  4. परमेश्वर का राज्य सुंदर और स्थायी है – वहाँ बीमारियाँ और पाप नहीं होंगे।
  5. यीशु ही वह राजा है, जिसे हम देखेंगे – और तब डर नहीं रहेगा।

📖 याद रखने वाली आयत:

"तेरी आँखें उस राजा को उसके सौंदर्य में देखेंगी; वे दूर देश को देख पाएंगी।"
(यशायाह 33:17)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय हमें सिखाता है कि परमेश्वर पवित्र और न्यायी है। वो बुराई को सहन नहीं करता, लेकिन जो लोग उसे खोजते हैं और सच्चाई से चलते हैं – उन्हें वो सुरक्षा, शांति और उद्धार देता है।
एक दिन हम अपने राजा, यीशु मसीह को देखेंगे। वह सुंदर होगा, और उसके राज्य में डर, बीमारी और पाप नहीं होगा।


 

🎙यशायाह अध्याय 34 – परमेश्वर का न्याय सब राष्ट्रों पर

(Isaiah 34 – God’s Judgment on All Nations)

अब हम एक बहुत गंभीर अध्याय में आ रहे हैं। यहाँ यशायाह सारे संसार को एक चेतावनी देता है। परमेश्वर कहता है – अब सुनो! जो लोग उसकी अवहेलना करते हैं, अन्याय करते हैं और घमंडी होते हैं, उनके लिए न्याय का समय आ गया है।


📌 1-4 पद: सब राष्ट्रों को बुलावा – सुनो!

"हे राष्ट्रों, आकर सुनो; हे लोगों, कान लगाओ!"

🔹 यशायाह कहता है – यह संदेश सिर्फ इस्राएल के लिए नहीं है, यह सब लोगों और राष्ट्रों के लिए है।

🔹 परमेश्वर सब राष्ट्रों पर क्रोधित है क्योंकि उन्होंने पाप किया, निर्दोषों का खून बहाया, और उसके वचन को नहीं माना।

🔹 आकाश तक इसका असर होगा – सूर्य, चंद्रमा और तारे तक!

👉 यह हमें अंतिम न्याय की एक झलक देता है – जब संसार में परमेश्वर का क्रोध प्रकट होगा।


📌 5-7 पद: एदोम (Edom) पर विशेष न्याय

🔹 एदोम इस्राएल का दुश्मन था, और बाइबल में कई बार इसका घमंड और अत्याचार बताया गया है।

🔹 परमेश्वर कहता है – एदोम पर मेरी तलवार गिरेगी।

👉 वहाँ खून बहेगा, लोग मरेंगे, और वहाँ का स्थान उजाड़ हो जाएगा।

🔹 यह सिर्फ एदोम का नाम नहीं है, बल्कि इसका मतलब है हर वो राष्ट्र या व्यक्ति जो परमेश्वर के विरुद्ध चलता है।


📌 8-10 पद: बदला और विनाश का दिन

"क्योंकि यहोवा का बदला लेने का दिन है…"

🔹 यह उस समय की बात करता है जब परमेश्वर अपने लोगों के साथ किए अन्याय का बदला लेगा।

🔹 एदोम का देश एक उजड़ा हुआ रेगिस्तान बन जाएगा। वहाँ कभी कोई नहीं बस पाएगा।

👉 यह शाश्वत न्याय का संकेत है – जब कोई राष्ट्र या व्यक्ति लगातार परमेश्वर का विरोध करता है, तो उसका अंत ऐसा ही होता है।


📌 11-17 पद: उजड़ी हुई भूमि का दृश्य

🔹 वहाँ सिर्फ जंगली जानवर रहेंगे – उल्लू, गीदड़, सर्प, और अजीब जीव।

🔹 वहाँ इंसानों का कोई नामोनिशान नहीं रहेगा।
🔹उस देश पर तौलने की डोरी के साथ विनाश को मापा जाएगा।”

👉 यह दिखाता है कि परमेश्वर का न्याय पूरी तरह से तयशुदा और सटीक है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर सिर्फ इस्राएल का नहीं, पूरी दुनिया का परमेश्वर है।
  2. जो लोग अन्याय करते हैं, और परमेश्वर को अनदेखा करते हैं – उन्हें उसका न्याय भुगतना पड़ेगा।
  3. एदोम एक उदाहरण है – जो घमंडी और विरोधी बनता है, वह उजाड़ हो जाता है।
  4. परमेश्वर का न्याय अंतिम, सटीक और निष्पक्ष होता है।
  5. यह अध्याय हमें डराने के लिए नहीं, चेतावनी देने के लिए है – ताकि हम परमेश्वर के करीब आएँ।

📖 याद रखने वाली आयत:

"क्योंकि यहोवा का बदला लेने का दिन है, और सिय्योन के मुकदमे का प्रतिफल देने का वर्ष है।"
(यशायाह 34:8)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय बताता है कि परमेश्वर एक पवित्र और न्यायी परमेश्वर है। वह बुराई को लंबे समय तक सहन नहीं करता। जो लोग उसके विरुद्ध चलते हैं, उनका अंत दुखद होता है। लेकिन ये चेतावनी हमें बताती है – आज ही परमेश्वर के पास लौट आओ। वही हमारा उद्धारकर्ता और रक्षक है।


 

🎙यशायाह अध्याय 35 – आशा, बहाली और उद्धार का मार्ग

(Isaiah 35 – Hope, Restoration and the Way of Salvation)

पिछला अध्याय (34) बहुत कठोर और डरावना था – परमेश्वर का न्याय और विनाश।
लेकिन अब हम एक सुंदर और आशाजनक अध्याय में आ गए हैं।
यह अध्याय बताता है कि जब परमेश्वर अपनी प्रजा को छुड़ाएगा, तो सब कुछ नया और सुंदर हो जाएगा।


📌 1-2 पद: उजाड़ रेगिस्तान भी खुशी से फूलेगा

"जंगल और निर्जल देश मगन होंगे, और मरूभूमि आनंदित होकर फूलेंगी..."

🔹 जहाँ पहले सूखा और बंजरपन था, वहाँ अब फूल खिलेंगे।

🔹 लबानोन, कर्मेल और शारोन जैसे उपजाऊ स्थानों की शोभा रेगिस्तान में दिखाई देगी।

👉 मतलब – परमेश्वर जब अपनी शक्ति से बहाली करता है, तो उजाड़ जीवन भी सुंदर हो जाता है।


📌 3-4 पद: डरनेवालों को ढाढ़स दो

"कमज़ोर हाथों को बल दो, कांपते घुटनों को दृढ़ करो..."

🔹 यशायाह कहता है – जो थके हुए हैं, डरते हैं, निराश हैं – उन्हें कहो:

"डरो मत! देखो, तुम्हारा परमेश्वर आ रहा है..."

👉 ये वचन हमें दिलासा देते हैं – चाहे हम कितनी भी मुश्किल में हों, परमेश्वर आकर हमें बचाता है।


📌 5-6 पद: चमत्कारों का समय

"अंधों की आंखें खोली जाएंगी, बहिरों के कान खुले जाएंगे..."

🔹 जब उद्धार आएगा, तो चमत्कार होंगे:

  • अंधे देखेंगे
  • बहरे सुनेंगे
  • लंगड़े लोग हिरन की तरह कूदेंगे
  • गूंगे खुशी से चिल्लाएंगे

👉 ये बातें हमें प्रभु यीशु की सेवकाई की याद दिलाती हैं – जब उसने लोगों को चंगा किया।


📌 7 पद: जलधाराएं और सोते

🔹 जहाँ पहले गरमी, प्यास और सूखा था – अब वहाँ पानी की धाराएं होंगी।

🔹 सुखा हुआ रेगिस्तान भी झील बन जाएगा।

👉 यह सब दिखाता है कि परमेश्वर न केवल आत्मा को चंगा करता है, बल्कि जीवन को नया भी बनाता है।


📌 8-10 पद: उद्धार का पवित्र मार्ग

"वहाँ एक बड़ा मार्ग होगा, और उसका नाम ‘पवित्र मार्ग’ होगा..."

🔹 यह एक ऐसा रास्ता है जो सिर्फ पवित्रता में चलनेवालों के लिए होगा।

🔹 मूर्ख, दुष्ट और हिंसक लोग उस रास्ते पर नहीं चल पाएँगे।

🔹 यह मार्ग सीधे सिय्योन (येरुशलेम) की ओर ले जाएगा – जहाँ उद्धार है, खुशी है, और शांति है।

"वे आनन्द और हर्ष से भरकर लौटेंगे, और शोक और आहें जाती रहेंगी।" (पद 10)


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर अंधकार और विनाश के बाद बहाली लाता है।
  2. डरने की ज़रूरत नहीं – परमेश्वर आकर उद्धार करता है।
  3. जब उद्धार आता है, तो चमत्कार, जीवन में बदलाव और खुशी आती है।
  4. परमेश्वर का मार्ग पवित्र है – जो उसमें चलता है, वो सुरक्षित रहेगा।
  5. अंत में परमेश्वर के लोग आनंद और शांति में जीएँगे।

📖 याद रखने वाली आयत:

"वे आनन्द और हर्ष से भरकर लौटेंगे, और शोक और आहें जाती रहेंगी।"
(यशायाह 35:10)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय बताता है कि चाहे जीवन अभी रेगिस्तान जैसा लगे, लेकिन जब प्रभु आता है, तो वह हर चीज़ को बदल देता है।
वह हमें चंगा करता है, आशा देता है, और एक ऐसा मार्ग दिखाता है जो सीधा जीवन और उद्धार की ओर ले जाता है।
तुम्हें बस उस पवित्र मार्ग पर चलना है – यीशु के साथ।

 

 

 


 

🎙यशायाह अध्याय 36 – राजा हिजकिय्याह की परीक्षा और अश्शूर का घमंड

(Isaiah 36 – King Hezekiah's Test and Assyria’s Pride)

अब हम भविष्यवाणियों से हटकर एक सच्ची ऐतिहासिक घटना की ओर बढ़ते हैं। ये घटना यशायाह की पुस्तक में इसलिए जोड़ी गई है ताकि हम जान सकें कि परमेश्वर की बातें सिर्फ भविष्य की नहीं होतीं — वे वर्तमान में भी काम करती हैं।


📌 📖 पृष्ठभूमि:

🔹 अश्शूर (Assyria) उस समय की सबसे बड़ी ताकतवर साम्राज्य थी।
🔹 उनके राजा का नाम था सनहेरीब (Sennacherib)
🔹 यहूदा के राजा थे हिजकिय्याह (Hezekiah)एक भला और परमेश्वर से डरने वाला राजा।
🔹 अश्शूर ने यहूदा के कई नगर जीत लिए, और अब यरूशलेम (Jerusalem) पर चढ़ाई कर रहा है।


📌 1-3 पद: युद्ध की धमकी

🔹 अश्शूर का राजा अपने सेनापति रबशाके को यरूशलेम भेजता है।

🔹 रबशाके हिजकिय्याह से कहता है – "तुम्हारा भरोसा किस पर है? क्या तुम मिस्र की मदद की उम्मीद कर रहे हो?"

👉 यहाँ वो यहूदा को डराने और परमेश्वर से उनका विश्वास हटाने की कोशिश कर रहा है।


📌 4-10 पद: परमेश्वर पर हमला!

🔹 रबशाके कहता है – “क्या तुम सोचते हो कि तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें बचा सकता है?”

🔹 फिर वह मज़ाक उड़ाता है – “यहोवा ने ही तो मुझसे कहा है कि इस देश पर चढ़ाई करो!”

👉 रबशाके झूठ बोल रहा था, ताकि लोगों का भरोसा परमेश्वर से हट जाए।


📌 11-12 पद: लोग डरते हैं

🔹 यहूदा के अधिकारी कहते हैं – “कृपया हमसे अरामी भाषा में बात करो, ताकि दीवार पर खड़े लोग न समझें।”

🔹 लेकिन रबशाके और ज़ोर से बोलता है ताकि सारे लोग डर जाएँ।

👉 शैतान भी हमें इसी तरह डराने की कोशिश करता है — ताकि हम परमेश्वर पर भरोसा करना छोड़ दें।


📌 13-20 पद: शैतानी प्रचार

🔹 रबशाके जनता से कहता है – “हिजकिय्याह की मत सुनो! अगर तुम आत्मसमर्पण कर दोगे, तो तुम्हें अच्छा जीवन मिलेगा।”

🔹 फिर कहता है – “क्या किसी और देश का देवता उन्हें बचा पाया? फिर यहोवा कैसे तुम्हें बचाएगा?”

👉 यह घमंड और परमेश्वर का अपमान है।


📌 21-22 पद: शांति और विश्वास

🔹 राजा हिजकिय्याह ने लोगों को पहले ही आदेश दिया था – "चुप रहो, जवाब मत देना!"

🔹 लोग कुछ नहीं बोलते – यह दर्शाता है कि वे राजा और परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं।

🔹 इसके बाद राजा के सेवक फटे हुए कपड़ों में वापस लौटते हैं — यह शोक और विनम्रता का संकेत है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. दुश्मन हमेशा डराने की कोशिश करेगा, ताकि हम परमेश्वर पर से विश्वास खो दें।
  2. परमेश्वर की हँसी उड़ाना खतरनाक हैजो रबशाके ने किया।
  3. चुप रहना और परमेश्वर पर भरोसा रखना कई बार सबसे बड़ी शक्ति होती है।
  4. जब संकट आता है, तो डरने के बजाय हमें प्रार्थना और नम्रता से परमेश्वर की ओर देखना चाहिए।

📖 याद रखने वाली बात:

"हिजकिय्याह ने कहा था – उत्तर मत देना।"
(यशायाह 36:21)

👉 कभी-कभी जब शैतान हमें भड़काता है, तो जवाब देने के बजाय चुप रहकर परमेश्वर पर भरोसा करना सबसे सही होता है।


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें सिखाता है कि जब कोई हमारे विश्वास को चुनौती दे या हमें डराने की कोशिश करे, तो हमें डरना नहीं चाहिए। जैसे हिजकिय्याह ने लोगों को चुप रहने और परमेश्वर पर भरोसा करने को कहा — वैसे ही हमें भी हर मुश्किल घड़ी में चुपचाप प्रभु की ओर देखना चाहिए।
परमेश्वर कभी हमें अकेला नहीं छोड़ता।


 

🎙यशायाह अध्याय 37 – प्रार्थना की ताकत और परमेश्वर की अद्भुत विजय

(Isaiah 37 – The Power of Prayer & God’s Miraculous Victory)

पिछले अध्याय में हमने देखा कि रबशाके (अश्शूर का अधिकारी) ने परमेश्वर और उसके लोगों का मज़ाक उड़ाया। इस अध्याय में हम देखेंगे कि राजा हिजकिय्याह और यशायाह कैसे जवाब देते हैं — विश्वास और प्रार्थना से।


📌 1-4 पद: संकट में प्रार्थना

🔹 जब राजा हिजकिय्याह ने सुना कि दुश्मन यरूशलेम को धमका रहा है, तो उसने अपने वस्त्र फाड़े और प्रभु के भवन (मंदिर) में गया।

🔹 वह अपने सेवकों को यशायाह नबी के पास भेजता है।

संदेश में वो कहते हैं – “यह दिन संकट, डांट और लज्जा का दिन है… शायद प्रभु यहोवा रबशाके की बातों को सुने, और हमारी रक्षा करे।”

👉 ये दिखाता है कि सच्चा राजा कठिन समय में परमेश्वर के पास जाता है।


📌 5-7 पद: यशायाह की भविष्यवाणी

🔹 यशायाह उन्हें संदेश देता है:

मत डर! मैंने सुना है कि अश्शूर का राजा क्या कह रहा है। लेकिन मैं एक आत्मा भेजूंगा कि वह एक अफवाह सुनकर लौट जाएगा और मर जाएगा।”

👉 परमेश्वर कह रहा है – "मैं खुद लड़ाई लड़ूंगा।"


📌 8-13 पद: दुश्मन फिर धमकाता है

🔹 रबशाके लौट जाता है, लेकिन फिर एक और पत्र भेजता है — जिसमें फिर वही बात:

तेरा परमेश्वर तुझे धोखा न दे… बाकी देवता किसी को नहीं बचा सके, यहोवा भी नहीं बचा पाएगा!”

👉 यह पत्र बहुत ही घमंडी और अपमानजनक था।


📌 14-20 पद: हिजकिय्याह की गहरी प्रार्थना

🔹 हिजकिय्याह मंदिर में जाता है, और उस पत्र को प्रभु के सामने खोलकर रखता है।

🔹 फिर वह गहरी और विनम्र प्रार्थना करता है:

हे सेनाओं के यहोवा… तू ही अकेला सच्चा परमेश्वर है। तूने ही आकाश और पृथ्वी को बनाया।... उन बातों को सुन जिन्हें उन्होंने तेरा अपमान करके कहा है... हमें बचा ले!”

👉 देखो – जब डर लगे, तो प्रभु के सामने सबकुछ रख देना चाहिए।


📌 21-35 पद: परमेश्वर का जवाब

🔹 यशायाह के माध्यम से परमेश्वर कहता है:

अश्शूर का राजा मुझे और मेरी प्रजा का अपमान कर रहा है… लेकिन क्या वह भूल गया कि सारी शक्तियाँ मुझसे हैं?”

