जकर्याह पुस्तक - हर अध्याय की व्याख्या | Book of Zechariah All Chapters Explained in Hindi
📖 जकर्याह
अध्याय 1 – पश्चाताप का आह्वान और परमेश्वर की करुणा
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 1 इस्राएल के लिए एक
महत्वपूर्ण संदेश के साथ प्रारंभ होता है — पश्चाताप और परमेश्वर की ओर लौटने का
आह्वान। इस अध्याय में नबी को दिए गए प्रारंभिक दर्शन शामिल हैं, जो परमेश्वर की करुणा, न्याय और भविष्य के उद्धार का
प्रतीक हैं। यह अध्याय इस्राएल की पुनःस्थापना और परमेश्वर के न्याय के संदेश से
भरा हुआ है।
🔹
1-6 पद: पश्चाताप का आह्वान
पृष्ठभूमि:
इस्राएल लंबे समय तक बंधुआई में रहा, क्योंकि
उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन किया। जकर्याह को परमेश्वर ने चुना ताकि
वह अपने लोगों को पश्चाताप और पुनःस्थापना का संदेश दे सके।
मूल संदेश:
- पश्चाताप का आह्वान:
परमेश्वर अपने लोगों से कहता है, "मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर
फिरूँगा।" (पद 3)
- पूर्वजों की गलतियाँ:
इस्राएल के पूर्वजों ने परमेश्वर की बात नहीं मानी,
जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दंड का सामना करना पड़ा। (पद 4)
- परमेश्वर का धैर्य:
परमेश्वर अपने लोगों को स्मरण दिलाता है कि यद्यपि उनके पूर्वज उसकी
चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर चुके थे, फिर भी वह करुणामय और क्षमाशील है।
- प्रेरणा: इतिहास से
सबक लेना और परमेश्वर की ओर लौटना ही सच्ची आशीष का मार्ग है।
📜
सीख:
- परमेश्वर हमेशा अपने लोगों को लौटने का अवसर देता है।
- पश्चाताप और आज्ञाकारिता से ही परमेश्वर की कृपा प्राप्त
होती है।
- इतिहास से सबक लेना हमें भविष्य में परमेश्वर की आशीष का
पात्र बनाता है।
🔹
7-11 पद: पहला दर्शन — लाल घोड़ों वाला पुरुष
दर्शन का दृश्य:
- नबी का अनुभव: जकर्याह
ने एक रात का दर्शन देखा, जिसमें
एक व्यक्ति लाल घोड़े पर सवार था, जो मेंहदी के वृक्षों
के बीच खड़ा था। उसके पीछे लाल, भूरे और सफेद घोड़े थे।
(पद 8)
- स्वर्गदूतों की भूमिका:
इन घोड़ों पर सवार स्वर्गदूतों ने पृथ्वी का दौरा किया और रिपोर्ट दी कि "सारी पृथ्वी शांत और निश्चिंत है।"
(पद 11)
- परमेश्वर की दृष्टि:
यह दर्शाता है कि परमेश्वर अपने लोगों की स्थिति से भली-भांति परिचित है और
वह उनके संघर्षों को देखता और समझता है।
🌎
सीख:
- परमेश्वर के स्वर्गदूत उसकी सृष्टि पर दृष्टि रखते हैं —
वह सब कुछ देखता और समझता है।
- परमेश्वर अपने लोगों की स्थिति से कभी अनजान नहीं रहता।
- उसकी दृष्टि सदा जागरूक और उसकी योजना सम्पूर्ण है।
🔹
12-17 पद: यरूशलेम के लिए करुणा
प्रार्थना और उत्तर:
- स्वर्गदूत की प्रार्थना:
स्वर्गदूत यहोवा से पूछता है, "तू कब तक यरूशलेम और यहूदा के नगरों पर क्रोधित रहेगा?"
