📖 प्रकाशित वाक्य 1 – यीशु का विजयी दर्शन और भविष्यवाणी की शुरुआत
(Revelation 1 – The Glorious Vision of Jesus and the Beginning of Prophecy)

🌟 अध्याय की झलक:
प्रकाशित वाक्य की किताब की शुरुआत एक अद्भुत रहस्योद्घाटन से होती है — यह स्वयं यीशु मसीह का प्रकाशन है।
यह किताब विशेष रूप से उन बातों को प्रकट करती है जो "जल्द ही होने वाली" हैं।
यूहन्ना को यह दर्शन पटमोस टापू पर मिलता है, और वह हमें मसीह की महिमा, उसका संदेश और आने वाले समय के बारे में एक झलक देता है।


🔹 1-3 पद: भविष्यवाणी का उद्देश्य और आशीष

  • परमेश्वर ने यीशु मसीह के द्वारा अपने दासों को दिखाने के लिए यह रहस्योद्घाटन दिया।
  • यीशु ने अपने स्वर्गदूत के द्वारा यह संदेश यूहन्ना को पहुँचाया।
  • जो इसे पढ़ते और मानते हैं, उन पर आशीष है, क्योंकि समय निकट है।

📜 सीख: परमेश्वर की भविष्यवाणियाँ हमें जागरूक, तैयार और आशीषित बनाती हैं।


🔹 4-8 पद: अभिवादन और यीशु की महिमा

  • यूहन्ना एशिया की सात मंडलियों को लिखता है।
  • वह परमेश्वर को पहचानता है — जो "था, है और आने वाला है"।
  • यीशु को महिमामंडित किया गया है — वह विश्वासयोग्य साक्षी, मरे हुओं में से जी उठा, और पृथ्वी के राजाओं का स्वामी है।
  • यीशु बादलों पर आने वाला है और हर आँख उसे देखेगी।

👑 सीख: यीशु मसीह शाश्वत राजा है — उसकी वापसी निश्चित और महिमामयी है।


🔹 9-11 पद: यूहन्ना को दर्शन का आदेश

  • यूहन्ना, जो अपने भाई-बहनों के साथ क्लेश और धैर्य में सहभागी था, पटमोस द्वीप पर था।
  • वह आत्मा में आया और उसके पीछे तुरही की सी आवाज़ गूंजी।
  • उसे आदेश मिला कि जो कुछ वह देखे, उसे किताब में लिखे और सात मंडलियों को भेजे।

📖 सीख: परमेश्वर हमें अपनी बातों को दूसरों तक पहुँचाने के लिए बुलाता है — वफादारी से।


🔹 12-16 पद: यीशु का तेजस्वी दर्शन

  • यूहन्ना ने सात सोने के दीवट देखे और उनके बीच एक महिमामयी पुरुष — यीशु मसीह।
  • उसके वस्त्र, बाल, आँखें, पैर, आवाज़ और मुँह से निकली हुई तलवार — सब कुछ तेजस्वी, शक्तिशाली और पवित्र था।
  • उसके दाहिने हाथ में सात तारे थे — मंडलियों के स्वर्गदूतों का प्रतीक।

🌟 सीख: यीशु अब न केवल उद्धारकर्ता है, बल्कि विजयी राजा और न्यायी है।


🔹 17-20 पद: प्रोत्साहन और रहस्योद्घाटन की कुंजी

  • यूहन्ना डर से गिर पड़ा, लेकिन यीशु ने उसे उठाया और कहा — "मत डर। मैं प्रथम और अंतिम हूँ। मैं वह हूँ जो जीवित है। मैं मर गया था और देखो, अब युगानुयुग जीवित हूँ।"
  • यीशु ने उसे आदेश दिया कि वह जो देखेगा और जो होने वाला है, वह लिखे।

🛐 सीख: यीशु मृत्यु और समय दोनों पर अधिकार रखने वाला है — हमारे डर का कोई स्थान नहीं है।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ यीशु मसीह शाश्वत राजा और न्यायी है।
✝️ जो उसके वचन को सुनते, पढ़ते और मानते हैं, उन पर आशीष है।
✝️ मसीह की वापसी निश्चित है — हमें तैयार रहना चाहिए।
✝️ डर के समय भी, यीशु हमें थामता और शक्ति देता है।


📌 याद रखने योग्य वचन
मत डर; मैं प्रथम और अंतिम और जीवित हूँ; मैं मर गया था, और देखो, युगानुयुग जीवित हूँ।”
(प्रकाशित वाक्य 1:17-18)

 

📖 प्रकाशित वाक्य 2 – यीशु के सात पत्र: प्रेम, चेतावनी और विजय
(Revelation 2 – Christ’s Letters: Love, Warnings, and Victory)

🌟 अध्याय की झलक:
इस अध्याय में यीशु मसीह एशिया की सात मंडलियों में से चार को सीधा संदेश देते हैं — एफिसुस, स्मिर्ना, पर्गमुन और थुआतीरा।
हर पत्र में यीशु उनकी भलाई की सराहना करते हैं, गलतियों पर चेतावनी देते हैं, और विजयी होने पर इनाम का वादा करते हैं।
यह अध्याय आज भी व्यक्तिगत और कलीसिया के आत्मिक जीवन के लिए गहरी सीख देता है।


🔹 1-7 पद: एफिसुस – पहला प्रेम छोड़ने की चेतावनी

  • यीशु एफिसुस की मंडली की मेहनत, सहनशीलता और झूठे प्रेरितों के खिलाफ discernment की सराहना करते हैं।
  • लेकिन वह शिकायत करते हैं कि उन्होंने अपना "पहला प्रेम" छोड़ दिया है।
  • उन्हें पश्चाताप करने और प्रारंभिक प्रेम को फिर से प्राप्त करने का आदेश दिया जाता है।
  • विजयी व्यक्ति को जीवन के वृक्ष का फल खाने का वादा है।

❤️ सीख: सेवा से बढ़कर परमेश्वर प्रेम चाहता है — बिना प्रेम के हमारी मेहनत व्यर्थ है।


🔹 8-11 पद: स्मिर्ना – क्लेश और मृत्यु में विश्वासयोग्यता

  • स्मिर्ना मंडली को उनके क्लेश, गरीबी (लेकिन आत्मिक धन), और विरोध के बीच हिम्मत बँधाई जाती है।
  • यीशु उन्हें कहता है — "मौत तक विश्वासयोग्य रहो, तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूँगा।"
  • जो विजयी होगा, उसे दूसरी मृत्यु की हानि नहीं होगी।

👑 सीख: सच्चा विश्वास परीक्षण में परखा जाता है — और विजय अनंत जीवन लाती है।


🔹 12-17 पद: पर्गमुन – सत्य और समझौते के बीच संघर्ष

  • पर्गमुन मंडली "शैतान के सिंहासन" के बीच वफ़ादारी बनाए हुए थी।
  • लेकिन कुछ लोग बालाम के सिद्धांत और निकुलाइयों के कामों को अपनाए हुए थे — यानी समझौता और भ्रष्टाचार।
  • यीशु चेतावनी देते हैं कि यदि वे पश्चाताप नहीं करेंगे, तो वह "अपने मुँह की तलवार" से युद्ध करेगा।
  • विजयी को "छिपा हुआ मन्ना" और एक नया नाम लिखा हुआ श्वेत पत्थर मिलेगा।

⚔️ सीख: कठिन स्थानों में भी हमें सत्य के प्रति निष्ठावान रहना है, बिना समझौते के।


🔹 18-29 पद: थुआतीरा – प्रेम तो है, लेकिन समझौता भी

  • थुआतीरा मंडली में प्रेम, विश्वास, सेवा और धीरज की बढ़ोतरी थी।
  • लेकिन एक गंभीर दोष था — वे "येज़ेबेल" नामक एक झूठी भविष्यद्वक्ता को सहन कर रहे थे, जो व्यभिचार और मूर्तिपूजा सिखा रही थी।
  • यीशु गहरी जाँच करेगा और हृदयों के भावों को परखेगा।
  • जो विजयी होंगे और अंत तक उसके कार्यों को करेंगे, उन्हें राष्ट्रों पर अधिकार मिलेगा और "भोर का तारा" दिया जाएगा।

🌟 सीख: केवल बाहरी भलाई काफी नहीं — भीतरी पवित्रता भी परमेश्वर के लिए आवश्यक है।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ पहला प्रेम परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते की नींव है।
✝️ क्लेशों में भी विश्वासयोग्यता अमूल्य है।
✝️ सत्य पर समझौता करना आत्मिक क्षति लाता है।
✝️ परमेश्वर हृदयों की गहराई से परखता है, बाहरी कार्यों से नहीं।


📌 याद रखने योग्य वचन
"जो जीत पाएगा, मैं उसे जीवन के वृक्ष में से खाने दूँगा जो परमेश्वर के स्वर्ग में है।"
(प्रकाशित वाक्य 2:7)

 

📖 प्रकाशित वाक्य 3 – आत्मिक जागृति, धैर्य और सच्ची दौलत की पुकार
(Revelation 3 – A Call to Spiritual Awakening, Perseverance, and True Riches)

🌟 अध्याय की झलक:
इस अध्याय में यीशु तीन अंतिम मंडलियों — सर्दिस, फिलदेलफिया, और लौदीकिया — को संदेश भेजते हैं।
ये संदेश आत्मिक अवस्था को जाँचने, जागने, और सही स्थिति में लौटने की गहन चुनौती देते हैं।
हर मंडली के लिए इनाम विजयी होने पर सुनिश्चित किया गया है।


🔹 1-6 पद: सर्दिस – मृत प्रतीत होती मंडली को जागने की चेतावनी

  • सर्दिस की मंडली के पास "जीवित" कहलाने की ख्याति थी, लेकिन वह वास्तव में आत्मिक रूप से मृत थी।
  • यीशु उन्हें जागने, बचे हुए को मजबूत करने और पश्चाताप करने का निर्देश देते हैं।
  • यदि वे नहीं जागे, तो वह चोर की तरह अचानक आएगा।
  • कुछ लोगों ने अपने वस्त्र निष्कलंक रखे हैं — उन्हें सफेद वस्त्र पहनाए जाएंगे।

सीख: केवल बाहरी नाम और प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि जीवित विश्वास परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण है।


🔹 7-13 पद: फिलदेलफिया – धैर्य और विश्वास के लिए प्रशंसा

  • यीशु, "दाऊद की कुंजी" धारण करने वाले, फिलदेलफिया की मंडली को एक "खुला हुआ द्वार" देता है।
  • उन्होंने थोड़ी शक्ति के बावजूद, परमेश्वर के वचन को थामे रखा और उसका नाम नहीं झुठलाया।
  • यीशु उन्हें "परिक्षा के समय" से बचाने का वादा करते हैं।
  • विजयी व्यक्ति को परमेश्वर के मन्दिर में स्थायी स्तम्भ बनाया जाएगा।

🔑 सीख: धैर्य और वचन के प्रति निष्ठा स्थायी इनाम लाती है — स्वर्ग में स्थायित्व।


🔹 14-22 पद: लौदीकिया – गुनगुनेपन और आत्मनिर्भरता की निंदा

  • लौदीकिया की मंडली आत्मनिर्भर, धनवान और संतुष्ट थी, लेकिन वास्तव में आत्मिक दृष्टि से गरीब, अंधी और नग्न थी।
  • यीशु ने उन्हें गुनगुनेपन के लिए उलाहना दी — न ठंडे थे, न गरम।
  • वह प्रेमपूर्वक ताड़ना देते हैं और उन्हें आग में तपाए हुए सोना, श्वेत वस्त्र और आँखों के लिए मरहम खरीदने का आग्रह करते हैं।
  • वह दरवाज़े पर खड़ा होकर दस्तक देता है — जो खोलेगा, उसके साथ वह भोजन करेगा।
  • विजयी को उसके साथ सिंहासन पर बैठने का वादा है।

🔥 सीख: आत्मनिर्भरता घातक है — हमें यीशु की उपस्थिति और सहायता की सदा आवश्यकता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?
आत्मिक मृत अवस्था से जागना आवश्यक है।
कठिनाइयों में भी विश्वास और धैर्य से परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ प्राप्त होती हैं।
आत्मिक गर्व और आत्मनिर्भरता से सावधान रहना चाहिए।
यीशु आज भी हमारे हृदय के द्वार पर दस्तक दे रहा है — क्या हम उसे प्रवेश देंगे?


📌 याद रखने योग्य वचन
"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोले, तो मैं उसके पास भीतर जाकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ।"
(प्रकाशित वाक्य 3:20)

 

📖 प्रकाशित वाक्य 4 – स्वर्ग का सिंहासन और उसकी महिमा
(Revelation 4 – The Throne in Heaven and Its Glory)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय हमें सीधा स्वर्ग के सिंहासन कक्ष में ले जाता है, जहाँ परमेश्वर अपनी सम्पूर्ण महिमा में प्रकट होता है।
यहाँ हर चीज प्रतीकात्मक है — स्वर्ग के दृश्य, जीवों का वर्णन, 24 प्राचीनों की आराधना — जो परमेश्वर की महिमा, शक्ति और अनंत राज्य को दर्शाते हैं।


🔹 1 पद: एक द्वार और एक आवाज़

  • यूहन्ना देखता है कि स्वर्ग में एक द्वार खुला हुआ है।
  • उसे वही आवाज़ बुलाती है जो पहले तुरही के समान थी — "इधर आ और मैं तुझे दिखाऊँगा कि इसके बाद क्या होगा।"

प्रतीक:

  • खुला द्वारपरमेश्वर के रहस्यों में प्रवेश का निमंत्रण।
  • तुरही की आवाज़दिव्य अधिकार और बुलाहट का संकेत।

🕊सीख: जब परमेश्वर बुलाता है, वह हमें अपने गहरे रहस्यों और महिमा में प्रवेश करने का अवसर देता है।


🔹 2-3 पद: सिंहासन और उसका दर्शन

  • यूहन्ना तुरंत आत्मा में पहुँचा।
  • उसने एक सिंहासन देखा जिस पर कोई बैठा था।
  • वह जो बैठा था, वह यशब और पद्मराग (कीमती पत्थरों) के समान चमक रहा था।
  • सिंहासन के चारों ओर पन्ना (emerald) के समान इंद्रधनुष था।

प्रतीक:

  • सिंहासनपरमेश्वर का सर्वोच्च अधिकार और सार्वभौमिक शासन।
  • यशब और पद्मरागपरमेश्वर की पवित्रता और न्याय।
  • इंद्रधनुषपरमेश्वर की वाचा और करुणा का प्रतीक (उत्पत्ति 9:13-17 से लिंक)।

👑 सीख: परमेश्वर न्यायी है, फिर भी उसकी करुणा वाचा के रूप में स्थिर रहती है।


🔹 4 पद: चौबीस प्राचीन

  • सिंहासन के चारों ओर 24 सिंहासन थे, और उन पर 24 प्राचीन सफेद वस्त्रों में और सिर पर स्वर्ण मुकुट पहनकर बैठे थे।

प्रतीक:

  • 24 प्राचीनसम्भवत: यह 12 इस्राएल के गोत्रों और 12 प्रेरितों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मिलकर परमेश्वर की सम्पूर्ण जनता (पुराना और नया नियम) को दर्शाते हैं।
  • सफेद वस्त्रधार्मिकता और शुद्धता।
  • स्वर्ण मुकुटविजयी जीवन और राजसी सम्मान।

👥 सीख: परमेश्वर के सामने खड़े होने का अधिकार उनके उद्धार पाने वालों को दिया जाता है।