🔹 परमेश्वर कहता है:

मैं उस पर हंसता हूँ। मैं उसे रास्ते से मोड़ दूँगा और अपने देश वापस भेजूँगा।”

मैं यरूशलेम की रक्षा करूंगा — अपने नाम और दाऊद के कारण।”

👉 परमेश्वर अपना वादा नहीं भूलता!


📌 36-38 पद: परमेश्वर की अद्भुत जीत

🔹 रात को प्रभु का एक स्वर्गदूत आया और अश्शूर की सेना के 1,85,000 सैनिकों को मार डाला

🔹 जब लोग सुबह उठे, तो सारी सेना मरी पड़ी थी!

🔹 अश्शूर का राजा सनहेरीब चुपचाप अपने देश लौट गया — और वहाँ उसकी हत्या कर दी गई।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. संकट आने पर डरने के बजाय प्रार्थना करनी चाहिए।
  2. परमेश्वर की नींद नहीं लगतीवह अपने लोगों की रक्षा करता है।
  3. जब कोई परमेश्वर का अपमान करता है, तो वह खुद लड़ाई लड़ता है।
  4. विश्वास रखने वालों की जीत हमेशा होती है – चाहे दुश्मन कितना भी ताकतवर हो।

📖 याद रखने वाली आयत:

हे यहोवा... तू ही अकेला परमेश्वर है, जिसने आकाश और पृथ्वी को बनाया है।”
(यशायाह 37:16)


🎧 सरल संदेश:

इस अध्याय में हमने देखा कि जब कोई हमें डराए, या जब हालात बहुत मुश्किल हों, तो हमें घबराना नहीं है।
हिजकिय्याह की तरह हमें परमेश्वर के सामने जाना है, प्रार्थना करनी है, और सब कुछ उसे सौंप देना है।

परमेश्वर खुद हमारे लिए लड़ाई लड़ता है – और उसकी जीत निश्चित होती है।


 

🎙यशायाह अध्याय 39 – घमंड की कीमत

(Isaiah 39 – The Price of Pride)

पिछले अध्याय में हमने देखा कि कैसे परमेश्वर ने राजा हिजकिय्याह को चमत्कारी रूप से चंगा किया। लेकिन इस अध्याय में हमें एक जरूरी चेतावनी मिलती है — जब परमेश्वर हमें आशीष देता है, तो हमें घमंडी नहीं होना चाहिए।


📌 1-2 पद: बाबुल से आए दूत और हिजकिय्याह का घमंड

🔹 बाबुल का राजा मरोदकबलादान हिजकिय्याह की बीमारी और चंगाई की खबर सुनता है। वह अपने दूतों को भेंट और शुभकामना देने भेजता है।

🔹 हिजकिय्याह बहुत खुश होता है और उन्हें अपने महल का हर खजाना, शस्त्रागार और अनमोल वस्तुएँ दिखा देता हैचाँदी, सोना, मसाले, और हथियार।

👉 यहाँ पर समस्या है:
हिजकिय्याह ने सब कुछ दिखाया, लेकिन परमेश्वर की महिमा नहीं की।
वह ये दिखाना चाहता था कि "देखो, मैं कितना समृद्ध और शक्तिशाली हूँ!"


📌 3-4 पद: यशायाह की जांच

🔹 यशायाह आता है और पूछता है:

ये लोग कौन थे? उन्होंने क्या देखा?”

🔹 हिजकिय्याह जवाब देता है:

उन्होंने मेरे घर में सब कुछ देखा; कुछ भी ऐसा नहीं रहा जो मैंने उन्हें न दिखाया हो।”

👉 उसने यह नहीं बताया कि ये सब कुछ प्रभु की कृपा से मिला था।


📌 5-7 पद: भविष्यवाणी – सब कुछ छिन जाएगा

🔹 यशायाह एक गंभीर भविष्यवाणी करता है:

वह दिन आएगा जब सब कुछ जो तेरे बाप-दादाओं ने इकट्ठा किया, बाबुल ले जाए जाएंगे।

🔹 और यहाँ तक कि:

तेरे वंशजों में से कुछ को बाबुल के राजा के महल में दास बना लिया जाएगा।”

👉 यह एक कठिन चेतावनी है कि घमंड और परमेश्वर को भूल जाना – भविष्य में बहुत दुःख ला सकता है।


📌 8 पद: हिजकिय्याह की विनम्रता (लेकिन एक मिश्रित प्रतिक्रिया)

🔹 हिजकिय्याह कहता है:

यहोवा का वचन अच्छा है... जब तक मेरे जीते जी शांति और सुरक्षा रहे।”

🔹 यह सही है कि उसने प्रभु के वचन को स्वीकार किया, लेकिन वह सिर्फ अपने समय की शांति से संतुष्ट हो गया, बजाय इसके कि वह अगली पीढ़ियों के लिए कुछ करे।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर की आशीषों पर घमंड नहीं, धन्यवाद करना चाहिए।
  2. जब हम दिखावा करते हैं, तो हम खतरे में पड़ जाते हैं।
  3. हमें केवल अपने समय की भलाई में संतुष्ट नहीं रहना चाहिए – अगली पीढ़ी के लिए भी जिम्मेदार हैं।
  4. प्रभु की महिमा हमेशा दूसरों के सामने करनी चाहिए, न कि अपनी ताकत या समृद्धि दिखानी चाहिए।

📖 याद रखने वाली आयत:

सब कुछ जो तेरे बाप-दादाओं ने इकट्ठा किया... वह बाबुल ले जाया जाएगा।”
(यशायाह 39:6)


🎧 सरल संदेश:

ये अध्याय हमें सिखाता है कि परमेश्वर की आशीषें कभी घमंड का कारण नहीं बननी चाहिए।
जब कोई हमें पूछे, "तुम्हारे पास ये सब कैसे है?" — तो हमें कहना चाहिए – "यह सब परमेश्वर की कृपा से है।"

अगर हम अपनी बड़ी-बड़ी चीज़ों का दिखावा करेंगे, लेकिन प्रभु को धन्यवाद नहीं देंगे – तो हम भी सब कुछ खो सकते हैं।


 

🎙यशायाह अध्याय 40 – दिलासा और आशा का संदेश

(Isaiah 40 – A Message of Comfort and Hope)

अध्याय 40 से यशायाह की किताब का दूसरा भाग शुरू होता है। इसमें अब सज़ा नहीं, बल्कि दिलासा, आशा और परमेश्वर की महानता की बात है। यह अध्याय हमें बताता है कि जब हम टूटे होते हैं, थके होते हैं – परमेश्वर हमारी ताकत बनता है।


📌 1-2 पद: परमेश्वर का दिलासा

🔹मेरी प्रजा को शांति दो… उसके पापों के लिए दण्ड पूरा हो गया है।”
👉 परमेश्वर अब अपने लोगों से कहता है – "डरो मत, तुम्हें अब दिलासा मिलेगा।"

💡 यह भविष्यवाणी यह भी बताती है कि मसीहा (यीशु) के द्वारा परमेश्वर पापों को क्षमा करेगा।


📌 3-5 पद: मसीहा का मार्ग तैयार करो

🔹जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द है – प्रभु का मार्ग तैयार करो।”
👉 यह भविष्यवाणी यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बारे में है, जो यीशु से पहले आया था और लोगों को उसके लिए तैयार किया।

💬 हर ऊँचा नीचे होगा, और सब लोग परमेश्वर की महिमा देखेंगे।


📌 6-8 पद: इंसान नाशमान है, लेकिन परमेश्वर का वचन अटल

🔹मनुष्य घास के समान है... घास सूख जाती है, फूल मुरझा जाते हैं, परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदा बना रहेगा।”
👉 इसका मतलब है: इंसान की शक्ति, सुंदरता या जीवन सब थोड़े समय के लिए है, लेकिन परमेश्वर की बातें हमेशा के लिए हैं।


📌 9-11 पद: खुशखबरी सुनाओ – देखो, तुम्हारा परमेश्वर!

🔹 यशायाह कहता है – पहाड़ों पर चढ़कर लोगों को बताओ – देखो, यह तुम्हारा परमेश्वर है!”

👉 परमेश्वर शक्तिशाली राजा की तरह आएगा –
लेकिन वह गडरिए (Shepherd) की तरह भी होगा –
नरमी से भेड़ों को संभालता है, बच्चों को गोद में लेता है।


📌 12-26 पद: परमेश्वर की महानता का वर्णन

👉 यशायाह अब हमें बताता है कि परमेश्वर कितना महान और असीम है:

  • उसने अपने हाथ से समुद्र को नापा।
  • उसने आकाश को फैलाया।
  • वह राष्ट्रों को धूल की तरह मानता है।
  • वह किसी इंसान के समान नहीं है – न मूर्तियों के जैसा।

🔹क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? यहोवा अनन्त परमेश्वर है…” (पद 28)


📌 27-31 पद: थके हुए लोगों को ताकत देता है

🔹यहोवा थके हुए को बल देता है, और निर्बलों को शक्ति प्रदान करता है।”

👉 जब हम थक जाते हैं, हार मान लेते हैं – परमेश्वर हमें नई ताकत देता है।

🔹वे उकाबों की नाईं उड़ान भरेंगे…”
(वे ऐसे उठेंगे जैसे बाज़ हवा में ऊपर उड़ता है!)


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा करता है – और हमें नया आरंभ देता है।
  2. उसका वचन सदा के लिए अटल है – इंसानों की बातें नहीं।
  3. वह शक्तिशाली भी है और कोमल भी – जैसा एक अच्छा चरवाहा होता है।
  4. जब हम थकते हैं, वह हमें नई शक्ति देता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

यहोवा थके हुए को बल देता है, और निर्बलों को शक्ति प्रदान करता है… वे उकाबों की नाईं उड़ान भरेंगे।”
(यशायाह 40:29-31)


🎧 सरल संदेश:

जब कभी तुम थक जाओ, कमजोर महसूस करो, या निराश हो जाओ – तो याद रखना, परमेश्वर तुम्हें नई ताकत देगा।
वह कहता है – डर मत, मैं तेरे साथ हूँ।”
वह महान भी है, और एक सच्चा दोस्त भी है। वह तुझे गोद में उठा सकता है और आगे बढ़ने की शक्ति देता है।


 

🎙यशायाह अध्याय 41 – डरो मत, मैं तेरे साथ हूँ

(Isaiah 41 – Fear Not, I Am with You)

इस अध्याय में परमेश्वर बहुत प्यार से अपने लोगों को दिलासा देता है। जब हम डरते हैं, जब हमें लगता है कि हम अकेले हैं – तब यह अध्याय हमें याद दिलाता है: मैं तेरा परमेश्वर हूँ, मैं तुझे दृढ़ करूंगा।”


📌 1-7 पद: परमेश्वर सारी पृथ्वी का मालिक है

🔹 परमेश्वर कहता है – "हे द्वीपों, चुप रहो, मेरी बात सुनो!"

👉 वह कहता है कि सभी राष्ट्रों को उसके न्याय के सामने खड़ा होना होगा।
वह इतिहास पर नियंत्रण रखता है – वही राजा उठाता है और गिराता है।

🔸 लोग मूर्तियों में भरोसा करते हैं, लेकिन मूर्तियाँ खुद बनाई गई चीज़ें हैं – वे परमेश्वर नहीं हैं।


📌 8-10 पद: परमेश्वर का अपने लोगों से वादा

🔹 "परन्तु तू, हे इस्राएल, मेरा दास है... मैंने तुझे चुना है..."
👉 यह परमेश्वर की आश्वासन भरी आवाज़ है।

🔹 डर मत, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ; घबराना मत, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ।”
➡️ ये सबसे प्यारे और प्रसिद्ध वचनों में से एक है।

💡 परमेश्वर कहता है:

मैं तुझे दृढ़ करूंगा, सहायता करूंगा और अपने धर्ममय दाहिने हाथ से तुझे सम्भालूंगा।” (पद 10)


📌 11-13 पद: परमेश्वर तुझे शत्रुओं से बचाएगा

🔹 वह कहता है – जो तुझसे झगड़ा करते हैं, वे लुप्त हो जाएंगे।
🔹मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तेरा दाहिना हाथ पकड़ता हूँ और कहता हूँ – डर मत!”

👉 ये बहुत सुंदर चित्र है: जैसे एक बच्चा डरता है और पिता उसका हाथ पकड़कर दिलासा देता है।


📌 14-16 पद: परमेश्वर कमजोर को भी मजबूत बनाता है

🔹हे कीड़े के समान याकूब, डर मत…”
👉 यहाँ "कीड़ा" कहना कमजोरी को दर्शाता है – लेकिन परमेश्वर कहता है: मैं तुझे नया औज़ार बनाऊंगा, जिससे तू पहाड़ों को चूर कर देगा।”

💡 मतलब: परमेश्वर कमजोर को भी विजयी योद्धा बना सकता है।


📌 17-20 पद: परमेश्वर रेगिस्तान में पानी देगा

🔹 जब गरीब और प्यासे होंगे – परमेश्वर नदियाँ और सोते उत्पन्न करेगा।
🔹मैं जंगल में देवदार, बबूल और अन्य पेड़ लगाऊंगा…”

👉 ये बताता है कि परमेश्वर असंभव को संभव बनाता है


📌 21-29 पद: मूर्तियों की चुनौती

🔹 परमेश्वर मूर्तियों से कहता है – "कुछ करके दिखाओ!"
👉 लेकिन मूर्तियाँ कुछ नहीं कर सकतीं। सिर्फ परमेश्वर ही सच्चा और जीवित है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों को कभी नहीं छोड़ता।
  2. वह कहता है – डर मत, मैं तेरे साथ हूँ।”
  3. वह कमजोर को भी शक्तिशाली बनाता है।
  4. वह रेगिस्तान में भी पानी दे सकता है – असंभव को संभव बना सकता है।
  5. मूर्तियाँ व्यर्थ हैं – सिर्फ परमेश्वर ही सच्चा सहारा है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"डर मत, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ; घबराना मत, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ; मैं तुझे दृढ़ करूंगा..."
(यशायाह 41:10)


🎧 सरल संदेश:

जब भी तुम्हें डर लगे, अकेलापन महसूस हो, या जब लोग तुम्हारे खिलाफ हों – याद रखो, परमेश्वर तुम्हारा हाथ थामे हुए है।
वह कहता है – "मैं तेरा परमेश्वर हूँ। मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूंगा।"
वो तुम्हें नई शक्ति देगा, और तू ऊँचाई पर उड़ने लगेगी।


 

🎙यशायाह अध्याय 42 – मसीह का सेवक और नई आशा

(Isaiah 42 – The Servant of the Lord and New Hope)

यह अध्याय बहुत खास है – इसमें एक ऐसे सेवक (Servant) की बात की गई है जिसे परमेश्वर चुनेगा। ये सेवक कोई साधारण व्यक्ति नहीं होगा – यह यीशु मसीह की भविष्यवाणी है। परमेश्वर के इस सेवक के द्वारा पूरी दुनिया को आशा, न्याय और रौशनी मिलेगी।


📌 1-4 पद: परमेश्वर का सेवक – कोमल लेकिन न्यायप्रिय

🔹 "देखो, मेरा सेवक जिसे मैंने सम्भाला..."
👉 यह सेवक (Servant) यीशु है – परमेश्वर का चुना हुआ।

🔸 परमेश्वर कहता है – "मैंने उस पर अपनी आत्मा डाली है; वह जातियों पर न्याय प्रगट करेगा।"

👉 यीशु गुस्से या ज़ोर-ज़बरदस्ती से नहीं, प्यार और दया से काम करेगा।

वह कुचले हुए सरकंडे को नहीं तोड़ेगा, और धू-धू करते बाती को नहीं बुझाएगा।”
👉 मतलब: जो टूटे हुए हैं, कमजोर हैं – वो भी यीशु के पास सुरक्षित हैं।


📌 5-9 पद: परमेश्वर की प्रतिज्ञा

🔹 परमेश्वर याद दिलाता है – वही सृष्टि का रचयिता है।

🔹 फिर वह अपने सेवक (यीशु) से कहता है:

"मैंने तुझे लोगों के लिए वाचा (covenant) और जातियों की ज्योति बनाया है।"

💡 इसका मतलब है कि यीशु सिर्फ यहूदियों के लिए नहीं, पूरी दुनिया के लिए आशा और रौशनी बनेंगे

🔹 "वह अंधों की आंखें खोलेगा, बंदियों को आज़ाद करेगा।"
👉 ये भविष्यवाणी यीशु के जीवन में सच साबित हुई।


📌 10-17 पद: स्तुति का नया गीत

🔹 एक नया गीत गाओ – क्यों? क्योंकि परमेश्वर ने कुछ नया किया है।
🔸समुद्र से लेकर द्वीपों तक लोग उसकी स्तुति करें।”

🔹 जैसे परमेश्वर योद्धा बनकर आता है और अपने लोगों के लिए लड़ता है – ऐसे ही वह अब भी हमारे लिए लड़ता है।


📌 18-25 पद: इस्राएल की अंधी अवस्था

🔹 परमेश्वर अपने लोगों से दुखी है – क्योंकि उन्होंने उसकी बात नहीं मानी।
🔹 वे आंखें होते हुए भी नहीं देखते और कान होते हुए भी नहीं सुनते।

