दानिय्येल की पुस्तक - हर अध्याय की व्याख्या | Book of Daniel All Chapters Explained in Hindi
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 1
(Book of Daniel – Chapter 1)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल और उनके तीन साथियों के जीवन की शुरुआत को
दर्शाता है, जब बेबीलोन साम्राज्य ने यरूशलेम पर आक्रमण किया
और उन्हें बंदी बना लिया। इस अध्याय में परमेश्वर के संरक्षण और दानियेल के दृढ़
विश्वास की परीक्षा होती है। यह हमें यह सिखाता है कि जब हम परमेश्वर पर विश्वास
रखते हैं, तो वह हमें हर कठिनाई से उबारता है और हमें
आशीर्वाद देता है।
🔹
1-2 पद: बेबीलोन का आक्रमण
बेबीलोन के राजा ने यरूशलेम पर आक्रमण किया और उसे अपने साम्राज्य
में शामिल कर लिया। यह सब परमेश्वर की इच्छा से हुआ, क्योंकि
इस्राएलियों ने उसका विश्वास नहीं किया था।
प्रतीक:
- बेबीलोन का आक्रमण — परमेश्वर के न्याय का संकेत, और उसकी योजना का
हिस्सा।
📜 सीख: कभी-कभी परमेश्वर की योजनाएँ हमारे समझ से परे होती हैं, लेकिन हम जानते हैं कि वह हमारे भले के लिए काम करता है।
🔹
3-7 पद: दानियेल और उनके साथी
राजा ने अपने दरबार के लिए सबसे अच्छे और होशियार युवाओं को चुना,
और दानियेल तथा उनके तीन साथियों को भी चुना गया। उन्हें बेबीलोन
की भाषा, आचार-व्यवहार और ज्ञान में प्रशिक्षित किया जाना
था। राजा ने उनके नाम बदल दिए:
- दानियेल को बेल्तशज्जार
- हन्नान्याह को शद्रक
- मिशाएल को मेशक
- अज़ार्याह को अबेद-नेगो
प्रतीक: - नए नाम — यह संस्कृति और विश्वास को बदलने का प्रयास था।
📖 सीख: हमारी पहचान को चुनौती दी जा सकती है, लेकिन जब हमारी आस्था मजबूत होती है, तो हम अपने विश्वासों पर अडिग रहते हैं।
🔹
8-16 पद: दानियेल का संकल्प
दानियेल ने यह संकल्प किया कि वह राजा के खाने और पीने से खुद को
अपवित्र नहीं करेगा, और उसने शाकाहारी आहार अपनाया। वह जानता
था कि यह आहार उसे शुद्ध रखेगा और परमेश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करेगा।
प्रतीक:
- संघर्ष और विश्वास — चाहे बाहरी दबाव हो, दानियेल ने अपने विश्वास
को बनाए रखा।
🍽️ सीख: जब हम अपनी आस्था के प्रति दृढ़ रहते हैं, तो परमेश्वर हमें आशीर्वाद और शक्ति देता है।
🔹
17-21 पद: परमेश्वर की आशीर्वाद और ज्ञान
परमेश्वर ने दानियेल और उनके साथियों को ज्ञान, समझ, और स्वप्नों के विवरण की समझ दी। वह बेबीलोन के
राजा के सामने अपने ज्ञान से प्रभावी हुए और राजा ने उन्हें उच्च पदों पर नियुक्त
किया।
प्रतीक:
- परमेश्वर का ज्ञान — जो लोग परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलते हैं, उन्हें
वह बुद्धिमत्ता और आशीर्वाद प्रदान करता है।
🎓 सीख: जब हम परमेश्वर के लिए खड़े होते हैं, तो वह हमें नेतृत्व और बुद्धिमत्ता का आशीर्वाद देता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर हमें अपनी आस्थाओं पर खड़ा होने की शक्ति देता है।
✝️
जब हम परमेश्वर के लिए खड़े रहते हैं, वह हमें
हर परिस्थिति में आशीर्वादित करता है।
✝️
परमेश्वर से प्राप्त ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है, और वह अपने वफादार सेवकों को यह आशीर्वाद देता है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"दानियेल ने यह संकल्प किया कि वह राजा के खाने और पीने से
अपवित्र नहीं होगा।"
(दानियेल 1:8)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 2
(Book of Daniel – Chapter 2)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रस्तुत करता
है, जब बेबीलोन के राजा, नबूकदनेस्सर ने एक भयावह स्वप्न देखा, जिसे कोई भी उसके दरबार
के ज्ञानी समझ नहीं पाए। दानियेल ने परमेश्वर की मदद से न केवल राजा के स्वप्न को
बताया, बल्कि उसका अर्थ भी समझाया। इस अध्याय में दानियेल की
ईश्वर पर विश्वास और बुद्धिमत्ता की परीक्षा होती है, और
परमेश्वर के महिमा और शक्ति का प्रदर्शन होता है।
🔹
1-3 पद: नबूकदनेस्सर का स्वप्न
बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर को एक स्वप्न आया, जिसने उसे भयभीत कर दिया। वह अपने सभी ज्ञानी, मायावी
और भविष्यवक्ताओं को बुलाकर स्वप्न का अर्थ जानने की कोशिश करता है, लेकिन कोई भी उसे संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया।
प्रतीक:
- स्वप्न — भविष्य की घटनाओं का संकेत, जिसे समझने के लिए
परमेश्वर का आशीर्वाद आवश्यक होता है।
📜 सीख: जब हम किसी बड़ी चुनौती का सामना करते हैं, तो हमें परमेश्वर की ओर देखना चाहिए, जो हमें सही दिशा दिखाता है।
🔹
4-13 पद: ज्ञानी लोगों की विफलता
राजा के आदेश पर, बाबिल के सभी ज्ञानी,
मायावी और भविष्यवक्ता स्वप्न का अर्थ बताने की कोशिश करते हैं,
लेकिन कोई भी उसे हल नहीं कर पाता। राजा क्रोधित होता है और सभी
ज्ञानी लोगों को मारने का आदेश देता है।
प्रतीक:
- ज्ञानी लोगों की विफलता
— मानव बुद्धि बिना परमेश्वर की सहायता के नकारात्मक होती है।
📖 सीख: हमारे प्रयासों में सफलता केवल परमेश्वर की सहायता से संभव है।
🔹
14-18 पद: दानियेल का आह्वान
दानियेल, जो स्वयं एक ज्ञानी था, स्वप्न के बारे में जानने के लिए राजा के पास जाता है। वह अपने तीन
साथियों, हन्नान्याह, मिशाएल,
और अज़ार्याह से प्रार्थना करता है कि परमेश्वर उन्हें
स्वप्न का अर्थ समझाए।
प्रतीक:
- दानियेल की प्रार्थना — परमेश्वर से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए समर्पण और विश्वास।
🕊️ सीख: जब हम किसी कठिन स्थिति का सामना करते हैं, हमें परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए, वह हमें सही मार्गदर्शन देगा।
🔹
19-23 पद: स्वप्न का रहस्योद्घाटन
रात को परमेश्वर ने दानियेल को राजा का स्वप्न और उसका अर्थ दिखाया।
दानियेल ने परमेश्वर की स्तुति की, क्योंकि वह एकमात्र है जो
रहस्यों को जानता है और उन्हें प्रकट करता है।
प्रतीक:
- रहस्योद्घाटन — परमेश्वर के द्वारा दिव्य ज्ञान का प्रदान करना।
🎓 सीख: परमेश्वर हमारे लिए हर कठिनाई का समाधान जानता है, और हमें उसकी महिमा में विश्वास रखना चाहिए।
🔹
24-30 पद: दानियेल का राजा को उत्तर देना