🔹 5 पद: बिजली, गरज और स्वर्ग की सात आत्माएँ

  • सिंहासन से बिजलियाँ चमकीं, आवाज़ें और गरज निकलीं।
  • सात अग्नि दीपक सिंहासन के सामने जल रहे थे, जो परमेश्वर की सात आत्माएँ थीं।

प्रतीक:

  • बिजली और गरजपरमेश्वर की शक्ति और न्याय का प्रदर्शन।
  • सात दीपकपवित्र आत्मा की परिपूर्णता और सात गुणों का प्रतीक (यशायाह 11:2: बुद्धि, समझ, परामर्श, सामर्थ्य, ज्ञान, भय, भक्ति, आदर)।

🔥 सीख: परमेश्वर की उपस्थिति में सामर्थ्य, न्याय और पवित्रता का वातावरण है।


🔹 6-8 पद: चार जीवित प्राणी

  • सिंहासन के चारों ओर चार जीवित प्राणी थे, जिनमें से हर एक का अलग रूप था:
    • पहला जीव सिंह के समान,
    • दूसरा बैल के समान,
    • तीसरा मनुष्य के चेहरे वाला,
    • चौथा उड़ते हुए गरुड़ के समान।
  • हर प्राणी के छह पंख थे और वह भीतर और बाहर आँखों से भरा था।
  • वे दिन-रात कहते हैं: "पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर सर्वशक्तिमान है।"

प्रतीक:

  • चार जीवित प्राणीसम्पूर्ण सृष्टि के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व:
    • सिंहशक्ति और शासन,
    • बैलसेवा और बलिदान,
    • मनुष्यबुद्धिमत्ता और संबंध,
    • गरुड़तीव्रता और स्वर्गीय गति।
  • छह पंखकार्य में तत्परता और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता।
  • आँखों से भरे होनापरमेश्वर की सर्वज्ञता और सम्पूर्ण दृष्टि।

🦁🐂👨🦅 सीख: सारी सृष्टि का परम उद्देश्य है परमेश्वर की आराधना करना।


🔹 9-11 पद: प्राचीनों की आराधना

  • जब भी चार जीवित प्राणी परमेश्वर की महिमा, आदर और धन्यवाद करते हैं,
  • तो 24 प्राचीन अपने मुकुट सिंहासन के सामने डालते हैं और कहते हैं:

"हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तूने सब वस्तुएँ उत्पन्न कीं और वे तेरी इच्छा से थीं और उत्पन्न हुईं।"

प्रतीक:

  • मुकुट डालनापरमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण और उसकी सर्वोच्चता को स्वीकार करना।

👑 सीख: सच्ची आराधना में हम अपने सारे अधिकार और सम्मान परमेश्वर के चरणों में अर्पित कर देते हैं।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर का सिंहासन सर्वोच्च और पवित्र है।
✝️ सब कुछ उसकी इच्छा से अस्तित्व में आया है।
✝️ स्वर्ग में निरंतर आराधना होती है — हम भी पृथ्वी पर ऐसा जीवन जियें।
✝️ सभी प्रतीक हमें परमेश्वर की महिमा, न्याय, करुणा और महानता की ओर इशारा करते हैं।


📌 याद रखने योग्य वचन
"पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु परमेश्वर सर्वशक्तिमान, जो था और जो है और जो आने वाला है।"
(प्रकाशित वाक्य 4:8)

 

 📖 प्रकाशित वाक्य 5 – मेम्ना और मुहरबंद पुस्तक

(Revelation 5 – The Lamb and the Sealed Scroll)


🌟 अध्याय की झलक:
स्वर्ग में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दृश्य सामने आता है — परमेश्वर के हाथ में एक पुस्तक है, जो सात मुहरों से बंद है।
पूरा स्वर्ग शोक करता है क्योंकि कोई उसे खोलने योग्य नहीं दिखता।
तभी "मेम्ना" (यानी यीशु मसीह) प्रकट होता है और वह इस पुस्तक को लेने और खोलने योग्य पाया जाता है।
यह अध्याय मसीह की विजय, बलिदान और आराधना को प्रकट करता है।


🔹 1-4 पद: मुहरबंद पुस्तक और स्वर्ग का दुःख

  • यूहन्ना ने सिंहासन पर बैठे व्यक्ति के दाहिने हाथ में एक पुस्तक (स्क्रॉल) देखी।
  • वह भीतर और बाहर लिखा हुआ था और सात मुहरों से बंद था।
  • एक शक्तिशाली स्वर्गदूत ने ऊँचे स्वर से पुकारा:
    "कौन इस पुस्तक को खोलने और इसकी मुहरें तोड़ने के योग्य है?"
  • परंतु कोई भी योग्य न मिला, इसलिए यूहन्ना बहुत रोया।

प्रतीक:

  • पुस्तक (Scroll)परमेश्वर की योजना, न्याय, उद्धार और भविष्य के निर्णयों का पूरा रहस्य।
  • सात मुहरेंपूरी तरह से सील किया गया, पूर्ण सुरक्षा और गोपनीयता का संकेत।
  • रोनायह दर्शाता है कि मनुष्य स्वयं परमेश्वर की योजना को पूरा करने में असमर्थ है।

📜 सीख: जब तक मसीह प्रकट नहीं होता, हमारे पास कोई आशा नहीं होती।


🔹 5-7 पद: विजयी सिंह और बलिदान मेम्ना

  • एक प्राचीन ने यूहन्ना से कहा:
    "रो मत! देख, यहूदा का सिंह, दाऊद का मूल, जीत गया है ताकि पुस्तक खोले और उसकी सातों मुहरें तोड़े।"
  • फिर यूहन्ना ने सिंहासन और चार जीवों और प्राचीनों के बीच में एक मेम्ना देखा,
    • जो मारा गया सा दिखाई देता था।
    • उसके सात सींग और सात आँखें थीं, जो पृथ्वी पर भेजी गईं सात आत्माएँ हैं।
  • मेम्ना ने जाकर पुस्तक को लिया।

प्रतीक:

  • यहूदा का सिंहयीशु मसीह का बलशाली और राजसी रूप (उत्पत्ति 49:9-10)
  • बलिदान मेम्नामसीह का क्रूस पर बलिदान (यूहन्ना 1:29)
  • सात सींगसंपूर्ण शक्ति।
  • सात आँखेंसर्वज्ञता, पवित्र आत्मा की परिपूर्णता (यशायाह 11:2)
  • पुस्तक को लेनामसीह का परमेश्वर की योजना को पूरा करने का अधिकार।

🦁🐑 सीख: यीशु मसीह बलशाली राजा भी हैं और बलिदान देने वाला सेवक भी।


🔹 8-10 पद: स्वर्ग में मेम्ना की आराधना

  • जब मेम्ना ने पुस्तक ली, तो चारों जीवित प्राणी और 24 प्राचीन गिर पड़े।
  • हर एक के पास
    • एक वीणा (संगीत वाद्य यंत्र) और
    • धूप से भरे सोने के कटोरे थे — जो संतों की प्रार्थनाएँ हैं।
  • उन्होंने एक नया गीत गाया:

"तू ही इस पुस्तक को लेने और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तू मारा गया और तूने अपने लहू के द्वारा हर जाति, भाषा, लोगों और राष्ट्र में से लोगों को परमेश्वर के लिए खरीद लिया..."

प्रतीक:

  • वीणाआराधना और स्तुति का प्रतीक।
  • धूप के कटोरे संतों की प्रार्थनाएँ परमेश्वर के सामने उठती हैं।
  • नया गीतमसीह के उद्धार कार्य के लिए नई आराधना।

🎵 सीख: उद्धार का अनुभव नई आराधना और नई आराधना का जीवन उत्पन्न करता है।


🔹 11-14 पद: स्वर्ग और सारी सृष्टि की संयुक्त आराधना

  • यूहन्ना ने हजारों हजारों स्वर्गदूतों को देखा जो गाते थे:

"मेम्ना जो मारा गया, सामर्थ्य, धन, ज्ञान, बल, आदर, महिमा और धन्यवाद के योग्य है।"

  • फिर हर प्राणी — आकाश, पृथ्वी, समुद्र और अधोलोक के प्राणी — एक साथ गाते हैं:

"सिंहासन पर बैठे हुए और मेम्ना की महिमा, आदर और सामर्थ्य युगानुयुग रहे!"

प्रतीक:

  • सात गुणों का उल्लेख (सामर्थ्य, धन, ज्ञान, बल, आदर, महिमा, धन्यवाद) — मसीह की सम्पूर्णता और पूर्ण योग्यताओं का चित्रण।
  • सारी सृष्टि की आराधनामसीह का सार्वभौमिक प्रभुत्व।

🌍 सीख: यीशु मसीह ही सारी सृष्टि की आराधना का केन्द्र हैं।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ मसीह ही परमेश्वर की योजना को पूरा करने के योग्य हैं।
✝️ केवल उनका बलिदान ही मनुष्यजाति का उद्धार संभव बनाता है।
✝️ स्वर्ग और पृथ्वी — दोनों के आराध्य केवल मसीह हैं।
✝️ हमें अपने जीवन से उन्हें आदर, महिमा और धन्यवाद देना चाहिए।


📌 याद रखने योग्य वचन
"तू ही इस पुस्तक को लेने और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तू मारा गया और तूने अपने लहू के द्वारा हर जाति, भाषा, लोगों और राष्ट्र में से लोगों को परमेश्वर के लिए खरीद लिया।"
(प्रकाशित वाक्य 5:9)

 

📖 प्रकाशित वाक्य 6 – सात मुहरों का खुलना और न्याय का आरंभ
(Revelation 6 – Opening of the Seven Seals and the Beginning of Judgment)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय सात मुहरों में से पहली छह मुहरों के खुलने का वर्णन करता है।
हर मुहर के साथ पृथ्वी पर घटनाएँ घटती हैं — युद्ध, अकाल, मृत्यु और विनाश।
यह "महाकष्टकाल" (Great Tribulation) की शुरुआत का प्रतीक है, जब परमेश्वर का न्याय प्रकट होता है।


🔹 1-2 पद: पहली मुहर – सफेद घोड़े वाला विजेता

  • मेम्ना (यीशु) ने पहली मुहर खोली, और चार जीवित प्राणियों में से एक ने कहा, "आ!"
  • एक सफेद घोड़े पर एक सवार प्रकट हुआ, जिसके पास धनुष था और उसे एक मुकुट दिया गया।
  • वह विजयी होकर और आगे जीतने के लिए निकला।

प्रतीक:

  • सफेद घोड़ाविजयी शक्ति या झूठा मसीहा।
  • धनुषयुद्ध का प्रतीक।
  • मुकुट (Crown)अधिकार का संकेत।
  • कुछ व्याख्याओं में इसे झूठा मसीह (Antichrist) माना जाता है जो आरंभ में विजय प्राप्त करता है परन्तु विनाश लाता है।

🏹👑 सीख: अंतिम समय में धोखेबाज नेता उभरेंगे जो शांति और विजय का दिखावा करेंगे लेकिन असल में विनाश लाएँगे।


🔹 3-4 पद: दूसरी मुहर – लाल घोड़े वाला युद्ध

  • दूसरी मुहर खुली, और एक लाल घोड़े वाला सवार आया।
  • उसे पृथ्वी से शांति हटाने का अधिकार दिया गया ताकि लोग एक-दूसरे को मारें।
  • उसके पास एक बड़ी तलवार थी।

प्रतीक:

  • लाल घोड़ायुद्ध और रक्तपात।
  • बड़ी तलवारबड़े पैमाने पर हिंसा और युद्ध का संकेत।

️🩸 सीख: एक झूठी शांति के बाद दुनिया व्यापक युद्धों और हिंसा में डूब जाएगी।


🔹 5-6 पद: तीसरी मुहर – काला घोड़ा और अकाल

  • तीसरी मुहर पर एक काले घोड़े वाला सवार आया।
  • उसके हाथ में एक तराजू था।
  • चारों ओर से आवाज आई:

"गेहूँ का एक पैमाना एक दीनार में, और जौ के तीन पैमाने एक दीनार में। लेकिन तेल और दाखरस को हानि मत पहुँचाना।"

प्रतीक:

  • काला घोड़ाशोक और अकाल।
  • तराजूराशन वितरण, भोजन की कमी और महंगाई।
  • तेल और दाखरस को न छूनाविलासिता बनी रहेगी, लेकिन आमजन अकाल से पीड़ित होंगे।

🌾 सीख: जब न्याय आता है, तो मूलभूत आवश्यकताएँ दुर्लभ और महंगी हो जाती हैं।


🔹 7-8 पद: चौथी मुहर – पीला (हरा) घोड़ा और मृत्यु

  • चौथी मुहर खुलने पर एक पीला घोड़ा दिखाई दिया।
  • उसके सवार का नाम था "मृत्यु", और अधोलोक (हादेस) उसके पीछे-पीछे था।
  • उन्हें तलवार, अकाल, महामारी और जंगली जानवरों के द्वारा एक चौथाई पृथ्वी पर अधिकार दिया गया।

प्रतीक:

  • पीला या हरा घोड़ामृत्यु और सड़न का रंग।
  • मृत्यु और अधोलोकशारीरिक मृत्यु और आत्मिक नाश।
  • चार साधनयुद्ध, भूखमरी, बीमारी, और हिंसक पशु।

💀☠️ सीख: जब परमेश्वर का क्रोध प्रकट होता है, तो व्यापक विनाश आता है।


🔹 9-11 पद: पाँचवीं मुहर – शहीदों की पुकार

  • पाँचवीं मुहर खुलने पर यूहन्ना ने वे आत्माएँ देखीं जो परमेश्वर के वचन और अपनी गवाही के कारण मारे गए थे।
  • वे ऊँचे स्वर से पुकार रहे थे:

"हे प्रभु, तू कब तक न्याय नहीं करेगा और हमारे रक्त का बदला नहीं लेगा?"

  • उन्हें सफेद वस्त्र दिए गए और थोड़ी देर विश्राम करने के लिए कहा गया, जब तक उनके और भाई भी शहीद नहीं हो जाएँ।

प्रतीक:

  • शहीदों की आत्माएँसताए गए विश्वासी जो न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
  • सफेद वस्त्रधार्मिकता और विजय का प्रतीक।
  • थोड़ी देर का विश्रामपरमेश्वर के समय पर न्याय निश्चित है, लेकिन धैर्य अपेक्षित है।

👼👗 सीख: परमेश्वर अपने जनों के अन्याय को अनदेखा नहीं करता; न्याय निश्चित है।


🔹 12-17 पद: छठी मुहर – बड़ा भूकंप और आकाशीय घटनाएँ

  • छठी मुहर खुलने पर एक बड़ा भूकंप हुआ।
  • सूर्य काले कपड़े की तरह काला हो गया, चंद्रमा लाल हो गया, तारे पृथ्वी पर गिरे।
  • आकाश सिकुड़ गया जैसे पुस्तक लपेटी जाती है।
  • हर पहाड़ और टापू अपनी जगह से हट गया।
  • राजा, सेनापति, धनवान, बलवान — सब डर कर गुफाओं में छिप गए और कहने लगे:

"हम पर गिर पड़ो और हमें सिंहासन पर बैठे और मेम्ना के क्रोध से छिपा दो!"
"क्योंकि उनके क्रोध का महान दिन आ गया है, और कौन खड़ा रह सकता है?"