(पद 12)
- परमेश्वर का प्रेमपूर्ण उत्तर:
यहोवा ने प्रेम और करुणा से उत्तर दिया — "मैं यरूशलेम के प्रति अत्यंत प्रेम से भरा हूँ।"
(पद 14)
- पुनःस्थापना का वादा:
परमेश्वर ने घोषणा की कि यरूशलेम का पुनर्निर्माण होगा और उसकी आशीष उन पर
फिर से आएगी। (पद 16-17)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों के प्रति करुणा से भरा हुआ है।
- न्याय के बाद भी वह अपने वचनों को पूरा करता है।
- उसकी योजना हमेशा उसके लोगों की भलाई और उद्धार के लिए
है।
🔹
18-21 पद: चार सींग और चार लोहार का दर्शन
दर्शन का अर्थ:
- चार सींग: जकर्याह
ने चार सींग देखे — ये उन शक्तिशाली राष्ट्रों का प्रतीक हैं जिन्होंने
इस्राएल को तितर-बितर किया और अत्याचार किया। (पद 18-19)
- चार लोहार: फिर
चार लोहार प्रकट हुए, जो इन सींगों को
नष्ट करने के लिए भेजे गए थे। (पद 20-21)
- न्याय का संदेश:
यह दर्शाता है कि परमेश्वर अपने लोगों के शत्रुओं का नाश करता है और न्याय का
कार्य पूरा करता है।
⚔️
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों के शत्रुओं का न्याय करता है — वह
अपने लोगों की रक्षा करता है।
- कोई भी शक्ति उसके न्याय से बच नहीं सकती।
- परमेश्वर के न्याय की गति धीमी हो सकती है,
लेकिन यह हमेशा सटीक और निर्णायक होता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर हमेशा पश्चाताप करने वालों को स्वीकार करता है।
✝️
वह हमारे संघर्षों और पीड़ाओं को देखता और समझता है।
✝️
न्याय और करुणा उसके चरित्र के अभिन्न अंग हैं।
✝️
उसकी योजना हमेशा उसके लोगों की भलाई और पुनःस्थापना के लिए है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर
फिरूँगा, सेनाओं का यहोवा कहता है।" (जकर्याह 1:3)
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अध्याय 2 – यरूशलेम का विस्तार और सुरक्षा का वादा
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अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 2 यरूशलेम के भविष्य की एक
शानदार झलक प्रस्तुत करता है। इसमें यरूशलेम के विस्तार, परमेश्वर
की उपस्थिति और उसके लोगों के लिए सुरक्षा का वादा है। यह अध्याय इस्राएल के
पुनर्निर्माण और परमेश्वर की महिमा का प्रतीक है।
🔹
1-5 पद: नापने की रस्सी का दर्शन
दर्शन का दृश्य:
- नापने वाला व्यक्ति:
जकर्याह ने एक व्यक्ति को नापने की रस्सी लेकर यरूशलेम को मापते हुए देखा।
(पद 1)
- स्वर्गदूत की प्रतिक्रिया:
एक और स्वर्गदूत उसके पास आता है और उसे बताता है कि यरूशलेम का विस्तार होगा,
और यह इतनी बड़ी होगी कि उसे दीवारों की आवश्यकता नहीं होगी।
(पद 2-4)
- परमेश्वर का वादा:
परमेश्वर स्वयं यरूशलेम की सुरक्षा का वादा करता है — "मैं उसके चारों ओर आग की दीवार बनूँगा और उसकी महिमा उसके बीच निवास
करेगी।" (पद 5)
🔥
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा करने वाला है।
- उसकी महिमा उसके लोगों के बीच निवास करती है।
- परमेश्वर की सुरक्षा अजेय और शक्तिशाली होती है।
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6-9 पद: परमेश्वर की पुकार — लौटने का आह्वान
निर्गमन का आह्वान:
- बाबुल से लौटो:
परमेश्वर अपने लोगों से कहता है कि वे बाबुल से निकलें और यरूशलेम लौट आएं।
(पद 6)
- उसकी दृष्टि: वह
अपने लोगों को अपनी आँख की पुतली कहता है — जो उन्हें छूता है,
वह परमेश्वर को छूता है। (पद 8)