दानियेल राजा के पास जाता है और उसे स्वप्न का विवरण और उसका अर्थ
बताता है। वह बताता है कि स्वप्न एक विशाल मूर्तिकला का था, जिसमें
विभिन्न धातुओं से निर्मित भाग थे, जो विभिन्न साम्राज्यों
का प्रतिनिधित्व करते थे।
प्रतीक:
- विभिन्न धातुएं — विभिन्न राष्ट्रों और साम्राज्यों का प्रतीक।
📜 सीख: परमेश्वर ने भविष्यवाणियाँ दी हैं, जो समय के अनुसार पूरी होती हैं, और हमें उसकी योजनाओं पर विश्वास रखना चाहिए।
🔹
31-45 पद: मूर्तिकला का विवरण और उसका अर्थ
दानियेल राजा को समझाता है कि स्वप्न में दिखाई गई मूर्तिकला के
धातु भाग एक ही बड़े साम्राज्य के हिस्से हैं, जो समय के साथ
बदलते जाएंगे। यह सब परमेश्वर की इच्छा से होगा।
प्रतीक:
- धातुओं का टूटना — परमेश्वर का न्याय और उसकी सर्वशक्तिमानता का प्रदर्शन।
📖 सीख: कोई भी साम्राज्य परमेश्वर के सामने स्थायी नहीं है, और वह अपने साम्राज्य का निर्माण करता है।
🔹
46-49 पद: राजा का आशीर्वाद और दानियेल की पदोन्नति
राजा नबूकदनेस्सर दानियेल को सम्मानित करता है और उसे उच्च पद पर
नियुक्त करता है। राजा दानियेल के परमेश्वर को सच्चा और जीवित परमेश्वर मानता है।
दानियेल अपने तीन साथियों को भी उच्च पदों पर नियुक्त करता है।
प्रतीक:
- दानियेल का सम्मान — परमेश्वर द्वारा उसके विश्वास और धैर्य को पुरस्कृत करना।
👑 सीख: जब हम परमेश्वर के लिए खड़े रहते हैं, वह हमें आशीर्वाद और सम्मान प्रदान करता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर के पास हर सवाल का उत्तर है, और वह
हमें अपने मार्गदर्शन से आशीर्वादित करता है।
✝️
जीवन की कठिनाईयों में परमेश्वर की ओर मुड़ना और उससे मार्गदर्शन
प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण है।
✝️
परमेश्वर की योजनाएँ पूरी होती हैं, और हमें
उसके कार्यों पर विश्वास रखना चाहिए।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"राजा ने कहा, 'तुम्हारा परमेश्वर सच्चा
परमेश्वर है, जो रहस्यों को प्रकट करता है।'"
(दानियेल 2:47)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 3
(Book of Daniel – Chapter 3)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल के तीन साथियों शद्रक, मेशक, और अबेद-नेगो की परमेश्वर के प्रति
अपनी निष्ठा बनाए रखने की अद्वितीय परीक्षा को दर्शाता है। जब बेबीलोन के राजा
नबूकदनेस्सर ने एक विशाल सोने की मूर्ति स्थापित की और सभी को उसे पूजा करने का
आदेश दिया, तो दानियेल के तीन साथियों ने उसकी आज्ञा का पालन
करने से मना कर दिया। इस अध्याय में परमेश्वर की अद्भुत सुरक्षा और उन लोगों की
निष्ठा की महिमा है जो अपनी आस्था के लिए खड़े रहते हैं।
🔹
1-7 पद: नबूकदनेस्सर का आदेश
राजा नबूकदनेस्सर ने बेबीलोन में एक विशाल सोने की मूर्ति बनवाई और
सबको आदेश दिया कि जब शहनाई, वीणा और अन्य वाद्ययंत्र बजें,
तो सभी लोग उसे झुककर पूजा करें। जो व्यक्ति मूर्ति की पूजा नहीं
करेगा, उसे आग में जलाकर मार दिया जाएगा।
प्रतीक:
- सोने की मूर्ति — मूर्तिपूजा और धरती के साम्राज्य।
📜 सीख: जब लोग परमेश्वर को छोड़कर अन्य चीजों की पूजा करते हैं, तो वह उनका सत्य नहीं है। हमें अपनी आस्था और विश्वास पर दृढ़ रहना चाहिए।
🔹
8-12 पद: शद्रक, मेशक और अबेद-नेगो की
निष्ठा
जब संगीत बजने पर सभी लोग मूर्ति की पूजा करने के लिए झुके, तो शद्रक, मेशक और अबेद-नेगो ने अपने विश्वास में
दृढ़ रहते हुए मूर्ति की पूजा करने से मना कर दिया। वे जानते थे कि परमेश्वर के
अलावा कोई भी पूज्य नहीं है।
प्रतीक:
- मूर्ति की पूजा से इनकार
— अपनी आस्था के लिए बलिदान और सच्चाई के प्रति निष्ठा।
📖 सीख: हमारे विश्वास पर कोई दबाव डाल सकता है, लेकिन जब हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, तो वह हमारी रक्षा करता है।
🔹
13-18 पद: राजा का क्रोध और धमकी
राजा नबूकदनेस्सर को शद्रक, मेशक और अबेद-नेगो
का विरोध सहन नहीं हुआ और उसने उन्हें गर्म आग के तंदूर में डालने की धमकी दी।
लेकिन उन तीनों ने साफ तौर पर कहा कि वे अपनी निष्ठा से विचलित नहीं होंगे,
चाहे परमेश्वर उन्हें बचाए या नहीं।
प्रतीक:
- आग में फेंकने की धमकी — विश्वास की परीक्षा और निष्ठा के साथ खड़ा होना।
🔥 सीख: हमे परमेश्वर पर इतना विश्वास रखना चाहिए कि हम उसकी इच्छा के अनुसार जीवन जीने में डरें नहीं।
🔹
19-23 पद: आग में फेंका जाना
राजा के आदेश पर शद्रक, मेशक और अबेद-नेगो को
सात गुना गर्म तंदूर में फेंक दिया गया। आग इतनी गर्म थी कि तंदूर के पास खड़े लोग
ही जलकर मर गए। लेकिन परमेश्वर ने उन्हें बचाया, और वे बिना
जलें तंदूर से बाहर निकल आए।
प्रतीक:
- आग में न जलना — परमेश्वर की सुरक्षा और शक्ति।
🔥 सीख: जब हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, वह हमें हर कठिनाई से बचाता है और हमारी रक्षा करता है।
🔹
24-30 पद: नबूकदनेस्सर का आश्चर्य और आराधना
राजा नबूकदनेस्सर ने देखा कि शद्रक, मेशक और
अबेद-नेगो पूरी तरह से सुरक्षित बाहर आ गए, और आग ने उन्हें
कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। वह दंग रह गया और उसने परमेश्वर की महिमा का गान किया।
राजा ने आदेश दिया कि अब से कोई भी परमेश्वर की निंदा न करे, और शद्रक, मेशक और अबेद-नेगो को उनके विश्वास के
कारण उच्च पद दिए।
प्रतीक:
- राजा का विश्वास परिवर्तन
— परमेश्वर की महिमा का प्रकट होना।
👑 सीख: जब हम अपने विश्वास के लिए खड़े रहते हैं, तो परमेश्वर हमें आशीर्वाद देता है और उसकी महिमा सबके सामने प्रकट होती है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
अपनी आस्था के लिए खड़े रहना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन परमेश्वर हमेशा हमें अपने आशीर्वाद और सुरक्षा से समृद्ध करता है।
✝️
जब हम परमेश्वर के मार्गदर्शन में चलते हैं, तो
वह हमें हर संकट से उबारता है।
✝️
हमें अपनी आस्था में दृढ़ रहना चाहिए, भले ही
हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़े।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"हमारा परमेश्वर, जिसे हम सेवा करते हैं,
वह हमें बचाने में सक्षम है, और वह हमें तेरे
हाथ से बचाएगा, हे राजा!"