प्रतीक:

  • भूकंप, सूर्य का काला होना, चंद्रमा का लाल होनापरमेश्वर के प्रत्यक्ष न्याय की शुरुआत।
  • तारों का गिरनानेताओं और शक्तियों का पतन।
  • लोगों का डर कर छिपनापरमेश्वर के न्याय से कोई नहीं बच सकता।

🌋🌑 सीख: जब परमेश्वर का अंतिम न्याय आता है, तो कोई भी शक्तिशाली मनुष्य भी उसमें ठहर नहीं सकता।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ मसीह ही न्याय और उद्धार दोनों के द्वार खोलते हैं।
✝️ अंतिम समय में पृथ्वी पर असाधारण विपत्तियाँ आएँगी।
झूठी शांति के बाद भारी युद्ध, अकाल, महामारी और मृत्यु आएगी।
✝️ शहीदों के न्याय का समय निश्चित है।
✝️ परमेश्वर के क्रोध के दिन के लिए तैयार रहना जरूरी है — मसीह में विश्वास ही एकमात्र सुरक्षा है।


📌 याद रखने योग्य वचन
"उनके क्रोध का महान दिन आ गया है; और कौन खड़ा रह सकता है?"
(प्रकाशित वाक्य 6:17)

 

📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 7 – मुहरबंद सेवक और महान भीड़ का दर्शन
(Revelation 7 – The Sealed Servants and the Great Multitude)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय पिछले अध्याय (छठी मुहर) के बाद आता है और एक "अंतराल" (Interlude) जैसा है।
यह परमेश्वर के संरक्षण और उसकी दया को दर्शाता है — कैसे कुछ लोग महाकष्टकाल के दौरान सुरक्षित रखे जाते हैं और कैसे अनगिनत भीड़ स्वर्ग में विजय का उत्सव मनाती है।
यह अध्याय दो मुख्य दृश्य दिखाता है:
पृथ्वी पर 144,000 लोगों की मुहरबंदी।
स्वर्ग में महान भीड़ की आराधना।


🔹 1-3 पद: चार स्वर्गदूतों द्वारा पृथ्वी का थामना

  • चार स्वर्गदूत पृथ्वी के चार कोनों पर खड़े हैं, और चार हवाओं को रोक रहे हैं ताकि पृथ्वी पर कोई नुकसान न पहुँचे।
  • एक और स्वर्गदूत "जीवित परमेश्वर की मुहर" के साथ आता है और कहता है:

"जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न कर लें, तब तक पृथ्वी, समुद्र और पेड़ों को नुकसान न पहुँचाओ।"

प्रतीक:

  • चार स्वर्गदूत और चार हवाएँपूरी पृथ्वी पर परमेश्वर का नियंत्रण।
  • मुहरपरमेश्वर का स्वामित्व, सुरक्षा, और छुटकारे की गारंटी।
  • माथे पर मुहर लगानापरमेश्वर के दासों की पहचान और संरक्षण।

🌬 सीख: परमेश्वर अपने जनों को विपत्तियों में पहचानता और सुरक्षित रखता है।


🔹 4-8 पद: 144,000 इस्राएलियों की मुहरबंदी

  • 12 गोत्रों में से प्रत्येक से 12,000 कुल 144,000 लोगों पर मुहर लगाई जाती है।
  • ये इस्राएली वंशज हैं, जिन्हें महाकष्टकाल में विशेष रूप से सुरक्षित रखा गया।

प्रतीक:

  • 144,000पूर्णता और परमेश्वर के चुने हुए जनों का प्रतिनिधित्व।
  • 12,000 x 12 गोत्रव्यवस्था और समर्पण की पूर्णता।

📜🛡सीख: परमेश्वर की योजना में इस्राएल का पुनःस्थापन भी शामिल है।


🔹 9-17 पद: स्वर्ग में महान भीड़ का दर्शन

  • यूहन्ना ने एक बड़ी भीड़ देखी जिसे कोई गिन नहीं सकता था — हर राष्ट्र, जाति, लोग और भाषा से।
  • वे सफेद वस्त्र पहने हुए और हथेलियों में खजूर की डालियाँ लिए खड़े थे।
  • वे ऊँचे स्वर से कह रहे थे:

"उद्धार हमारे परमेश्वर का है जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ना का है!"

प्रतीक:

  • महान भीड़ वे जो महाकष्टकाल से निकलकर विजय प्राप्त करते हैं।
  • सफेद वस्त्रधार्मिकता, पवित्रता और विजय का प्रतीक।
  • खजूर की डालियाँविजय और आनंद का प्रतीक (जैसे यीशु के यरूशलेम प्रवेश पर लोग लहराते थे)।

🌿👗 सीख: परमेश्वर की कृपा हर भाषा, राष्ट्र और संस्कृति के लिए खुली है। उद्धार सार्वभौमिक है।


🔹 13-17 पद: भीड़ का परिचय और उनका पुरस्कार

  • एक प्राचीन व्यक्ति ने यूहन्ना से पूछा: "ये कौन हैं जो सफेद वस्त्र पहने हुए हैं?"
  • उत्तर दिया गया:

"ये वे हैं जो महाकष्टकाल से निकल कर आए हैं। उन्होंने अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर उजले किए हैं।"

  • अब वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने उसकी सेवा करते हैं।
  • वे फिर कभी भूखे या प्यासे नहीं रहेंगे, सूर्य या तपन उन्हें न सताएगी।
  • मेम्ना उनका चरवाहा बनेगा और उन्हें जीवन के जल के सोतों तक ले जाएगा।
  • परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।

प्रतीक:

  • महाकष्टकाल से निकलनेवालेविजयी विश्वासी जो विश्वास में दृढ़ रहे।
  • मेम्ने का चरवाहा बननायीशु का प्रेम और देखभाल।
  • आँसू पोंछनापरम शांति और पुनर्स्थापना।

🛐💧 सीख: महाकष्ट में धैर्य और विश्वास से टिके रहने वालों के लिए अनन्त आनंद और शांति निश्चित है।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर विपत्तियों में भी अपने लोगों को पहचानता और सुरक्षित करता है।
✝️ उद्धार किसी एक जाति के लिए नहीं, बल्कि सारी मानवता के लिए है।
✝️ महाकष्टकाल के बावजूद, परमेश्वर के विश्वासी अंततः विजय पाएँगे।
✝️ यीशु मसीह ही हमारा चरवाहा है, जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।


📌 याद रखने योग्य वचन:
"और परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।"
(प्रकाशित वाक्य 7:17)

 


📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 8 – सातवीं मुहर और पहली चार तुरहियाँ
(Revelation 8 – The Seventh Seal and the First Four Trumpets)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर के न्याय के और गहराते हुए चरण को दिखाता है।
सातवीं मुहर खुलने पर सात स्वर्गदूत तुरहियाँ फूँकते हैं — और हर तुरही के साथ पृथ्वी पर विनाश और चेतावनी आती है।
यह परमेश्वर की न्यायपूर्ण प्रतिक्रिया है मानव के पापों और विद्रोह पर।


🔹 1 पद: सातवीं मुहर खुलना – स्वर्ग में सन्नाटा

  • जैसे ही सातवीं मुहर खोली गई, स्वर्ग में लगभग आधे घंटे का सन्नाटा छा गया।

प्रतीक:

  • आधा घंटे का सन्नाटागहन गंभीरता और भयावहता का पूर्वाभास; न्याय आने से पहले का एक पवित्र मौन।
  • जैसे युद्ध से पहले सब शांत हो जाते हैं।

🔔 सीख: परमेश्वर का न्याय जल्दी में नहीं, बल्कि गंभीरता और उचित समय पर आता है।


🔹 2-5 पद: सात तुरही और स्वर्गीय वेदी

  • सात स्वर्गदूतों को तुरहियाँ दी गईं।
  • एक और स्वर्गदूत आया, जिसके पास धूप की अग्निपात्र थी।
  • उसने संतों की प्रार्थनाओं के साथ धूप वेदी पर चढ़ाई।
  • फिर उसने अग्निपात्र को आग से भरकर पृथ्वी पर फेंका — जिससे गर्जन, शब्दनाद, बिजली और भूकंप हुआ।

प्रतीक:

  • धूप और प्रार्थनाएँविश्वासियों की प्रार्थनाएँ परमेश्वर के सामने पहुँचती हैं।
  • अग्निपात्र को पृथ्वी पर फेंकनाप्रार्थनाओं का उत्तर, जो अब न्याय के रूप में आता है।
  • गर्जन, बिजली, भूकंप परमेश्वर की शक्ति और आने वाले न्याय के संकेत।

🔥🕊सीख: हमारी प्रार्थनाएँ महत्वपूर्ण हैं; वे इतिहास की गति को बदल सकती हैं।


🔹 6-7 पद: पहली तुरही – पृथ्वी पर विपत्ति

  • पहले स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • ओले और आग मिले हुए लहू के साथ पृथ्वी पर बरसे।
    • एक तिहाई पृथ्वी, पेड़ और सारी हरी घास जल गई।

प्रतीक:

  • ओला, आग और लहूप्राकृतिक आपदा और युद्ध का मिश्रण।
  • तिहाई का विनाशपूर्ण विनाश नहीं, बल्कि चेतावनी।

🌳🔥 सीख: परमेश्वर चेतावनी देता है, ताकि लोग मन फिराएँ।


🔹 8-9 पद: दूसरी तुरही – समुद्र में विपत्ति

  • दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • कुछ बड़ा जलते हुए पहाड़ के समान समुद्र में गिरा।
    • समुद्र का एक तिहाई खून बन गया,
    • एक तिहाई जीव-जंतु मर गए,
    • एक तिहाई जहाज़ नष्ट हो गए।

प्रतीक:

  • जलता पहाड़शायद उल्का, ज्वालामुखी विस्फोट या परमाणु विनाश का संकेत।
  • समुद्र का खून बननाजीवन का विनाश और संकट का विस्तार।

🚢🌊 सीख: प्रकृति का बिगाड़ परमेश्वर के न्याय का हिस्सा हो सकता है।


🔹 10-11 पद: तीसरी तुरही – जल स्रोतों में विपत्ति

  • तीसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • एक बड़ा जलता हुआ तारा गिरा।
    • नदियों और जल-स्रोतों का एक तिहाई विषैला हो गया।
    • इस तारे का नाम "अमर्थ" (Wormwood) था।
    • बहुत से लोग जल के कारण मरे।

प्रतीक:

  • अमर्थ ताराकड़वाहट और विष का प्रतीक; शायद पर्यावरणीय प्रदूषण या परमाणु विकिरण।
  • पानी का कड़वा होनाजीवन के मूल स्रोत का दूषित होना।

🌌💧 सीख: परमेश्वर के न्याय में जीवन के अनिवार्य साधन भी प्रभावित होते हैं।


🔹 12 पद: चौथी तुरही – आकाश में विपत्ति

  • चौथे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • सूर्य, चंद्रमा और तारों का एक तिहाई भाग अंधकारमय हो गया।
    • एक तिहाई दिन और रात में प्रकाश नहीं रहा।

प्रतीक:

  • प्रकाश का घटनाआध्यात्मिक अंधकार, अनिश्चितता और भय का प्रतीक।

🌑 सीख: जब लोग प्रकाश को ठुकराते हैं, तो अंधकार उन पर हावी हो सकता है।


🔹 13 पद: आने वाली तीन "हाय" की चेतावनी

  • फिर यूहन्ना ने एक उकाब (गरुड़) को आकाश में उड़ते और ऊँचे स्वर में कहते सुना:

"हाय, हाय, हाय पृथ्वी के रहनेवालों पर! क्योंकि बाकी तीन स्वर्गदूतों की तुरहियों की ध्वनि अब सुनाई देने वाली है।"

प्रतीक:

  • हाय (woe)गहन दुख और विनाश की चेतावनी।
  • तीन हायआगे आने वाले न्याय और भी कठोर होंगे।

🦅 सीख: परमेश्वर बार-बार चेतावनी देता है ताकि लोग समय रहते मन फिरा लें।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर का न्याय धीरे-धीरे बढ़ता है, ताकि पश्चाताप का अवसर बना रहे।
✝️ प्राकृतिक आपदाएँ कभी-कभी आध्यात्मिक संदेश भी देती हैं।
✝️ प्रार्थनाएँ स्वर्ग को हिला सकती हैं।
✝️ उद्धार का समय सीमित है — आज पश्चाताप करें।


📌 याद रखने योग्य वचन:
"हाय, हाय, हाय पृथ्वी पर बसनेवालों पर..."
(प्रकाशित वाक्य 8:13)

 


📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 9 – पाँचवीं और छठी तुरही: अधोलोक से विपत्ति और घुड़सवारों का न्याय
(Revelation 9 – The Fifth and Sixth Trumpets: Plagues from the Abyss and the Horsemen's Judgment)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर के न्याय का और भी भयानक चित्र प्रस्तुत करता है।
पाँचवीं तुरही में अधोलोक (Abyss) से भयावह टिड्डियों का दल निकलता है, और छठी तुरही में घुड़सवार सेनाएँ पृथ्वी के एक तिहाई मनुष्यों का नाश करती हैं।
यह अध्याय दिखाता है कि मनुष्य कितना भी पीड़ा झेले, फिर भी कई लोग मन नहीं फिराते।


🔹 1-12 पद: पाँचवीं तुरही – अधोलोक से टिड्डियों का आतंक

  • पाँचवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • एक तारे को स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरते हुए देखा गया।
    • उसे अधोलोक के कुएँ की कुंजी दी गई।
    • कुएँ से धुआँ उठा, जैसे बड़े भट्ठी से निकलता है।
    • धुएँ से टिड्डी जैसे जीव निकले, जिनके पास बिच्छू जैसी शक्ति थी।
    • उन्हें आदेश था कि वे न हरी घास, न वृक्ष, बल्कि केवल उन मनुष्यों को हानि पहुँचाएँ जिनके माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं है।
    • वे पाँच महीने तक लोगों को सताएँगे, पर मारेंगे नहीं।
    • लोग मौत चाहेंगे, लेकिन मौत उनसे दूर भागेगी।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • गिरा हुआ ताराएक स्वर्गदूत या दूत जो गिर चुका है, संभवतः शैतान।
  • अधोलोक का कुआँबुराई का कारागार, दुष्ट शक्तियों का स्रोत।
  • धुआँअंधकार, भ्रम और पाप का प्रसार।
  • टिड्डियाँसामान्य टिड्डियाँ नहीं, बल्कि दुष्ट आत्मिक शक्तियाँ, जो पीड़ा पहुँचाती हैं।
  • बिच्छू का डंकगहरी पीड़ा और मानसिक-आध्यात्मिक यातना का प्रतीक।
  • पाँच महीनेसीमित समय के लिए परमेश्वर का नियंत्रित न्याय।

🦂🌫सीख: परमेश्वर के बिना जीवन अंधकार और पीड़ा से भर जाता है।


🔹 13-19 पद: छठी तुरही – घातक घुड़सवारों की सेना

  • छठे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी:
    • स्वर्ण वेदी के चार सींगों से एक आवाज़ आई।
    • चार स्वर्गदूतों को छोड़ने का आदेश मिला, जो बड़े यमुना (यूफ्रेटीस) नदी के पास बंधे थे।
    • इन चारों ने एक बहुत बड़ी सेना को छोड़ा — दो करोड़ घुड़सवार!
    • इन घुड़सवारों के घोड़ों के सिर शेरों जैसे थे, और उनके मुँह से आग, धुआँ और गंधक निकलती थी।
    • इन तीन विपत्तियों (आग, धुआँ, गंधक) से पृथ्वी का एक तिहाई मानवता मारी गई।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • चार बँधे हुए स्वर्गदूतन्याय के लिए ठहराए गए स्वर्गिक प्राणी, अब छोड़ दिए गए।
  • यमुना (यूफ्रेटीस)प्राचीन सभ्यताओं का केंद्र; बाइबिल में अक्सर संकटों का स्रोत।
  • दो करोड़ घुड़सवारविशाल, अजेय विनाशकारी सेना।
  • घोड़ों के मुँह से आग, धुआँ और गंधक निकलनाविनाशकारी युद्ध और परमाणु/रासायनिक हमलों का प्रतीक भी हो सकता है।
  • तीन विपत्तियाँव्यापक मौत और तबाही का प्रतीक।