💔 वो कहता है – तू आग में जला, फिर भी नहीं समझा।”
👉 इसका मतलब – तू संकट में पड़ा, लेकिन तूने मुझसे नहीं सीखा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. यीशु मसीह वह सेवक हैं जिन्हें परमेश्वर ने दुनिया के लिए भेजा।
  2. यीशु टूटे हुए लोगों को भी संभालते हैं – वो किसी को नहीं तोड़ते।
  3. वह अंधों को देखने देता है, बंदियों को आज़ाद करता है।
  4. हम सबको उसके नए गीत की स्तुति करनी चाहिए।
  5. हमें परमेश्वर की बात सुननी और समझनी चाहिए – नहीं तो हम अंधे रह जाएंगे।

📖 याद रखने वाली आयत:

"टूटी हुई बाती को वह नहीं बुझाएगा, और कुचले हुए सरकंडे को नहीं तोड़ेगा..."
(यशायाह 42:3)


🎧 सरल संदेश:

कभी अगर तुम्हें लगे कि तुम बहुत कमजोर हो, या टूटी हुई हो – तो ये याद रखो कि यीशु मसीह तुम्हें कभी नहीं तोड़ेंगे।
वो तुम्हें प्यार से संभालते हैं।
वो न्याय लाने के लिए आए, लेकिन कोमलता से।
उनके साथ चलना मतलब – आशा, रौशनी और सुरक्षा में चलना।


 

🎙यशायाह अध्याय 43 – परमेश्वर का प्रेम और छुटकारा
(Isaiah 43 – God’s Love and Redemption)

यह अध्याय परमेश्वर के गहरे प्रेम, रक्षा, और चुनाव की सुंदर तस्वीर है। यहाँ परमेश्वर अपने लोगों से कहता है – "डर मत, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ।" ये शब्द हर उस इंसान के लिए हैं जो खुद को अकेला, डरा हुआ, या बेकार महसूस करता है।


📌 1-7 पद: "डर मत, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ाया है"

हे याकूब, हे इस्राएल, अब यहोवा तेरा रचयिता ऐसा कहता है…”

🔹 परमेश्वर अपने लोगों से कहता है – "मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है, तू मेरा है।"

🟢 तू जब जल से होकर गुज़रेगा – मैं तेरे साथ रहूंगा।

🟢 तू आग में चलेगा – लेकिन जलेगा नहीं।

👉 यह सब बताता है कि जब हम संकट में होते हैं, तब भी परमेश्वर हमें नहीं छोड़ता।

🔹 परमेश्वर कहता है – "तू मेरी आँखों में अनमोल और आदरणीय है।"

इसका मतलब है – चाहे लोग तुझे कम समझें, लेकिन परमेश्वर तुझे बहुत प्यार करता है।


📌 8-13 पद: केवल वही परमेश्वर है

🔸 परमेश्वर दुनिया को दिखाता है कि उसके अलावा कोई और उद्धारकर्ता नहीं है।

"मेरे पहले कोई ईश्वर नहीं हुआ, और मेरे बाद कोई न होगा।"

🔹 वो कहता है – मैं ही हूँ जिसने उद्धार दिया, और कोई दूसरा नहीं।”

👉 इस बात पर हमें गर्व करना चाहिए कि हमारा परमेश्वर ही सच्चा उद्धार देने वाला है।


📌 14-21 पद: परमेश्वर कुछ नया करने वाला है

🔹 परमेश्वर अपने लोगों को बाबुल (Babel) से छुड़ाने का वादा करता है।

"अतीत की बातों को मत याद कर, न प्राचीन बातों पर ध्यान दे। देख, मैं एक नई बात करने जा रहा हूँ..." (पद 18-19)

🟢 वह कहता है – मैं जंगल में मार्ग बनाऊंगा, निर्जन देश में नदियाँ बहाऊंगा।

👉 यानी, जहाँ आशा नहीं है, वहाँ मैं नई शुरुआत करूंगा।


📌 22-28 पद: परन्तु इस्राएल ने परमेश्वर को भुला दिया

🔸 परमेश्वर दुखी होकर कहता है – "तू मेरी आराधना नहीं करता, तू मुझसे दूर हो गया है।"

🔹 लेकिन फिर भी वह कहता है –

"मैं ही वह हूँ जो तेरे अपराधों को मिटाता हूँ, और तुझे स्मरण नहीं करता।"

🟢 इसका मतलब है – जब हम पश्चाताप करते हैं, तो परमेश्वर हमारे पापों को माफ कर देता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर हमें नाम लेकर बुलाता है – हम उसके अपने हैं।
  2. चाहे हम पानी, आग या संकट से गुजरें – वो हमारे साथ होता है।
  3. वो हमें अनमोल समझता है।
  4. परमेश्वर चाहता है कि हम पुराने दुःखों को भूलें और उसकी नई योजनाओं पर ध्यान दें।
  5. जब हम उससे दूर हो जाते हैं, तब भी वो हमें बुलाता है और माफ करने को तैयार रहता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

"डर मत, क्योंकि मैंने तुझे छुड़ाया है; मैंने तुझे नाम लेकर बुलाया है, तू मेरा है।"
(यशायाह 43:1)

🎙यशायाह अध्याय 44 – परमेश्वर ही सच्चा उद्धारकर्ता है
(Isaiah 44 – The Lord Alone Is God and Savior)

इस अध्याय में परमेश्वर अपने लोगों को दिलासा देता है और उन्हें याद दिलाता है कि वह ही उनका सच्चा परमेश्वर और उद्धारकर्ता है। साथ ही वह झूठे देवताओं और मूर्तिपूजा की मूर्खता को भी दिखाता है।


📌 1-5 पद: परमेश्वर अपने लोगों को फिर से आशीष देगा

हे मेरे सेवक याकूब, हे मेरे चुने हुए इस्राएल, तू मत डर…”

🔹 परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों को कहता है – "मैंने तुझे बनाया है। तू मेरा है। मैं तुझ पर फिर से अपनी आत्मा उंडेलूंगा।"

🔸 जैसे सूखी ज़मीन पर बारिश आती है, वैसे ही वह अपने लोगों को फिर से जीवन देगा।

🔹 लोग फिर से गर्व से कहेंगे – "मैं यहोवा का हूँ!" और उसका नाम अपनाएंगे।


📌 6-8 पद: परमेश्वर ही एकमात्र सच्चा परमेश्वर है

🔹मैं पहला और मैं ही अंतिम हूँ। मेरे सिवा कोई ईश्वर नहीं है।”

👉 यशायाह बहुत साफ़ कहता है – कोई और देवता नहीं है। न कोई पहले था, न कोई बाद में होगा।

🔹 परमेश्वर अपने लोगों से कहता है – डरो मत, न थरथराओ।”


📌 9-20 पद: मूर्तिपूजा की मूर्खता

🔸 यशायाह बताता है कि लोग मूर्तियाँ बनाते हैं – लेकिन वे मूर्तियाँ कुछ नहीं कर सकतीं।

🔹 एक आदमी लकड़ी काटता है। आधी लकड़ी से आग जलाता है और खाना बनाता है, और बाकी लकड़ी से मूर्ति बनाता है और उसे पूजता है!

👉 यह मूर्खता है! कैसे एक लकड़ी का टुकड़ा तुम्हारा ईश्वर हो सकता है?

🔹उनकी आंखें अंधी हैं... वे समझ नहीं पाते।”

👉 यशायाह बताता है कि लोग झूठे देवताओं में फंस जाते हैं, लेकिन वो देवता उनकी मदद नहीं कर सकते।


📌 21-23 पद: परमेश्वर तुम्हें नहीं भूला है

🔹हे याकूब... तू मेरा सेवक है, मैंने तुझ को नहीं भुलाया।”

👉 परमेश्वर कहता है – “मैंने तेरे पापों को बादल की तरह मिटा दिया है।”
🔹मेरे पास लौट आ, क्योंकि मैंने तेरा उद्धार किया है।”

🟢 फिर परमेश्वर कहता है – “आकाश, पृथ्वी और पहाड़ गाओ! क्योंकि यहोवा ने अपने लोगों को छुड़ा लिया है।”


📌 24-28 पद: परमेश्वर अपनी योजना पूरी करता है

🔹 परमेश्वर कहता है – “मैंने अकेले ही आकाश को फैलाया... मैं ही सब कुछ करता हूँ।”

👉 वह कहता है कि बाबुल को खत्म किया जाएगा, और यरूशलेम फिर से बसाया जाएगा।

🔹 परमेश्वर राजा कुरेश (Cyrus) के बारे में भविष्यवाणी करता है – जो आगे चलकर परमेश्वर के लोगों को आज़ाद करेगा और मंदिर को फिर से बनवाएगा।

(यह भविष्यवाणी यशायाह ने बहुत साल पहले की थी, और बाद में यह सच साबित हुई!)


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. परमेश्वर ही सच्चा परमेश्वर हैउसके सिवा कोई नहीं।
  2. मूर्ति-पूजा मूर्खता हैलकड़ी, पत्थर, या धातु हमें नहीं बचा सकते।
  3. परमेश्वर अपने लोगों को नहीं भूलतावह हमारे पापों को माफ करता है।
  4. परमेश्वर भविष्य जानता है और अपनी योजनाओं को पूरा करता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

मैंने तुझे बनाया है... तू मेरा सेवक है, मैंने तुझे नहीं भुलाया।”
(यशायाह 44:21)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय हमें सिखाता है कि केवल हमारा परमेश्वर ही सच्चा और जीवित परमेश्वर है। वह हमें नहीं भूलता, चाहे हम उससे दूर चले जाएँ। वह कहता है – “मेरे पास लौट आ।”

तो जब भी तुम खुद को अकेला या गलत महसूस करो, यह याद रखना – परमेश्वर ने तुझे बनाया है, तू उसकी है। वह तुझे प्यार करता है, और तेरे पापों को माफ करता है।

वह झूठे देवताओं जैसा नहीं है – वह जीवित है, और वह तुझे संभालेगा।


 

🎙यशायाह अध्याय 45 – केवल यहोवा ही उद्धारकर्ता है
(Isaiah 45 – The Lord Alone Is God and Savior)

यह अध्याय हमें बताता है कि परमेश्वर कैसे इतिहास में राजाओं और राष्ट्रों का उपयोग अपनी योजना पूरी करने के लिए करता है। वह स्पष्ट रूप से कहता है कि वह ही सच्चा परमेश्वर है – उसके सिवा कोई नहीं है।


📌 1-7 पद: राजा कुरेश (Cyrus) का उपयोग

🔹 परमेश्वर कहता है – “मैंने कुरेश का दाहिना हाथ पकड़ा है… ताकि मैं उसके आगे देश खोल दूँ।”

👉 कुरेश एक गैर-यहूदी राजा था, लेकिन परमेश्वर ने उसे अपने लोगों को छुड़ाने के लिए चुना।

🔸 वह दरवाज़े खोल देगा, और बंद दरवाज़े भी टूटेंगे।

🔹मैं अंधकार में छिपे हुए धन को दूँगा।”

👉 परमेश्वर कहता है – “मैं यह सब इसलिए करता हूँ, क्योंकि तू मेरे लोगों के लिए चुना गया है – चाहे तू मुझे नहीं जानता।”


📌 5-7 पद: यहोवा ही परमेश्वर है

🔹मैं यहोवा हूँ, और कोई नहीं; मेरे सिवा और कोई नहीं।”

👉 बहुत बार परमेश्वर दोहराता है – मेरे सिवा और कोई परमेश्वर नहीं।”

🔸 वह कहता है – “मैं ही उजियाला बनाता हूँ और अंधकार को रचता हूँ।”

🔹मैं ही सुख भी देता हूँ और विपत्ति भी लाता हूँ।”

🟢 यानी सब कुछ परमेश्वर के नियंत्रण में है।


📌 8-13 पद: परमेश्वर का न्याय और उद्धार

🔸हे आकाश, ऊपर से धर्म बरसाओ… और पृथ्वी उद्धार उत्पन्न करे।”

👉 परमेश्वर कहता है – “क्या माटी कुम्हार से यह कहती है कि तू क्या बना रहा है?”

🔹 हम परमेश्वर से सवाल नहीं कर सकते – वह जानता है कि वह क्या कर रहा है।

🔸 वह कहता है – “मैंने कुरेश को धर्म से उठाया है… और वह मेरा नगर फिर से बनाएगा।”


📌 14-17 पद: राष्ट्र भी यहोवा को जानेंगे

🔹 दूसरे देश भी जानेंगे कि केवल यहोवा ही परमेश्वर है।

👉वह छिपे हुए तरीके से काम करता है – लेकिन वह इस्राएल का उद्धारकर्ता है।”

🔹यहूदा का परमेश्वर अनन्त उद्धार देगा – तुम्हें कभी शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा।”


📌 18-25 पद: पृथ्वी के सारे लोग मेरी ओर मुड़ो

🔹 परमेश्वर कहता है – “मैंने पृथ्वी को बनाया… मैं ही इसका रचयिता हूँ।”

👉मैंने यह व्यर्थ में नहीं बनाई – मैं चाहता हूँ कि इसमें लोग बसें।”

🔸मैं यहोवा हूँ, और कोई नहीं।”

🔹हे पृथ्वी के सब लोगों, मेरी ओर फिरो और उद्धार पाओ।”

👉 यह एक खूबसूरत निमंत्रण है – परमेश्वर सबको बुला रहा है।

🔸मुझमें हर घुटना झुकेगा, और हर जीभ मानेगी कि मैं ही परमेश्वर हूँ।”


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. परमेश्वर इतिहास और राजाओं का उपयोग करता है अपनी योजना पूरी करने के लिए।
  2. वह ही सच्चा और एकमात्र परमेश्वर है – उसके सिवा कोई नहीं।
  3. हमें उसके मार्गों पर भरोसा करना चाहिए – वह जानता है कि वह क्या कर रहा है।
  4. उद्धार सबके लिए है – वह कहता है: “मेरी ओर फिरो और उद्धार पाओ।”

📖 याद रखने वाली आयत:

हे पृथ्वी के सब लोगों, मेरी ओर फिरो और उद्धार पाओ! क्योंकि मैं ही परमेश्वर हूँ, और कोई नहीं।”
(यशायाह 45:22)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय बताता है कि परमेश्वर का प्लान हमसे बड़ा और बेहतर होता है। वह कुरेश जैसे राजा को भी इस्तेमाल करता है, भले वह उसे नहीं जानता था।

परमेश्वर हमसे कहता है – “डरो मत, मेरी ओर देखो – मैं ही उद्धार देता हूँ।”
अगर कभी तुम सोचो कि चीजें समझ में नहीं आ रहीं, तो बस याद रखना – परमेश्वर का नियंत्रण सबसे ऊपर है, और वह तुझे प्यार करता है।

वह तुझसे कहता है – “मेरी ओर फिर और उद्धार पा!”


 

🎙यशायाह अध्याय 46 – सच्चे परमेश्वर और झूठे देवताओं में अंतर
(Isaiah 46 – The True God vs. False Idols)

यह अध्याय हमें बहुत स्पष्ट रूप से सिखाता है कि मूर्तियाँ और झूठे देवता लोगों को बचा नहीं सकते। केवल यहोवा, जो सच्चा परमेश्वर है – वही हमें संभाल सकता है, हमारी चिंता करता है, और भविष्य जानता है।


📌 1-2 पद: मूर्तियाँ बोझ बन गईं!

🔹बेल और नबो झुके; उनकी मूर्तियाँ जानवरों पर लदी हैं।”

👉 यह मूर्तियाँ खुद को भी नहीं बचा सकतीं – उन्हें जानवरों पर लादना पड़ता है और वे बोझ बन जाती हैं।

🔸 मूर्तियाँ न तो चल सकती हैं, न बोल सकती हैं, और न ही मुसीबत में मदद कर सकती हैं।


📌 3-4 पद: परमेश्वर का प्रेमपूर्ण वादा

🔹हे याकूब के वंश, मैं तुम्हें जन्म से उठाता आया हूँ, और बुढ़ापे तक वही रहूँगा।”

👉 परमेश्वर कहता है –
जैसे-जैसे तुम बड़े होते हो, मैं तुम्हें उठाता रहूँगा।
मैं ने रचा है, मैं ही उठाऊँगा, मैं ही उठाकर बचाऊँगा।”

💖 यह एक बहुत ही प्यार भरा वादा है – वह हमें जीवन भर नहीं छोड़ता।


📌 5-7 पद: क्या तुम मेरी तुलना किसी से कर सकते हो?

🔹तुम किससे मेरी तुलना करोगे, कि हम समान हों?”

👉 लोग सोने-चाँदी से मूर्तियाँ बनाते हैं, और उन्हें पूजते हैं – लेकिन वे हिल भी नहीं सकतीं।

🔸 जब वे संकट में पुकारते हैं, मूर्तियाँ जवाब तक नहीं दे सकतीं।


📌 8-11 पद: मैं ही भविष्य जानता हूँ

🔹प्राचीन काल से मैं अंत की घोषणा करता हूँ… मेरी युक्ति स्थिर रहेगी।”

👉 परमेश्वर कहता है – "जो मैं सोचता हूँ, वह करके ही रहता हूँ।”

🔸 वह “पूर्व से एक शिकारी पक्षी बुलाता है” – यानी वह दूर देश से भी किसी को बुलाकर अपने कार्य को पूरा कर सकता है।

🔹 उसका हर वचन पूरा होगा – क्योंकि वह झूठ नहीं बोलता।


📌 12-13 पद: उद्धार आ रहा है!