(दानियेल 3:17)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 4
(Book of Daniel – Chapter 4)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर के लिए एक
महत्वपूर्ण और चेतावनीपूर्ण अनुभव का वर्णन करता है। जब राजा ने अपने साम्राज्य की
महिमा और अपनी शक्ति का अहंकार किया, तब परमेश्वर ने उसे
मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया और उसे सात वर्षों तक पशु जैसा जीवन जीने का अनुभव
कराया। इस अध्याय में परमेश्वर की सर्वशक्तिमानता, न्याय,
और उद्धार की योजना को दर्शाया गया है। यह हमें यह सिखाता है कि
परमेश्वर के सामने किसी का अहंकार टिक नहीं सकता, और उसकी
इच्छा के अनुसार ही सभी चीजें घटित होती हैं।
🔹
1-3 पद: राजा का उद्घोषणा
राजा नबूकदनेस्सर ने एक उद्घोषणा की, जिसमें उसने
परमेश्वर की महिमा, उसकी शक्तियों और अद्भुत कार्यों का
गुणगान किया। वह बताता है कि परमेश्वर ने उसे बहुत सारी आशीर्वाद और समृद्धि दी
थी।
प्रतीक:
- राजा की उद्घोषणा — परमेश्वर के प्रति राजा का आभार और उसकी महिमा का साक्षात्कार।
📜 सीख: जब हम परमेश्वर की आशीर्वाद को पहचानते हैं और उसका आभार करते हैं, तो हम उसकी महिमा का हिस्सा बनते हैं।
🔹
4-18 पद: राजा का सपना
राजा नबूकदनेस्सर ने एक अजीब और भयावह सपना देखा, जिसमें उसने एक विशाल वृक्ष को देखा, जो पूरे पृथ्वी
पर फैला हुआ था और सभी जीवों के लिए आश्रय और भोजन प्रदान करता था। फिर एक आवाज़
आई, जिसने वृक्ष को काटने और उसकी शाखाओं को नष्ट करने का
आदेश दिया, लेकिन उसकी जड़ें बनी रहीं। राजा ने इस सपने का
अर्थ जानने के लिए दानियेल को बुलाया, क्योंकि वह जानता था
कि दानियेल को परमेश्वर से ज्ञान प्राप्त है।
प्रतीक:
- वृक्ष का सपना — साम्राज्य की महिमा और उसकी शक्ति का प्रतीक, जिसे
नष्ट कर दिया जाता है।
📖 सीख: हमारा साम्राज्य और शक्ति परमेश्वर के नियंत्रण में है, और जब हम अहंकार करते हैं, तो वह हमें हमारी स्थिति को पहचानने का अवसर देता है।
🔹
19-27 पद: दानियेल का व्याख्यान
दानियेल ने राजा के स्वप्न का अर्थ समझाया और कहा कि वह वृक्ष
नबूकदनेस्सर का प्रतीक है। परमेश्वर ने उसे साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि दी थी,
लेकिन राजा ने अहंकार किया और अपनी शक्ति का घमंड किया। दानियेल ने
राजा को चेतावनी दी कि यदि वह अपने कार्यों से पश्चाताप नहीं करेगा, तो वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाएगा और सात वर्षों तक पशु जैसा जीवन
जीने के लिए मजबूर होगा।
प्रतीक:
- दानियेल का व्याख्यान — परमेश्वर का संदेश और राजा के लिए चेतावनी।
🎓 सीख: जब हम अपनी गलतियों से पश्चाताप नहीं करते और परमेश्वर के मार्गदर्शन का पालन नहीं करते, तो हमें उसकी सजा का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह हमें फिर से ठीक करने के लिए तैयार है।
🔹
28-33 पद: नबूकदनेस्सर का पतन
हालाँकि राजा ने दानियेल की चेतावनी को अनदेखा किया, लेकिन एक वर्ष बाद वही हुआ, जैसा दानियेल ने बताया
था। राजा का अहंकार और गर्व उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त बना दिया और वह जंगल में
पशु जैसा जीवन जीने लगा।
प्रतीक:
- राजा का पतन — अहंकार का फल और परमेश्वर का न्याय।
📜 सीख: जब हम अपनी शक्ति और सफलता को अपने बल पर मानते हैं, तो परमेश्वर हमें याद दिलाता है कि वह सर्वोच्च है।
🔹
34-37 पद: राजा का उद्धार
सात वर्षों के बाद, राजा नबूकदनेस्सर ने
परमेश्वर की महिमा और शक्ति को पहचाना और अपने अहंकार से पश्चाताप किया। परमेश्वर
ने उसे मानसिक स्थिति में सुधार दिया और फिर से उसे उसकी महिमा और साम्राज्य
प्रदान किया। राजा ने परमेश्वर की सराहना की और उसका धन्यवाद किया।
प्रतीक:
- राजा का उद्धार — परमेश्वर की क्षमा और पुनर्स्थापना।
👑 सीख: जब हम सच्चे हृदय से परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं, तो वह हमें क्षमा करता है और हमारे जीवन को पुनर्स्थापित करता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
अहंकार से बचना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर के
सामने कोई भी शक्ति स्थायी नहीं है।
✝️
हमें अपनी स्थिति और सामर्थ्य को परमेश्वर की कृपा और आशीर्वाद के
रूप में देखना चाहिए।
✝️
परमेश्वर हमेशा हमें अपनी गलतियों से सीखने और अपने हृदय को सुधारने
का अवसर देता है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"अब मैं नबूकदनेस्सर, आकाश के परमेश्वर
की महिमा करता हूँ, जो परमेश्वर है, और
जो अपने मार्गों में न्यायी है।"
(दानियेल 4:37)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 5
(Book of Daniel – Chapter 5)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय बेबीलोन साम्राज्य के अंतिम दिनों का वर्णन करता है,
जब राजा बेल्शज्जार, नबूकदनेस्सर के
उत्तराधिकारी, ने परमेश्वर के खिलाफ अपमानजनक कार्य किए और
अपनी शक्ति का अहंकार किया। इस अध्याय में, एक असाधारण घटना
घटित होती है—राजा के महल में एक रहस्यमय हाथ आकर दीवार पर लिखता है, जो केवल दानियेल ही समझ सकते थे। यह घटना राजा की मूर्खता और परमेश्वर के
न्याय का प्रतीक है। इस अध्याय में परमेश्वर की न्यायिक शक्ति और उसके निर्णयों
की गंभीरता को दर्शाया गया है।
🔹
1-4 पद: बेल्शज्जार का महल में आयोजन
राजा बेल्शज्जार ने एक बड़ा आयोजन किया, जिसमें
उसने अपनी शाही दरबार को आमंत्रित किया और सोने-चांदी के पात्रों से पीने का आदेश
दिया। ये पात्र वे थे जो नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम के मन्दिर से लाकर अपने महल में
रखे थे। बेल्शज्जार ने इन पात्रों का उपयोग किया और परमेश्वर के अपमान में उनका
प्रयोग किया।
प्रतीक:
- पात्रों का अपमान — परमेश्वर के धार्मिक सामान का अपमान करना।
📜 सीख: हमें परमेश्वर की पवित्रता और उसकी वस्तुओं का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर उन चीजों की पवित्रता को पवित्र रखता है।
🔹
5-9 पद: रहस्यमय हाथ का लेखन
महल के भोज के दौरान, एक रहस्यमय हाथ दीवार पर
लिखा हुआ दिखाई दिया। लेख को देखकर राजा डर गया और उसकी आत्मा काँप उठी। उसने अपनी
सभी ज्ञानी, मायावी और भविष्यवक्ता बुलाए, लेकिन कोई भी इसका अर्थ नहीं समझ सका।
प्रतीक:
- लेखन — परमेश्वर का संदेश और उसका न्याय।
🖋️ सीख: जब परमेश्वर का संदेश आता है, तो वह सभी को प्रभावित करता है, लेकिन केवल वह व्यक्ति जो परमेश्वर के पास होता है, उसे समझ सकता है।
🔹
10-12 पद: दानियेल का आह्वान
राजा की माँ ने उसे याद दिलाया कि दानियेल, जिसे
पहले नबूकदनेस्सर ने उच्च पद पर नियुक्त किया था, परमेश्वर
के साथ संबंध रखने वाला एक व्यक्ति था और उसे ऐसे रहस्यों को समझने का आशीर्वाद
मिला था। राजा ने दानियेल को बुलाया।
प्रतीक:
- दानियेल का आह्वान — परमेश्वर से ज्ञान प्राप्त करने के लिए उस पर विश्वास करना।
📖 सीख: परमेश्वर का ज्ञान केवल उसके विश्वासी सेवकों को ही प्राप्त होता है, जो उसकी इच्छा के अनुसार चलते हैं।
🔹
13-16 पद: दानियेल का महल में प्रवेश
दानियेल को बुलाया गया और राजा ने उसे प्रस्ताव दिया कि यदि वह लेख
का अर्थ समझाए, तो उसे उच्च सम्मान मिलेगा। राजा ने उसे सोने
की चेन, शाही वस्त्र, और एक उच्च पद
देने का वचन दिया।
प्रतीक:
- सोने की चेन और उच्च पद
— बाहरी सम्मान और शक्ति।