🐎🔥🌫सीख: जब मानवता पश्चाताप नहीं करती, तो न्याय और भी कठोर होता जाता है।


🔹 20-21 पद: फिर भी मन फिराया नहीं

  • इतनी भयंकर विपत्तियों के बाद भी बचे हुए मनुष्यों ने अपने पापों से मन नहीं फिराया।
  • वे अभी भी दुष्ट आत्माओं की पूजा करते रहे,
    • सोने, चाँदी, पीतल, पत्थर और लकड़ी की मूर्तियों की, जो न देखती, न सुनती, न चलती हैं।
  • उन्होंने हत्याएँ, जादू-टोना, व्यभिचार और चोरी करना नहीं छोड़ा।

प्रतीक:

  • मूर्ति पूजा और पाप में लिप्ततामानव हृदय की कठोरता और आत्मिक अंधापन।

💔🔔 सीख: दुख और विपत्ति भी यदि पश्चाताप नहीं लाती, तो इसका परिणाम और भी भयानक हो सकता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर का न्याय गहरा और निश्चित है।
✝️ दुष्ट आत्माएँ भी परमेश्वर की अनुमति के बिना कार्य नहीं कर सकतीं।
✝️ पश्चाताप करने का समय सीमित है — अवसर रहते प्रभु की ओर लौटना चाहिए।
✝️ कठोर हृदय विनाश को बुलाता है।


📌 याद रखने योग्य वचन:
"और उन लोगों ने न तो अपने हाथों के कामों से मन फिराया, न दुष्टात्माओं की, न मूर्तियों की उपासना छोड़ दी..."
(प्रकाशित वाक्य 9:20)

 


📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 10 – बलवान स्वर्गदूत और छोटी पुस्तक
(Revelation 10 – The Mighty Angel and the Little Scroll)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय एक अस्थायी "विराम" जैसा है — तुरहियों की न्यायकारी घटनाओं के बीच में परमेश्वर एक गुप्त संदेश और एक विशेष आदेश प्रकट करता है।
यह अध्याय दिखाता है कि परमेश्वर की योजना पूरी हो रही है, और उसका वचन मीठा भी है और कठिन भी।


🔹 1-4 पद: बलवान स्वर्गदूत और सात गरजनें

  • एक और बलवान स्वर्गदूत स्वर्ग से उतरा, बादल में लिपटा हुआ।
  • उसके सिर पर इंद्रधनुष था, और उसका मुख सूर्य के समान चमकता था।
  • उसके पाँव आग के खंभों जैसे थे।
  • उसके हाथ में एक खुली छोटी पुस्तक थी।
  • उसने अपना दायाँ पैर समुद्र पर और बाँया पैर पृथ्वी पर रखा।
  • वह सिंह के गर्जने जैसा जोर से चिल्लाया।
  • उसके चिल्लाने पर सात गरजनें बोल उठीं।
  • जब सात गरजनों ने बातें कीं, तो यूहन्ना उन्हें लिखने वाला था, लेकिन उसे आदेश दिया गया: “इन्हें न लिख।”

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • बलवान स्वर्गदूतसंभवतः मसीह के प्रतिनिधि जैसा एक शक्तिशाली स्वर्गदूत।
  • बादल में लिपटादिव्यता और स्वर्गीय महिमा का चिन्ह।
  • इंद्रधनुषपरमेश्वर की वाचा और दया का प्रतीक।
  • मुख सूर्य सापरमेश्वर की महिमा और न्याय का प्रकाश।
  • पाँव अग्नि के खंभेस्थिरता और न्याय की शक्ति।
  • छोटी पुस्तकविशेष संदेश, जो यूहन्ना के द्वारा लोगों तक पहुँचेगा।
  • समुद्र और पृथ्वी पर पैरसम्पूर्ण सृष्टि पर अधिकार।
  • सात गरजनेंपरमेश्वर के छिपे हुए रहस्य जो अभी उजागर नहीं किए जाने चाहिए।

🌈🔥📖 सीख: परमेश्वर कुछ रहस्य अभी भी हमारे लिए गुप्त रखता है।


🔹 5-7 पद: शपथ और रहस्य का पूरा होना

  • स्वर्गदूत ने समुद्र और पृथ्वी की ओर हाथ उठाया और परमेश्वर की शपथ खाई:
    • "अब देर न होगी।"
    • सातवें स्वर्गदूत के तुरही फूँकते समय, परमेश्वर का रहस्य पूरा हो जाएगा — जैसे उसने अपने सेवक भविष्यद्वक्ताओं को बताया था।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • हाथ उठाकर शपथ लेनाअत्यंत गंभीर और अंतिम घोषणा।
  • अब देर न होगीपरमेश्वर की योजना शीघ्र पूरी होने वाली है।
  • रहस्य पूरा होनाउद्धार, न्याय और मसीह का राज्य स्थापन।

🎺 सीख: परमेश्वर अपनी समयसीमा के अनुसार अपने वचन को पूरा करता है।


🔹 8-11 पद: छोटी पुस्तक को खाना

  • यूहन्ना को वही स्वर्गदूत आज्ञा देता है:
    • "जा, उस स्वर्गदूत के हाथ से छोटी पुस्तक ले ले।"
  • यूहन्ना ने पुस्तक ली और खा ली।
  • पुस्तक का स्वाद मुँह में मधु जैसा मीठा था, पर पेट में वह कड़वा बन गई।
  • फिर यूहन्ना से कहा गया: "तुझे फिर से बहुत से देशों, जातियों, भाषाओं और राजाओं के विषय में भविष्यवाणी करनी होगी।"

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • पुस्तक को खानापरमेश्वर का वचन पूरी तरह आत्मसात करना।
  • मीठा मुँह मेंपरमेश्वर का वचन सुनना आनंददायक है।
  • कड़वा पेट मेंवचन का संदेश कठिनाइयों, पीड़ा और न्याय से भरा हो सकता है।
  • भविष्यवाणी करनापरमेश्वर का संदेश पूरी दुनिया में प्रचारित करना।

🍯📖😖 सीख: परमेश्वर का वचन सच्चा आनंद देता है, पर उसे जीना और प्रचार करना बलिदान मांगता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ परमेश्वर के रहस्य पूरी तैयारी से पूरे होते हैं।
✝️ हमें वचन को न केवल जानना, बल्कि उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
✝️ परमेश्वर का संदेश प्रचार करना कभी-कभी कठिन होता है, लेकिन यह आवश्यक है।
✝️ परमेश्वर ने सब कुछ समयबद्ध किया है — सब कुछ उसकी योजना के अनुसार होगा।


📌 याद रखने योग्य वचन:
"तुझे फिर से बहुत से देशों, जातियों, भाषाओं और राजाओं के विषय में भविष्यवाणी करनी होगी।"
(प्रकाशित वाक्य 10:11)



📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 11 – दो गवाह और सातवीं तुरही
(Revelation 11 – The Two Witnesses and the Seventh Trumpet)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय न्याय और गवाही के बीच संतुलन को दर्शाता है। परमेश्वर दो विशेष गवाहों को उठाता है जो संसार को पश्चाताप का संदेश देते हैं। फिर सातवीं तुरही बजाई जाती है और परमेश्वर के राज्य की घोषणा होती है।


🔹 1-2 पद: मंदिर का नापना

  • यूहन्ना को एक नपने की छड़ी दी जाती है और कहा जाता है कि वह परमेश्वर के मंदिर, वेदी और वहाँ उपासना करने वालों को नापे।
  • लेकिन बाहरी आँगन को न नापना — वह अन्यजातियों को दे दिया गया है, और वे पवित्र नगर को 42 महीने तक रौंदेंगे।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • नपने की छड़ी — परमेश्वर का मापन, जाँच और संरक्षण।
  • मंदिर — परमेश्वर की उपस्थिति का स्थान, या आत्मिक रूप से विश्वासी समुदाय।
  • बाहरी आँगन — अविश्वासी दुनिया या सताए गए विश्वासी।
  • 42 महीने (3½ साल) — कष्ट का एक निश्चित समय (1260 दिन भी कहा जाता है)।

📏⛪🌍 सीख: परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा करता है, लेकिन उन्हें समय के लिए परीक्षण भी सहना पड़ता है।


🔹 3-6 पद: दो गवाह

  • परमेश्वर दो गवाहों को 1260 दिनों तक भविष्यवाणी करने के लिए भेजता है।
  • वे टाट वस्त्र पहनते हैं (शोक और पश्चाताप का प्रतीक)।
  • वे दो जैतून के पेड़ और दो दीवट (दीपक) कहलाते हैं जो पृथ्वी के स्वामी के सामने खड़े हैं।
  • यदि कोई उन्हें हानि पहुँचाना चाहता है, तो उनके मुँह से आग निकलती है।
  • उनके पास आकाश को बन्द करने (बारिश रोकने), जल को रक्त में बदलने, और पृथ्वी पर हर प्रकार की विपत्तियाँ डालने की शक्ति है।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • दो गवाह — परमेश्वर के सत्य के प्रतिनिधि; इन्हें मूसा और एलिय्याह के समान समझा जाता है।
  • जैतून के पेड़ — आत्मा से भरे हुए जीवन।
  • दीवट — प्रकाश और सच्चाई का प्रचार।
  • आग निकलना — परमेश्वर की न्यायकारी शक्ति।
  • विपत्तियाँ लाना — उनकी गवाही को अनदेखा करने पर दंड।

🌳🔥💧 सीख: परमेश्वर कठिन समय में भी सच्चाई के गवाहों को खड़ा करता है।


🔹 7-10 पद: गवाहों की मृत्यु

  • जब उनका गवाही का काम पूरा हो जाएगा, तो “गड्ढे से निकलने वाला पशु” उनसे युद्ध करेगा और उन्हें मार डालेगा।
  • उनकी लाशें महान नगर (जो आत्मिक रूप से सदोम और मिस्र कहलाता है — अर्थात् पाप और दासत्व का प्रतीक) की सड़कों पर पड़ी रहेंगी।
  • लोग उनकी मृत्यु पर खुशियाँ मनाएँगे और उपहार भेजेंगे।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • गड्ढे से निकलने वाला पशु — शैतानी शक्तियाँ।
  • महान नगर — भ्रष्ट मानव सभ्यता (येरूशलेम का भी एक चित्रात्मक अर्थ)।
  • लाशों पर आनंद — मनुष्यता की कठोरता और परमेश्वर-विरोधी भावना।

🐉🏙📦 सीख: सत्य बोलने वालों का संसार में विरोध होता है, पर परमेश्वर की योजना उनमें भी कार्य करती है।


🔹 11-14 पद: पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण

  • तीन दिन ढाई रात बाद परमेश्वर की आत्मा गवाहों में प्रवेश करती है और वे जीवित हो उठते हैं।
  • वे स्वर्ग में ऊपर चढ़ाए जाते हैं, और उनके शत्रु भयभीत होते हैं।
  • उसी समय एक बड़ा भूकंप आता है, जिससे नगर का दसवाँ भाग गिर पड़ता है और 7000 लोग मर जाते हैं।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • तीन दिन ढाई रात — मसीह के पुनरुत्थान का प्रतिबिंब।
  • स्वर्गारोहण — परमेश्वर का अंतिम विजय और सम्मान।
  • भूकंप — न्याय और परिवर्तन का समय।

⚡☁🏙सीख: परमेश्वर के गवाह अंतिम विजय पाते हैं चाहे संसार उन्हें अस्थायी रूप से पराजित कर दे।


🔹 15-19 पद: सातवीं तुरही और परमेश्वर का राज्य

  • सातवाँ स्वर्गदूत तुरही फूँकता है, और स्वर्ग में आवाजें गूंजती हैं:
    • "इस संसार का राज्य अब हमारे प्रभु और उसके मसीह का राज्य बन गया है।"
  • 24 प्राचीन अपने सिंहासनों से गिरकर परमेश्वर की आराधना करते हैं।
  • वे कहते हैं कि अब परमेश्वर ने न्याय करने और अपने दासों को प्रतिफल देने का समय ला दिया है।
  • फिर स्वर्ग में परमेश्वर का मंदिर खुलता है, और वाचा का संदूक दिखता है।
  • बिजली, आवाजें, गर्जन, भूकंप और भारी ओलावृष्टि होती है।

प्रतीक और उनके अर्थ:

  • सातवीं तुरही — अंतिम घोषणा; मसीह का राज्य स्थापन।
  • 24 प्राचीन — विश्वासी समुदाय के प्रतिनिधि।
  • वाचा का संदूक — परमेश्वर की वाचा और विश्वासयोग्यता का प्रतीक।
  • गर्जन और भूकंप — न्याय का समय।

🎺👑⚡ सीख: अंततः परमेश्वर का राज्य प्रकट होगा, और उसके न्याय व दया दोनों का प्रकट रूप होगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️ गवाही देना कठिन हो सकता है लेकिन अंतिम विजय परमेश्वर की होगी।
✝️ परमेश्वर अपने सेवकों को न्याय के समय ऊँचा उठाता है।
✝️ दुनिया चाहे विरोध करे, अंततः प्रभु यीशु का राज्य स्थापन होगा।
✝️ परमेश्वर अपने वचन और वचनों के प्रति सच्चा है।


📌 याद रखने योग्य वचन:
"इस संसार का राज्य अब हमारे प्रभु और उसके मसीह का राज्य बन गया है, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।"
(प्रकाशित वाक्य 11:15)

 

📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 12 – स्त्री, अजगर और मसीह का जन्म
(Revelation 12 – The Woman, the Dragon, and the Male Child)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय एक महान आत्मिक युद्ध को दर्शाता है जो स्वर्ग और पृथ्वी पर चलता है। इसमें तीन मुख्य पात्र हैं — एक रहस्यमयी स्त्री, एक लाल अजगर, और एक पुत्र जो “लोहदंड से सारी जातियों पर राज्य करेगा।” इस अध्याय में शैतान (अजगर) के गिरने और कलीसिया की सुरक्षा को चमत्कारी रूप से दर्शाया गया है।


🔹 1-2 पद: स्वर्ग में एक महान चिन्ह — एक स्त्री

“स्वर्ग में एक बड़ा चिन्ह दिखाई दिया — एक स्त्री, जो सूर्य से परिधान किए हुए थी, और उसके पाँवों के नीचे चंद्रमा था, और उसके सिर पर बारह तारों का मुकुट था। वह गर्भवती थी और प्रसव वेदना में चिल्ला रही थी।”

प्रतीक और अर्थ:

  • स्त्री – इस पर कई व्याख्याएँ हैं:
    • इस्राएल राष्ट्र (जो मसीहा को जन्म देता है)
    • मसीही कलीसिया (जिससे परमेश्वर की योजना आगे बढ़ती है)
    • विश्वव्यापी आत्मिक सच्चाई की प्रतिनिधि
  • सूर्य, चंद्रमा और 12 तारे – यूसुफ के स्वप्न (उत्पत्ति 37:9) की ओर इशारा करते हैं, जो याकूब (इस्राएल) और उसकी संतान (12 गोत्र) का प्रतीक हैं।
  • गर्भवती स्त्री – मसीहा (यीशु मसीह) के आगमन की तैयारी।

🕊🌞🌙 सीख: परमेश्वर की योजना में मसीहा का आगमन एक प्रमुख घटना है, जिसकी तैयारी आत्मिक युद्ध से जुड़ी होती है।


🔹 3-4 पद: दूसरा चिन्ह — लाल अजगर

“एक और चिन्ह स्वर्ग में दिखाई दिया — एक बड़ा लाल अजगर, जिसके सात सिर और दस सींग थे, और उसके सिरों पर सात मुकुट थे। उसने अपनी पूँछ से आकाश के एक तिहाई तारों को खींच कर पृथ्वी पर फेंक दिया।”