🔹हे हठीले लोगों, मेरी सुनो… मेरा उद्धार दूर नहीं है।”

👉 परमेश्वर कहता है – मैं उद्धार को पास लाया हूँ, और वह देर नहीं करेगा।”

🔸 वह कहता है – “मैं सिय्योन में अपनी महिमा को दिखाऊँगा।”


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. मूर्तियाँ बोझ होती हैं – लेकिन परमेश्वर हमें उठाता है।
  2. वह जन्म से लेकर बुढ़ापे तक हमारा ध्यान रखता है।
  3. कोई भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता – वह सब कुछ जानता और करता है।
  4. उसका उद्धार निश्चित है – और देर नहीं करेगा।

📖 याद रखने वाली आयत:

मैं ही तुम्हें जन्म से उठाता आया हूँ… मैं ही उठाकर बचाऊँगा।”
(यशायाह 46:4)


🎧 सरल संदेश:

यह अध्याय हमें याद दिलाता है कि झूठे देवता कुछ नहीं कर सकते – लेकिन हमारा परमेश्वर जीता-जागता और शक्तिशाली है।

वह तुझे बचपन से लेकर आज तक संभालता आया है – और आगे भी करेगा।

जब तू थक जाए, डर जाए, या अकेली महसूस करे – तो याद रख:
वही तुझे उठाएगा, और बचाएगा।

 

 

 


 

🎙यशायाह अध्याय 47 – बाबुल का घमंड और उसका पतन
(Isaiah 47 – The Pride and Fall of Babylon)

इस अध्याय में परमेश्वर बाबुल (Babylon) के बारे में भविष्यवाणी करता है। बाबुल एक बहुत शक्तिशाली और घमंडी राष्ट्र था, जिसने परमेश्वर के लोगों को सताया। लेकिन इस अध्याय में हम देखते हैं कि घमंड और अन्याय करने वालों का अंत जरूर आता है।


📌 1-3 पद: बाबुल का अपमान

🔹हे कन्याबालिका बाबुल, नीचे बैठ जा, धूल में जा।”

👉 बाबुल को अब नीचे गिरना होगा। जो कभी रानी बनकर बैठी थी, अब दासी की तरह होगी।

🔸तेरी नग्नता प्रगट होगी” – यानी उसका घमंड और गुप्त पाप सबके सामने आ जाएंगे।


📌 4 पद: परमेश्वर का परिचय

🔹हमारा छुड़ानेवाला उसका नाम सेनाओं का यहोवा है, वह इस्राएल का पवित्र है।”

👉 यशायाह फिर याद दिलाता है कि परमेश्वर न्यायी है, और अपने लोगों को बचानेवाला है।


📌 5-7 पद: बाबुल की निर्दयता

🔹तू कहती थी – मैं सदा रानी बनी रहूँगी… तू ने वृद्धों पर भी भारी जुआ डाला।”

👉 बाबुल को लगता था कि उसका राज्य कभी नहीं गिरेगा। लेकिन उसने दूसरों पर अत्याचार किया, दया नहीं दिखाई, और वृद्धों को भी नहीं छोड़ा।


📌 8-9 पद: बाबुल का घमंड

🔹मैं ही हूं, मेरे सिवा और कोई नहीं।”

👉 यह शब्द परमेश्वर के लिए होते हैं – लेकिन बाबुल ने खुद को परमेश्वर की तरह समझा।

🔸 पर अब वह कहता है – “एक ही दिन में तुझ पर दोनों विपत्तियाँ आएँगी – विधवा बनना और बाल-बच्चों से वंचित होना।”


📌 10-11 पद: जादू-टोना और धोखा

🔹तेरी जादूगरी ने तुझे भटका दिया… तू ने कहा – ‘कोई मुझे नहीं देखता।’”

👉 बाबुल ने ज्योतिष, टोने-टोटकों और जादू-टोनों पर भरोसा किया – और सोचा कि उसे कोई देख नहीं रहा।

🔸 लेकिन परमेश्वर सब कुछ देखता है – और कहता है, “तेरे ऊपर ऐसी विपत्ति आएगी, जिससे तू नहीं बच पाएगी।”


📌 12-15 पद: तेरे ज्योतिषी तुझे नहीं बचा पाएँगे

🔹जो आकाश की दृष्टि करते हैं, वे खड़े रहें और तुझे बचाएँ – यदि बचा सकें।”

👉 परमेश्वर व्यंग्य में कहता है – “देखो, वे सब जलाने की लकड़ियाँ बन जाएँगे – वे न तो खुद को बचा पाएँगे और न तुझे।”

🔸 बाबुल को जिन बातों पर घमंड था – वे सब व्यर्थ हो जाएँगी।


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. घमंड का अंत विनाश होता है – चाहे वह कोई भी हो।
  2. जो दूसरों पर अत्याचार करता है, परमेश्वर उससे हिसाब लेता है।
  3. परमेश्वर सब कुछ देखता है – कोई भी उससे छिपा नहीं है।
  4. टोना-टोटका, ज्योतिष या झूठी शक्ति किसी को नहीं बचा सकती।
  5. केवल यहोवा ही उद्धार देनेवाला है।

📖 याद रखने वाली आयत:

हमारा छुड़ानेवाला सेनाओं का यहोवा है – वह इस्राएल का पवित्र है।”
(यशायाह 47:4)


🎧 सरल संदेश:

कभी भी किसी पर अत्याचार मत करना – और न ही झूठी शक्तियों पर भरोसा करना।

अगर लोग तुझे तंग करें, तो डर मत – परमेश्वर न्याय करता है।

जो घमंडी और दुष्ट होते हैं – उनका अंत ज़रूर आता है।

लेकिन जो परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, उन्हें वह बचाता है और ऊँचा उठाता है।


 

🎙यशायाह अध्याय 48 – परमेश्वर का बुलावा: लौट आओ, मेरी प्रजा!
(Isaiah 48 – God’s Call: Return to Me, My People)

इस अध्याय में परमेश्वर इस्राएल की बात कर रहा है – जो उसे मानते तो हैं, पर मन से दूर हो गए हैं। वह उन्हें याद दिलाता है कि उसने ही उन्हें चुना, चेतावनी दी और अब भी उन्हें बुला रहा है – ताकि वे लौट आएं और आशीष पाएं।


📌 1-2 पद: नाम के यहूदी, पर दिल से नहीं

🔹हे याकूब के घराने… जो इस्राएल के नाम से कहलाते हैं, परन्तु सत्य और धर्म से नहीं।”

👉 परमेश्वर कहता है – तुम तो मेरा नाम लेते हो, खुद को मेरा कहते हो, पर तुम्हारा दिल दूर है।

🔸 सिर्फ नाम से परमेश्वर के होने से कुछ नहीं होता – दिल से उसकी आज्ञा मानना ज़रूरी है।


📌 3-8 पद: मैंने पहले ही सब बताया था

🔹मैंने प्राचीन बातों को पहले से बताया… ऐसा इसलिये किया कि तू यह न कहे – ‘मेरे देवता ने ऐसा किया।’”

👉 परमेश्वर कहता है – मैंने भविष्यवाणियाँ पहले से बताई थीं, ताकि तुम जानो कि वही सच्चा परमेश्वर है।

🔸 इस्राएल ने फिर भी नहीं सुना – वह “कठोर गर्दन” वाला और “लोहे की मुँह की हड्डी” जैसा ज़िद्दी था।


📌 9-11 पद: दया के कारण विलंब

🔹अपने नाम के कारण मैं अपने क्रोध को रोकता हूँ… मैं तुझे तपाकर शुद्ध करूँगा – पर चाँदी की तरह नहीं।”

👉 परमेश्वर कहता है – मैं तुम्हें नष्ट नहीं करता, क्योंकि मैं अपने नाम की महिमा रखता हूँ।

🔸 वह हमें दंड देता है ताकि हम सुधरें – न कि इसलिए कि वह हमें नष्ट करना चाहता है।


📌 12-16 पद: वही सच्चा परमेश्वर है

🔹मैं ही हूँ – मैं ही आदि हूँ, मैं ही अंत हूँ… मेरी ही आज्ञा से सब कुछ होता है।”

👉 परमेश्वर याद दिलाता है कि वह ही सृष्टिकर्ता है – कोई और नहीं।

🔸आओ मेरे पास और सुनो… प्रभु यहोवा ने मुझे और अपनी आत्मा को भेजा है।”
(यह एक मसीहाई संकेत भी हो सकता है – जहाँ पिता, पुत्र और आत्मा तीनों का ज़िक्र है।)


📌 17-19 पद: काश तुम मेरी बात मानते!

🔹हे इस्राएल, यदि तू मेरी आज्ञाओं पर ध्यान देता… तो तेरा शान्ति नदी के समान होती।”

👉 परमेश्वर दुख के साथ कहता है – काश तुम मेरी बात मानते! तुम्हारी आशीषें कितनी बढ़िया होतीं!

🔸 जैसे कोई बाप अपने बच्चे से कहे – "मैं तुम्हारे भले के लिए कहता था…"


📌 20-22 पद: निकलो बाबुल से!

🔹बाबुल से निकलो! यहोवा की स्तुति करते हुए निकलो!”

👉 यह एक भविष्यवाणी है कि एक दिन लोग बाबुल की गुलामी से निकलेंगे और परमेश्वर की स्तुति करते हुए लौटेंगे।

🔸दुष्टों के लिए शान्ति नहीं” – यह अध्याय की गंभीर चेतावनी है।


इस अध्याय से क्या सीखें?

  1. सिर्फ नाम का विश्वास काम नहीं आता – दिल से आज्ञा मानना ज़रूरी है।
  2. परमेश्वर भविष्य पहले ही बता देता है – ताकि हमें उस पर विश्वास हो।
  3. परमेश्वर हमें सुधारने के लिए समय देता है – वह दयालु है।
  4. अगर हम उसकी बात मानें – तो हमारी ज़िंदगी में शांति और आशीष होती है।
  5. दुष्टता का अंत अशांति है – हमेशा।

📖 याद रखने वाली आयत:

यदि तू मेरी आज्ञाओं पर ध्यान देता, तो तेरी शान्ति नदी के समान होती।”
(यशायाह 48:18)


🎧 सरल संदेश:

अगर तुम सच में परमेश्वर से प्यार करती हो – तो सिर्फ प्रार्थना या चर्च जाना ही काफी नहीं – उसके वचन को मानना ज़रूरी है।

परमेश्वर तुम्हारे लिए आशीष तैयार करके बैठा है – लेकिन वह चाहता है कि तुम उसकी सुनो।

अगर तुम उसकी बात मानोगी, तो तुम्हारी ज़िंदगी में नदी जैसी शांति और बालू के जैसे अनगिनत आशीषें होंगी।

 


 

🎙यशायाह अध्याय 49 – मसीहा का बुलावा और इस्राएल की बहाली
(Isaiah 49 – The Calling of the Messiah and Restoration of Israel)

यह अध्याय बहुत ही अद्भुत और भविष्यवाणी से भरा हुआ है। इसमें मसीहा (यीशु मसीह) की बुलाहट और उसका कार्य बताया गया है। साथ ही परमेश्वर इस्राएल को दिलासा देता है कि वह उसे कभी नहीं भूलेगा।


📌 1-6 पद: प्रभु के सेवक की बुलाहट

🔹हे द्वीपों, मेरी बात सुनो… यहोवा ने मुझे जन्म से ही बुलाया।”

👉 यहाँ मसीहा (यीशु) की भविष्यवाणी है – वह कहता है, “माँ के गर्भ से ही परमेश्वर ने मुझे चुना।”

🔸 मसीहा का कार्य है:

  • परमेश्वर की महिमा दिखाना
  • याकूब (इस्राएल) को लौटाना
  • और जातियों के लिए भी उजियाला (Light for the Gentiles) बनना।

💡 यह दिखाता है कि यीशु केवल यहूदियों के लिए नहीं, दुनिया भर के लोगों के लिए आया है।


📌 7-13 पद: परमेश्वर अपने सेवक का आदर करेगा

🔹जिसको मनुष्य तुच्छ जानते हैं… राजागण उसे देख कर उठ खड़े होंगे।”

👉 यीशु को लोग तुच्छ मानेंगे, ठुकराएँगे, लेकिन एक दिन राजा भी उसका आदर करेंगे।

🔸 वह कैदियों को मुक्त करेगा, अंधों को उजाला देगा, भूखों को खिलाएगा, और सब दिशाओं से लोगों को बुलाएगा।

🔹हे आकाश, जयजयकार कर! हे पृथ्वी, मगन हो!”


📌 14-18 पद: क्या परमेश्वर इस्राएल को भूल गया?

🔹सिय्योन कहती है – यहोवा ने मुझे छोड़ दिया, वह मुझे भूल गया है।”

👉 पर परमेश्वर जवाब देता है: क्या कोई माँ अपने बच्चे को भूल सकती है? चाहे वह भूल जाए, मैं तुझे नहीं भूल सकता।”

🔸 यह आयत बहुत प्यारी है – परमेश्वर कहता है, “मैंने तेरा नाम अपनी हथेलियों पर लिखा है।”


📌 19-23 पद: इस्राएल फिर से बसेगा

🔹तेरे उजड़े हुए स्थान फिर से आबाद होंगे… तेरे पुत्र दूर देशों से आएंगे।”

👉 यह भविष्यवाणी है कि इस्राएल जो उजड़ चुका था – फिर से आबाद होगा।

🔸 राजा और रानियाँ उनके पालनहार होंगे, और लोग नीचे झुककर यहोवा की महिमा पहचानेंगे।


📌 24-26 पद: दुष्टों से मुक्ति

🔹क्या शूरवीर से लूटी हुई वस्तु छूट सकती है?”

👉 परमेश्वर कहता है – “हाँ, मैं तुझे छुड़ाऊँगा… तेरे विरोधियों को मैं दण्ड दूँगा।”


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. यीशु मसीह को जन्म से ही परमेश्वर ने चुना – वह दुनिया के लिए उजियाला है।
  2. परमेश्वर हमें कभी नहीं भूलता – हम उसकी हथेली पर लिखे हैं!
  3. वह हमारे उजड़े हुए जीवन को फिर से बसाता है।
  4. जब सब लोग हमें छोड़ दें, परमेश्वर हमें थामे रहता है।
  5. उसकी मुक्ति सच्ची और स्थायी है।

📖 याद रखने वाली आयत:

क्या कोई स्त्री अपने बच्चे को भूल सकती है…? चाहे वह भूल जाए, मैं तुझे नहीं भूल सकता।”
(यशायाह 49:15)


🎧 सरल संदेश:

कभी भी यह मत सोचो कि परमेश्वर तुझे भूल गया है।

लोग तुझे तुच्छ समझ सकते हैं, अकेला छोड़ सकते हैं – पर परमेश्वर ने तेरा नाम अपनी हथेली पर लिखा है।

यीशु मसीह तुझे अंधकार से उजाले में लाने आया है – और वह तुझे भूलेगा नहीं।


 

🎙यशायाह अध्याय 50 – प्रभु के सेवक की पीड़ा और परमेश्वर की विश्वासयोग्यता
(Isaiah 50 – The Suffering Servant and God's Faithfulness)

इस अध्याय में हम फिर से उस "सेवक" की भविष्यवाणी देखते हैं, जो आने वाला मसीहा है – यानी यीशु मसीह। यह अध्याय हमें बताता है कि लोग उसे ठुकराएंगे, उसे मारेंगे, लेकिन वह सब कुछ चुपचाप सहन करेगा क्योंकि वह परमेश्वर पर भरोसा करता है।


📌 1-3 पद: क्या परमेश्वर ने इस्राएल को छोड़ दिया है?

🔹 लोग कहते हैं – “क्या परमेश्वर ने हमें छोड़ दिया है? क्या वह हमें बेचे हुए गुलामों जैसा समझता है?”

👉 परमेश्वर जवाब देता है – “नहीं! मैंने तुम्हें नहीं छोड़ा। तुम अपने पापों के कारण खुद दूर चले गए।”

💡 परमेश्वर कहता है – जब मैंने तुम्हें बुलाया, तो कोई नहीं आया। क्या मेरा हाथ छोटा हो गया है कि मैं तुम्हें छुड़ा नहीं सकता?