🎓 सीख: परमेश्वर का ज्ञान और सत्य किसी भी बाहरी सम्मान से अधिक मूल्यवान है, और उसे केवल परमेश्वर से ही प्राप्त किया जा सकता है।
🔹
17-24 पद: दानियेल का उत्तर
दानियेल ने राजा को समझाया कि उसने नबूकदनेस्सर के अनुभवों से सीखने
का प्रयास नहीं किया और परमेश्वर के खिलाफ घमंड किया। दानियेल ने राजा से कहा कि
वह परमेश्वर के न्याय से बचने का प्रयास नहीं कर सकता।
प्रतीक:
- दानियेल का शब्द — परमेश्वर के न्याय का सही समय पर उद्घाटन।
📜 सीख: जब हम परमेश्वर के विरुद्ध अपमान करते हैं, तो उसका न्याय हम पर आता है, लेकिन परमेश्वर हमें हमेशा चेतावनी देता है।
🔹
25-28 पद: लेख का अर्थ
दानियेल ने दीवार पर लिखे गए शब्दों का अर्थ बताया:
- मिनि — परमेश्वर ने तेरे साम्राज्य की गिनती की है और उसे समाप्त कर दिया
है।
- तेकेल — तू तौला गया है और वजन में हल्का पाया गया है।
- परसिन — तेरे साम्राज्य को दो भागों में बाँट दिया जाएगा और मीडो-फारसी
साम्राज्य को दे दिया जाएगा।
प्रतीक: - लेख का अर्थ — परमेश्वर का न्याय और साम्राज्य का पतन।
📜 सीख: परमेश्वर की न्यायिक योजना पूरी होती है, और जब वह किसी को गिराता है, तो उसकी इच्छा पूरी होती है।
🔹
29-31 पद: बेल्शज्जार की मृत्यु और साम्राज्य का पतन
राजा बेल्शज्जार ने दानियेल को उच्च पद पर नियुक्त किया, लेकिन उसी रात मीडो-फारसी साम्राज्य ने बेबीलोन पर आक्रमण किया और
बेल्शज्जार की मृत्यु हो गई।
प्रतीक:
- राजा का पतन — परमेश्वर के न्याय का अंतिम कार्य।
⚖️ सीख: परमेश्वर के न्याय से बचना असंभव है, और वह किसी भी घमंडी व्यक्ति को नष्ट कर सकता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर के खिलाफ अपमान करना और अहंकार करना उसकी न्यायिक योजना को
आमंत्रित करता है।
✝️
परमेश्वर का न्याय अंततः होता है, और उसका
मार्गदर्शन और चेतावनी हमें समझने के लिए मिलती है।
✝️
हमें परमेश्वर के सामने विनम्र रहना चाहिए, क्योंकि
उसका न्याय कभी नहीं चूकता।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"तेरी मूर्खता का अंत हो चुका है, और
परमेश्वर ने तेरे साम्राज्य को समाप्त कर दिया है।"
(दानियेल 5:26)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 6
(Book of Daniel – Chapter 6)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल की अडिग आस्था और परमेश्वर के प्रति निष्ठा को
दर्शाता है, जब उसे दारा के साम्राज्य में उसके
शत्रुओं द्वारा साजिश के तहत शेरों की गुफा में फेंक दिया गया। दानियेल ने
परमेश्वर के साथ अपनी गहरी आस्था को कभी नहीं छोड़ा, चाहे
उसके लिए जान का खतरा हो। इस अध्याय में परमेश्वर की सुरक्षा और उन लोगों की विजय
की कहानी है, जो अपनी आस्था में दृढ़ रहते हैं। यह अध्याय
हमें यह सिखाता है कि परमेश्वर अपने वफादार सेवकों की रक्षा करता है और उनका
मार्गदर्शन करता है, चाहे वे कितनी भी कठिनाइयों का सामना
करें।
🔹
1-5 पद: दारा का साम्राज्य और दानियेल का स्थान
दानियेल अब मीडो-फारसी साम्राज्य में उच्च पद पर था, और दारा ने उसे अपने साम्राज्य में तीसरा सर्वोच्च अधिकारी नियुक्त किया।
इसके कारण, दानियेल के विरोधी उसकी बढ़ती हुई प्रतिष्ठा से
जलने लगे और उन्होंने साजिश रची कि दानियेल को फँसाया जाए।
प्रतीक:
- दानियेल का उच्च पद — परमेश्वर की कृपा और उसकी सेवा में प्रगति।
📜 सीख: जब हम अपने कार्यों में परमेश्वर का मार्गदर्शन लेते हैं, तो वह हमें सफलता और सम्मान देता है, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इसके कारण हमें विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है।
🔹
6-9 पद: साजिश और राजसी आदेश
दानियेल के शत्रुओं ने दारा से एक ऐसा आदेश जारी करने का अनुरोध
किया, जिसमें किसी भी व्यक्ति को 30 दिन
तक केवल राजा के अलावा किसी अन्य देवता या व्यक्ति से प्रार्थना करने की अनुमति न
हो। राजा ने बिना सोचे-समझे उस आदेश को मंजूरी दी, जो केवल
दानियेल को फंसाने के लिए था।
प्रतीक:
- साजिश — दुनिया की योजनाओं से विश्वासियों को फंसाने का प्रयास।
📖 सीख: कभी-कभी हमें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन हम जानते हैं कि परमेश्वर हमारे पक्ष में है और वह हमें हर साजिश से उबारता है।
🔹
10-13 पद: दानियेल की निष्ठा
जब दानियेल को यह आदेश पता चला, तो उसने न
घबराते हुए, अपने घर में खिड़की खोल दी और पहले की तरह
प्रार्थना करना जारी रखा। वह जानता था कि यह उसकी आस्था और विश्वास का परीक्षण है,
और उसने परमेश्वर से अपनी निष्ठा बनाए रखी।
प्रतीक:
- दानियेल की निष्ठा — विश्वास में दृढ़ रहना, चाहे परिस्थिति कैसी भी
हो।
🕊️ सीख: हमें अपनी आस्था और विश्वास को कभी नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे हमें किसी भी स्थिति का सामना क्यों न करना पड़े।
🔹
14-15 पद: राजा का अफसोस
जब राजा ने देखा कि दानियेल ने आदेश का उल्लंघन किया, तो वह बहुत दुखी हुआ। उसे समझ में आ गया कि उसे एक धोखा दिया गया था,
लेकिन वह अपनी स्थिति को बदल नहीं सकता था, क्योंकि
आदेश को रद्द नहीं किया जा सकता था।
प्रतीक:
- राजा का अफसोस — जब सत्ता और आदेश का पालन करना हमें परमेश्वर के कार्यों से टकराता
है।
📜 सीख: कभी-कभी हमें ऐसे निर्णयों का सामना करना पड़ता है जो हमारे विश्वास के विपरीत होते हैं, लेकिन हमें परमेश्वर की इच्छा के अनुसार खड़ा होना चाहिए।
🔹
16-18 पद: दानियेल को शेरों की गुफा में डालना
राजा ने आदेश दिया कि दानियेल को शेरों की गुफा में डाला जाए,
जैसा कि आदेश था। राजा ने दानियेल से कहा कि उसका परमेश्वर उसे
बचाए। राजा पूरे दिन दुखी था, और रात भर बिना खाना खाए
व्यतीत की।
प्रतीक:
- शेरों की गुफा — विश्वासियों के लिए परीक्षण और परमेश्वर की शक्ति की परीक्षा।
🔥 सीख: जब हम अपनी आस्था में खड़े रहते हैं, तो परमेश्वर हमें हमारी कठिनाइयों से उबारता है और हमें रक्षा प्रदान करता है।
🔹
19-23 पद: दानियेल का बचना
अगली सुबह राजा दौड़ा-दौड़ा शेरों की गुफा के पास पहुँचा और दानियेल
से पूछा कि क्या परमेश्वर ने उसे बचाया। दानियेल ने उत्तर दिया कि परमेश्वर ने उसे
शेरों से बचाया, क्योंकि वह निर्दोष था और उसने परमेश्वर के
खिलाफ कोई अपराध नहीं किया था।
प्रतीक:
- दानियेल का बचना — परमेश्वर की सुरक्षा और उसके न्याय में विश्वास।
🎓 सीख: जब हम ईमानदारी और निष्ठा से परमेश्वर की सेवा करते हैं, तो वह हमें बचाता है और हमारी रक्षा करता है।
🔹
24-28 पद: शत्रुओं का दंड और राजा का आशीर्वाद
राजा ने दानियेल के शत्रुओं को शेरों की गुफा में डलवाया, और वे शेरों के द्वारा तुरंत नष्ट कर दिए गए। राजा ने फिर दानियेल के
परमेश्वर की महिमा का गान किया और पूरे साम्राज्य में दानियेल के परमेश्वर की पूजा
करने का आदेश दिया।
प्रतीक:
- शत्रुओं का दंड — परमेश्वर का न्याय और विश्वासियों की विजय।
👑 सीख: परमेश्वर के सेवक जो अपनी आस्था में दृढ़ रहते हैं, अंत में विजयी होते हैं, जबकि उनके शत्रु परमेश्वर के न्याय का सामना करते हैं।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
हमें कभी भी अपनी आस्था से समझौता नहीं करना चाहिए, चाहे हमें किसी भी संकट का सामना करना पड़े।
✝️
परमेश्वर हमेशा हमें हमारी कठिनाइयों में बचाता है, यदि हम उसकी निष्ठा से सेवा करते हैं।
✝️
परमेश्वर का न्याय सच्चा और समय पर होता है, और