प्रतीक और अर्थ:

  • लाल अजगर – शैतान या शैतानी ताकतें (वचन में बाद में स्पष्ट किया गया)।
  • सात सिर और दस सींग – शक्ति, शासन और झूठी धार्मिक व्यवस्था का प्रतीक (दानिय्येल 7:7 से संबंध)।
  • एक तिहाई तारे गिराना – स्वर्गदूतों का पतन, जो शैतान के साथ गिर गए।
  • बच्चे को निगलने की कोशिश – मसीहा के विरुद्ध शैतान का षड्यंत्र (जैसे हेरोदेस का बालहत्या आदेश)।

🐉⭐👶 सीख: शैतान आरंभ से ही परमेश्वर की योजना को नष्ट करने की कोशिश करता आया है, लेकिन वह असफल रहता है।


🔹 5-6 पद: पुत्र का जन्म और स्त्री की सुरक्षा

“उसने एक पुत्र को जन्म दिया जो लोहदंड से सब जातियों पर राज्य करेगा, और उसका बच्चा परमेश्वर और उसके सिंहासन के पास उठा लिया गया।”

प्रतीक और अर्थ:

  • पुत्र – यीशु मसीह, जो राजसी शक्ति के साथ शासन करता है (भजन संहिता 2:9)।
  • स्वर्ग में उठा लिया गया – मसीह का स्वर्गारोहण।
  • स्त्री का जंगल में भागना – परमेश्वर द्वारा अपनी प्रजा की अद्भुत सुरक्षा।

👑🍼🏞सीख: मसीहा की सुरक्षा और कलीसिया की देखभाल परमेश्वर स्वयं करता है, चाहे संकट कोई भी हो।


🔹 7-9 पद: स्वर्ग में युद्ध — शैतान का पतन

“मीकाएल और उसके स्वर्गदूतों ने अजगर से युद्ध किया... और अजगर को नीचे गिरा दिया गया।”

प्रतीक और अर्थ:

  • मीकाएल – प्रमुख स्वर्गदूत; यहूदा की रक्षा करने वाला (दानिय्येल 12:1)।
  • युद्ध – आत्मिक संघर्ष जो परमेश्वर और शैतान के बीच चलता है।
  • नीचे गिराया जाना – शैतान का सीमित होना; वह अब स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकता।

🐍 सीख: शैतान पराजित है — यह सत्य हमें साहस देता है।


🔹 10-12 पद: विजयी घोषणा

“अब हमारे परमेश्वर का उद्धार, सामर्थ, राज्य और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है।”

प्रतीक और अर्थ:

  • भाईयों पर दोष लगाने वाला गिरा दिया गया – शैतान, जो विश्वासियों पर दिन-रात दोष लगाता था, अब गिरा दिया गया।
  • विजय का कारण – मसीह का लहू और विश्वासियों की गवाही।
  • “अपने प्राणों से भी प्रीति न की” – विश्वासियों की पूर्ण समर्पण की भावना।

🩸🗣🕊सीख: हमारी विजय मसीह के बलिदान और हमारे गवाह होने में है।


🔹 13-17 पद: शैतान का स्त्री पर क्रोध

“जब अजगर ने देखा कि वह पृथ्वी पर गिराया गया है, तो उसने उस स्त्री पर जो पुत्र को जन्म दी थी, क्रोध किया।”

प्रतीक और अर्थ:

  • स्त्री पर हमला – कलीसिया या परमेश्वर की प्रजा पर शैतान का क्रोध।
  • दो बड़े पंख – सुरक्षा और स्वर्गीय सहायता (निर्गमन 19:4 की तरह)।
  • नदी उगलना – शैतान द्वारा फैलाया गया धोखा, झूठ, और उत्पीड़न।
  • पृथ्वी का सहायता करना – परमेश्वर का हस्तक्षेप; प्राकृतिक और चमत्कारी सुरक्षा।
  • बाकी सन्तानों से युद्ध – विश्वभर के विश्वासी।

🪽🌊🌎⚔️ सीख: शैतान अंतिम समय में और अधिक हमला करेगा, पर परमेश्वर की सुरक्षा भी उसी तरह प्रकट होती है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

✝️ परमेश्वर की योजना को शैतान रोक नहीं सकता — मसीहा विजयी हुआ है।
✝️ विश्वासियों की सुरक्षा परमेश्वर के हाथ में है, चाहे शैतान कितनी भी चालें चले।
✝️ आत्मिक युद्ध वास्तविक है, लेकिन हमारी विजय मसीह के लहू और हमारी सच्ची गवाही में है।
✝️ परमेश्वर का राज्य धीरे-धीरे प्रकट हो रहा है — और हम उसका भाग हैं।


📌 याद रखने योग्य वचन:
"उन्होंने मेम्ने के लोहू और अपनी गवाही के वचन के द्वारा उस पर जय पाई है, और उन्होंने अपने प्राणों से भी प्रीति न की।"
(प्रकाशित वाक्य 12:11)

 

 📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 13 – दो पशु: मसीह-विरोधी और झूठा भविष्यद्वक्ता

(Revelation 13 – The Beast from the Sea and the Beast from the Earth)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय अन्त समय की दो मुख्य शैतानी शक्तियों को प्रकट करता है: एक समुद्र से निकलने वाला पशु (Antichrist) और एक पृथ्वी से निकलने वाला दूसरा पशु (False Prophet)। ये दोनों शैतान की योजना के उपकरण हैं, जो संसार को धोखा देकर मसीह के विरुद्ध उठाते हैं।


🔹 1-10 पद: समुद्र से निकला हुआ पहला पशु

“मैंने देखा कि एक पशु समुद्र से निकल रहा है, जिसके दस सींग और सात सिर थे... और उस पर निन्दा के नाम लिखे हुए थे।”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

  • समुद्र – राष्ट्रों, जातियों और अशांत मानव-समाज का प्रतीक (देखें: यशायाह 57:20)।
  • पशु – मसीह-विरोधी (Antichrist), जो शैतान की शक्ति से शासन करता है।
  • दस सींग और सात सिर – यह दानिय्येल 7 से जुड़ा हुआ है; यह राजनीतिक साम्राज्य और नेतृत्व का प्रतीक है।
  • निन्दा के नाम – परमेश्वर के विरुद्ध बगावत और झूठी उपासना।
  • शैतान से शक्ति पाना – यह पशु शैतान से अधिकार, सिंहासन और सामर्थ पाता है (13:2)।
  • “मरने के समान घाव” और फिर भी जी उठना – मसीह के पुनरुत्थान की नकल; धोखे से लोगों को आकर्षित करना।

🧠👑🐉
सीख: शैतान झूठे मसीह द्वारा दुनिया को भ्रमित करता है — वह सच्चे मसीह की नकल करता है।

“सारा जगत चकित होकर उस पशु के पीछे चला।”

🔹 लोग उसकी उपासना करते हैं, कहते हैं:

“इस पशु के समान कौन है? कौन उसके साथ युद्ध कर सकता है?”

🧎‍💬
सीख: दुनिया राजनीतिक ताकत और चमत्कारों के पीछे चलती है, लेकिन यह झूठ का जाल हो सकता है।


🔹 11-18 पद: पृथ्वी से निकला दूसरा पशु

“फिर मैंने एक और पशु को पृथ्वी से निकलते देखा, उसके दो सींग थे जैसे मेम्ने के, पर बोलता अजगर के समान था।”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

  • दूसरा पशु – झूठा भविष्यवक्ता, धार्मिक धोखे का प्रतिनिधि (प्रका. 16:13; 19:20)।
  • मेम्ने के जैसे सींग – यह दिखावे में कोमल और धार्मिक लगता है, पर इसका स्वर अजगर जैसा (शैतानी)।
  • पहले पशु की उपासना करवाना – यह राजनीतिक शक्ति को धार्मिक वैधता देता है।
  • चमत्कार करना – अग्नि को स्वर्ग से पृथ्वी पर गिराना (मसीह की सामर्थ की नक़ल – लूका 9:54)।
  • मूर्ति बनाना – पहले पशु की मूर्ति को बनवाकर उसकी पूजा कराना।

🔥🗣🕍
सीख: यह धार्मिक धोखा है, जो दिखावे में धार्मिकता लाता है, लेकिन शैतान का उपकरण है।


🔹 पशु का चिन्ह और संख्या: 666

“उसने सब को... एक छाप दाहिने हाथ या माथे पर लगवाने दी, कि कोई व्यक्ति बिना उस छाप के... न खरीद सके न बेच सके।”
“यह पशु का नाम है, और उसकी संख्या है: 666”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

  • छाप (Mark of the Beast) – पूर्ण आज्ञाकारिता और पहचान।
    • दाहिना हाथ – कार्यों का प्रतीक।
    • माथा – सोच और निष्ठा का प्रतीक।
  • 666 – मनुष्य की संख्या। परमेश्वर की पूर्णता 7 है, तो 6 अधूरापन का प्रतीक है। तीन बार 6 – परम त्रिएकता के विरुद्ध शैतान की त्रिएकता (शैतान, मसीह विरोधी, झूठा भविष्यवक्ता)।
    • यह संख्या मसीह-विरोधी की पहचान को दर्शाती है।

💳✋🧠
सीख: यह विश्वव्यापी नियंत्रण का प्रतीक है — जो धर्म, अर्थव्यवस्था और शासन तीनों को प्रभावित करेगा।


इस अध्याय से क्या सिखें?

️ शैतान मसीह की नक़ल करके धोखे फैलाता है – राजनीतिक और धार्मिक दोनों स्तरों पर।
️ चमत्कार और बाहरी शक्ति सच्चाई का प्रमाण नहीं हैं — विवेक और आत्मिक ज्ञान ज़रूरी है।
️ अंतिम समय में सच्चे विश्वासियों पर बहुत दबाव आएगा — लेकिन उन्हें डटे रहना है।
️ “छाप” केवल भौतिक नहीं — यह विचार, निष्ठा, और कार्य में परमेश्वर या शैतान की ओर झुकाव है।


📌 याद रखने योग्य वचन:

“जो धीरज धरते और विश्वास पर स्थिर रहते हैं, उन्हीं के लिए यह बुलाहट है।”
(प्रकाशित वाक्य 13:10)

 


📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 14 – अंतिम चेतावनी और कटाई का दृश्य

 (Revelation 14 – Final Warning and the Harvest of the Earth)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय न्याय और दया के बीच संतुलन को दर्शाता है। एक ओर 144,000 वफादार जन स्वर्ग में परमेश्वर की महिमा गाते हैं, वहीं दूसरी ओर तीन स्वर्गदूत पृथ्वी पर न्याय की घोषणा करते हैं। अंत में पृथ्वी की “कटाई” – यानी दो प्रकार के न्याय का ज़िक्र है: धर्मियों का संग्रह और दुष्टों का नाश।


🔹 1-5 पद: युगों के लिए चुने गए – 144,000

“फिर मैंने देखा, कि देखो, मेम्ना सिय्योन पर्वत पर खड़ा है, और उसके साथ 1,44,000 जन हैं, जिनके माथे पर उसके और उसके पिता का नाम लिखा हुआ था।”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

  • मेम्ना – यीशु मसीह।
  • सिय्योन पर्वत – स्वर्गीय सिय्योन या आत्मिक यरूशलेम का प्रतीक (इब्रानियों 12:22)।
  • 144,000 – ये वही विश्वासी हैं जिन्हें प्रका. 7 में “महर” किया गया था। ये अंत तक वफादार रहे।
  • माथे पर नाम – यह उनके परमेश्वर के साथ संबंध और पहचान का चिन्ह है।
  • “कुँवारी” – आत्मिक दृष्टि से शुद्धता और मसीह के प्रति पूर्ण निष्ठा।
  • “झूठ न बोला” – पूर्ण सत्य में चलने वाले।

🕊🎶
सीख: सच्चे विश्वासी संसार के भ्रष्टाचार से अलग होकर मसीह के साथ खड़े रहते हैं।


🔹 6-13 पद: तीन स्वर्गदूतों का सन्देश

1.      पहला स्वर्गदूत: सुसमाचार की अंतिम पुकार

“उसने... यह अनन्त सुसमाचार सुनाया... परमेश्वर से डरो, और उसकी महिमा करो।”

  • सभी राष्ट्रों के लिए अंतिम अवसर – परमेश्वर की आराधना करो!

2.     दूसरा स्वर्गदूत: बाबुल का पतन

“गिर गया, महान बाबुल गिर गया, जिसने अपने व्यभिचार की मदिरा से सब जातियों को पिलाया।”

  • बाबुल – धार्मिक और राजनीतिक भ्रष्टता का प्रतीक।
  • इसका पतन सुनिश्चित है।

3.    तीसरा स्वर्गदूत: पशु की छाप का परिणाम

“यदि कोई पशु और उसकी मूरत की पूजा करे, और अपनी छाप अपने माथे या हाथ पर ले... वह परमेश्वर के क्रोध का पात्र बनेगा।”

🔥

  • पशु की छाप लेने का अर्थ है: शैतान की व्यवस्था में भागीदार होना।
  • इसका अंत अनन्त दण्ड है।

🧠📛✋
सीख: आत्मिक सतर्कता ज़रूरी है – परमेश्वर के प्रति निष्ठा बनाए रखें, चाहे कीमत कुछ भी हो।


🔹 14-20 पद: दो प्रकार की कटाई

🌾 पहली कटाई – मसीह द्वारा

“एक सफेद बादल पर मनुष्य के पुत्र के समान कोई बैठा था... और उसने पृथ्वी पर अपनी दरांती चलाई।”

  • यह मसीह द्वारा धर्मियों की आत्मिक कटाई है – मसीही जनों का संग्रह।

🍇 दूसरी कटाई – दुष्टों का न्याय

“पृथ्वी की दाखलताओं की दरांती चलाकर दाखें इकट्ठी कीं... और परमेश्वर के क्रोध की हौद में फेंका।”

  • यह दुष्टों का न्याय है।
  • “लोहू बह निकला और घोड़ों की लगाम तक आ गया” – अत्यधिक और गंभीर न्याय।

🌍
सीख: न्याय निश्चित है – समय रहते पश्चाताप ज़रूरी है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

️ परमेश्वर अपने वफादार लोगों को चिन्हित करता है और अंत तक उनकी रक्षा करता है।
️ पूरी दुनिया को अंतिम चेतावनी दी जाती है – यह दया का संकेत है।
️ पशु की छाप लेने का मतलब सिर्फ कोई "सिस्टम" नहीं, बल्कि निष्ठा की दिशा है – परमेश्वर या शैतान।
️ न्याय दो भागों में होता है – एक उद्धार के लिए, एक नाश के लिए।


📌 याद रखने योग्य वचन:

“जो मसीह यीशु में मरते हैं, वे धन्य हैं... वे अपने परिश्रम से विश्राम पाएंगे।”
(प्रकाशित वाक्य 14:13)

 


📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 15 – परमेश्वर का अन्तिम और पूर्ण न्याय
(Revelation 15 – The Prelude to the Final Wrath of God)


🌟 अध्याय की झलक:
यह छोटा लेकिन गम्भीर अध्याय “अंतिम सात संकटों” (Seven Last Plagues) का प्रस्तावना है। इसमें परमेश्वर की पवित्रता, न्याय, और क्रोध की महिमा दिखाई गई है। यह अध्याय हमें बताता है कि परमेश्वर का न्याय देर से आता है, पर जब आता है, तो सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण होता है। इसमें विजयी विश्वासी भी शामिल हैं जो "पशु" (beast) और उसकी मूरत पर जय पाते हैं।