📌 4-9 पद: प्रभु के सेवक की आज्ञाकारिता और पीड़ा

🔹प्रभु यहोवा ने मुझे शिक्षा दी… ताकि मैं थके हुए लोगों को सिखा सकूँ।”

👉 यह पद यीशु मसीह की तरफ़ इशारा करता है – उसने परमेश्वर से ज्ञान पाया और हर सुबह उसकी बात सुनता था

🔹मैंने पीठ पीटने वालों को और गाल मारने वालों को दे दिए…”

👉 इसका मतलब: जब लोगों ने यीशु को कोड़े मारे, गाल पर मारा, उसकी दाढ़ी खींची – उसने विरोध नहीं किया।

💬 यह बहुत ही मार्मिक है – यीशु को सब कुछ पता था, फिर भी वह चुपचाप सहता रहा।

🔹प्रभु यहोवा मेरी सहायता करता है, इसलिए मैं लज्जित नहीं होता।”

👉 मसीहा को पता था कि परमेश्वर उसके साथ हैइसलिए वह अपने चेहरे को चकमक पत्थर की तरह दृढ़ बना लेता है (यानी हार नहीं मानता)।


📌 10-11 पद: परमेश्वर पर भरोसा करने की सीख

🔹जो प्रभु से डरता है, और उसके सेवक की बात सुनता है – वह अंधकार में भी परमेश्वर पर भरोसा करे।”

👉 जब जीवन में अंधकार आए, रास्ता न दिखे – तब भी परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए।

🔹 परंतु जो अपने खुद के चिराग जलाते हैं (यानी अपने तरीके अपनाते हैं), उन्हें दुख मिलेगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. जब लोग कहते हैं कि परमेश्वर दूर हो गया है – सच्चाई यह है कि हम ही उससे दूर हो जाते हैं।
  2. यीशु मसीह ने हमें बचाने के लिए कष्ट सहे – बिना विरोध किए।
  3. मसीहा हर सुबह परमेश्वर की बात सुनता था – हमें भी ऐसा करना चाहिए।
  4. जब हम अंधकार में हों – तब भी परमेश्वर पर भरोसा करते रहें।
  5. अपनी चालाकी से चलने की बजाय परमेश्वर की अगुवाई स्वीकार करें।

📖 याद रखने वाली आयत:

प्रभु यहोवा मेरी सहायता करता है, इसलिए मैं लज्जित नहीं होता… मैंने अपना मुख चकमक पत्थर की नाईं दृढ़ बनाया है।”
(यशायाह 50:7)


🎧 सरल संदेश:

कभी तुम अकेली महसूस करो, या जब लोग तुम्हारे खिलाफ़ हों – तो याद रखना, यीशु ने भी सबकुछ चुपचाप सहा।

क्यों? क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर उसके साथ है।

तुम भी जब किसी अंधकार में हो, या तुम्हें रास्ता नहीं सूझे – तो डर मत, परमेश्वर तुझे थामे रहेगा। वो तुझसे कहता है – “मैं तेरे साथ हूँ।”

 


 

🎙यशायाह अध्याय 51 – परमेश्वर का दिलासा और उद्धार का वादा
(Isaiah 51 – God's Comfort and Promise of Salvation)

यह अध्याय एक प्यारा और ताकत देने वाला संदेश है – जो हर उस इंसान के लिए है जो परमेश्वर की ओर देखने लगा है। अगर कोई प्रभु के पीछे चलने को तैयार है, तो परमेश्वर उसे आश्वासन देता है – "मैं तेरे साथ हूँ, मत डर।"


📌 1-3 पद: अपने उद्धार की जड़ों को याद करो

🔹हे धार्मिकता के पीछे चलने वालों, मेरी सुनो…”

👉 परमेश्वर कहता है – अपने आत्मिक पूर्वजों को याद करो। जैसे अब्राहम और सारा को मैंने बुलाया और आशीष दी, वैसे ही मैं तुम्हें भी बढ़ाऊंगा

🔹यहोवा सिय्योन को शांति देगा और उसकी सारी उजड़ी जगहों को फिर से आशीषित करेगा।”

💡 मतलब – जो उजड़ गया है, वो फिर से फूल उठेगा।


📌 4-6 पद: उद्धार और न्याय आने वाला है

🔹मेरा उद्धार निकट है, मेरी धुनिया (न्याय) लोगों के लिए उजाला होगा।”

👉 परमेश्वर कहता है – मैं दुनिया में न्याय लाने वाला हूँ, और मेरा उद्धार सदा के लिए रहेगा

🔹आकाश हट जाएगा, पृथ्वी भी पुरानी हो जाएगी – पर मेरा उद्धार स्थिर रहेगा।”

💬 दुनिया की हर चीज़ मिट सकती है, लेकिन परमेश्वर का वचन और उद्धार स्थायी है।


📌 7-8 पद: लोगों से मत डरो

🔹हे मेरे लोगों, उनकी निन्दा से मत डर, और उनके अपमान से न घबराओ।”

 , यह बहुत ज़रूरी बात है – जब हम परमेश्वर की राह पर चलते हैं, तो कुछ लोग निंदा करेंगे। लेकिन हमें डरना नहीं है – क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है।


📌 9-11 पद: पुराने चमत्कारों को फिर से करने की प्रार्थना

🔹 यशायाह कहता है – “हे प्रभु, फिर से अपना हाथ फैला! जैसे तूने मिस्र से इस्राएल को छुड़ाया।”

👉 हम भी प्रार्थना कर सकते हैं – “हे प्रभु, मेरी ज़िंदगी में भी चमत्कार कर!”

🔹यहोवा के छुड़ाए हुए लोग गाकर सिय्योन में लौटेंगे।”

💬 जब परमेश्वर उद्धार करता है, तो लोग खुशी और जयजयकार के साथ लौटते हैं।


📌 12-16 पद: सच्चा दिलासा

🔹मैं ही तुम्हारा दिलासा देनेवाला हूँ – फिर तू मनुष्य से क्यों डरता है जो मर जाएगा?”

👉 परमेश्वर खुद कहता है – “मैं तेरा परमेश्वर हूँजिसने आकाश और पृथ्वी बनाई!”

🔹मैंने तेरे मुँह में अपने वचन डाले और तुझे अपनी छाया में छिपा रखा है।”


📌 17-23 पद: यरूशलेम की पुनर्स्थापना

🔹 यरूशलेम (इस्राएल की राजधानी) जिसने पापों के कारण दुख भोगा – अब उसे आशा दी जा रही है।

👉 परमेश्वर कहता है – “अब तू दु:ख का प्याला नहीं पिएगा, बल्कि जो तुझे सता रहे थे – वही उसे पीएंगे।”

💬 इसका मतलब है – परमेश्वर न्याय करेगा और अपने लोगों को सम्मान देगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर अपने लोगों को भुलाता नहीं – वह उन्हें फिर से आशिषित करता है।
  2. परमेश्वर का उद्धार और न्याय स्थायी है – वह कभी खत्म नहीं होगा।
  3. जब लोग तुझे ताना मारें, निंदा करें – तो मत डर, क्योंकि परमेश्वर तेरे साथ है।
  4. पुराने चमत्कार आज भी हो सकते हैं – बस विश्वास रखना।
  5. परमेश्वर तुझे अपनी छाया में रखता है – तू सुरक्षित है।

📖 याद रखने वाली आयत:

मैं ही तुम्हारा शांति देने वाला हूँ, फिर तू मनुष्य से क्यों डरता है?”
(यशायाह 51:12)


🎧 सरल संदेश:

जब तू अकेली हो, डर लगे, लोग तुझे ताने दें – तो याद रखना:

परमेश्वर तुझे नहीं भूला है।

वह कहता है – “मैंने तुझे अपनी छाया में रखा है। तू मेरी है।”

तेरी ज़िंदगी में भी वो चमत्कार करेगा – जैसे उसने अब्राहम और इस्राएल के लिए किए। बस उसकी ओर देखती रहो।


 

🎙यशायाह अध्याय 52 – उद्धार और परमेश्वर की वापसी का संदेश
(Isaiah 52 – The Message of Salvation and God's Return)

इस अध्याय में परमेश्वर अपने लोगों को एक नई आशा देता है – वह कहता है: "अब समय आ गया है कि तुम जागो, उठो और चमको।"
यह अध्याय मसीहा (यीशु) की भविष्यवाणी की शुरुआत करता है और बताता है कि कैसे परमेश्वर अपने लोगों को बचाएगा और उन्हें फिर से सम्मान देगा।


📌 1-2 पद: उठो और चमको, यरूशलेम!

🔹हे सिय्योन, जाग! अपनी शक्ति धारण कर… अपने ऊपर शोभा के वस्त्र पहन ले।”

👉 परमेश्वर कहता है – अब दुख का समय पूरा हो गया। अब उठने का, चमकने का समय है।”

🔹तू अपने आप को झाड़, उठ और सिंहासन पर बैठ।”

💬 मतलब – जो नीचे गिरा था, वह फिर से ऊँचा उठेगा।


📌 3-6 पद: उद्धार बिना पैसे के मिलेगा

🔹तुम बिना दाम के बेचे गए थे, और बिना दाम के ही छुड़ाए जाओगे।”

👉 परमेश्वर कहता है – मैं तुम्हें अपने अनुग्रह (grace) से मुक्त करूंगा।”

💡 यह भविष्यवाणी यीशु मसीह के काम की ओर इशारा करती है – जिसने हमारे लिए कीमत चुकाई।

🔹तब मेरे लोग जानेंगे कि मैं ही वह हूँ जो कहता है – ‘यह मैं हूँ!’”


📌 7-10 पद: शुभ समाचार लाने वालों के पाँव कितने सुंदर हैं!

🔹उनके पाँव कितने सुंदर हैं जो शुभ समाचार लाते हैं, जो शांति और उद्धार की बातें सुनाते हैं।”

👉 यह एक बहुत प्रसिद्ध आयत है – बताती है कि जो लोग यीशु का सुसमाचार (gospel) सुनाते हैं, उनके कदम भी सुंदर माने जाते हैं।

💬 परमेश्वर कहता है – “मैं लौटकर आ रहा हूँ! मैं यरूशलेम में राज्य करूंगा।”

🔹सभी राष्ट्र देखेंगे – परमेश्वर ने अपने लोगों को बचाया है।”


📌 11-12 पद: पवित्रता के साथ निकलो

🔹बेबिलोन से निकलो! अशुद्ध वस्तुओं को मत छुओ।”

👉 जब परमेश्वर हमें छुड़ाता है, तो हमें पवित्र जीवन जीना होता है।

🔹तुम जल्दी में नहीं निकलोगे, क्योंकि यहोवा तुम्हारे आगे चलेगा।”

💡 परमेश्वर कहता है – मैं तेरा आगे और पीछे दोनों ओर रहूंगा।


📌 13-15 पद: मसीहा की दासवत् सेवा (Messianic Prophecy Begins)

🔹देखो, मेरा दास समझदारी से काम करेगा, वह ऊँचा और महान बनेगा।”

👉 यह यीशु मसीह की ओर इशारा है – जो दीन बनकर आया, लेकिन फिर महिमा में ऊँचा किया गया।

🔹कई लोग उसे देखकर चकित होंगे – उसका चेहरा इतना बिगड़ गया था कि वह मनुष्य जैसा भी नहीं लगता था।”

💬 यह क्रूस पर यीशु की पीड़ा की ओर संकेत करता है।

🔹वह कई राष्ट्रों को शुद्ध करेगा, और राजा उसके सामने चुप हो जाएंगे।”


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर चाहता है कि हम दुख की नींद से जागें और फिर से चमकें।
  2. उद्धार कोई चीज़ खरीदने जैसा नहीं – यह परमेश्वर की मुफ्त देन है।
  3. जो लोग शुभ समाचार सुनाते हैं – वे परमेश्वर के लिए कीमती हैं।
  4. परमेश्वर खुद अपने लोगों के बीच लौटेगा और उनकी रक्षा करेगा।
  5. मसीहा (यीशु) की दीनता और महिमा – दोनों हमारे उद्धार का हिस्सा हैं।

📖 याद रखने वाली आयत:

उनके पाँव कितने सुंदर हैं जो शुभ समाचार लाते हैं, जो शांति और उद्धार की बातें सुनाते हैं।”
(यशायाह 52:7)


🎧 सरल संदेश:

जब तू यीशु के बारे में किसी को बताती है – तो परमेश्वर तेरे कदमों को सुंदर कहता है।

वह चाहता है कि तू अपने अतीत की शर्म से उठकर फिर से सम्मान पाए।

यीशु ने सब सहा – ताकि तू आजाद हो सके।

अब डर नहीं, पवित्रता से जी – क्योंकि परमेश्वर तुझसे कहता है, “मैं तेरे आगे चल रहा हूँ।”


 

🎙यशायाह अध्याय 53 – मसीहा की पीड़ा और हमारा उद्धार
(Isaiah 53 – The Suffering Servant and Our Salvation)

यह अध्याय पूरे पुराने नियम (Old Testament) का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र भविष्यवाणी वाला भाग है।
यह बताता है कि कैसे मसीहा (यीशु) हमारे पापों के लिए दुःख सहता है, और हमारे लिए मरता है – ताकि हम उद्धार पा सकें।


📌 1-3 पद: मसीहा को लोग तुच्छ समझेंगे

🔹हमारी बात कौन मानेगा?... वह एक कोमल पौधे की नाईं हमारे बीच बढ़ा।”

👉 यीशु कोई राजा या योद्धा की तरह नहीं आया – वह एक गरीब और साधारण रूप में आया।

🔹उसका रूप न ऐसा था कि हम उसे देखें… वह तुच्छ जाना गया।”

💬 लोगों ने उसे महत्व नहीं दिया, उन्होंने उसका मज़ाक उड़ाया।


📌 4-6 पद: वह हमारे पापों के लिए मरा

🔹निश्चय उसने हमारे रोगों को सहा, और हमारे ही दुखों को उठाया।”

👉 यीशु ने हमारी बीमारियाँ, दर्द, और पाप अपने ऊपर ले लिए।

🔹वह हमारे अपराधों के कारण घायल किया गया।”

💬 जो दण्ड हमें मिलना चाहिए था, वह यीशु ने अपने ऊपर ले लिया।

🔹हम सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे… और यहोवा ने हम सब के अधर्म का भार उसी पर डाल दिया।”

👉 यह बहुत ही शक्तिशाली भविष्यवाणी है – बताती है कि मसीहा बलिदान का मेमना होगा।


📌 7-9 पद: वह बिना विरोध के मर गया

🔹वह सताया गया, तौभी उसने अपना मुँह नहीं खोला।”

👉 जैसे एक मेमना वध के लिए ले जाया जाता है, यीशु ने भी बिना शिकायत क्रूस झेला।

🔹उसकी कब्र दुष्टों के बीच बनाई गई… परन्तु वह निर्दोष था।”

💬 यह सचमुच में हुआ – यीशु को दो चोरों के बीच में क्रूस पर चढ़ाया गया, परन्तु उसे एक अमीर व्यक्ति की कब्र में रखा गया (मत्ती 27:57-60)


📌 10-12 पद: उसकी मृत्यु से उद्धार मिलेगा

🔹यद्यपि यहोवा को यह अच्छा लगा कि उसे कुचले…”

👉 यह परमेश्वर की योजना थी – कि मसीहा हमारे लिए बलिदान बने।

🔹वह अपनी जान का बलिदान देगा… और बहुतों को धर्मी ठहराएगा।”

👉 यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान से हम परमेश्वर के साथ मेल पा सकते हैं।

🔹उसने अपने प्राण मृत्यु के लिए उण्डेल दिए।”


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. मसीहा कोई महल में रहने वाला राजा नहीं होगा – बल्कि एक दुख सहने वाला सेवक होगा।
  2. उसने हमारे पापों, दुखों और बीमारियों को अपने ऊपर ले लिया।
  3. वह मर गया – ताकि हम जीवित रहें।
  4. वह निर्दोष था – फिर भी उसने अपराधियों की तरह सजा झेली।
  5. उसका बलिदान – हमारे उद्धार का मार्ग बना।

📖 याद रखने वाली आयत:

वह हमारे अपराधों के कारण घायल किया गया, और हमारे अधर्म के कारण कुचला गया… उसकी मार से हम चंगे हो गए।”
(यशायाह 53:5)


🎧 सरल संदेश:

कभी-कभी तुझे लगेगा कि तू अकेली है, या तूने बहुत पाप किए हैं – लेकिन याद रख:

यीशु तुझसे इतना प्रेम करता है कि उसने तेरे लिए सबकुछ सहा।
उसने चुपचाप मार खाई, तिरस्कार झेला – क्योंकि वह चाहता था कि तू बचाई जाए।

अब तू आज़ाद है, चंगी है – क्योंकि यीशु ने तुझे चुना है।
🙏 बस उसे धन्यवाद बोल, और विश्वास के साथ उसके पीछे चल।


 

🎙यशायाह अध्याय 54 – परमेश्वर की अटल करुणा और बहाल करने वाली शक्ति
(Isaiah 54 – God's Unfailing Compassion and Restoring Love)

यशायाह का यह अध्याय अध्याय 53 के बाद आता है – जहाँ मसीहा (यीशु) के बलिदान की बात थी। अब अध्याय 54 में, परमेश्वर उस उद्धार के बाद अपने लोगों से कहता है – "अब मैं तुम्हें फिर से आशिष दूँगा, बहाल करूँगा, और कभी छोड़ूँगा नहीं।"


📌 1-3 पद: बाँझ स्त्री के लिए आशा का संदेश

🔹हे बाँझ, जो कभी न जनी, तू गा… तू जयजयकार कर।”

👉 यहाँ बाँझ स्त्री एक प्रतीक है इस्राएल या उस आत्मा का, जो टूट गई है, असफल रही है – लेकिन अब परमेश्वर उसे बहाल करेगा।

💬 यह दिखाता है कि जिनसे कोई आशा नहीं होती, परमेश्वर उनसे महान काम करता है।

🔹तेरे वंश धरती को भर देंगे, और तू चारों ओर फैल जाएगी।”


📌 4-8 पद: डर मत – तुझे फिर कभी शर्मिंदा नहीं होना होगा

🔹डर मत, क्योंकि तू लज्जित न होगी… क्योंकि तेरा पति तेरा कर्ता है।”