- न्याय का वादा:
परमेश्वर उन राष्ट्रों पर न्याय करेगा जिन्होंने इस्राएल को तितर-बितर किया
और अत्याचार किया। (पद 9)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों को बुलाता है — उसे छोड़ना नहीं
चाहिए।
- वह अपने लोगों की रक्षा करता है और उनके शत्रुओं का न्याय
करता है।
- परमेश्वर की महिमा उसके लोगों के बीच निवास करती है।
🔹
10-13 पद: परमेश्वर की उपस्थिति और राष्ट्रों का उद्धार
मसीही युग का संकेत:
- आनंदित हो: परमेश्वर
अपने लोगों से कहता है कि वे आनंदित हों, क्योंकि वह उनके बीच निवास करेगा। (पद 10)
- नए युग का वादा:
बहुत से राष्ट्र परमेश्वर के लोगों में सम्मिलित होंगे और उसकी महिमा का
अनुभव करेंगे। (पद 11)
- चुप हो जाओ: सारी
पृथ्वी को शांत रहने का आह्वान किया जाता है, क्योंकि परमेश्वर अपने पवित्र निवास से बाहर निकला है। (पद 13)
🌍
सीख:
- परमेश्वर की उपस्थिति उसके लोगों के लिए एक महान आशीष है।
- उसके न्याय और महिमा के समय में,
पूरी पृथ्वी को सम्मान और श्रद्धा के साथ शांत रहना चाहिए।
- परमेश्वर की योजना पूरे संसार को आशीष देने की है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर अपने लोगों की सुरक्षा का वादा करता है।
✝️
उसका न्याय निश्चित और अटल है।
✝️
उसकी उपस्थिति हमारे जीवन को महिमा और सुरक्षा से भर देती है।
✝️
परमेश्वर का उद्धार केवल एक राष्ट्र के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"जो तुम को छूता है, वह मेरी आँख की
पुतली को छूता है।" (जकर्याह 2:8)
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अध्याय 3 – यहोशू महायाजक का शुद्धिकरण
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अध्याय की झलक:
यह अध्याय यहोशू महायाजक के एक महत्वपूर्ण दर्शन को प्रस्तुत करता
है, जो परमेश्वर की क्षमा, शुद्धिकरण
और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह दृश्य मसीह के महान महायाजक कार्य का एक सुंदर
चित्रण है, जो हमें आत्मिक रूप से शुद्ध और पुनःस्थापित करने
की प्रतिज्ञा करता है।
🔹
1-5 पद: यहोशू का शुद्धिकरण
दर्शन का दृश्य:
- आरोप का सामना:
यहोशू महायाजक को यहोवा के सामने खड़ा दिखाया गया है,
और शैतान उसके दाहिने ओर खड़ा होकर उसे दोषी ठहरा रहा है। (पद 1)
- यहोवा का न्याय:
यहोवा स्वयं शैतान को डाँटता है — "यहोवा तुझे डाँटता है, हे शैतान! यरूशलेम को
चुना हुआ यहोवा तुझे डाँटता है।"
(पद 2)
- मैल से शुद्ध: यहोवा
आज्ञा देता है कि यहोशू के मैले वस्त्र हटा दिए जाएँ और उसे नए,
पवित्र वस्त्र पहनाए जाएँ। (पद 4)
- राजसी सम्मान: यहोशू
को न केवल शुद्ध किया जाता है, बल्कि उसके सिर पर एक शुद्ध पगड़ी भी रखी जाती है, जो उसके महायाजक के पद की पुनःस्थापना का प्रतीक है। (पद 5)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर हमारे दोषों को दूर करता है और हमें शुद्ध करता
है।
- शैतान के आरोपों का सामना परमेश्वर की कृपा से किया जा
सकता है।
- सच्चे पश्चाताप और विश्वास से हम आत्मिक रूप से
पुनःस्थापित हो सकते हैं।
🔹
6-7 पद: आज्ञाकारिता और आशीष का वादा
परमेश्वर का निर्देश:
- आज्ञाकारिता की शर्त:
यहोवा यहोशू से कहता है, "यदि तू मेरी मार्गों पर चले और मेरी आज्ञाओं का पालन करे, तो तू मेरे घर का प्रभारी होगा और मेरे आँगनों में काम करेगा।"
(पद 7)
- विशेषाधिकार: यहोशू