🔹 1 पद: सात अंतिम विपत्तियाँ

“फिर मैं ने स्वर्ग में एक और बड़ा और आश्चर्यजनक चिन्ह देखा: सात स्वर्गदूत जिन के पास सात अंतिम विपत्तियाँ थीं।”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

  • “बड़ा और आश्चर्यजनक चिन्ह” – यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है; अब परमेश्वर का क्रोध पूर्ण रूप से प्रकट होने वाला है।
  • सात विपत्तियाँ – ये अंतिम सात “कटोरों” (bowls) के रूप में अगले अध्याय (प्रकाशितवाक्य 16) में प्रकट होंगी।
  • “पूर्ण हुआ” – यह परमेश्वर के धैर्य की पूर्णता और न्याय की चरम अवस्था को दर्शाता है।

🕊️ सीख: परमेश्वर न्याय करता है, पर पहले चेतावनी और समय देता है।


🔹 2-4 पद: कांच के समुद्र पर खड़े विजयी जन

“...और मैंने कांच के समुद्र को देखा... और जो पशु और उसकी मूरत और उसकी छाप और उसके नाम के अंक से जय पाकर खड़े थे... वे परमेश्वर का वीणा बजाते थे।”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

  • कांच का समुद्र – परमेश्वर की पवित्रता और स्वर्गीय स्थिति का प्रतीक।
  • आग मिश्रित – न्याय का तत्व शामिल है; ये वे हैं जो अत्याचार से होकर निकले हैं।
  • “जय पाने वाले” – वे जिन्होंने पशु (दुष्ट व्यवस्था) की पूजा से इनकार किया, भले ही कीमत जान की हो।
  • वीणा बजाना और गीत गाना – वे परमेश्वर की महिमा करते हैं, जैसे मूसा और मेम्ना का गीत (छूट और उद्धार का गीत)।

🎶 गीत के शब्द (3-4 पद):

“हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे काम बड़े और अद्भुत हैं... सब जातियाँ तेरे पास आएँगी, और तेरी उपासना करेंगी, क्योंकि तेरे न्याय प्रकट हुए हैं।”

🕊️ सीख: परमेश्वर की उपासना के लिए हमारी विजय, धीरज और निष्ठा आवश्यक है।


🔹 5-8 पद: मंदिर खुलता है और सात स्वर्गदूत निकलते हैं

“...मैं ने देखा कि स्वर्ग में साक्षी की मण्डली का मंदिर खुल गया... सात स्वर्गदूत निकले... और उन को सात सुनहरी कटोरे दिए गए... और मंदिर धुएं से भर गया...”

🔍 प्रतीक और अर्थ:

  • साक्षी की मण्डली का मंदिर – यह परमेश्वर की उपस्थिति का केंद्र है; अब न्याय उसके सिंहासन से निकलता है।
  • स्वर्ण कटोरे – ये परमेश्वर के क्रोध के प्रतीक हैं; ये “परिपूर्ण” और “पवित्र” क्रोध हैं, जो न्याय के लिए निकलते हैं।
  • धुआँ – परमेश्वर की महिमा और शक्ति का चिन्ह (निर्ग. 40:34, यशा. 6:4)।
  • कोई प्रवेश न कर सका – यह दिखाता है कि अब कोई मध्यस्थता नहीं; निर्णय अंतिम है।

🔥 सीख: जब परमेश्वर का धैर्य समाप्त होता है, तो न्याय निश्चित और भयानक होता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

️ परमेश्वर न्यायी और पवित्र है – उसकी महिमा को हल्के में न लें।
️ विरोधों के बीच भी विश्वासियों की विजय संभव है – निष्ठा की कीमत होती है।
️ परमेश्वर के क्रोध से बचने का एक ही मार्ग है: पश्चाताप और यीशु में विश्वास।
️ जब न्याय प्रारंभ होता है, तब प्रार्थना या आराधना भी रोक दी जाती है – क्योंकि समय समाप्त हो चुका होता है।


📌 याद रखने योग्य वचन:

“हे प्रभु, कौन तेरा भय न मानेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा? क्योंकि तू ही पवित्र है।”
(प्रकाशित वाक्य 15:4)

 


📖 प्रकाशित वाक्य अध्याय 16 – सात कटोरों का क्रोध और अंतिम न्याय
(Revelation 16 – The Seven Bowls of Wrath and Final Judgment)


🌟 अध्याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर के क्रोध की अंतिम और पूर्ण अभिव्यक्ति को दर्शाता है। सात स्वर्गदूत सात “क्रोध के कटोरे” पृथ्वी पर उड़ेलते हैं, जिससे प्रकृति, मानवता, और दुष्ट व्यवस्थाएँ एक के बाद एक दंडित होती हैं। यह न्याय एक तरह का "उत्तर" है उन सबके लिए जो पश्चाताप नहीं करते, बल्कि विरोध करते हैं।


🔹 1 पद: आदेश – “जाओ और क्रोध उड़ेलो”

“फिर मैं ने एक बड़ी ऊँची आवाज़ सुनी, जो मंदिर से सात स्वर्गदूतों से कहती थी: 'जाओ और परमेश्वर का क्रोध पृथ्वी पर उड़ेल दो।’”

🔍 प्रतीक:

  • बड़ी आवाज़ – स्वयं परमेश्वर का आदेश।
  • क्रोध के कटोरे – परमेश्वर का निष्कलंक और पवित्र न्याय।

🕊️ सीख: परमेश्वर तब तक न्याय नहीं करता जब तक चेतावनी और अवसर न दे।


🔹 2-9 पद: पहले चार कटोरे – मानवता और प्रकृति पर प्रहार

1️ पहला कटोरा – दर्दनाक फोड़े

“...उन लोगों के शरीर पर बुरा और दुखदायक फोड़ा निकला जिनके पास पशु की छाप थी...”

  • पशु की छाप लेने वालों पर ही यह विपत्ति आती है – यह चेतावनी की पुष्टि है।

2️ दूसरा कटोरा – समुद्र का खून बनना

“...समुद्र खून बन गया... और उसमें जो भी जीवन था वह मर गया।”

  • यह प्रकृति और जीवन के स्रोतों पर हमला है – दुष्टता का परिणाम है मृत्यु।

3️ तीसरा कटोरा – नदियाँ और झरनों का खून

“...क्योंकि उन्होंने संतों और भविष्यवक्ताओं का खून बहाया... इसलिये तू ने उन्हें खून पीने के लिये दिया।”

  • यह प्रतिशोध नहीं, बल्कि न्याय है – जैसा उन्होंने किया, वैसा पाया।

4️ चौथा कटोरा – सूरज की जलाने वाली गर्मी

“...और मनुष्य जलने लगे... फिर भी उन्होंने परमेश्वर की निंदा की... और पश्चाताप न किया।”

🔥
सीख: यह दिखाता है कि संकट अपने आप में पश्चाताप नहीं लाता – दिल की कठोरता इसे रोकती है।


🔹 10-11 पद: पाँचवाँ कटोरा – अंधकार और पीड़ा

“...पशु के सिंहासन पर अंधकार छा गया... और लोग पीड़ा के मारे अपनी जीभ चबाने लगे।”

  • यह साम्राज्य/व्यवस्था के केंद्र पर हमला है (शायद झूठे धार्मिक/राजनीतिक सिस्टम)।
  • फिर भी वे परमेश्वर की निंदा करते हैं – पश्चाताप नहीं।

⚫👑
सीख: अंधकार बाहरी नहीं, बल्कि अंतःकरण में है – जब दिल परमेश्वर को अस्वीकार करता है।


🔹 12-16 पद: छठा कटोरा – हार्मगेडोन की तैयारी

“...फिर मैं ने तीन अशुद्ध आत्माएं मेंढकों के समान देखीं... जो राजाओं को युद्ध के लिए इकट्ठा करती हैं... हार्मगेडोन में।”

🔍 प्रतीक:

  • यूफ्रेटीस का सूखना – मध्य पूर्व में रास्ता खुलना; भौगोलिक और आत्मिक तैयारी।
  • तीन मेंढक-जैसी आत्माएं – शैतान, पशु और झूठे नबी की दुष्ट प्रेरणाएं।
  • हार्मगेडोन – अंतिम आत्मिक युद्ध का स्थान (हिब्रू: “हर-मगिद्दो”)।

🕊️ सीख: अंतिम टकराव केवल राजनीतिक नहीं, आत्मिक युद्ध भी है।


🔹 17-21 पद: सातवाँ कटोरा – सम्पूर्ण विनाश और परमेश्वर की महिमा

“...फिर स्वर्ग में सिंहासन से एक बड़ी आवाज़ आई: 'पूरा हुआ!'”

  • बिजलियाँ, गर्जन, भूकंप – परमेश्वर का अंतिम हस्तक्षेप।
  • बाबुल का विनाश – धार्मिक और नैतिक भ्रष्टता का अंत।
  • बर्फ के बड़े-बड़े ओले – गंभीर प्राकृतिक न्याय, लेकिन फिर भी मनुष्य परमेश्वर की निंदा करते हैं।


सीख: अंत में परमेश्वर का न्याय विजयी होता है, लेकिन दुष्ट हृदय तब भी विरोध करता है।


इस अध्याय से क्या सिखें?

️ परमेश्वर का क्रोध उसके प्रेम जितना ही पवित्र और न्यायसंगत है।
️ चेतावनियाँ अनदेखी करने वालों के लिए न्याय अनिवार्य है।
️ पश्चाताप एक विकल्प है, लेकिन मजबूरी नहीं – हर दिल को स्वयं चुनना होता है।
️ शैतान अंतिम समय में लोगों को धोखा देने की पूरी कोशिश करता है – जागरूक रहना ज़रूरी है।
️ विजय अंत में परमेश्वर की ही होती है – उसके वचन में बने रहना ज़रूरी है।


📌 याद रखने योग्य वचन:

देख, मैं चोर की नाईं आता हूँ; धन्य है वह जो जागता रहता है और अपने वस्त्र संभाले रहता है।”
(प्रकाशित वाक्य 16:15)

 

📖 प्रकाशित वाक्य – अध्याय 17
(Revelation – Chapter 17)

🌟 अध्‍याय की झलक:
यह अध्याय "महिला और अजगर" के प्रतीक के माध्यम से दुनिया के अंत और परमेश्वर के न्याय की भविष्यवाणी करता है। इस अध्याय में एक महिला का चित्रण किया गया है, जो एक बड़े शहर (बाबिलोन) में बैठी है और वह पाप, भ्रष्टाचार और आस्था के विरोधी कार्यों का प्रतीक है। साथ ही, इस अध्याय में अजगर (दुष्टता का प्रतीक) और 7 सिर वाले राक्षसी जानवर के बारे में भी बताया गया है, जो अंतिम समय में परमेश्वर के खिलाफ युद्ध करेंगे। यह अध्याय दुनिया के पापी और भ्रष्ट शासनों के विनाश के बारे में है, साथ ही यह भी दर्शाता है कि परमेश्वर के न्याय और उसकी महिमा अंत में विजय प्राप्त करेंगे।

🔹 1-2 पद: महिला और राक्षसी जानवर
प्रकाशित वाक्य 17 की शुरुआत में एक महिला का चित्रण किया गया है, जो समुद्र के पानी पर बैठी है, और उसके साथ संसार के राजा पाप और भ्रष्टाचार में शामिल हो चुके हैं। यह महिला, जो बाबिलोन का प्रतीक है, संसार के पापी शासनों और सभ्यता के भ्रष्ट तत्वों के साथ मिली हुई है।
प्रतीक:

  • महिलाबाबिलोन, पाप और भ्रष्टाचार का प्रतीक।
    🌍 सीख: दुनिया की भ्रष्टता और पाप कभी भी परमेश्वर के न्याय से बच नहीं सकते।

🔹 3-6 पद: महिला और राक्षसी जानवर का चित्रण
युहन्ना ने देखा कि महिला एक लाल रंग के जानवर पर बैठी है, जिसका 7 सिर और 10 सींग हैं। यह जानवर सत्ता और पाप के प्रतीक के रूप में है, और यह जानवर महाक्रांति और भ्रष्टता की शक्ति को दर्शाता है। महिला शराब पीकर नशे में है और उसका व्यवहार पापी और भ्रष्ट है।
प्रतीक:

  • 7 सिर वाले जानवर — 7 प्रमुख शासकों और उनके साम्राज्य।
    🍷 सीख: जब हम परमेश्वर की व्यवस्था से दूर होते हैं, तो पाप और भ्रष्टता हमारी आत्मा को नष्ट कर देते हैं।

🔹 7-11 पद: अजगर और जानवर का रहस्य
गैब्रियल ने युहन्ना  को बताया कि वह महिला और जानवर का रहस्य समझेगा। ये 7 सिर और 10 सींग वाले जानवर, आखिरी दिनों के शासकों और उनके साम्राज्य का प्रतीक हैं। 7 सिर यह दर्शाते हैं कि कुछ शासक परमेश्वर के खिलाफ खड़े होंगे, और 10 सींग दर्शाते हैं कि ये शासक छोटे राष्ट्रों और साम्राज्य को नियंत्रित करेंगे।
प्रतीक:

  • 10 सींग और 7 सिरयह परमेश्वर के खिलाफ खड़े शासकों और उनके साम्राज्य की बुराई का प्रतीक है।
    ⚔️ सीख: परमेश्वर का न्याय अंततः उन सभी पर होगा जो उसकी आज्ञाओं का उल्लंघन करते हैं और पाप में घिरे रहते हैं।

🔹 12-14 पद: 10 सींगों और अंत की लड़ाई का वर्णन
गैब्रियल ने युहन्ना  को बताया कि 10 सींग वाले 10 राजा (साम्राज्य) एक साथ आएंगे और उन शासकों का संघर्ष परमेश्वर के न्याय से पूरी तरह समाप्त होगा। ये राजा एक साथ आएंगे, लेकिन उनका साम्राज्य परमेश्वर के अद्वितीय शासन के सामने नष्ट हो जाएगा।
प्रतीक:

  • 10 राजायह अंतिम समय के शासकों का संघर्ष और परमेश्वर के राज्य के खिलाफ उनका विद्रोह।
    🌟 सीख: परमेश्वर का राज्य अंत में हर शासक और शक्ति से अधिक शक्तिशाली होगा।

🔹 15-18 पद: महिला का विश्लेषण
महिला का वर्णन किया जाता है जो समुद्र के पानी पर बैठी है। इसका अर्थ है कि इस महिला का प्रभाव सारी पृथ्वी पर फैला हुआ है, और वह पूरी दुनिया को भ्रष्ट करने के लिए जिम्मेदार है। लेकिन यह भी बताया गया है कि उसकी विजय नहीं होगी, क्योंकि परमेश्वर का न्याय आखिरी समय में उसे नष्ट कर देगा।
प्रतीक:

  • समुद्र के पानी पर महिला का बैठनासंसार की पापी सभ्यता का प्रतीक।
    🌍 सीख: परमेश्वर के न्याय से बचना असंभव है, और अंत में, वह भ्रष्टता और पाप के सभी स्रोतों को नष्ट कर देगा।

इस अध्‍याय से क्‍या सिखें?
✝️ परमेश्वर का न्याय निश्चित और अपरिवर्तनीय है, और वह भ्रष्टता और पाप के खिलाफ अपनी अंतिम विजय प्राप्त करेगा।
✝️ जब हम पाप और भ्रष्टता के प्रभाव से बचने के लिए परमेश्वर के मार्ग पर चलते हैं, तो हम उसकी शांति और न्याय के हिस्सा बन सकते हैं।
✝️ परमेश्वर का राज्य हमेशा के लिए रहेगा, और उसके सामने कोई भी शक्ति स्थायी नहीं रह सकती।