👉 परमेश्वर अपने लोगों को दिलासा देता है कि वह उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा।

🔹थोड़ी देर के लिए मैं ने तुझ से मुँह मोड़ा, पर बड़ी करुणा से फिर तुझ पर दया करूँगा।”

💬 जब हम गलती करते हैं या दूर चले जाते हैं, तब भी परमेश्वर अपने अनुग्रह से हमें वापस बुलाता है।


📌 9-10 पद: परमेश्वर का वादा – "मैं तुझसे फिर क्रोधित नहीं होऊँगा"

🔹यह मेरे लिए उस नूह के जल के समान है… पर्वत टल जाएँ, टीलियाँ हिलें, पर मेरी करूणा तुझ पर से न हटेगी।”

👉 यह परमेश्वर की एक स्थायी प्रतिज्ञा है – उसका प्रेम अडिग है।

 , लोग बदल सकते हैं – लेकिन परमेश्वर का प्रेम कभी नहीं बदलता।


📌 11-17 पद: परमेश्वर तुझे फिर से बनाता है और सुरक्षित करता है

🔹हे दुखिया, तू जो आँधी में फेंकी गई… मैं तेरी नींव मणियों से रखूँगा।”

👉 परमेश्वर कहता है – “मैं तुझे बहाल करूँगा, तेरा जीवन फिर से सुंदर बनाऊँगा।”

🔹तेरे सब लड़के यहोवा की शिक्षा पाएंगे, और उनकी शांति महान होगी।”

💬 यह वादा बच्चों के लिए भी है – अगर हम प्रभु के साथ चलें, तो हमारे बच्चे भी आशीष पाएंगे।

🔹तुझ पर कोई हथियार जो बनाए जाए, वह सफल न होगा।”

👉 यह एक जबरदस्त आत्मिक वादा है – कोई भी हमला, बीमारी, आरोप, या विरोध तुझे नहीं गिरा सकेगा, जब तक तू परमेश्वर में बनी रहती है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर उन लोगों को उठाता है जिन्हें दुनिया ने ठुकरा दिया।
  2. वह हमें नया आरंभ देता है, चाहे हमने पहले कितना भी खो दिया हो।
  3. उसका प्रेम कभी खत्म नहीं होता – यह हमेशा के लिए है।
  4. वह हमारे बच्चों की भी चिंता करता है और उन्हें भी आशीष देता है।
  5. कोई भी हमला तुझे नुकसान नहीं पहुँचा सकता – क्योंकि परमेश्वर तेरे साथ है।

📖 याद रखने वाली आयत:

पर्वत टल जाएँ, और टीलियाँ हिलें, पर मेरी करुणा तुझ पर से न हटेगी।”
(यशायाह 54:10)


🎧 सरल संदेश:

कभी भी यह मत सोचना कि तू अकेली है या तेरी ज़िंदगी में कुछ अच्छा नहीं होगा।

परमेश्वर कहता है –

मैं तेरा पति हूँ, तेरा रक्षक हूँ। मैं तुझसे प्यार करता हूँ और कभी नहीं छोड़ूँगा।”

अगर तू टूट भी गई है, उदास भी है – तो जान ले, वह तुझे फिर से उठाएगा, सुंदर बनाएगा और हर शत्रु से बचाएगा।

👉 तेरे लिए उसके वादे कभी खत्म नहीं होंगे। बस उसके साथ बनी रह, और वह तुझे जीत देगा।


 

🎙यशायाह अध्याय 55 – परमेश्वर का निमंत्रण: जीवन का जल और मुफ्त उद्धार
(Isaiah 55 – God’s Invitation: Water of Life and Free Salvation)

यह अध्याय परमेश्वर के खुले निमंत्रण की तरह है – जैसे वह सबको पुकार रहा हो:
"आओ, प्यासे हो तो मेरे पास आओ… जीवन के जल को मुफ्त में पाओ!"
यह अध्याय मसीह यीशु के द्वारा मिलने वाली मुफ्त मुक्ति (salvation) की सुंदर भविष्यवाणी है।


📌 1-2 पद: प्यासे लोगों को बुलावा – मुफ्त में लो!

🔹हे सब प्यासे लोगों, जल के पास आओ! जिनके पास रूपया नहीं, वे भी आओ...”

👉 परमेश्वर कहता है – जो प्यासे हो (आत्मिक रूप से), निराश हो, भटक गए हो – मेरे पास आओ।
तुम्हें पैसे की ज़रूरत नहीं – मैं तुम्हें मुफ्त में जीवन दूँगा।

🔹तुम ऐसा क्यों करते हो कि ऐसी वस्तु के लिए रूपया देते हो जो रोटी नहीं है?”

💬 इसका मतलब है: लोग दुनिया की चीज़ों में तृप्ति (संतोष) खोजते हैं – लेकिन असली संतोष सिर्फ परमेश्वर से मिलता है।


📌 3-5 पद: हमेशा की वाचा और मसीहा की घोषणा

🔹मेरी बात ध्यान से सुनो… मैं तुम से अनन्त वाचा बाँधूँगा, जो दाऊद के लिए सच्ची दया की है।”

👉 यह वाचा मसीह के माध्यम से पूरी होती है – जो दाऊद की संतान के रूप में आया और हमें हमेशा के लिए उद्धार देता है।

🔹तू ऐसी जाति को बुलाएगा जिसे तू नहीं जानता…”

💬 यहाँ पर यहूदी ही नहीं, बल्कि सभी राष्ट्रों को भी बुलाने की बात है – यह भविष्य में मसीह की सार्वभौमिक पुकार की ओर इशारा करता है।


📌 6-7 पद: जब तक अवसर है, परमेश्वर को ढूँढो

🔹जब तक वह मिल सकता है, तब तक यहोवा को ढूँढो।”

 , इसका मतलब है – जब तक तू जीवित है, परमेश्वर को ढूँढने का अवसर है। एक दिन ऐसा आएगा जब समय निकल जाएगा।

🔹दुष्ट अपनी चाल और कुकर्मी अपने विचार छोड़ दे… और यहोवा की ओर लौटे, वह उस पर दया करेगा।”

💬 परमेश्वर कभी मना नहीं करता – जो भी लौटता है, वह क्षमा करता है।


📌 8-11 पद: परमेश्वर की सोच और वचन अचूक हैं

🔹मेरे विचार तुम्हारे विचारों से भिन्न हैं… जैसे आकाश पृथ्वी से ऊँचा है।”

👉 परमेश्वर की योजना, उसकी सोच हमारी समझ से ऊपर है – इसलिए कभी डरना नहीं चाहिए, बस उस पर भरोसा रखना चाहिए।

🔹जैसे वर्षा और हिम भूमि पर पड़ते हैं… वैसे ही मेरा वचन मेरे मुँह से निकलकर व्यर्थ नहीं लौटेगा।”

 , इसका मतलब है – परमेश्वर की हर बात पूरी होकर रहती है।


📌 12-13 पद: आनन्द और बहाली की प्रतिज्ञा

🔹तुम आनन्द से निकलोगे और शांति से पहुँचाए जाओगे…”

👉 परमेश्वर न केवल क्षमा करता है, बल्कि आनन्द और शांति भी देता है।

🔹काँटे के स्थान पर सनौठा उगेगा…”
(जहाँ दुःख था, वहाँ अब आशीष होगी!)


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर सभी को बुलाता हैचाहे गरीब हो, टूटा हुआ हो, या पापी।
  2. उद्धार मुफ्त है, लेकिन अनमोल है – इसे अभी स्वीकार करना चाहिए।
  3. परमेश्वर की योजनाएँ हमारी सोच से कहीं ऊपर हैंइसलिए उस पर भरोसा रखना चाहिए।
  4. उसका वचन कभी व्यर्थ नहीं जातावह जो कहता है, वह ज़रूर करता है।
  5. जो लौटते हैं, वे शांति और आनन्द पाते हैं।

📖 याद रखने वाली आयत:

जब तक वह मिल सकता है, तब तक यहोवा को ढूँढो; जब तक वह निकट है, तब तक उसको पुकारो।”
(यशायाह 55:6)


🎧 सरल संदेश:

परमेश्वर तुझे बुला रहा है –

बेटी, आ जा। तू प्यास से तड़प रही है – मैं तुझे जीवन का जल दूँगा।”
तेरे पास पैसा नहीं? कोई बात नहीं। यह सब मुफ्त है – क्योंकि मसीह ने कीमत चुकाई है।”

तू चाहे कितनी भी थकी हो, टूटी हो – वह तुझे फिर से खड़ा करेगा, आनन्द देगा, और शांति देगा।

👉 तू अकेली नहीं है – बस अब उसका वचन सुन, और उसके पास आ जा।


 

🎙यशायाह अध्याय 56 – हर किसी के लिए आशा का संदेश
(Isaiah 56 – A Message of Hope for All People)

यह अध्याय परमेश्वर की दया और न्याय की घोषणा करता है। यह न सिर्फ यहूदियों के लिए, बल्कि विदेशी लोगों और नपुंसकों (जिन्हें समाज में जगह नहीं दी जाती थी) के लिए भी आशा की किरण लेकर आता है।


📌 1-2 पद: उद्धार निकट है

🔹न्याय को मानो और धर्म के अनुसार चलो, क्योंकि मेरी उद्धार की घड़ी निकट है।”

👉 परमेश्वर कहता है – मैं जल्दी आनेवाला हूँ। मेरा न्याय और उद्धार बहुत पास है।

💬 यह भविष्यवाणी मसीह की पहली और दूसरी आगमन (Coming of Jesus) – दोनों के बारे में है।


📌 3-8 पद: विदेशी और नपुंसक भी परमेश्वर के प्रिय हैं

🔹परदेशी न कहे कि यहोवा मुझे अपनी प्रजा से अलग कर देगा।”

🔹नपुंसक न कहे – मैं सूखा वृक्ष हूँ।”

👉 उस समय समाज में कुछ लोगों को मंदिर आने या सेवकाई करने की अनुमति नहीं थी।
लेकिन परमेश्वर कहता है – मैं सबको बुलाता हूँ – जो मेरे नियमों को मानते हैं, मैं उन्हें अपने घर में जगह दूँगा।

🔹मैं उन्हें मेरे पवित्र पर्वत पर ले जाकर आनन्दित करूँगा… उनका बलिदान मेरे लिये ग्रहणयोग्य होगा।”

 , इसका मतलब है – परमेश्वर किसी को भी नहीं छोड़ता जो उसकी ओर आता है।


📌 7 पद का अद्भुत वादा:

🔹मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा।”

👉 यीशु ने भी यही बात मत्ती 21:13 में मंदिर में कही थी। यह परमेश्वर की इच्छा को दिखाता है – कि हर राष्ट्र, हर जाति, हर भाषा के लोग उसके पास आएं।


📌 9-12 पद: झूठे अगुवों पर न्याय

🔹 यशायाह अब उन अगुवों की बात करता है जो सोए हुए कुत्तों की तरह हैं – न देख पाते हैं, न चेतावनी देते हैं।

👉 वे अपने लाभ में लगे हैं, और लोगों को सत्य का मार्ग नहीं दिखाते।

💬 परमेश्वर ऐसे अगुवों से नाराज़ होता है जो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर का उद्धार सबके लिए हैयहूदियों, विदेशियों, और समाज से बहिष्कृत लोगों के लिए भी।
  2. जो कोई परमेश्वर के वचन को मानता है, वह उसकी आराधना में भाग ले सकता है।
  3. मंदिर (या कलीसिया) सबके लिए खुला हैयह केवल किसी विशेष जाति, वर्ग, या धर्म के लिए नहीं।
  4. झूठे अगुवे जो सच्चाई नहीं सिखाते – वे परमेश्वर के न्याय का सामना करेंगे।

📖 याद रखने वाली आयत:

मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा।”
(यशायाह 56:7)


🎧 सरल संदेश:

इस अध्याय में परमेश्वर तुझसे कहता है:

बेटी, तू चाहे कोई भी हो – अगर तू मुझसे प्रेम करती है, मेरे वचन को मानती है –
तो मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा। तू मेरे घर की बेटी है। तू मेरे साथ आनन्द करेगी।”

👉 कोई तुझे अस्वीकार करे, तो परेशान मत होना – परमेश्वर ने तुझे अपनाया है।


 

🎙यशायाह अध्याय 57 – आत्मिक पतन और सच्चे पश्चाताप का संदेश
(Isaiah 57 – A Message of Spiritual Decline and True Repentance)

इस अध्याय में दो बातों पर ज़ोर है:

  1. जो लोग बुराई में जीते हैं, परमेश्वर से दूर रहते हैं – उनके लिए चेतावनी है।
  2. जो लोग टूटे हुए और विनम्र हृदय से परमेश्वर के पास लौटते हैं – उनके लिए शांति और आशा है।

📌 1-2 पद: धर्मी मरते हैं, लेकिन लोग ध्यान नहीं देते

🔹धर्मी व्यक्ति मर जाता है, और कोई इस बात की चिंता नहीं करता…”

👉 परमेश्वर कहता है – जब धर्मी लोग मरते हैं, तो वे actually परमेश्वर की ओर से आनेवाले संकट से बचाए जाते हैं।

💬 इसका मतलब है: कभी-कभी जब अच्छे लोग जल्दी मर जाते हैं, हम सोचते हैं – “क्यों?”
लेकिन परमेश्वर जानता है – वह उन्हें आगे आनेवाली बुराई से बचाता है।


📌 3-13 पद: पापियों की सख़्त आलोचना

🔹 यहाँ परमेश्वर उन लोगों की निंदा करता है जो मूर्तिपूजा, झूठ, व्यभिचार और पाखंड में लगे हैं।

👉 वे पेड़ों के नीचे मूर्तियाँ बनाकर आराधना करते थे।

👉 वे दूसरे देवताओं पर भरोसा करते थे, न कि सच्चे परमेश्वर पर।

🔹जब तू चिल्लाएगी, तो तेरे बनाए हुए तेरे उद्धार को नहीं करेंगे।”
(पद 13)

💬 इसका मतलब है: अगर हम परमेश्वर को छोड़कर किसी और पर भरोसा करते हैं, तो वह हमें नहीं बचा सकते।


📌 14-19 पद: विनम्र और पश्चाताप करनेवालों के लिए आशा

🔹ऊँचे और ऊँचाई पर वास करने वाला… मैं उसके साथ रहता हूँ जिसका आत्मा नम्र और खेदित है।”

👉 परमेश्वर कहता है – मैं घमंडी और दुष्ट के साथ नहीं, बल्कि विनम्र और टूटी आत्मा वालों के साथ रहता हूँ।

🔹मैं उसके मार्गों को देखता हूँ और उसे चंगा करूँगा…”

💬 इसका मतलब है: अगर तू टूटी हुई, थकी हुई, दुखी आत्मा है – तो परमेश्वर तेरे पास है।

वह तुझे शांति देगा और चंगाई देगा।


📌 20-21 पद: दुष्टों के लिए शांति नहीं

🔹दुष्ट समुद्र के समान हैं… जिनके लिए शांति नहीं है।”

👉 जैसे समुद्र हमेशा उथल-पुथल में रहता है – वैसे ही पाप में जीने वाला व्यक्ति कभी सच्ची शांति नहीं पा सकता।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. धर्मी का जीवन परमेश्वर के लिए अनमोल है – वह उन्हें बुराई से बचाता है।
  2. मूर्तिपूजा, झूठे देवताओं में विश्वास और पाखंड परमेश्वर को अप्रिय है।
  3. परमेश्वर विनम्र और टूटे हुए हृदय से पश्चाताप करने वालों के पास रहता है।
  4. दुष्टों के लिए कभी शांति नहीं होती – सच्ची शांति केवल परमेश्वर में है।

📖 याद रखने वाली आयत:

मैं ऊँचे स्थान पर रहता हूँ… पर मैं उनके साथ भी रहता हूँ जो खेदित और नम्र मन वाले हैं।”
(यशायाह 57:15)


🎧 सरल संदेश:

अगर कभी तुझे लगे कि तूने गलतियाँ की हैं, या तेरा दिल टूटा हुआ है – तो घबराना नहीं।

परमेश्वर कहता है –

मैं बहुत ऊँचा हूँ, लेकिन मैं तेरे पास भी हूँ। अगर तेरा मन नम्र है, और तू मुझसे माफी माँगती है –
तो मैं तुझे चंगा करूँगा और शांति दूँगा।”

👉 तुझमें चाहे कितनी भी कमज़ोरी हो – परमेश्वर तुझसे प्रेम करता है। वह तुझे नहीं छोड़ेगा।


 

🎙यशायाह अध्याय 58 – सच्चे उपवास और सच्चे धर्म का मतलब
(Isaiah 58 – True Fasting and Genuine Righteousness)

इस अध्याय में परमेश्वर हमें सिखाता है कि सिर्फ बाहरी धार्मिक काम (जैसे उपवास करना, प्रार्थना करना) काफी नहीं हैं।
परमेश्वर सच्चा और दयालु दिल चाहता है – ऐसा दिल जो दूसरों की मदद करे, अन्याय के खिलाफ खड़ा हो और नम्रता से चले।


📌 1-5 पद: उपवास पर परमेश्वर की आलोचना

🔹 लोग कहते हैं – “हमने उपवास किया, लेकिन परमेश्वर ने ध्यान नहीं दिया!”