जो लोग उसकी इच्छा के अनुसार चलते हैं, वे अंत में विजयी
होते हैं।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"मेरा परमेश्वर, जिसे मैं सेवा करता हूँ,
उसने मुझे शेरों के मुंह से बचाया।"
(दानियेल 6:22)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 7
(Book of Daniel – Chapter 7)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल के दृष्टान्तों और भविष्यवाणियों का वर्णन करता
है। इसमें दानियेल ने चार भयंकर प्राणियों को देखा, जो
पृथ्वी पर आने वाले चार साम्राज्यों का प्रतीक थे। इसके साथ ही, परमेश्वर के शाश्वत राज्य और मसीह के आगमन का भविष्यवाणी भी की गई है। यह
अध्याय परमेश्वर के न्याय, उसके राज्य की स्थिरता और अंतिम
विजय का संदेश देता है। इस अध्याय में दानियेल को दिखाए गए ये दृश्य उसके बाद आने
वाले समय की घटनाओं और परमेश्वर की योजना को दर्शाते हैं।
🔹
1-2 पद: दानियेल का सपना
दानियेल ने रात्रि में एक स्वप्न देखा जिसमें आकाश में चार
प्राणियों का दृश्य था। पहले प्राणी ने खुद को भूमि से उभारते हुए देखा, और यह चार प्राणी चार अलग-अलग साम्राज्यों का प्रतीक थे।
प्रतीक:
- चार प्राणी — पृथ्वी पर आने वाले चार साम्राज्य।
📜 सीख: भविष्यवाणियाँ परमेश्वर के दिव्य दृष्टिकोण और उसकी योजना का हिस्सा होती हैं, जो समय के साथ प्रकट होती हैं।
🔹
3-7 पद: चार प्राणियों का वर्णन
दानियेल ने चार प्राणियों को देखा:
- पहला प्राणी — एक शेर जैसा, जो एक बाज़ के पंखों वाला था।
- दूसरा प्राणी — एक भालू जैसा, जो एक तरफ़ झुका हुआ था और उसके
मुँह में तीन हड्डियाँ थीं।
- तीसरा प्राणी — एक तेंदुआ जैसा, जिसके चार पंख और चार सिर थे।
- चौथा प्राणी — अत्यधिक भयंकर और शक्तिशाली था, उसके दांत लोहे
के थे और उसके पैरों में लोहे की कीलें थीं, जो अन्य
प्राणियों से अलग था।
प्रतीक:
- प्राणी — यह चार प्राणी चार विश्व साम्राज्यों के प्रतीक थे, जो बारी-बारी से प्रभुत्व में आएंगे।
📖 सीख: परमेश्वर का कार्य समय के साथ होता है, और ये साम्राज्य उसकी योजना का हिस्सा होते हैं, जो समय के हिसाब से उभरते और समाप्त होते हैं।
🔹
8-14 पद: परमेश्वर का न्याय और मसीह का राज्य
दानियेल ने देखा कि चौथे प्राणी का एक सिर हटाया गया, और फिर एक "मनुष्य का पुत्र" आया, जिसे
आकाश से परमेश्वर ने आशीर्वाद दिया और उसे शाश्वत राज्य दिया। यह मनुष्य का पुत्र
मसीह का प्रतीक था, जो परमेश्वर के न्याय में राजा के रूप
में आएगा।
प्रतीक:
- मनुष्य का पुत्र — मसीह की भविष्यवाणी, जो परमेश्वर का न्याय
स्थापित करेगा और शाश्वत राज्य लाएगा।
👑 सीख: परमेश्वर का राज्य कभी नष्ट नहीं होगा, और मसीह का राज्य शाश्वत रहेगा।
🔹
15-18 पद: दानियेल का डर और देवदूत का उत्तर
दानियेल ने जो दृश्य देखा, उससे वह घबराया और
डर गया। वह देवदूत से इसका अर्थ जानने के लिए पूछा, और
देवदूत ने उसे यह समझाया कि ये चार प्राणी चार बड़े साम्राज्यों का प्रतीक हैं,
जिनका अंत परमेश्वर के न्याय से होगा।
प्रतीक:
- दानियेल का डर — परमेश्वर के रहस्यों और उसके कार्यों की गंभीरता को समझना।
📜 सीख: परमेश्वर की योजना गहरी और महान होती है, जिसे समझने के लिए हमें श्रद्धा और विवेक की आवश्यकता होती है।
🔹
19-22 पद: चौथे प्राणी का न्याय और परमेश्वर का राज्य
दानियेल ने देखा कि चौथे प्राणी का न्याय हुआ, और उसे नष्ट कर दिया गया। तब परमेश्वर का न्याय सामने आया, और मनुष्य के पुत्र ने राज किया। यह परमेश्वर के न्याय की स्थापना को
दर्शाता है।
प्रतीक:
- चौथे प्राणी का न्याय — परमेश्वर का न्याय और सभी अधर्मियों का नाश।
⚖️ सीख: परमेश्वर के न्याय से कोई बच नहीं सकता, और उसका न्याय पूरी पृथ्वी पर फैलेगा।
🔹
23-27 पद: परमेश्वर का अंतिम न्याय और मसीह का राज्य
देवदूत ने दानियेल को समझाया कि चार प्राणी चार महान साम्राज्यों के
रूप में पृथ्वी पर आयेंगे, लेकिन अंत में परमेश्वर का राज्य
सबको ले लेगा। परमेश्वर का राज्य शाश्वत रहेगा, और मसीह का
राज पूरी पृथ्वी पर होगा। यह न्याय का समय होगा, और परमेश्वर
अपने शरणागतों को शाश्वत राज्य देगा।
प्रतीक:
- परमेश्वर का शाश्वत राज्य
— परमेश्वर का न्याय, सत्य और उसकी विजय।
👑 सीख: परमेश्वर का राज्य शाश्वत और अद्वितीय है, जो कभी समाप्त नहीं होगा, और मसीह का राज उसके आशीर्वाद से भरा होगा।
🔹
28 पद: दानियेल का अनुभव
यह सब सुनकर दानियेल बहुत भयभीत हो गया और उसने इन बातों को अपने मन
में रखा।
प्रतीक:
- दानियेल का भय — परमेश्वर के रहस्यों की महानता और उनका गंभीर प्रभाव।
📖 सीख: जब हम परमेश्वर की योजना और उसके कार्यों को समझते हैं, तो हमें उसकी महानता और उसकी शक्ति को समझकर विनम्र होना चाहिए।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर का न्याय शाश्वत है, और जो उसे मानते
हैं, उनका राज्य हमेशा के लिए रहेगा।
✝️
मसीह का राज्य अंततः परमेश्वर की विजय और न्याय की स्थापना करेगा।
✝️
परमेश्वर की योजना और कार्य कभी नहीं थमता और वह अपनी योजनाओं को
समय पर पूरी करता है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"और उसके राज का कोई अंत नहीं होगा।"
(दानियेल 7:14)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 8
(Book of Daniel – Chapter 8)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल के दूसरे दृष्टान्त का वर्णन करता है, जिसमें उसने एक गिरने वाले बकरा और एक शक्तिशाली उल्लू के रूप में
भविष्यवाणियाँ देखीं। यह दृष्टान्त भविष्य में आने वाले दो साम्राज्य, मिडो-पर्सिया और यूनान के बारे में था,
और कैसे उनका संघर्ष परमेश्वर के उद्देश्यों के खिलाफ होगा। इस अध्याय
में दानियेल को परमेश्वर के द्वारा दी गई भविष्यवाणियों का अर्थ समझने की कठिनाई
होती है, और अंततः एक देवदूत उसे इन रहस्यों का अर्थ समझाता
है। यह अध्याय परमेश्वर की योजना, उसके न्याय और उसके
कार्यों की महानता को दर्शाता है।
🔹
1-2 पद: दानियेल का दृष्टान्त और स्थान
दानियेल ने अपने दृष्टान्त में देखा कि वह शुशान के किले में
था, जो मदीया साम्राज्य का मुख्यालय था। वहां उसने एक बकरा
देखा, जो अपने सींगों के साथ पश्चात दिशा में बढ़ रहा था।
प्रतीक:
- शुशान का किला — मदीया और फारसी साम्राज्य के भविष्य की प्रतीकता।
📜 सीख: परमेश्वर के दृष्टान्त उसके आशीर्वाद, योजनाओं और साम्राज्य की भविष्यवाणी करते हैं, जो समय के अनुसार पूरे होंगे।
🔹
3-4 पद: बकरा का दृष्टान्त
दानियेल ने देखा कि बकरा पश्चिम की ओर, उत्तर
की ओर और दक्षिण की ओर बढ़ता गया, और उसने कोई भी प्रतिरोध
नहीं झेला। यह बकरा बहुत तेज़ था, और उसके दो सींग थे।
प्रतीक:
- बकरा — यूनानी साम्राज्य, जो एक शक्तिशाली साम्राज्य
के रूप में उभरेगा।
📖 सीख: किसी भी साम्राज्य को परमेश्वर के नियंत्रण से बाहर नहीं छोड़ा जाता, और उसका मार्गदर्शन हर समय होता है।
🔹
5-8 पद: बकरा का आक्रमण और उसका पतन
दानियेल ने देखा कि बकरा एक बहुत ही शक्तिशाली प्राणी था, और उसने एक बड़े राक्षस को नष्ट कर दिया। लेकिन फिर, बकरा का एक बड़ा सींग गिर गया, और उसकी जगह पर चार
छोटे सींग उभरे।
प्रतीक:
- बड़े सींग का गिरना
— यूनानी साम्राज्य के नेतृत्व की मृत्यु
और इसके बाद चार प्रमुख शाखाओं का उभरना।
⚖️ सीख: साम्राज्य और शक्तियों का उत्थान और पतन परमेश्वर की इच्छा और योजना के तहत होता है।
🔹
9-14 पद: छोटे सींग का उभरना