📌 याद रखने योग्य वचन:
"यह महिला वह महान शहर है, जो पृथ्वी के राजाओं को अपने वेश्यापन के साथ मदहोश करती है।"
(प्रकाशित वाक्य 17:2)

 

 

📖 प्रकाशित वाक्य – अध्याय 18
(Revelation – Chapter 18)

🌟 अध्‍याय की झलक:
यह अध्याय बाबिलोन (पापी व्यवस्था का प्रतीक) के विनाश के बारे में है। बाबिलोन, जो दुनिया के सबसे महान और समृद्ध साम्राज्य के रूप में दिखाया गया है, अंततः परमेश्वर के न्याय के कारण नष्ट होगा। इस अध्याय में बाबिलोन के पाप, उसका गर्व, और उसकी भ्रष्टता का खुलासा किया गया है। जब बाबिलोन गिरता है, तो दुनिया के व्यापारी, शासक और लोग उस पर शोक मनाते हैं, लेकिन स्वर्ग में और परमेश्वर के लोग इसके विनाश पर आशीर्वाद देते हैं। यह अध्याय परमेश्वर के न्याय की सत्यता और उसके राज्य की स्थिरता का प्रमाण है।

🔹 1-3 पद: बाबिलोन के गिरने की घोषणा
एक शक्तिशाली स्वर्गदूत ने आकर बाबिलोन के गिरने की घोषणा की। बाबिलोन अब पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा पाप का प्रतीक बन चुका था, और उसके द्वारा किए गए पापों के कारण पृथ्वी के लोग पाप में डूब गए थे। उसकी भ्रष्टता ने संसार के व्यापारियों को भी प्रभावित किया था।
प्रतीक:

  • बाबिलोन का गिरनापरमेश्वर के न्याय का समय और संसार की पापी व्यवस्था का अंत।
    🌍 सीख: पाप और भ्रष्टता का कोई भी साम्राज्य परमेश्वर के न्याय से बच नहीं सकता।

🔹 4-8 पद: परमेश्वर का आह्वान और बाबिलोन का न्याय
स्वर्ग से एक आवाज़ सुनाई देती है, जो परमेश्वर के लोगों को कहती है कि वे बाबिलोन से बाहर निकल आएं, ताकि उनके पापों में भागीदार न बनें और उसके दुख का सामना न करें। बाबिलोन के पापों का फल अब उसे भुगतना पड़ेगा, और उसका अंत आ चुका है।
प्रतीक:

  • स्वर्ग से आवाज़परमेश्वर के लोगों को पापी व्यवस्था से बाहर आने का आह्वान।
    ⚖️ सीख: हमें पापी और भ्रष्ट प्रणालियों से दूर रहना चाहिए, ताकि हम परमेश्वर के न्याय से बच सकें और उसकी न्यायिक योजनाओं में सहभागी बन सकें।

🔹 9-19 पद: बाबिलोन के शोक और संसार का दुःख
जब बाबिलोन का विनाश होता है, तो दुनिया के व्यापारी, समृद्ध लोग, और समुद्र के व्यापारी शोक करते हैं क्योंकि अब वे बाबिलोन से मिलने वाले लाभ और समृद्धि से वंचित हो गए थे। लेकिन उनका दुःख केवल सांसारिक दृष्टिकोण से था, और वे केवल अपनी सांसारिक समृद्धि के खोने पर शोक मना रहे थे।
प्रतीक:

  • व्यापारी और शोकपापी और सांसारिक समृद्धि की परिधि में बंधे लोग जब परमेश्वर के न्याय का सामना करते हैं तो वे शोक करते हैं।
    💸 सीख: हमें अपने जीवन को केवल सांसारिक समृद्धि पर निर्भर नहीं रखना चाहिए, बल्कि परमेश्वर की इच्छाओं और उसके न्याय के साथ समन्वय बनाना चाहिए।

🔹 20-24 पद: स्वर्ग का आशीर्वाद और बाबिलोन का अंतिम विनाश
जब बाबिलोन नष्ट हो जाता है, तब स्वर्ग और परमेश्वर के लोग उसकी हार पर आशीर्वाद व्यक्त करते हैं। बाबिलोन के पापों के कारण उसका पूरा पतन हुआ है, और अब वह कभी नहीं उठ सकेगा। स्वर्ग में लोगों को उसकी हार पर आशीर्वाद मिलेगा, क्योंकि परमेश्वर का न्याय पूरी तरह से सत्य है।
प्रतीक:

  • स्वर्ग का आशीर्वादपरमेश्वर का न्याय और उसके राज्य की स्थिरता।
    👑 सीख: परमेश्वर का न्याय शाश्वत है, और जब वह न्याय करता है, तो यह हमेशा सही और सटीक होता है।

इस अध्‍याय से क्‍या सिखें?
✝️ पापी व्यवस्था, जो परमेश्वर के मार्ग से दूर होती है, अंत में परमेश्वर के न्याय का सामना करेगी।
✝️ हमें पाप और भ्रष्टता से बाहर निकलकर परमेश्वर के सही मार्ग पर चलना चाहिए।
✝️ परमेश्वर के न्याय का समय निश्चित है, और जब वह न्याय करता है, तो उसकी योजना पूरी होती है और उसकी विजय शाश्वत होती है।

📌 याद रखने योग्य वचन:
"हे स्वर्गवासियों, और पवित्रों, और प्रेरितों, और भविष्यद्वक्ताओं, तुम परमेश्वर पर खुश हो, क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हारा न्याय किया है!"
(प्रकाशित वाक्य 18:20)

 

 

📖 प्रकाशित वाक्य – अध्याय 19
(Revelation – Chapter 19)

🌟 अध्‍याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर के अंतिम न्याय, मसीह के पुनरागमन और उसके शाश्वत राज्य की स्थापना का वर्णन करता है। यह अध्याय स्वर्ग के संगीत, परमेश्वर के न्याय, और पृथ्वी पर मसीह के राज्य की शुरुआत का उत्सव है। यहाँ हम मसीह के महिमामय आगमन, उसके विजय के जश्न, और उसके साथ शैतान और पाप की पराजय का दृश्य देखते हैं। यह अध्याय विश्व के अंत की ओर बढ़ते हुए परमेश्वर के उद्देश्यों के पूरा होने का संकेत देता है, जिसमें मसीह अपने राज्य का शासन स्थापित करेंगे।

🔹 1-6 पद: स्वर्ग में आशीर्वाद और मसीह के आगमन की घोषणा
स्वर्ग में एक महान भीड़ का आशीर्वाद है, जो परमेश्वर की महिमा और उसके न्याय की सराहना कर रही है। वे परमेश्वर की स्तुति करते हैं, कहते हैं: "अल्लीलुयाह! हमारा उद्धार, महिमा, और शक्ति हमारे परमेश्वर के हैं।" यह परमेश्वर का न्याय और उसकी योजना का पूरा होना है। मसीह का आगमन पास है, और स्वर्ग में यह शोरगुल है।
प्रतीक:

  • स्वर्ग में आशीर्वादपरमेश्वर के न्याय और मसीह के आगमन का उत्सव।
    🎶 सीख: जब परमेश्वर का न्याय पूरी दुनिया पर स्थापित होता है, तो स्वर्ग और पृथ्वी दोनों उसे आशीर्वाद देते हैं।

🔹 7-10 पद: मसीह का विवाह और उसकी दुल्हन (कलीसिया)
यह दृश्य मसीह और उसकी दुल्हन (कलीसिया) के विवाह का है। स्वर्ग में यह घोषणा की जाती है कि समय आ गया है जब मसीह अपनी कलीसिया से मिलेंगे, और यह विवाह परमेश्वर के न्याय और आशीर्वाद का प्रतीक होगा। कलीसिया ने तैयार होकर सफेद वस्त्र पहनने की तैयारी की है, जो धार्मिकता और शुद्धता का प्रतीक है।
प्रतीक:

  • मसीह का विवाहमसीह और कलीसिया का मिलन, जो परमेश्वर की अंतिम योजना का हिस्सा है।
    👰 सीख: हम, कलीसिया, मसीह के आने के लिए तैयार रहेंगे, और हमें उसकी धार्मिकता और शुद्धता में स्थित होना चाहिए।

🔹 11-16 पद: मसीह का आगमन और उसकी विजय
मसीह स्वर्ग से एक सफेद घोड़े पर आते हैं, और उसके पास एक न्यायपूर्ण और सच्चे युद्ध के लिए एक तलवार है। वह पृथ्वी पर शैतान और पाप के साम्राज्य को नष्ट करने के लिए आए हैं। उसका नाम "राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु" है।
प्रतीक:

  • सफेद घोड़ा और तलवारमसीह का न्यायपूर्ण आगमन और युद्ध।
    ⚔️ सीख: मसीह का पुनरागमन शांति का नहीं, बल्कि न्याय और न्यायपूर्ण युद्ध का समय होगा।

🔹 17-18 पद: युद्ध के लिए बुलावा
स्वर्गदूतों ने एक बड़ा आह्वान किया, जिसमें पृथ्वी के सभी पक्षी युद्ध में शरीक होने के लिए बुलाए गए। यह परमेश्वर के न्याय का समय है, जहां मसीह अपने शत्रुओं को पराजित करेगा।
प्रतीक:

  • युद्ध के लिए पक्षीपरमेश्वर के न्याय का प्रतीक, जहां शत्रु पराजित होंगे।
    🦅 सीख: जब परमेश्वर का न्याय आएगा, तो उसका विरोध करने वाले सभी पराजित होंगे।

🔹 19-21 पद: शैतान और पाप की पराजय
मसीह और उसकी सेनाएँ शैतान और पाप के साम्राज्य के खिलाफ युद्ध में विजयी होती हैं। शैतान और उसकी सेना को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाता है, और उनका अंत आ जाता है। इस युद्ध में केवल परमेश्वर का साम्राज्य स्थिर और विजय प्राप्त करने वाला होगा।
प्रतीक:

  • शैतान और पाप की पराजयपरमेश्वर के न्याय और उसके साम्राज्य की स्थिरता।
    ⚖️ सीख: परमेश्वर का न्याय हर पाप और शैतान की शक्ति को समाप्त करेगा, और उसके राज्य में कोई भी विरोध नहीं होगा।

इस अध्‍याय से क्‍या सिखें?
✝️ मसीह का आगमन परमेश्वर के न्याय का अंतिम समय है, और वह अपने विरोधियों को पराजित करेगा।
✝️ हमें मसीह के पुनरागमन के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि यह शांति का समय नहीं, बल्कि न्याय और विजय का समय होगा।
✝️ परमेश्वर के न्याय से डरने के बजाय हमें उसकी महिमा में विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि उसका राज्य हमेशा के लिए रहेगा।

📌 याद रखने योग्य वचन:
"राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु... और वह हमारे साथ न्याय करेगा।"
(प्रकाशित वाक्य 19:16)

 

 

📖 प्रकाशित वाक्य – अध्याय 20
(Revelation – Chapter 20)

🌟 अध्‍याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर के न्याय के अंतिम समय और शैतान, मृत्यु, और पाप की पूरी पराजय के बारे में है। इसमें मसीह का 1000 वर्षों तक राज करने का समय, शैतान की बंदीग़ी, और फिर उसकी पराजय का विवरण है। साथ ही, यह अध्याय अंतिम न्याय, मृतकों का उद्धार, और अंत में सभी के लिए परमेश्वर के न्याय की पूर्णता का उद्घाटन करता है। यह अध्याय परमेश्वर के राज्य की स्थिरता, उसके न्याय की सिद्धता, और उसके अंतिम राज्य की स्थापना का चित्रण है।

🔹 1-3 पद: शैतान की बंदीग़ी
युहन्ना  ने देखा कि एक स्वर्गदूत आकर शैतान को पकड़ता है और उसे 1000 वर्षों तक बंदी बना देता है, ताकि वह पृथ्वी पर राष्ट्रों को और अधिक धोखा न दे सके। यह समय शांति और न्याय का होगा, जब शैतान को पूरी तरह से नष्ट किया जाएगा।
प्रतीक:

  • शैतान की बंदीग़ीशैतान की शक्ति को निष्क्रिय करना और परमेश्वर के न्याय का समय लाना।
    🕊सीख: शैतान की शक्ति और उसके छल को परमेश्वर समय आने पर पूरी तरह से समाप्त कर देगा।

🔹 4-6 पद: मसीह का 1000 वर्षों तक राज करना
युहन्ना  ने देखा कि मसीह और उसके साथियों ने 1000 वर्षों तक पृथ्वी पर राज किया। यह समय शांति, धार्मिकता, और परमेश्वर के न्याय का होगा। मसीह का यह राज्य उसके न्याय और सत्य का प्रतीक है, और केवल उसके सच्चे अनुयायी ही इस राज्य में भाग लेंगे।
प्रतीक:

  • 1000 वर्षों का राज्यमसीह का शांति, धर्म, और परमेश्वर के न्याय के साथ पृथ्वी पर शासन।
    👑 सीख: मसीह का राज्य शाश्वत होगा और उसमें कोई भी पाप या भ्रष्टता नहीं होगी। हमें उसकी सत्यता और न्याय में विश्वास रखना चाहिए।

🔹 7-10 पद: शैतान की फिर से छूटना और उसकी पराजय
1000 वर्षों के बाद, शैतान को कुछ समय के लिए फिर से पृथ्वी पर छोड़ा जाएगा, ताकि वह उन राष्ट्रों को धोखा दे सके जो परमेश्वर के खिलाफ खड़े होंगे। शैतान एक आखिरी बार संघर्ष करेगा, लेकिन मसीह और उसके लोग उसे पूरी तरह से पराजित कर देंगे।
प्रतीक:

  • शैतान की छूटना और पराजयशैतान की अंतिम पराजय और परमेश्वर की पूर्ण विजय।
    ⚔️ सीख: शैतान और पाप की कोई शक्ति परमेश्वर के खिलाफ स्थायी नहीं हो सकती, और परमेश्वर का न्याय अंततः उसे नष्ट करेगा।

🔹 11-15 पद: अंतिम न्याय का दिन
युहन्ना  ने देखा कि एक महान सिंहासन पर परमेश्वर न्याय करने के लिए बैठा है। सभी मरे हुए लोग, अच्छे और बुरे, उसके सामने आएंगे और उनके कर्मों के अनुसार उन्हें इनाम या सजा दी जाएगी। जो लोग जीवन में परमेश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं चले, उन्हें अंतिम सजा मिलेगी, और वे शाश्वत मृत्यु का सामना करेंगे।
प्रतीक:

  • सिंहासन पर परमेश्वर का न्यायपरमेश्वर का अंतिम न्याय, जहां हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार सजा या पुरस्कार मिलेगा।
    ⚖️ सीख: हमें अपनी आत्मा की स्थिति का मूल्यांकन करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर का न्याय सच्चा और न्यायपूर्ण होता है, और किसी को बचने का मौका नहीं मिलेगा।

🔹 16-17 पद: शाश्वत मृत्यु और जीवन का न्याय
जो लोग जीवन में परमेश्वर के साथ नहीं थे, उन्हें शाश्वत मृत्यु का सामना करना होगा, और वे अंतिम मृत्यु के भागी होंगे। जबकि परमेश्वर के लोग शाश्वत जीवन के अधिकारी होंगे। यह अंतिम न्याय की पूरी और पूरी रूप से परमेश्वर की व्यवस्था का परिणाम होगा।
प्रतीक:

  • शाश्वत मृत्यु और जीवनअंत में, हर व्यक्ति को परमेश्वर के न्याय के अनुसार शाश्वत जीवन या शाश्वत मृत्यु का सामना करना होगा।
    🌱 सीख: परमेश्वर के न्याय के दिन, हमें उसके साथ सही रिश्ते में रहकर शाश्वत जीवन की प्राप्ति के लिए तैयार रहना चाहिए।