👉 परमेश्वर जवाब देता है –

तुम उपवास के दिन झगड़ते हो, दूसरों को सताते हो, और अपने फायदे के लिए काम करते हो। क्या यह उपवास मुझे स्वीकार है?”

💬 इसका मतलब है: उपवास केवल खाना न खाने का नाम नहीं है।
अगर तुम्हारा मन साफ़ नहीं है, तो उपवास बेकार है।


📌 6-7 पद: परमेश्वर को पसंद आनेवाला उपवास

🔹क्या यह वह उपवास नहीं है जो मैं चाहता हूँ?”

👉 परमेश्वर बताता है कि सच्चा उपवास क्या है:

  • अन्याय की जंजीरों को तोड़ना
  • लोगों को आज़ाद करना
  • भूखों को खाना देना
  • बेघर को अपने घर में जगह देना
  • नंगे को कपड़े पहनाना
  • अपने परिवार को अनदेखा न करना

💬 यह दिखावटी नहीं, बल्कि व्यवहारिक प्यार है


📌 8-12 पद: यदि तुम ऐसा करोगे तो आशीषें आएंगी!

🔹तब तेरा उजियाला पौ फटने के समान चमकेगा…”

👉 अगर हम सच्चा जीवन जीते हैं तो क्या होगा?

  • परमेश्वर हमारी अगुवाई करेगा
  • जब हम पुकारेंगे, वह कहेगा – “मैं यहाँ हूँ।”
  • हमारे घाव भरेंगे
  • हम रात में भी उजियाले में रहेंगे
  • हम पुराने खंडहरों को फिर से बनाएँगे

📌 13-14 पद: सब्त (विश्राम का दिन) का आदर

🔹अगर तू विश्राम के दिन का आदर करेगा… और उसे पवित्र मानेगा…”

👉 परमेश्वर कहता है –
यदि तुम मेरे विश्राम के दिन (Sabbath) को आदर से मानोगे, तो मैं तुझे अपनी आशीषों से भर दूँगा।

💬 यह सिर्फ शनिवार या रविवार की बात नहीं, बल्कि यह सिखाता है कि हमें परमेश्वर के लिए अलग समय निकालना चाहिए और उसे आदर देना चाहिए।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर सिर्फ बाहरी उपवास नहीं, बल्कि सच्चे दिल से की गई भक्ति चाहता है।
  2. सच्चा उपवास वो है – जो दूसरों की ज़रूरतों को पूरा करता है।
  3. अगर हम न्याय और दया के साथ चलते हैं, तो परमेश्वर हमें चंगा करता है और आशीष देता है।
  4. विश्राम के दिन को आदर देना परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण है।

📖 याद रखने वाली आयत:

तब तू यहोवा से आनंद उठाएगा; और मैं तुझे पृथ्वी की ऊँचाइयों पर चलाऊँगा।”
(यशायाह 58:14)


🎧 सरल संदेश:

अगर तू केवल उपवास करती है, लेकिन दूसरों की मदद नहीं करती – तो परमेश्वर खुश नहीं होगा।
लेकिन अगर तू भूखों को रोटी देती है, दूसरों के लिए दयालु है, और नम्र दिल से परमेश्वर के पास आती है –
तो वह कहेगा – मैं तेरे साथ हूँ।”

👉 वह तुझे चंगा करेगा, तेरे जीवन को नई रोशनी देगा।


 

🎙यशायाह अध्याय 59 – पाप और उद्धार के बीच की दीवार
(Isaiah 59 – The Wall Between Sin and Salvation)

यह अध्याय हमें यह समझाता है कि पाप (sin) हमारे और परमेश्वर के बीच एक दीवार बना देता है।
परमेश्वर तो हमेशा मदद के लिए तैयार है, लेकिन हमारा बुरा बर्ताव, झूठ, हिंसा और अन्याय – यह सब उसे हमसे दूर कर देता है।


📌 1-2 पद: परमेश्वर शक्तिशाली है, लेकिन पाप बाधा है

🔹यहोवा का हाथ छोटा नहीं कि वह उद्धार न कर सके… परन्तु तुम्हारे अधर्म ने तुम को अपने परमेश्वर से अलग कर दिया है।”

👉 यानी, परमेश्वर की शक्ति में कोई कमी नहीं है।
लेकिन जब हम पाप करते हैं, तो हम खुद को उसकी उपस्थिति से दूर कर लेते हैं।


📌 3-8 पद: पाप का विवरण

👉 यशायाह बताता है कि लोग कैसे पाप कर रहे हैं:

  • झूठ बोलना
  • निर्दोषों का खून बहाना
  • न्याय को कुचलना
  • बुरे विचार और हिंसा की योजनाएँ
  • रास्ते में विनाश और अंधकार फैलाना

🔹वे शांति का मार्ग नहीं जानते।”

 , जब इंसान परमेश्वर से मुंह मोड़ लेता है – तो अंधकार और दुख उसका जीवन घेर लेता है।


📌 9-15 पद: पश्चाताप और दुख की अभिव्यक्ति

🔹हम उजियाले की आशा करते हैं, पर अंधकार है…”

👉 लोग समझते हैं कि उन्होंने गलत किया है और अब पछता रहे हैं।

  • न्याय दूर हो गया है
  • सच्चाई सड़कों पर गिर गई है
  • कोई ईमानदार नहीं बचा
  • लोग अंधेरे में टटोल रहे हैं

💬 यह बहुत गहरा चित्र है – जब समाज परमेश्वर से दूर चला जाता है, तो पूरा राष्ट्र अंधकार में चला जाता है।


📌 16-20 पद: उद्धारकर्ता (मसीहा) की प्रतिज्ञा

🔹उसने देखा कि कोई नहीं है… तब उसका अपना भुजा ही उद्धार लायी।”

👉 जब कोई इंसान दूसरों के लिए खड़ा नहीं हुआ, तो परमेश्वर खुद खड़ा हुआ!

💡 यह एक सुंदर भविष्यवाणी है – यीशु मसीह के बारे में!

  • वह न्याय का कवच पहनकर आता है
  • वह बुरे लोगों को दण्ड देता है
  • जो उसकी ओर लौटते हैं, उन्हें बचाता है

🔹जो लोग याकूब में से पश्चाताप करेंगे, उनके पास मैं उद्धारकर्ता के रूप में आऊँगा।” (पद 20)


📌 21 पद: परमेश्वर की वाचा (Covenant)

🔹मेरा आत्मा जो तुझ पर है और मेरे वचन जो मैंने तुझे दिए हैं, वे तुझसे, तेरे वंश से और तेरे वंश के वंश से कभी नहीं हटेंगे…”

👉 परमेश्वर कहता है – मैं तुझे, तेरे बच्चों और आनेवाली पीढ़ियों को आशीष दूँगा, अगर तू मेरे वचन को पकड़े रहे।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. पाप हमें परमेश्वर से अलग करता है – लेकिन पश्चाताप हमें फिर जोड़ता है।
  2. परमेश्वर हमेशा तैयार है बचाने के लिए – लेकिन हमें लौटकर आना होगा।
  3. यीशु मसीह ही वह उद्धारकर्ता है, जो अन्याय और अंधकार को मिटाने आया।
  4. परमेश्वर की वाचा पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहती है।

📖 याद रखने वाली आयत:

परन्तु यहोवा का हाथ छोटा नहीं कि उद्धार न कर सके… परन्तु तुम्हारे अधर्मों ने तुमको अपने परमेश्वर से अलग कर दिया है।”
(यशायाह 59:1-2)


🎧 सरल संदेश:

अगर तू कभी लगे कि परमेश्वर तुझसे दूर है –
तो सोच, कहीं कोई पाप है क्या जो उसे रोक रहा है?

👉 बस पश्चाताप कर, और वह तुरंत लौट आएगा।
यीशु तेरा उद्धारकर्ता है। वह अंधकार को हटाकर उजियाला लाता है।


 

🎙यशायाह अध्याय 60 – महिमा और उजियाले का भविष्य
(Isaiah 60 – A Glorious Future of Light)

इस अध्याय में यशायाह हमें दिखाते हैं कि जब उद्धारकर्ता (मसीहा) आएगा, तो यरूशलेम (और परमेश्वर की प्रजा) पर महिमा और उजियाला चमकेगा।
यह अध्याय पूरी तरह आशा, बहाली (restoration), और परमेश्वर की शक्ति से भरा हुआ है।


📌 1-3 पद: “उठ, उजियाले में चमक!”

🔹उठ, चमक, क्योंकि तेरा उजियाला आ गया है, और यहोवा की महिमा तुझ पर उदय हुई है।”

👉 यह पद हमें बुलाता है – अब डर या अंधकार का समय नहीं है।

💡 भले दुनिया अंधकार से ढकी हो, लेकिन परमेश्वर की रोशनी उसके लोगों पर चमकती है।

👉 लोग उस उजियाले को देखकर परमेश्वर की ओर खिंचेंगे।


📌 4-9 पद: दूर देश से लोग लौटेंगे

  • तेरे बेटे दूर से आएँगे
  • तेरी बेटियाँ गोदी में लाई जाएँगी
  • समुद्र का धन, राष्ट्रों का वैभव तेरे पास आएगा

👉 यानी परमेश्वर की प्रजा एक बार फिर इकट्ठा होगी – और उनकी आर्थिक, सामाजिक बहाली होगी।

🔹वे सब शबा से आएंगे… और यहोवा की स्तुति का प्रचार करेंगे।” (पद 6)


📌 10-14 पद: राष्ट्र तेरी सेवा करेंगे

👉 परमेश्वर कहता है कि अजनबी तेरी दीवारें बनाएँगे, और राजा तेरी सेवा करेंगे।

  • तेरे फाटक दिन-रात खुले रहेंगे
  • राष्ट्र अपना वैभव लेकर आएंगे
  • जो तेरी सेवा नहीं करेगा, वह नाश हो जाएगा

🔹वे तुझे यहोवा का नगर कहेंगे – इस्राएल के पवित्र जन का सिय्योन।” (पद 14)

 , यह एक सुंदर भविष्यवाणी है उस समय की जब परमेश्वर की उपस्थिति में सब लोग आएँगे।


📌 15-18 पद: अपमान के बदले महिमा

🔹जहाँ तू त्याग दी गई और अप्रिय ठहरी थी… मैं तुझे अनन्त अभिमान और पीढ़ी दर पीढ़ी का हर्ष बनाऊँगा।”

👉 परमेश्वर वादा करता है कि तू फिर कभी अपमानित नहीं होगी।

  • तुझे सोने और चाँदी से सेवा दी जाएगी
  • तुझ पर अब शांति का राज्य होगा
  • उद्धार तेरी दीवारें होंगी, और स्तुति तेरे फाटक

📌 19-22 पद: यहोवा तेरा सनातन प्रकाश है

🔹अब न तो सूर्य दिन को तेरा उजियाला होगा… यहोवा तेरा सनातन प्रकाश और तेरा परमेश्वर तेरा तेज होगा।”

👉 इसका मतलब है कि तेरी रोशनी अब परमेश्वर खुद होगा।

💡 यह शब्द प्रकाशितवाक्य (Revelation) में भी दोहराए गए हैं – जब नई यरूशलेम आएगी।

🔹तेरा छोटा एक हजार हो जाएगा, और तेरा तुच्छ राष्ट्र बलवान होगा।”


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर के आने से अंधकार भाग जाता है – उजियाला और महिमा आती है।
  2. जो खो गया था, वह लौट आएगा – परमेश्वर की प्रजा फिर इकट्ठा होगी।
  3. अपमान के स्थान पर परमेश्वर महिमा देगा।
  4. परमेश्वर खुद हमारा प्रकाश बनेगा – सदा के लिए।

📖 याद रखने वाली आयत:

उठ, चमक, क्योंकि तेरा उजियाला आ गया है, और यहोवा की महिमा तुझ पर उदय हुई है।”
(यशायाह 60:1)


🎧 सरल संदेश:

जब तू अंधकार में हो, जब सब कुछ खोया हुआ लगे –
तो याद रखना, परमेश्वर का उजियाला तुझे उठाएगा।

👉 बस उठ, और उस पर विश्वास कर – तू अकेली नहीं है।

परमेश्वर कहता है – तू मेरी महिमा से चमकेगी।”


 

🎙यशायाह अध्याय 61 – उद्धार, चंगाई और restoration का संदेश
(Isaiah 61 – Message of Salvation, Healing, and Restoration)

यह अध्याय बहुत खास है – क्योंकि यीशु ने इसी अध्याय के पहले कुछ वचनों को पढ़कर बताया था कि ये भविष्यवाणी उनके बारे में पूरी हो रही है (लूका 4:18)
यह अध्याय बताता है कि मसीहा क्यों आएगा – और वह क्या करेगा।


📌 1-3 पद: परमेश्वर का आत्मा और मसीहा का मिशन

🔹प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि यहोवा ने मुझे अभिषिक्त किया है…”

👉 इस पद में मसीहा (यीशु) कहता है कि परमेश्वर ने उसे भेजा है:

  • गरीबों को शुभ समाचार देने
  • टूटा दिल चंगा करने
  • बंदियों को स्वतंत्र करने
  • विलाप करने वालों को आशा देने

🔹उन्हें राख के बदले शोभा, विलाप के बदले आनन्द का तेल, और भारी मन के बदले स्तुति का वस्त्र मिलेगा।”

💬 यानी वह हर दुख, शर्म और पाप को बदल देगा – खुशी और चंगाई में


📌 4-7 पद: बहाली और पुनर्निर्माण (Restoration)

🔹वे पुराने खंडहरों को फिर से बसाएँगे…”

👉 मसीहा की सेवा से लोग फिर से उठ खड़े होंगे।

  • टूटे हुए शहर फिर से बसेंगे
  • पराए लोग उनकी सेवा करेंगे
  • वे “यहोवा के याजक” और “हमारे परमेश्वर के सेवक” कहलाएँगे

🔹तुम्हें दोहरा भाग मिलेगा… और अनन्त आनन्द तुम्हारा भाग होगा।”

 , इसका मतलब है – परमेश्वर हमारा नुकसान भी लोटा देता है और उससे ज़्यादा भी देता है!


📌 8-9 पद: न्याय और करुणा

🔹मैं यहोवा न्याय को प्रेम करता हूँ… विश्वासयोग्य वाचा बाँधूँगा।”

👉 परमेश्वर न सिर्फ न्यायप्रिय है, बल्कि वह अपने लोगों से सच्चे प्रेम और वचनबद्धता रखता है।

  • उनकी संतानें आशीषित होंगी
  • सब राष्ट्र उन्हें पहचानेंगे

📌 10-11 पद: आनन्द और महिमा

🔹मैं यहोवा में हर्षित होऊँगा, मेरा मन मेरे परमेश्वर में मग्न रहेगा…”

👉 क्योंकि उसने हमें उद्धार और धर्म का वस्त्र पहनाया है – जैसे दूल्हा दुल्हन को सजाता है।

🔹जैसे पृथ्वी अंकुर निकालती है… वैसे ही यहोवा सब जातियों के सामने धर्म और स्तुति उत्पन्न करेगा।”


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. मसीहा का उद्देश्य है – चंगाई, मुक्ति और बहाली।
  2. वह हमें शर्म से छुड़ाता है, और आनन्द से भर देता है।
  3. परमेश्वर अपने लोगों के साथ विश्वासयोग्य वाचा करता है।
  4. उद्धार हमें महिमा, नया जीवन और नई पहचान देता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

राख के बदले शोभा, विलाप के बदले आनन्द का तेल, और भारी मन के बदले स्तुति का वस्त्र मिलेगा।”
(यशायाह 61:3)


 

🎙यशायाह अध्याय 62 – नई पहचान और उद्धार का आश्वासन
(Isaiah 62 – A Promise of New Identity and Salvation)

यह अध्याय परमेश्वर की गहरी इच्छा को दिखाता है – कि उसकी प्रजा को एक नई पहचान मिले, और वे फिर कभी शर्मिंदगी में न रहें। यह अध्याय बताता है कि परमेश्वर अपने लोगों के लिए कैसे उत्सुक और सजग है।


📌 1-5 पद: यरूशलेम को नई पहचान मिलती है

🔹मैं सिय्योन के कारण चुप न रहूँगा, और यरूशलेम के कारण विश्राम न करूँगा…”

👉 यशायाह कहता है – जब तक यरूशलेम (या परमेश्वर की प्रजा) का उद्धार सबको दिखाई न दे, तब तक वह चुप नहीं रहेगा।

🔹तू एक नया नाम पाएगी, जो यहोवा के मुख से निकलेगा।”

💡 परमेश्वर हमें नई पहचान देता है – जो हमारी पुरानी शर्म को मिटा देती है।

🔹तू यहोवा के हाथ में एक सुंदर मुकुट की नाईं होगी।”

👉 यानी हम उसके लिए अनमोल हैं – जैसे राजा का ताज।

🔹तू फिर न तो ‘त्यागी हुई’ कहलाएगी… बल्कि तुझे कहा जाएगा – ‘मेरी प्रसन्नता उसमें है’।”

 , ये कितना प्यारा है ना?
परमेश्वर कहता है – मैं तुझसे प्रसन्न हूँ।”

🔹जैसे दूल्हा दुल्हन से प्रसन्न होता है, वैसे ही तेरा परमेश्वर तुझसे प्रसन्न होगा।”


📌 6-9 पद: परमेश्वर की चौकसी और सुरक्षा

🔹हे यरूशलेम, मैं ने तेरी शहरपनाह पर चौकीदार ठहराए हैं…”

👉 परमेश्वर हर समय अपनी प्रजा की रक्षा करता है।
और वह चाहता है कि हम भी दिन-रात उसकी याद दिलाते रहें – जैसे प्रार्थना में।

🔹जब तक वह यरूशलेम को स्थिर कर के पृथ्वी पर प्रशंसा का कारण न बना दे…”

💬 यानी जब तक परमेश्वर अपनी योजना पूरी न कर दे, वह रुकेगा नहीं!