दानियेल ने देखा कि एक छोटा सा सींग उभरा, जो
पृथ्वी के चारों कोनों की ओर बढ़ा और परमेश्वर के शाश्वत धार्मिक कार्यों को नष्ट
करने की कोशिश करता है। यह सींग, जिसका सामना किसी भी शक्ति
से नहीं होता, परमेश्वर की व्यवस्था और न्याय में हस्तक्षेप
करने की कोशिश करता है।
प्रतीक:
- छोटा सींग — एंटियोकस एपिफेनेस, एक महान अत्याचारी और
विरोधी मसीह का प्रतीक, जो परमेश्वर के लोगों के खिलाफ
अत्याचार करेगा।
📜 सीख: हमें याद रखना चाहिए कि परमेश्वर के लोग हमेशा युद्ध और शत्रुता का सामना करेंगे, लेकिन परमेश्वर अंततः न्याय करेगा।
🔹
15-19 पद: दानियेल का आक्रांत होना और देवदूत का आगमन
दानियेल ने इस दृष्टान्त का अर्थ जानने के लिए संघर्ष किया, और तब एक देवदूत, गैब्रियल, उसके पास आया और उसने दृष्टान्त का अर्थ समझाया। देवदूत ने उसे बताया कि
यह दृष्टान्त अंतिम समय और भविष्य के सम्राटों के बारे में है।
प्रतीक:
- गैब्रियल का आगमन — परमेश्वर का संदेशवाहक और उसकी योजना का स्पष्टता से उद्घाटन।
🕊️ सीख: जब हमें परमेश्वर की योजना और उद्देश्यों को समझने में कठिनाई होती है, तो वह हमें सही मार्गदर्शन देने के लिए अपने दूतों को भेजता है।
🔹
20-22 पद: यूनानी साम्राज्य और एंटियोकस का चित्रण
गैब्रियल ने दानियेल को बताया कि बकरा यूनानी साम्राज्य और उसका
महान नेता अलेक्जेंडर है। जब अलेक्जेंडर की मृत्यु हुई, तो चार विभाजन उत्पन्न हुए, और उनमें से एक विभाजन,
एंटियोकस एपिफेनेस, बहुत बड़ा अत्याचारी बना,
जो परमेश्वर के लोगों के खिलाफ खड़ा हुआ।
प्रतीक:
- चार विभाजन — यूनानी साम्राज्य का विभाजन और एंटियोकस का अत्याचार।
📖 सीख: परमेश्वर की योजना पूरी होती है, और उसके निर्णयों के अनुसार दुनिया में परिवर्तन होता है।
🔹
23-26 पद: एंटियोकस का अत्याचार और परमेश्वर का न्याय
गैब्रियल ने बताया कि एंटियोकस ने परमेश्वर के मंदिर में अपवित्रता
फैलाने और शुद्धता को नष्ट करने की योजना बनाई थी। लेकिन अंत में परमेश्वर उसका
न्याय करेगा, और उसका साम्राज्य समाप्त हो जाएगा।
प्रतीक:
- एंटियोकस का अत्याचार — धार्मिकता का विरोध और परमेश्वर के न्याय का प्रतीक।
⚖️ सीख: परमेश्वर के न्याय का समय हमेशा निश्चित होता है, और वह अपने विश्वासियों की रक्षा करता है।
🔹
27-28 पद: दानियेल का शोक और भविष्य की घटनाएँ
दानियेल ने गैब्रियल से समझने के बाद गहरे शोक और दुःख का अनुभव
किया, क्योंकि उसे यह सब सच जानने के बावजूद अपनी समझ में
पूर्णता नहीं मिली। लेकिन गैब्रियल ने उसे यह बताया कि यह सब परमेश्वर की योजना के
अनुसार होगा, और उसे यह बातें समझने के लिए एक निश्चित समय
तक इंतजार करना होगा।
प्रतीक:
- दानियेल का शोक — भविष्य के रहस्यों और परमेश्वर की योजना की गंभीरता को समझना।
📜 सीख: परमेश्वर की योजनाओं को समझने में समय और धैर्य की आवश्यकता होती है, लेकिन वह अंत में हमें सही समय पर सब कुछ दिखाता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर की योजना और उसके कार्य हमारी समझ से परे हो सकते हैं,
लेकिन वह हमें समय के साथ समझाने और स्पष्ट करने के लिए मार्गदर्शन
देता है।
✝️
हमें हमेशा परमेश्वर पर विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि
उसके न्याय और आशीर्वाद शाश्वत होते हैं।
✝️
चाहे हमें जो भी परिस्थितियाँ मिलें, परमेश्वर
अंत में अपने लोगों की रक्षा करेगा और न्याय करेगा।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"परमेश्वर की योजना अडिग और निश्चित है, और
उसका न्याय सभी साम्राज्यों और शक्तियों के खिलाफ खड़ा रहेगा।"
(दानियेल 8:25)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 9
(Book of Daniel – Chapter 9)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल की गहरी प्रार्थना और परमेश्वर से अनुरोध का
वर्णन करता है। दानियेल ने यरूशलेम के विध्वंस के बाद के समय में परमेश्वर से अपने
लोगों के लिए क्षमा और उद्धार की प्रार्थना की। इस अध्याय में परमेश्वर की अद्भुत
वचनबद्धता, उसकी करुणा और उसके न्याय का उद्घाटन होता है।
साथ ही, दानियेल को परमेश्वर द्वारा दिए गए 70 सप्ताहों की भविष्यवाणी के बारे में भी बताया
जाता है, जो मसीह के आगमन, उसके बलिदान
और भविष्य के न्याय के बारे में है।
🔹
1-2 पद: दानियेल की प्रार्थना की तैयारी
दानियेल ने यरमियाह की पुस्तक से पढ़ा कि यरूशलेम की बर्बादी
70 वर्षों तक होगी। इस जानकारियों के आधार पर, दानियेल ने परमेश्वर से प्रार्थना करना शुरू किया और यह महसूस किया कि वह
और उसका पूरा राष्ट्र परमेश्वर के सामने पापी हैं।
प्रतीक:
- 70
वर्षों की भविष्यवाणी
— परमेश्वर का न्याय और पुनर्स्थापना का समय।
📜 सीख: परमेश्वर के वचनों को समझने के बाद, हम अपनी प्रार्थनाओं में परमेश्वर की इच्छा के अनुसार काम कर सकते हैं।
🔹
3-19 पद: दानियेल की प्रार्थना
दानियेल ने गहरी प्रार्थना की, जिसमें उसने
परमेश्वर के पवित्र नाम को सम्मानित किया और अपने पापों के लिए पश्चाताप किया।
उसने परमेश्वर से अनुरोध किया कि वह अपनी करुणा और दया से इस्राएल के लोगों को
छुटकारा दे और यरूशलेम को फिर से बनाए।
प्रतीक:
- दानियेल का पश्चाताप — विनम्रता, पापों का स्वीकार और परमेश्वर से
क्षमा का अनुरोध।
🕊️ सीख: जब हम अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और परमेश्वर से क्षमा मांगते हैं, तो वह हमें अपनी दया और करुणा से बचाता है।
🔹
20-23 पद: परमेश्वर का उत्तर
जब दानियेल परमेश्वर से प्रार्थना कर रहा था, तभी
गैब्रियल नामक देवदूत ने उसे आकर परमेश्वर का संदेश दिया। गैब्रियल ने
बताया कि परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली है और वह उसे भविष्य में होने वाली
घटनाओं के बारे में बताने के लिए आया है।
प्रतीक:
- गैब्रियल का आगमन — परमेश्वर का संदेश और भविष्यवाणी का उद्घाटन।
📖 सीख: जब हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, तो वह हमें उत्तर देता है, और कभी-कभी वह हमें अपने मार्गदर्शन के लिए अपने दूत भेजता है।
🔹
24-27 पद: 70 सप्ताहों की भविष्यवाणी
गैब्रियल ने दानियेल को 70 सप्ताहों की भविष्यवाणी दी, जो इस्राएल के उद्धार और मसीह के
आगमन के बारे में थी। इन 70 सप्ताहों में से, 7 सप्ताह यरूशलेम के पुनर्निर्माण और 62 सप्ताह मसीह
के आगमन से पहले के समय के लिए थे। 70 वां सप्ताह मसीह के
बलिदान और उसकी दूसरी आगमन की भविष्यवाणी करता है।
प्रतीक:
- 70
सप्ताह — परमेश्वर का उद्धार का समय और मसीह का बलिदान।
🔥 सीख: परमेश्वर की योजना समय के साथ पूरी होती है, और उसकी भविष्यवाणियाँ हमेशा सटीक होती हैं। मसीह के बलिदान और आने वाले समय के बारे में हमें उसकी योजनाओं को समझना चाहिए।
🔹
28 पद: भविष्यवाणी का पूरा होना
गैब्रियल ने दानियेल को यह भी बताया कि 70 सप्ताहों
का समय पूरा होने पर, परमेश्वर का न्याय होगा और सब कुछ उसके
नियंत्रण में होगा। मसीह का बलिदान इस समय का अहम हिस्सा था।
प्रतीक:
- परमेश्वर का न्याय — परमेश्वर का समय पर न्याय और उसकी शाश्वत योजना।
📜 सीख: परमेश्वर का न्याय हमेशा ठीक समय पर आता है, और हम उसके कार्यों पर भरोसा रख सकते हैं।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
जब हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं और अपनी गलतियों के लिए
पश्चाताप करते हैं, तो वह हमें सुनता है और हमें अपने