इस अध्‍याय से क्‍या सिखें?
✝️ परमेश्वर का न्याय सटीक और अपरिवर्तनीय है, और हर कोई अपनी मृत्यु के बाद परमेश्वर के सामने न्याय के लिए खड़ा होगा।
✝️ शैतान और पाप का अंत होगा, लेकिन परमेश्वर का राज्य शाश्वत रहेगा।
✝️ हमें अपनी आत्मा की स्थिति का मूल्यांकन करना चाहिए और मसीह के साथ सही रिश्ते में रहना चाहिए ताकि हम शाश्वत जीवन प्राप्त कर सकें।

📌 याद रखने योग्य वचन:
"और जो कोई जीवन के पुस्तक में नहीं पाया गया, वह शाश्वत आग में डाला गया।"
(प्रकाशित वाक्य 20:15)

 

 

📖 प्रकाशित वाक्य – अध्याय 21
(Revelation – Chapter 21)

🌟 अध्‍याय की झलक:
यह अध्याय परमेश्वर के शाश्वत राज्य की स्थापना और नई पृथ्वी तथा नई आकाश की भविष्यवाणी करता है। यह अध्याय अंतिम शांति, प्रेम और परमेश्वर की महिमा से भरे जीवन की उम्मीद को दर्शाता है। पुराने संसार की पीड़ाएँ और दुख समाप्त हो जाएंगे, और परमेश्वर का निवास स्थल अपने लोगों के साथ होगा। यहाँ हम परमेश्वर के अनंत आशीर्वाद, उसकी उपस्थिति, और उसके लोगों के लिए शांति और आनंद के बारे में पढ़ते हैं। यह अध्याय हमें परमेश्वर के राज्य की शाश्वत विजय और उसकी महिमा की आशा प्रदान करता है।

🔹 1-2 पद: नई पृथ्वी और नया आकाश
युहन्ना  ने देखा कि अंततः एक नई पृथ्वी और नया आकाश बनेंगे, क्योंकि पुरानी पृथ्वी और आकाश का विनाश हो चुका था। नई यरूशलेम, परमेश्वर के निवास स्थान के रूप में, स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरेगी, और यह परमेश्वर के साथ उसके लोगों के अनंत संबंध का प्रतीक होगी।
प्रतीक:

  • नई पृथ्वी और नया आकाशपरमेश्वर के राज्य में नया आरंभ और शांति की स्थिति।
    🌍 सीख: परमेश्वर का राज्य पुरानी चीजों को खत्म कर देता है और नई शुरुआत करता है, जहां दुख और पाप का कोई स्थान नहीं होगा।

🔹 3-4 पद: परमेश्वर की उपस्थिति
स्वर्ग से उतरकर नई यरूशलेम परमेश्वर की उपस्थिति में होगी, और परमेश्वर स्वयं अपने लोगों के साथ रहेगा। वह अपने लोगों के साथ निवास करेगा, और वे उसके साथ शांति में होंगे। वह हर आंसू को पोछेगा और दुख, दर्द, और मृत्यु को समाप्त कर देगा।
प्रतीक:

  • परमेश्वर की उपस्थितिपरमेश्वर का अपने लोगों के साथ सीधा संबंध और उनकी सभी परेशानियों का समाधान।
    🕊सीख: परमेश्वर की उपस्थिति शांति, आनंद और पूरी संपूर्णता लाती है, और उसके राज्य में कोई दुख नहीं रहेगा।

🔹 5-7 पद: परमेश्वर का वचन और आशीर्वाद
परमेश्वर ने वचन दिया कि जो लोग उसके साथ होंगे, वे शाश्वत जीवन और आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। वह अपने लोगों को पूरे दिल से आशीर्वाद देगा और उन्हें उसकी संतान बनाएगा। वह अपने वादे को पूरा करेगा, और उसके लोग हमेशा के लिए उसके साम्राज्य में रहेंगे।
प्रतीक:

  • आशीर्वाद और शाश्वत जीवनपरमेश्वर का प्रतिफल और उसके लोगों के लिए शाश्वत राज्य।
    🌿 सीख: परमेश्वर अपने लोगों को हमेशा आशीर्वाद देता है, और जो उसकी इच्छा के अनुसार चलते हैं, वे अनंत जीवन प्राप्त करते हैं।

🔹 8-9 पद: परमेश्वर का न्याय
परमेश्वर का न्याय उस समय के बाद होगा, जब उन सभी को जो उसके खिलाफ रहते हैं और पाप में डूबे रहते हैं, न्याय मिलेगा। जो परमेश्वर से दूर हैं, वे शाश्वत मृत्यु का सामना करेंगे।
प्रतीक:

  • परमेश्वर का न्यायशाश्वत जीवन और मृत्यु का न्याय।
    ⚖️ सीख: परमेश्वर का न्याय पूरी तरह से निष्पक्ष और सच्चा होता है, और हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार पुरस्कृत किया जाएगा।

🔹 10-21 पद: नई यरूशलेम का वर्णन
नई यरूशलेम का वर्णन किया गया है, जिसमें उसकी महिमा, सुंदरता, और पवित्रता का चित्रण है। शहर स्वर्ण और बहुमूल्य रत्नों से सजा होगा, और उसके द्वार को रत्नों से सजाया जाएगा। यह यरूशलेम परमेश्वर के राज्य का प्रतीक होगा, जहां उसकी पवित्रता, शांति और आनंद का साम्राज्य होगा।
प्रतीक:

  • नई यरूशलेमपरमेश्वर के राज्य की पवित्रता, महिमा और स्थिरता।
    🏙सीख: परमेश्वर के राज्य में शांति, पवित्रता और सुंदरता होगी, और वहाँ कोई भी पाप या बुराई का स्थान नहीं होगा।

🔹 22-27 पद: परमेश्वर का निवास स्थान और उसकी महिमा
नई यरूशलेम में परमेश्वर का निवास स्थान होगा, और वहाँ कोई मंदिर नहीं होगा क्योंकि परमेश्वर और मसीह स्वयं वहाँ निवास करेंगे। इस शहर में कोई अंधेरा नहीं होगा, और उसकी महिमा परमेश्वर की उपस्थिति से चमकती रहेगी।
प्रतीक:

  • परमेश्वर का निवासपरमेश्वर की उपस्थिति और उसकी महिमा का अनंत रूप।
    🌟 सीख: परमेश्वर की उपस्थिति ही हमारे जीवन में सबसे बड़ी महिमा है, और जब हम उसके राज्य में होंगे, तो उसकी महिमा हमारी रोशनी होगी।

इस अध्‍याय से क्‍या सिखें?
✝️ परमेश्वर का राज्य शाश्वत, पवित्र और आनंद से भरपूर होगा, जहाँ कोई भी पाप या दुःख नहीं रहेगा।
✝️ हमें परमेश्वर के राज्य की आशा रखनी चाहिए और उसके साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहिए, ताकि हम शाश्वत जीवन और आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
✝️ परमेश्वर का न्याय निष्पक्ष और सच्चा है, और उसके न्याय का पालन हर किसी को करना होगा।

📌 याद रखने योग्य वचन:
"यहां कोई भी पापी नहीं रहेगा, लेकिन जो लिखा है, वे जीवन के पुस्तक में पाए जाएंगे।"
(प्रकाशित वाक्य 21:27)

 

 

📖 प्रकाशित वाक्य – अध्याय 22
(Revelation – Chapter 22)

🌟 अध्‍याय की झलक:
यह अध्याय प्रकाशित वाक्य की समाप्ति है और मसीह के शाश्वत राज्य की पूर्णता और परमेश्वर की योजनाओं की सिद्धि का वर्णन करता है। इसमें परमेश्वर का आशीर्वाद, अंतिम न्याय, और मसीह के पुनरागमन के बारे में बताया गया है। इस अध्याय में नई पृथ्वी और नई यरूशलेम का चित्रण किया गया है, जहाँ परमेश्वर और मसीह के लोग शांति, आनंद और शाश्वत जीवन में रहेंगे। यह अध्याय यह भी दिखाता है कि मसीह का पुनरागमन न केवल न्याय का समय होगा, बल्कि उसके साथ एक नई शुरुआत होगी, जहां जीवन और परमेश्वर के राज्य की पूर्णता होगी।

🔹 1-5 पद: जीवन का जल और परमेश्वर की महिमा
युहन्ना  ने देखा कि परमेश्वर के सिंहासन से जीवन का जल बह रहा है, जो नए यरूशलेम के मध्य से निकलता है। यह जल शांति, जीवन और शुद्धता का प्रतीक है। इस जल के द्वारा, परमेश्वर अपने लोगों को शाश्वत जीवन देगा। इसके अलावा, नए यरूशलेम में कोई अंधेरा नहीं होगा, क्योंकि परमेश्वर और मसीह की महिमा वहां रहेगी।
प्रतीक:

  • जीवन का जलपरमेश्वर की शाश्वत आशीर्वाद और जीवन।
    💧 सीख: परमेश्वर का वचन और उसकी उपस्थिति हमें जीवन और शांति प्रदान करते हैं, जो अनंतकाल तक रहेंगे।

🔹 6-7 पद: परमेश्वर की घोषणा और आशीर्वाद
परमेश्वर ने घोषणा की कि ये शब्द सत्य हैं और वे पूरी तरह से सिद्ध होंगे। मसीह का पुनरागमन नजदीक है, और जो मसीह के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें आशीर्वाद मिलेगा। परमेश्वर ने अपने लोगों को यह वचन दिया कि उनके लिए एक नयी शुरुआत होगी, और वे मसीह के साथ शाश्वत जीवन का आनंद लेंगे।
प्रतीक:

  • परमेश्वर की घोषणापरमेश्वर का वचन सत्य और स्थिर है।
    📜 सीख: परमेश्वर का वचन और उसका आशीर्वाद सत्य होते हैं, और वे अंत में पूरी तरह से सिद्ध होते हैं।

🔹 8-9 पद: युहन्ना  का प्रण और स्वीकृति
युहन्ना  ने जब इन बातों को सुना, तो वह बहुत हैरान हुआ और तुरंत दंडवत करने लगा, लेकिन स्वर्गदूत ने उसे मना किया और बताया कि यह सब परमेश्वर का वचन है। स्वर्गदूत ने युहन्ना  से कहा कि वह परमेश्वर के वचन को ग्रहण करें और इसे सबको बताए।
प्रतीक:

  • युहन्ना  का प्रणपरमेश्वर के वचन को ग्रहण करना और उसे फैलाना।
    🙏 सीख: हमें परमेश्वर के वचन को श्रद्धा से ग्रहण करना चाहिए और उसे संसार में फैलाने का कार्य करना चाहिए।

🔹 10-11 पद: समय का समापन और न्याय का समय
स्वर्गदूत ने कहा कि यह समय अब खत्म हो चुका है, और अब तक के सभी निर्णय और कार्य पूरे होने जा रहे हैं। यह समय शाश्वत न्याय और परमेश्वर की योजनाओं के पूरा होने का है। जो लोग पाप में हैं, वे पाप में रहेंगे, और जो धर्मी हैं, वे धर्म में बने रहेंगे।
प्रतीक:

  • समय का समापनपरमेश्वर का अंतिम न्याय और कार्यों का पूरा होना।
    ⚖️ सीख: अंत समय में हर कोई अपने कर्मों के अनुसार न्याय प्राप्त करेगा, और यह न्याय परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से किया जाएगा।

🔹 12-13 पद: मसीह का पुनरागमन और उसकी शाश्वत उपस्थिति
मसीह ने कहा कि वह जल्दी आ रहा है और उसके पास हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार पुरस्कृत करने की शक्ति है। मसीह खुद को "आल्फा और ओमेगा, प्रारंभ और अंत" के रूप में प्रस्तुत करता है, जो यह दर्शाता है कि वह समय और अस्तित्व के पहले और अंत से है।
प्रतीक:

  • आल्फा और ओमेगामसीह की शाश्वत उपस्थिति और उसकी परम सत्ता।
    👑 सीख: मसीह के पुनरागमन का समय नजदीक है, और वह अपने अनुयायियों को उनके कर्मों के अनुसार पुरस्कार देगा।

🔹 14-15 पद: आशीर्वाद और शाप
स्वर्गदूत ने यह भी बताया कि जो लोग परमेश्वर के आदेशों को पालन करते हुए जीवन जीते हैं, उन्हें जीवन के पेड़ का फल मिलेगा, और वे शाश्वत जीवन का आनंद लेंगे। परंतु जो लोग पाप और भ्रष्टता में डूबे रहेंगे, उन्हें शाप मिलेगा और वे शाश्वत मृत्यु का सामना करेंगे।
प्रतीक:

  • जीवन का पेड़शाश्वत जीवन और परमेश्वर के आशीर्वाद का प्रतीक।
    🍃 सीख: जो परमेश्वर के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें शाश्वत जीवन और आशीर्वाद प्राप्त होगा, लेकिन जो परमेश्वर से दूर रहते हैं, वे उसकी सजा का सामना करेंगे।

🔹 16-17 पद: मसीह का आह्वान
मसीह ने स्वयं आकर कहा कि वह सभी को अपनी उपस्थिति में आमंत्रित करता है। उसने शांति, जीवन और उद्धार का आह्वान किया है, और जो लोग उससे प्रार्थना करेंगे, उन्हें वह शाश्वत जीवन और उसकी उपस्थिति देगा।
प्रतीक:

  • मसीह का आह्वानमसीह का उद्धार के लिए आह्वान और उसकी शांति का निमंत्रण।
    🕊सीख: मसीह हमें अपनी उपस्थिति में शांति और शाश्वत जीवन का आह्वान करता है, और हमें उसे स्वीकार करना चाहिए।

🔹 18-19 पद: वचन के बारे में चेतावनी
स्वर्गदूत ने चेतावनी दी कि जो लोग इस वचन में किसी भी प्रकार का बदलाव करेंगे, उन्हें परमेश्वर का न्याय सामना करना होगा। यह वचन पूरी तरह से सत्य है, और इसे बिना किसी परिवर्तन के ग्रहण किया जाना चाहिए।
प्रतीक:

  • वचन का परिवर्तन न करनापरमेश्वर के वचन की सत्यता और उसकी शुद्धता का सम्मान करना।
    📖 सीख: हमें परमेश्वर के वचन को बिना किसी परिवर्तन के ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि यह पूरी तरह से सत्य और शुद्ध है।

🔹 20-21 पद: मसीह का पुनरागमन और आशीर्वाद
मसीह ने कहा कि वह जल्दी आ रहा है, और उसके आने पर हम उसे देखेंगे और उसका स्वागत करेंगे। साथ ही, यह कहा गया कि परमेश्वर का आशीर्वाद उन सभी पर रहेगा, जो उसके वचन पर चलते हैं।
प्रतीक:

  • मसीह का पुनरागमनमसीह की वापसी और उसके राज्य की स्थापना।
    🌟 सीख: हमें मसीह के पुनरागमन के लिए तैयार रहना चाहिए, और उसके वचन के अनुसार जीवन जीना चाहिए।

इस अध्‍याय से क्‍या सिखें?
✝️ मसीह का पुनरागमन नजदीक है, और हमें उसकी वापसी के लिए तैयार रहना चाहिए।
✝️ परमेश्वर का वचन सत्य है, और हमें उसे बिना किसी परिवर्तन के ग्रहण करना चाहिए।
✝️ मसीह का आह्वान हर किसी को शाश्वत जीवन और शांति की ओर बुलाता है, और हमें उसकी उपस्थिति में आकर शाश्वत आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

📌 याद रखने योग्य वचन:
"आल्फा और ओमेगा, प्रारंभ और अंत, पहला और अंतिम।"
(प्रकाशित वाक्य 22:13)