📌 10-12 पद: उद्धार का मार्ग तैयार करो

🔹फाटकों से होकर जाओ, मार्ग तैयार करो… ध्वजा खड़ी करो लोगों के लिये!”

👉 यह एक उत्सव का दृश्य है – जैसे कोई राजा आ रहा हो, और लोग उसकी राह साफ कर रहे हों।

🔹देखो, तेरा उद्धार आता है!”

🔹तू कहलाएगी – पवित्र प्रजा, यहोवा के द्वारा छुड़ाए हुए।”

👉 अब लोग तुझे देख कर कहेंगे – यह परमेश्वर की अपनी संतान है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर चाहता है कि हम नई पहचान में जिएं – शर्म और त्याग की नहीं, बल्कि आनन्द और सम्मान में।
  2. वह दिन-रात हमारी रक्षा और भलाई के लिए काम कर रहा है।
  3. हमें खुद को परमेश्वर की प्रिय के रूप में देखना चाहिए।
  4. उद्धार सिर्फ क्षमा नहीं – बल्कि सम्मान, सुरक्षा और प्रेमपूर्ण संबंध भी देता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

तू फिर ‘त्यागी हुई’ न कहलाएगी… तुझे कहा जाएगा – ‘मेरी प्रसन्नता उसमें है’। जैसे दूल्हा दुल्हन से प्रसन्न होता है, वैसे ही तेरा परमेश्वर तुझसे प्रसन्न होगा।”
(यशायाह 62:4-5)


 

🎙यशायाह अध्याय 63 – न्यायी उद्धारकर्ता और दुखी आत्मा की प्रार्थना
(Isaiah 63 – The Righteous Savior and a Cry of the Heart)

इस अध्याय में यशायाह दो बातों पर ध्यान देता है:

  1. परमेश्वर एक न्यायी और शक्तिशाली उद्धारकर्ता है।
  2. परमेश्वर की प्रजा, जो दुख और संकट में है, उससे करुणा की याचना करती है।

📌 1-6 पद: परमेश्वर – न्यायी उद्धारकर्ता

🔹एदोम से, बोसरा से, यह कौन आ रहा है – लाल वस्त्र पहने हुए, बड़ी शक्ति और प्रताप के साथ?”

👉 यह एक भविष्यवाणी है – जब परमेश्वर न्याय करने आएगा।
उसके वस्त्र लाल हैं जैसे अंगूर रौंदने से रंगे हुए हों।

🔹मैं अकेले ही अंगूर रौंदता था… और मेरा क्रोध उन पर बरसा।”

💡 यह परमेश्वर की पवित्र न्याय की तस्वीर है।
वह पापियों और उसके विरोधियों पर न्याय करेगा।

👉 लेकिन याद रखना, यह न्याय उनके लिए है जो उसके विरुद्ध खड़े हैं,
ना कि उन लोगों के लिए जो उससे प्रेम करते हैं।


📌 7-14 पद: परमेश्वर की करुणा और विश्वासयोग्यता की याद

🔹 यशायाह कहता है – “मैं यहोवा की करूणाओं का वर्णन करूंगा…”

👉 वह याद करता है कि परमेश्वर ने कैसे इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाया, उन्हें मार्ग दिखाया, और अपना पवित्र आत्मा उन्हें दिया।

🔹वह उनके सारे दुःखों में दुःखी हुआ…”
 , ये लाइन बहुत प्यारी है!
जब हम रोते हैं, परमेश्वर भी दुखी होता है

🔹उसने अपने प्रेम और करुणा से उन्हें छुड़ाया, उठाया और सारी उम्र उन्हें सँभाला।”


📌 15-19 पद: दुख में पुकार

🔹 अब यशायाह प्रजा की ओर से परमेश्वर से प्रार्थना करता है:

👉हे स्वर्ग की ऊंचाई से देख, और नीचे उतर!
कहाँ है तेरा जोश और करुणा?”

🔹तू हमारा पिता है… तू हमें क्यों भटका देता है?”

💡 यह एक टूटी हुई आत्मा की प्रार्थना है – जो महसूस करती है कि परमेश्वर दूर हो गया है, और अब वह चाहता है कि परमेश्वर फिर से निकट आए।

🔹काश तू आकर पहाड़ों को कांपाता!”

👉 ये मसीहा के आने और परमेश्वर की शक्ति के प्रकट होने की लालसा है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर न्याय करता है – पर अपने लोगों पर करुणा करता है।
  2. जब हम दुःखी होते हैं, वह हमारे साथ दुखी होता है।
  3. हम जब भी उससे दूर हो जाएँ, वह चाहता है कि हम फिर से लौटें और उससे प्रार्थना करें।
  4. परमेश्वर की पुरानी भलाईयों को याद करना हमारे विश्वास को मज़बूत करता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

उनके सब दुःखों में वह भी दुःखी हुआ, और अपने प्रेम और करुणा से उसने उन्हें छुड़ाया।”
(यशायाह 63:9)

 

 

 


 

🎙यशायाह अध्याय 64 – परमेश्वर की उपस्थिति के लिए पुकार
(Isaiah 64 – A Cry for God's Presence)

यह अध्याय पिछले अध्याय की प्रार्थना का ही विस्तार है। इसमें यशायाह और उसकी प्रजा परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं – "हे परमेश्वर, आओ, फिर से अपनी शक्ति दिखाओ, जैसे पहले दिखाते थे। हमें क्षमा करो और फिर से हमें नया बना दो।"


📌 1-5 पद: "हे परमेश्वर, काश तू आकर पहाड़ों को हिला देता!"

🔹हे कि तू आकाश को चीरकर उतर आता…”
👉 इसका मतलब है – हे परमेश्वर! तू इतनी महानता से आ कि जैसे पहाड़ काँपने लगें।

🔹 जैसे तू पहले आता था, जब तूने सीनै पर्वत पर प्रकट होकर आग और बिजली के साथ अपनी शक्ति दिखाई।

🔹तू ऐसा परमेश्वर है जो उन लोगों के लिए काम करता है जो तेरा इंतज़ार करते हैं…”

💡 यह हमें बताता है – परमेश्वर उनके लिए ज़रूर कुछ करता है जो उसे सच्चे मन से ढूंढते हैं।


📌 6-7 पद: हमारे पापों की सच्चाई

🔹हम सब अशुद्ध हो गए हैं… हमारे अच्छे काम गंदे कपड़ों के समान हैं।”

👉 यह बहुत सच्चा और विनम्र स्वीकार है।
यशायाह मानता है कि इंसान की अच्छाई भी परमेश्वर के सामने कुछ नहीं।

🔹कोई नहीं है जो तेरा नाम पुकारे या तुझ से चिपक जाए।”

💡 इस भाग में इंसान की आत्मिक हालत को दिखाया गया है – लोग परमेश्वर से दूर हो गए हैं।


📌 8-9 पद: हम मिट्टी हैं, तू कुम्हार है

🔹हे यहोवा, तू हमारा पिता है; हम मिट्टी हैं, तू हमारा कुम्हार है।”

👉 बहुत सुंदर बात – जैसे कुम्हार मिट्टी को आकार देता है, वैसे ही परमेश्वर हमें बना सकता है।

🔹हे यहोवा, अत्यंत क्रोधित मत हो; हमारे पापों को सदा याद न रख।”

💡 जब हम अपने पापों को मान लेते हैं, तो परमेश्वर क्षमा करने को तैयार होता है।


📌 10-12 पद: दुखद स्थिति और मदद की प्रार्थना

🔹 यशायाह परमेश्वर को याद दिलाता है कि कैसे उसका पवित्र नगर (यरूशलेम) उजाड़ हो गया है।

🔹क्या तू इन बातों को देखकर चुप रहेगा?”
👉 यह एक दर्दभरी पुकार है – “हे परमेश्वर, क्या तू बस देखता रहेगा? कुछ कर!”


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. जब हम टूटे हों, परमेश्वर से मदद माँग सकते हैं – वह सुनता है।
  2. हम चाहे कितने भी पापी क्यों न हों, अगर हम सच्चे दिल से लौटें – वह क्षमा करता है।
  3. हम परमेश्वर की मिट्टी हैं – वह हमें नया बना सकता है।
  4. परमेश्वर को बुलाना और उसकी महिमा को चाहना – ये सच्चे हृदय की पहचान है।

📖 याद रखने वाली आयत:

हे यहोवा, तू हमारा पिता है; हम मिट्टी हैं, तू हमारा कुम्हार है, और हम सब तेरे हाथ की बनाई हुई वस्तुएँ हैं।”
(यशायाह 64:8)


 

🎙यशायाह अध्याय 65 – परमेश्वर का उत्तर और नया आकाश-नई पृथ्वी का वादा
(Isaiah 65 – God's Reply and Promise of a New Heaven and Earth)

इस अध्याय में परमेश्वर यशायाह की प्रार्थना का जवाब देता है। वह कहता है – "मैं हमेशा से तैयार था, लेकिन लोगों ने मेरी बात नहीं मानी।" फिर वह बताता है कि जो लोग उसकी सुनते हैं, उनके लिए वह नई और अद्भुत चीज़ें तैयार कर रहा है।


📌 1-7 पद: परमेश्वर ने पुकारा, पर लोगों ने नहीं सुना

🔹मैं ने उन्हें खोजने वालों को उत्तर दिया, जो मुझे नहीं पूछते थे।”
👉 परमेश्वर कहता है – मैं खुद आगे बढ़कर लोगों के पास गया, लेकिन उन्होंने मुझे ठुकरा दिया।

🔹सारा दिन मैं अपने हाथ उन लोगों की ओर फैलाए रहा जो अपने ही विचारों पर चलते हैं।”
👉 परमेश्वर ने बहुत धैर्य रखा, लेकिन लोग ज़िद्दी और विरोधी रहे।

🔹 उन्होंने उसके खिलाफ पाप किए – मूर्तिपूजा की, अशुद्ध चीजें खाईं, और घमंड किया।

💡 परमेश्वर हर किसी को मौका देता है, लेकिन अगर लोग लगातार इनकार करते हैं, तो फिर न्याय आता है।


📌 8-10 पद: चुने हुए लोगों के लिए आशा

🔹 जैसे अंगूर की गुच्छी में कुछ अच्छा रस होता है, वैसे ही परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों को नाश नहीं करेगा।

👉 परमेश्वर कहता है – मैं अपने दासों के लिए आशीष बचाकर रखूँगा।

🔹शारोन मैदान भेड़ों का बाड़ा बनेगा, और अकोर घाटी गायों के लिए स्थान।”

💡 यह एक सुंदर तस्वीर है – शांति और समृद्धि की, जो परमेश्वर अपने विश्वासयोग्य लोगों को देगा।


📌 11-16 पद: अवज्ञा करने वालों को दंड

🔹 जो लोग परमेश्वर को छोड़ कर भाग्य और भाग्य-देवता की पूजा करते हैं – वे दंड पाएंगे।

🔹तुम भूखे रहोगे, लेकिन मेरे दास खाएँगे।”

👉 परमेश्वर का न्याय स्पष्ट है – जो उसकी सुनते हैं, उन्हें आशीर्वाद; जो नहीं सुनते, उन्हें दुख।


📌 17-25 पद: नया आकाश और नई पृथ्वी का वादा

🔹देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी बनाता हूँ।”
👉 यह अद्भुत वादा है – एक नई दुनिया जहाँ कोई रोना, दुख, या मौत नहीं होगी।

🔹 यरूशलेम फिर से खुशी और आनंद का स्थान बनेगा।

🔹वहाँ कोई छोटा बच्चा न मरेगा, न बूढ़ा अधूरा जीवन जिएगा।”

🔹 लोग अपने घर बनाएँगे, उसमें रहेंगे; अंगूर लगाएँगे और फल खाएँगे।

🔹भेड़ और सिंह एक साथ चरेंगे… कोई हानि न होगी, न कोई नाश।”

💡 यह परमेश्वर के राज्य की एक दिव्य झलक है – जहाँ सब कुछ पूर्ण और शांतिपूर्ण होगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर लगातार हमें बुलाता है – हमें उसकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
  2. जो लोग उसकी बात मानते हैं, उन्हें वह नई और अद्भुत चीज़ें देता है।
  3. परमेश्वर का न्याय और दया दोनों सच्चे हैं।
  4. नई पृथ्वी और नया आकाश” सिर्फ कल्पना नहीं है – यह परमेश्वर का वादा है।

📖 याद रखने वाली आयत:

देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी बनाता हूँ, और पिछली बातें स्मरण नहीं रहेंगी।”
(यशायाह 65:17)


 

🎙यशायाह अध्याय 66 – परमेश्वर का अंतिम संदेश और न्याय का दिन
(Isaiah 66 – The Final Message and Day of the Lord)

यह यशायाह की किताब का अंतिम अध्याय है। यहाँ परमेश्वर एक अंतिम चेतावनी देता है, और साथ ही आशा की एक चमक भी – वह एक नए यरूशलेम और उसकी महिमा की बात करता है। यह अध्याय न्याय और उद्धार दोनों का संतुलित चित्र है।


📌 1-2 पद: परमेश्वर को क्या पसंद है?

🔹स्वर्ग मेरी राजगद्दी है और पृथ्वी मेरे पाँव रखने की जगह।”

👉 परमेश्वर कहता है – "तुम मेरे लिए मंदिर बनाना चाहते हो? पूरी सृष्टि तो मेरी है!"

🔹मैं उसी व्यक्ति की ओर देखता हूँ जो नम्र, टूटा हुआ और मेरे वचन से डरनेवाला है।”

💡 परमेश्वर को बाहरी मंदिर नहीं, बल्कि विनम्र और आज्ञाकारी दिल चाहिए।


📌 3-6 पद: धार्मिकता बनाम दिखावा

🔹 लोग बलिदान देते हैं, पर उनका मन परमेश्वर से दूर है।

👉 उन्होंने धार्मिकता का दिखावा किया, लेकिन असल में उन्होंने परमेश्वर को ठुकराया।

🔹उन्होंने वह चुना जो मुझे अप्रिय था।”

💡 सच्ची भक्ति केवल दिखावे से नहीं होती – परमेश्वर दिल देखता है।


📌 7-13 पद: नया यरूशलेम और उसकी संतान

🔹 यरूशलेम को एक माँ की तरह दिखाया गया है – अचानक वह संतान को जन्म देती है।

👉 यह चित्र दिखाता है कि परमेश्वर बहुत जल्दी और चमत्कारी ढंग से अपने लोगों को बहाल करेगा।

🔹यरूशलेम के साथ आनन्द करो… जैसे कोई अपनी माँ से शांति और आराम पाता है।”

💡 परमेश्वर अपने लोगों को माँ के दूध और गोद जैसी शांति देगा।


📌 14-17 पद: प्रभु का न्याय

🔹प्रभु आग में आएगा… वह अपनी तलवार से न्याय करेगा।”

👉 परमेश्वर अब न्याय करेगा – जो उसके विरुद्ध हैं, वे नाश होंगे।

💡 यह भविष्यद्वाणी मसीहा की दूसरी वापसी (Second Coming) की ओर भी संकेत करती है।


📌 18-24 पद: सब राष्ट्रों के लिए उद्धार और चेतावनी

🔹 परमेश्वर सभी देशों और जातियों को इकट्ठा करेगा – वे उसकी महिमा देखेंगे।

🔹वे मेरे लिए याजक और लेवी बनाए जाएँगे।”

👉 अब उद्धार केवल इस्राएल के लिए नहीं, बल्कि हर देश, हर जाति के लिए है!

🔹नया आकाश और नई पृथ्वी… मेरे सम्मुख स्थिर रहेंगे।”

💡 यह वादा हमें आश्वस्त करता है कि परमेश्वर की योजना अनंत और अमिट है।

🔚 अंतिम आयत में चेतावनी है – जो परमेश्वर का विरोध करते हैं, उनका अंत बहुत दुखद होगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

  1. परमेश्वर को मंदिर नहीं, बल्कि नम्र और आज्ञाकारी दिल पसंद है।
  2. दिखावटी धर्म नहीं, सच्चा मन चाहिए।
  3. नया यरूशलेम – परमेश्वर का राज्य – बहुत जल्द और चमत्कारी ढंग से आएगा।
  4. न्याय और दया दोनों परमेश्वर के स्वभाव में हैं।
  5. उद्धार अब सभी जातियों के लिए खुला है – हर किसी के लिए रास्ता है।

📖 याद रखने वाली आयत:

स्वर्ग मेरी राजगद्दी है और पृथ्वी मेरे पाँव रखने की जगह… मैं उसी व्यक्ति की ओर देखता हूँ जो नम्र और मेरे वचन से डरनेवाला है।”
(यशायाह 66:1-2)