मार्गदर्शन से आशीर्वाद देता है।
✝️
परमेश्वर की भविष्यवाणियाँ समय के साथ पूरी होती हैं, और हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि उसकी योजना और समय पर उसकी आशीर्वाद
मिलेगा।
✝️
मसीह का बलिदान और उसका पुनरुत्थान परमेश्वर की योजना का महत्वपूर्ण
हिस्सा हैं, और हमें उसकी कृपा और उद्धार का अनुभव करना चाहिए।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"सात दशक निर्धारित हैं तेरे लोगों और तेरे पवित्र नगर के लिए,
ताकि पाप का अंत हो और अधर्म का समापन हो, और
दुष्टता का प्रायश्चित्त हो और सच्चाई की स्थिरता हो, और सब
प्रकार के भविष्यवाणियों को पूरा किया जाए।"
(दानियेल 9:24)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 10
(Book of Daniel – Chapter 10)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल की प्रार्थना और परमेश्वर से विशेष दृष्टान्त
प्राप्त करने के बारे में है। दानियेल ने 21 दिनों तक
प्रार्थना की और उपवास किया, ताकि परमेश्वर से एक महत्वपूर्ण
रहस्य का उद्घाटन कर सके। इस दौरान उसे एक दिव्य दर्शन हुआ, जिसमें
परमेश्वर का दूत गैब्रियल आया और दानियेल को भविष्य की घटनाओं के बारे में
जानकारी दी। यह अध्याय परमेश्वर के कार्यों की गहराई और उसकी योजनाओं के बारे में
है, साथ ही यह भी दिखाता है कि जब हम परमेश्वर के सामने
प्रार्थना करते हैं, तो वह हमारी मदद करता है, और हमें अपने कार्यों को समझने के लिए दिव्य मार्गदर्शन देता है।
🔹
1-3 पद: दानियेल का उपवास और प्रार्थना
दानियेल ने तीसरी वर्षगांठ के दौरान अपनी प्रार्थना शुरू की
और 21 दिनों तक उपवास किया। इस दौरान, उसने
भोजन से बचते हुए परमेश्वर से निवेदन किया कि वह उसे इस्राएल के बारे में एक दिव्य
दर्शन दे।
प्रतीक:
- उपवास और प्रार्थना — परमेश्वर के करीब जाने और उसकी इच्छा को जानने का एक माध्यम।
📜 सीख: जब हम परमेश्वर से गहरे और व्यक्तिगत संबंध बनाना चाहते हैं, तो हमें समय निकालकर प्रार्थना और उपवास करना चाहिए।
🔹
4-9 पद: दानियेल का दर्शन
21 दिनों के बाद, दानियेल को एक महान व्यक्ति
का दर्शन हुआ। वह व्यक्ति एक बडी आभा से उज्जवल था, और उसका
रूप ऐसा था कि वह भय और श्रद्धा का कारण बना। दानियेल ने उसकी उपस्थिति में अपनी
शक्ति खो दी और वह गिर पड़ा।
प्रतीक:
- उज्जवल व्यक्तित्व — परमेश्वर की पवित्रता और उसकी दिव्यता का संकेत।
🎓 सीख: परमेश्वर की उपस्थिति हमें उसकी महानता और पवित्रता की याद दिलाती है, और हमें विनम्र और श्रद्धावान होना चाहिए।
🔹
10-12 पद: गैब्रियल का आगमन और संदेश
गैब्रियल ने दानियेल को छुआ और उसे उठाया, और
फिर उसने उसे बताया कि उसकी प्रार्थना तुरंत सुनी गई थी। गैब्रियल ने बताया कि वह
परमेश्वर का संदेश लेकर आया था, लेकिन वह रास्ते में शत्रुओं
के साथ संघर्ष कर रहा था, इस कारण उसे थोड़ा समय लगा।
प्रतीक:
- गैब्रियल का आगमन — परमेश्वर का संदेशवाहक और उसके कार्यों का खुलासा।
📖 सीख: जब हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, तो वह हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर जल्दी देता है, लेकिन कभी-कभी उसके कार्यों को पूरा करने में समय लगता है, और हमें इंतजार करना होता है।
🔹
13-14 पद: शत्रुता का सामना और परमेश्वर का संदेश
गैब्रियल ने दानियेल को बताया कि उसे मदीया और फारस के शासक से
संघर्ष करना पड़ा, और यह विरोध उसे देर से संदेश देने का
कारण बना। गैब्रियल ने बताया कि अब वह दानियेल को भविष्य के बारे में संदेश देने
के लिए आया है।
प्रतीक:
- शत्रुता और संघर्ष — परमेश्वर के कार्यों में आने वाली बाधाएँ और संघर्ष।
⚔️ सीख: परमेश्वर के कार्यों को पूरा करने में हमेशा संघर्ष हो सकता है, लेकिन हम जानते हैं कि परमेश्वर हमारे लिए लड़ता है और हमें सहायता देता है।
🔹
15-19 पद: दानियेल का डर और गैब्रियल का समर्थन
दानियेल ने गैब्रियल की बातों को सुनकर और भी डर और घबराहट महसूस की,
लेकिन गैब्रियल ने उसे सांत्वना दी और कहा कि वह शांति और साहस
प्राप्त करे। गैब्रियल ने उसे बताया कि परमेश्वर ने उसे बहुमूल्य माना है और उसे
डरने की आवश्यकता नहीं है।
प्रतीक:
- गैब्रियल का समर्थन — परमेश्वर का दिव्य मार्गदर्शन और उसका सांत्वना देना।
💖 सीख: जब हमें डर और चिंता का सामना होता है, तो परमेश्वर हमें अपनी शांति और सहारा देता है, और हमें उसकी उपस्थिति में विश्वास करना चाहिए।
🔹
20-21 पद: परमेश्वर का कार्य और भविष्यवाणी
गैब्रियल ने दानियेल से कहा कि वह अब उसे परमेश्वर के निर्णय और आने
वाली घटनाओं के बारे में बताएगा। यह सब परमेश्वर की योजना का हिस्सा था, और आने वाले समय में कई महान परिवर्तन होने वाले थे।
प्रतीक:
- आने वाली घटनाएँ — परमेश्वर की योजना का खुलासा और उसके कार्यों का प्रकट होना।
📖 सीख: परमेश्वर का कार्य हमेशा पूरी दुनिया के लिए है, और उसकी योजना समय के साथ पूरी होती है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
जब हम परमेश्वर से गहरी प्रार्थना करते हैं, तो
वह हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देता है, और हमें अपनी
योजनाओं के बारे में दिव्य मार्गदर्शन मिलता है।
✝️
परमेश्वर का कार्य और उसकी योजनाएँ कभी रुकती नहीं हैं, हालांकि हमें उनके पूरे होने में समय लग सकता है।
✝️
हमें परमेश्वर की उपस्थिति में विनम्रता, साहस
और विश्वास के साथ रहना चाहिए, क्योंकि वह हमारे लिए लड़ता
है और हमारी सहायता करता है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"चरण पकड़ो, और जानो कि मैं तुझे
परमेश्वर की बातों का अर्थ समझा रहा हूँ।"
(दानियेल 10:19)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 11
(Book of Daniel – Chapter 11)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर द्वारा दानियेल को दी गई भविष्यवाणियों का विस्तार
से वर्णन करता है। इसमें दो प्रमुख साम्राज्यों, मेसोपोटामिया और मेसोपोटामिया के उत्तर और दक्षिण के शासकों के संघर्षों और
युद्धों के बारे में बताया गया है। इस अध्याय में हम देखते हैं कि परमेश्वर ने
इतिहास के भविष्य घटनाओं के बारे में दानियेल को पूरी जानकारी दी। यह अध्याय आने
वाली घटनाओं का चित्रण करता है, जिसमें मसीह के आगमन तक के
समय में होने वाली राजनीतिक और धार्मिक उलटफेरों का खुलासा है।
🔹
1-4 पद: उत्तर और दक्षिण के राजा के संघर्ष
दानियेल को भविष्य में दो प्रमुख साम्राज्यों की लड़ाई की
भविष्यवाणी दी गई। पहले राजा जो उत्तर का राजा कहलाया, और दूसरा जो दक्षिण का राजा था, उनके बीच
संघर्ष होगा। यह दोनों साम्राज्य आपस में लंबे समय तक लड़ेंगे, लेकिन अंत में उत्तर का राजा बहुत शक्तिशाली बन जाएगा और सभी को अपने अधीन
कर लेगा।
प्रतीक:
- उत्तर और दक्षिण के राजा
— दो शक्तिशाली साम्राज्य जो अपने प्रभुत्व के लिए संघर्ष
करेंगे।
📖 सीख: परमेश्वर की योजनाएँ राजनीति, शक्ति और संघर्षों के पार होती हैं, और उनका उद्देश्य हमेशा अपना न्याय और सत्य स्थापित करना होता है।
🔹
5-20 पद: उत्तर और दक्षिण के राजाओं का संघर्ष
यहां पर उत्तर और दक्षिण के राजाओं के संघर्षों का विस्तार से वर्णन
है। यह संघर्ष कई दशकों तक चलता रहेगा, जिसमें कई युद्ध और
राजनैतिक उलटफेर होंगे। दक्षिण का राजा कमजोर होगा और उत्तर का राजा उसे हरा देगा।
