बाईबल सर्वेक्षण । बाईबल के विषय में संक्षिप्त जानकारी
छियासठ 66 पुस्तकें मिलकर बाइबल बनती हैं। इसमें व्यवस्था की पुस्तकें, जैसे कि लैव्यव्यवस्था, और व्यवस्थाविवरण; ऐतिहासिक पुस्तकें, जैसे कि एज्रा और प्रेरितों के काम; काव्य या पुस्तकें, जैसे कि भजन संहिता और सभोपदेशक; भविष्यद्वाणियों की पुस्तकें, जैसे कि यशायाह और प्रकाशितवाक्य; जीवनी पुस्तकें, जैसे कि मत्ती, और यूहन्ना; पत्रियाँ (औपचारिक पत्र) जैसे के तीतुस और इब्रानियों इत्यादि सम्मिलित हैं।
इसका लेखक
बाइबल को 40 अलग अलग लेखकों ने लिखा है जो भिन्न भिन्न सभ्यता, क्षेत्र और जाती से थे, बोहुत से लेखक एक दूसरे को जानते भी नहीं थे, बाइबल लगभग 1500 वर्षों के समय के अवधि में लिखी गई थी। इसके लेखक राजा, मछुआरे, पुरोहित, सरकारी अधिकारी, किसान, चरवाहे और डॉक्टर इत्यादि थे। इस पूरी विविधता के साथ भी अविश्वसनीय रूप बाइबल के मूल संदेश से एकता है तथा इसकी विभिन्न पुस्तकों में कोई आपसी मतभेद नहीं यह एक ही सामान्य विषय के साथ निर्मित हुई है।
बाइबल की एकता इस कारण है, कि अन्तत: इसका लेखक एक ही है - अर्थात् स्वयं परमेश्वर। बाइबल "परमेश्वर के द्वारा प्रेरित" है (2 तीमुथियुस 3:16) मानवीय लेखकों ने सटीकता के साथ केवल वही लिखा जो परमेश्वर उनसे चाहते थे कि वे लिखें और अतः निष्कर्ष यह निकलता है कि यह परमेश्वर का सिद्ध और पवित्र वचन है (भजन संहिता 12:6; 2 पतरस 1:21)।
बाइबल विभाजन
बाइबल मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित है: पुराना नियम और नया नियम। संक्षेप में, पुराना नियम एक जाति की कहानी है और नया नियम एक व्यक्ति की कहानी है। पुराने नियम में वर्णित जाती का चुनाव एक व्यक्ति - यीशु को इस संसार में लाने के एक माध्यम के रूप में किया गया था।
पुराना नियम इस्राएल की स्थापना और इसे संरक्षित रखने का विवरण देता है। परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी वह इस संसार को आशीषित करने के लिए इस्राएल को उपयोग करेंगे (उत्पत्ति 12:2-3)। जब इस्राएल एक जाति के रूप में स्थापित हो गया, तब परमेश्वर ने उस जाति में ही आशीषों को आने के लिए एक परिवार : अर्थात् दाऊद के परिवार को चुन लिया (भजन संहिता 89:3-4)। इसके पश्चात्, दाऊद के वंश में एक व्यक्ति के आने की प्रतिज्ञा दी गई जो परमेश्वर के द्वारा वादा की हूई आशीषों को लेकर आएगा (यशायाह 11:1-10)।
नया नियम इस प्रतिज्ञा किए हुए व्यक्ति के आगमन के बारे में वर्णन सहित व्याख्या करता है। उसका नाम यीशु था, और वह पुराने नियम की भविष्यद्वाणियों को पूरी करता है जब वह एक सिद्ध और पवित्र जीवन जीता , उद्धारकर्ता बनने के लिए मर जाता, और मृतकों में से जी उठता है।
इसका मुख्य पात्र
यीशु ही बाइबल का मुख्य पात्र है - सम्पूर्ण पुस्तक वास्तव में उसके ही बारे में है। पुराना नियम उसके आगमन की भविष्यद्वाणी करता है और इस संसार में उसके प्रवेश के लिए परिस्थियाँ तैयार कर देता है। नया नियम उसके आगमन और उसके कार्यों की व्याख्या करता है जो हमारे इस पापमय संसार में उद्धार लेकर आएगा।
यीशु एक ऐतिहासिक व्यक्ति से कहीं अधिक बढ़कर है; सच्चाई तो यह है कि वह एक व्यक्ति से ही बढ़कर है। वह शरीर में परमेश्वर है, और उसका आगमन संसार के इतिहास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण घटना है। स्वयं परमेश्वर एक व्यक्ति बन गया ताकि वह हमें एक स्पष्ट समझ प्रदान कर सके कि वह कौन है। परमेश्वर कैसा दिखाई देता है? वह यीशु की तरह है; यीशु मानव रूप में परमेश्वर है (यूहन्ना 1:14, 14:9)।
एक संक्षिप्त सारांश
