यीशु मसीह को प्रभु स्वीकारे बिना, कोई स्वर्ग में नहीं जा सकता। क्यों?
◆ अत्यधिक विरोध और सताव, यहां तक कि यीशु मसीह पर विश्वास करने वालों को जान से मार देने की घटनाओं के बाद भी हर धर्म, जाती, समुदाय और तबके के लोग यीशु मसीह पर विश्वास लाते है । जिसका अर्थ है यीशु मसीह उन सभी ईश्वरों से अधिक प्रभावशाली और सच्चा है और कोई भी और कुछ भी यीशु मसीह को रोक नही सकता।
💐 संसार में बोहुत से ईश्वर, देवी देवता, संत महात्मा और पैगम्बर पैदा हुए। इन्होंने अपना अपना ज्ञान दिया और अंत में मर गए। इनमे से किसी को भी कभी किसी ने दोबारा नही देखा इसलिए कोई नही जानता कि इनकी बताई बातें और शिक्षाएं वाकई में ईश्वरीय थी या सिर्फ इनक या भक्तों की कल्पनाएं।
◆ जबकि यीशु मसीह ने मृत्यु को हराया और मरने के 3 दिन बाद पुनः जीवित हुए और सैकडों लोगो को दिखाई दिये। कई गवाहों के सामने यीशु मसीह स्वर्ग पर उठा लिए गए और वर्तमान समय में भी हज़ारो लोगों की ऐसी गवाहियां हैं जिनमे उन्होंने साक्षात यीशु मसीह के दर्शन किये और यीशु ने उनसे बातें की और इसके नतीजतन उन लोगो का सारा जीवन बदल गया और उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दान करके यीशु मसीह के प्रचार करना आरंभ किया।
ऐसा संसार के और किसी ईश्वर या पैगम्बर के साथ नही है इसलिए यीशु मसीह ईश्वरो का ईश्वर और प्रभुओं का प्रभु है।
💐 संसार में जितने धर्म ग्रंथ हैं उन सभी को एक से अधिक लोगों ने लिखा है और परिणाम स्वरूप ये ग्रंथ और इनकी बातें आपस में मतभेद रखती हैं और एक लेखक की पुस्तक में उसका पसंदीदा ईश्वर श्रेष्ठ है और दूसरे लेखक की पुस्तक में उस लेखक का पसंदीदा ईश्वर श्रेष्ठ है और किसी में ऐसी शिक्षाए हैं जिन्हें वर्तमान समय में आसानी से गलत साबित किया जा सकता है।
◆ जबकि बाइबल के साथ ऐसा नही है। अन्य ग्रंथो के समान ही बाइबल को भी एक से अधिक लेखकों ने लिखा है लेकिन इनके सभी लेखक एक ही परमेश्वर को श्रेष्ठ बताते हैं और और इनमे कोई परस्पर मतभेद नही है जिससे साबित होता है कि एकमात्र बाइबल ही सब धर्म ग्रंथों में श्रेष्ठ पुस्तक है और बाइबल के समान और कोई नही है तथा बाइबल की शिक्षाओं पर चलकर संसार में लोगों का जीवन बदल जाता है ।
💐 संसार मैं जितने ईश्वर या पैगम्बर हैं यदि उनके जीवन का अध्ययन किया जाए तो उनके जीवन में पाप और गलतियां पाई जाती हैं जिससे उनके ईश्वरीय चरित्र झूठ साबित होता है।
◆ संसार के सभी ईश्वरों के विपरीत यीशु मसीह के जीवन में कोई भी पाप या गलती नही पाई जाती जिससे यीशु मसीह के ईश्वरीय गुण और चरित्र साबित होते हैं। इसलिए सिर्फ यीशु मसीह ही सच्चा प्रभु और उद्धारकर्ता है और बिना यीशु को प्रभु स्वीकार किये कोई स्वर्ग नही जा सकता।
यीशु मसीह को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता ग्रहण करने के लिए सिर्फ अपने मुह से अंगीकार करना और दिल से विश्वास करना होता है।
एक छोटी सी प्रार्थना करके आप यीशु को अपना प्रभु स्वीकार सकते हैं।
* प्रभु यीशु मैं आपको अपना प्रभू और उद्धारकर्ता स्वीकार करता हूँ। मेरे जीवन में आइये, मेरे दिल में आइये। आमीन। *
इस छोटी सी प्रार्थना के द्वारा आप नया जीवन पा चुके हैं।