इस संघर्ष के कारण दोनों साम्राज्य एक दूसरे के साथ युद्ध करेंगे और शांति स्थापित
करना बहुत कठिन होगा।
प्रतीक:
- राजनीतिक उलटफेर — साम्राज्य की शक्ति में उतार-चढ़ाव।
⚔️ सीख: दुनिया के राजनीतिक घटनाएँ परमेश्वर की योजना के अनुसार घटित होती हैं, और हमें उनकी स्थिरता के लिए किसी भी परिस्तिथि में उसकी इच्छा को पहचानना चाहिए।
🔹
21-35 पद: अत्याचारी शासक का आगमन (एंटियोकस एपिफेनेस)
इस भाग में परमेश्वर ने दानियेल को एक अत्याचारी शासक, एंटियोकस एपिफेनेस, के आगमन के बारे में बताया।
एंटियोकस बहुत क्रूर और अत्याचारी था, और उसने परमेश्वर के
मंदिर में अपवित्रता फैलाने की कोशिश की। उसने यहूदी लोगों पर अत्याचार किए और
धर्म के खिलाफ युद्ध छेड़ा। वह अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए राजनीतिक और
धार्मिक संघर्षों का सामना करेगा।
प्रतीक:
- एंटियोकस एपिफेनेस — एक अत्याचारी शासक जो परमेश्वर के लोगों के खिलाफ खड़ा होगा।
🔥 सीख: जब हम परमेश्वर की उपासना करते हैं, तो हमें दुनिया की कठोरता और अत्याचारों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन परमेश्वर अंत में अपने लोगों की रक्षा करता है।
🔹
36-39 पद: मसीह के विरोधी का आगमन
यह भाग बताता है कि एंटियोकस का विरोधी मसीह आएगा, जो परमेश्वर का आशीर्वाद और न्याय लेकर आएगा। यह खंड मसीह के आगमन,
उसके अद्वितीय कार्यों और उसे भगवान के न्याय और महिमा के रूप में
स्वीकार करने की भविष्यवाणी करता है।
प्रतीक:
- मसीह का आगमन — परमेश्वर के न्याय और उसके राज्य की स्थापना।
📖 सीख: मसीह का आगमन परमेश्वर की अंतिम विजय और न्याय का प्रतीक है, जो समय के अंत में हर विपत्ति और अत्याचार का अंत करेगा।
🔹
40-45 पद: अंतिम संघर्ष और परमेश्वर का न्याय
अंतिम समय में, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार,
उत्तर और दक्षिण के राजाओं के बीच एक अंतिम और भयंकर संघर्ष होगा।
एंटियोकस और उसके साथियों को एक शक्तिशाली राजा द्वारा हराया जाएगा। इस संघर्ष के
अंत में परमेश्वर का न्याय स्थापित होगा, और वह अपने राज्य
को स्थापित करेगा।
प्रतीक:
- अंतिम संघर्ष — परमेश्वर का न्याय और उसका निर्णायक कार्य।
⚖️ सीख: परमेश्वर की योजनाएँ कभी भी विफल नहीं होतीं, और अंत में उसका न्याय हर चीज को स्थिर और सही रूप में लाएगा।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर का न्याय पूरी दुनिया पर होगा, और
उसकी योजनाएँ हमेशा समय के अनुसार पूरी होती हैं।
✝️
जब हम संसार के संघर्षों और अत्याचारों का सामना करते हैं, तो हमें विश्वास रखना चाहिए कि परमेश्वर अपनी योजना के तहत हर चीज को सही
करेगा।
✝️
हमें परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने जीवन को जीने के लिए उसकी
राह पर चलना चाहिए, क्योंकि वह अपनी योजनाओं में किसी को भी
नहीं छोड़ता।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"लेकिन जो लोग अपने परमेश्वर को जानेंगे, वे महिमामयी काम करेंगे।"
(दानियेल 11:32)
📖 दानियेल
की पुस्तक – अध्याय 12
(Book of Daniel – Chapter 12)
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय दानियेल की पुस्तक का अंतिम अध्याय है, और इसमें परमेश्वर की अंतिम योजना का उद्घाटन किया गया है। दानियेल को अंत
के समय में होने वाली घटनाओं के बारे में बताया जाता है, जिसमें
महान संकट, मसीह का पुनरुत्थान, और परमेश्वर का अंतिम न्याय शामिल हैं। इस अध्याय में परमेश्वर ने
दानियेल को अंतिम समय में होने वाली घटनाओं का वर्णन किया और उन्हें बताया कि अंत
में परमेश्वर का राज्य स्थापित होगा। यह अध्याय हमें परमेश्वर की शाश्वत विजय और
न्याय की याद दिलाता है।
🔹
1-3 पद: महान संकट और उद्धार का समय
दानियेल को बताया गया कि आखिरी समय में एक महान संकट होगा, जैसा कि कभी नहीं हुआ था। लेकिन उस समय इज़राइल के लोग के लिए
उद्धार का समय आएगा। परमेश्वर के लोगों को बचाने के लिए एक विशेष समय निर्धारित
किया गया है, और वे अपने परमेश्वर के पास आकर उद्धार प्राप्त
करेंगे।
प्रतीक:
- महान संकट — अंतिम समय में आने वाली महान विपत्ति, जो
परमेश्वर के लोगों के लिए कठिनाई का कारण बनेगी।
⚔️ सीख: जब हम परमेश्वर से जुड़कर जीवन जीते हैं, तो हमें अंतिम संकट का सामना करते हुए भी उसकी शांति और उद्धार में विश्वास रखना चाहिए।
🔹
4-9 पद: भविष्यवाणी के रहस्य का उद्घाटन
गैब्रियल ने दानियेल से कहा कि उसे इस रहस्य को बंद करके रख लेना
चाहिए, क्योंकि ये बातें आखिरी समय तक प्रकट नहीं होंगी।
लेकिन दानियेल ने देखा कि कई लोग इन भविष्यवाणियों को समझने के लिए उत्सुक होंगे।
गैब्रियल ने दानियेल से कहा कि जब यह समय पूरा होगा, तब इन
चीजों का पूरा खुलासा होगा।
प्रतीक:
- भविष्यवाणियों का रहस्य
— परमेश्वर की योजनाएँ और उनकी पूर्णता के बारे में गहरी समझ।
📜 सीख: परमेश्वर की योजनाओं को समझने के लिए हमें धैर्य और विश्वास की आवश्यकता होती है, क्योंकि समय के साथ वह हमें उसका पूर्ण उद्देश्य दिखाता है।
🔹
10-13 पद: अंतिम समय में शुद्धता और न्याय
गैब्रियल ने दानियेल को बताया कि इस समय में धर्मी लोग शुद्ध
होंगे और बुरे लोग फिर से अपनी बुराई करेंगे। लेकिन अंत में परमेश्वर का न्याय
स्थापित होगा, और जो लोग परमेश्वर के मार्ग पर चलते हैं,
वे अनन्त जीवन प्राप्त करेंगे।
प्रतीक:
- शुद्धता और न्याय — परमेश्वर का अंतिम न्याय और उसके लोग पवित्रता में प्रतिष्ठित होंगे।
🎓 सीख: हमें परमेश्वर के न्याय में विश्वास करना चाहिए और उसके द्वारा हमें दी गई शुद्धता को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि वही हमें उसकी उपस्थिति में लाता है।
🔹
14-15 पद: समय की भविष्यवाणी
दानियेल को बताया गया कि 1,290 दिन और 1,335 दिन के बाद
परमेश्वर का कार्य पूरा होगा और अंत में उसकी योजना पूरी होगी। यह समय चिह्न इस
बात को दर्शाता है कि परमेश्वर की योजना पूरी होने में समय लगेगा, लेकिन वह सुनिश्चित रूप से अपनी योजना को पूरा करेगा।
प्रतीक:
- समय की भविष्यवाणी — परमेश्वर का समय और उसकी योजना के अनुसार चीजें घटित होती हैं।
📖 सीख: हमें अपने जीवन में परमेश्वर के समय को समझने की आवश्यकता है, क्योंकि वह सही समय पर अपनी योजना पूरी करेगा।
🔹
16-17 पद: दानियेल का अंत
दानियेल से कहा गया कि वह इन सभी बातों को समझने की कोशिश करें,
लेकिन वह हमेशा के लिए इन रहस्यों को न समझ पाएंगे। वह अंतिम समय तक
इन बातों को समझने में सक्षम नहीं होंगे, लेकिन अंत में
उन्हें परमेश्वर का प्रतिफल मिलेगा।
प्रतीक:
- दानियेल का अंत — परमेश्वर के कामों को समझने के लिए हमें धैर्य और विश्वास की
आवश्यकता होती है, और हमें उसके अनुसार जीवन जीना
चाहिए।
🙏 सीख: परमेश्वर हमें अपने समय में रहकर अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए बुलाता है, और वह हमें सही समय पर उसका उद्देश्य समझाता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर की योजना पूरी दुनिया के लिए है, और
वह अपने कार्यों को समय के अनुसार पूरा करता है।
✝️
हमें अपने विश्वास में अडिग रहना चाहिए, क्योंकि
परमेश्वर का न्याय और आशीर्वाद स्थायी हैं।
✝️
परमेश्वर का समय सही है, और हमें धैर्य और
विश्वास के साथ उसके मार्ग पर चलना चाहिए।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"धर्मी लोग समझ पाएंगे, लेकिन पापी लोग न
समझ पाएंगे।"
(दानियेल 12:10)