परमेश्वर ने मनुष्य को रचा और उसको एक सिद्ध वातावरण में रख दिया; परंतु मनुष्य परमेश्वर के विरूद्ध बलवा करता है और जो कुछ परमेश्वर ने उसके लिए रखा था, उसके लिए अयोग्य बन जाता है। परमेश्वर उसे अयोग्यता और पाप के कारण एक पाप के द्वारा श्रापित संसार में रख देता है परन्तु साथ ही तुरन्त सारी सृष्टि और मानवता को उसकी मूल दशा जोकि पाप रहित और अमर है उसमेमें इसे पुनर्स्थापित करने के लिए योजना का कार्यान्वन आरम्भ कर देता है।
परमेश्वर के मानव जाती के छुटकारे की योजना के कार्यान्वन के अंतर्गत (लगभग 2000 ईसा पूर्व) अब्राहम को बेबीलोन में से कनान को जाने के लिए बुलाहट देते है । परमेश्वर अब्राहम, उसके पुत्र इसहाक और उसके पोते याकूब (जिसे परमेश्वर ने इस्राएल नाम दिया था) को प्रतिज्ञा देते है कि परमेश्वर उनके वंशजों के द्वारा संसार को आशीषित करेंगे। याक़ूब (इस्राएल) का परिवार मिस्र से कनान की ओर चला आता है, जहाँ वह एक जाति के रूप में विकसित हो जाता है।
लगभग 1400 ईसा पूर्व, परमेश्वर इस्राएल जाति के वंशजों को मिस्र से बाहर मूसा की अगुवाई में मार्गदर्शन देते हुए ले आता है और उन्हें कनान जोकि परमेश्वर के द्वारा प्रतिज्ञा की हूई भूमि है, उनकी अपनी भूमि होने के लिए दे देते है। मूसा के द्वारा परमेश्वर इस्राएल के लोगों को व्यवस्था देते है और उसके साथ वाचा (नियम) स्थापित करते है कि यदि वे निरन्तर परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहेंगे और अपनी चारों ओर की जातियों के द्वारा किए जाने वाले घृणित कामों तथा मूर्तिपूजा के पीछे नहीं चलेंगे, तब वे सम्पन्न हो जाएँगे। यदि वे परमेश्वर को त्याग देते हैं और मूर्तिपूजा करते हैं, तब परमेश्वर उनकी जाति को नाश कर देंगे।
इसके लगभग 400 वर्षों के पश्चात्, दाऊद और उसके पुत्र सुलेमान के शासन के समय, इस्राएल एक बहुत ही बड़े और शक्तिशाली राज्य के रूप में विकसित हो गया। परमेश्वर ने दाऊद और सुलेमान को प्रतिज्ञा दी कि उनके वंश में से एक राजा होगा जो सदैव के लिए, अनंतकाल के राजा के रूप में राज्य करेगा।
सुलेमान के शासन के पश्चात्, इस्राएल की जाति विभाजित हो गई। उत्तर वाले दस गोत्रों को "इस्राएल" कह कर पुकारा गया और वे लगभग 200 वर्षों तक बने रहे जब तक कि परमेश्वर ने उनका न्याय मूर्तिपूजा के कारण नहीं कर दिया। अश्शूरियों ने इस्राएल को 721 ईसा पूर्व बन्धुवाई में कर लिया। दक्षिण के दो गोत्रों को "यहूदा" कह कर पुकारा गया और वे थोड़ा ज्यादा समय तक बने रहे, परन्तु अन्त में उन्होंने भी परमेश्वर की ओर पीठ फेर ली। बेबीलोन के लोगों ने उन्हें भी 600 ईसा पूर्व बन्धुवाई में ले लिया।
लगभग 70 वर्षों के पश्चात्, परमेश्वर उदारता के साथ कुछ बचे हुए लोगों को बन्धुवाई में से उनकी अपनी भूमि पर वापस लौटा ले आए। यरूशलेम (राजधानी) को फिर से 444 ईसा पूर्व निर्मित किया गया, और इस्राएल ने एक बार फिर से राष्ट्रीय पहचान को स्थापित किया। इस तरह पुराना नियम समाप्त होता है।
नया नियम 400 वर्षों के पश्चात् बैतलहम में यीशु के जन्म के साथ आरम्भ होता है। यीशु प्रतिज्ञा दिए हुए अब्राहम और दाऊद के वंश से आता है, वह ऐसा व्यक्ति है जो मानवजाति के लिए परमेश्वर की छुटकारे की योजना को पूरा करेगा। यीशु विश्वासयोग्यता के साथ अपने कार्य को पूरा करता है - वह पाप के लिए मर जाता है और मृतकों में से जी उठता है। मसीह की मृत्यु इस संसार के साथ नई वाचा (नियम) का आधार है। वे सभी जो यीशु में विश्वास करते हैं पाप से बचाए जाते और अनंतकाल तक जीवित रहते हैं।
उसके जी उठने के पश्चात्, यीशु ने अपने चेलों को लोगों को बचाने के लिए, उसके जीवन और उसकी सामर्थ्य के सन्देश को फैलाने के लिए भेज दिया है। यीशु के चेले उद्धार का शुभ सन्देश फैलाने के लिए प्रत्येक दिशा की ओर चले गए। उन्होंने एशिया माईनर, यूनान और सारे रोमी साम्राज्य की यात्राएँ कीं। नया नियम इस भविष्यद्वाणी के साथ समाप्त होता है कि यीशु एक दिन इस अविश्वासी संसार का न्याय करने और सृष्टि को श्राप से मुक्त करने के लिए पुनः आने वाला है।