को न केवल याजकता का सम्मान दिया जाता है, बल्कि परमेश्वर के निकट पहुँचने का विशेषाधिकार भी मिलता है।
🌱
सीख:
- परमेश्वर की आशीषें आज्ञाकारिता से जुड़ी होती हैं।
- सच्ची सेवा और निष्ठा परमेश्वर के राज्य में ऊँचा स्थान
देती है।
- जो परमेश्वर के निकट रहते हैं,
उन्हें उसकी महिमा का अनुभव होता है।
🔹
8-10 पद: मसीही युग और भविष्य का वादा
मसीह का संकेत:
- भविष्यवाणी: यहोशू
और उसके साथी एक चिन्ह हैं — "देख, मैं अपने दास अंकुर (Branch) को लाने वाला हूँ।" (पद 8)
- एक ही पत्थर: यहोवा
एक पत्थर का उल्लेख करता है, जिस पर
सात आँखें हैं — यह मसीह का प्रतीक है, जो पूर्ण ज्ञान
और दृष्टि का प्रतीक है। (पद 9)
- पापों का शुद्धिकरण:
परमेश्वर एक ही दिन में इस्राएल के पापों को हटा देगा,
जो मसीह के बलिदान की ओर संकेत करता है। (पद 9)
- शांति का युग: प्रत्येक
व्यक्ति अपने अंगूर और अंजीर के नीचे शांति से बैठेगा — यह मसीह के राज्य का
संकेत है। (पद 10)
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सीख:
- मसीह हमारी पापों का शुद्धिकरण करने वाला महान महायाजक
है।
- उसका राज्य शांति, सुरक्षा और आशीष का युग होगा।
- परमेश्वर की योजना हमेशा से मसीह के माध्यम से पूर्णता तक
पहुँचने की रही है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर हमें शुद्ध और पुनःस्थापित करने के लिए तैयार है।
✝️
शैतान के आरोपों का सामना केवल परमेश्वर की कृपा से किया जा सकता
है।
✝️
मसीह का बलिदान पापों की वास्तविक और अंतिम क्षमा का मार्ग है।
✝️
सच्ची शांति और आशीष केवल मसीह में पाई जा सकती है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"देख, मैं अपने दास अंकुर को लाने
वाला हूँ।" (जकर्याह 3:8)
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अध्याय 4 – स्वर्गीय शक्ति और परमेश्वर की योजना
🌟
अध्याय की झलक:
यह अध्याय यरूशलेम के पुनर्निर्माण और परमेश्वर की आत्मिक शक्ति का
अद्भुत दर्शन प्रस्तुत करता है। यह विशेष रूप से जरूबाबेल के लिए एक प्रोत्साहन का
संदेश है, जो परमेश्वर के भवन के पुनर्निर्माण का नेतृत्व कर
रहा था। यह अध्याय हमें सिखाता है कि परमेश्वर का कार्य न तो मानवीय शक्ति से,
न ही सामर्थ्य से, बल्कि उसकी आत्मा से पूरा
होता है।
🔹
1-5 पद: स्वर्णदीपमालिका और जैतून के पेड़ का दर्शन
दर्शन का दृश्य:
- जागृत भविष्यवक्ता:
जकर्याह को स्वर्गदूत द्वारा जागृत किया गया, मानो वह नींद से उठाया गया हो। (पद 1)
- स्वर्णदीपमालिका:
उसने एक दीपमालिका देखी, जिसके
ऊपर एक कटोरा था, जिसमें से सात दीपक जल रहे थे और इन
दीपकों तक सात-सात नलियाँ थीं। (पद 2)
- दो जैतून के पेड़:
दीपमालिका के दोनों ओर दो हरे जैतून के पेड़ खड़े थे,
जो स्वर्ण तेल (अभिषेक) की निरंतर आपूर्ति का प्रतीक हैं। (पद 3)
- स्वर्गदूत का प्रश्न:
जकर्याह ने इस दर्शन का अर्थ पूछा, परंतु स्वर्गदूत ने उसे तुरंत उत्तर नहीं दिया, बल्कि उसे और अधिक ध्यान से देखने के लिए कहा। (पद 4-5)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर के कार्य के लिए आत्मिक तेल (अभिषेक) की
आवश्यकता होती है।
- परमेश्वर का कार्य उसकी आत्मा से ही पूर्ण होता है।
- निरंतर अभिषेक और आत्मिक पोषण का महत्व।
🔹
6-10 पद: परमेश्वर का संदेश — "मेरी आत्मा से"
जरूबाबेल के लिए प्रोत्साहन:
- आत्मिक शक्ति: "न तो सामर्थ्य से, न शक्ति से, परन्तु मेरी आत्मा से"
— यह संदेश जरूबाबेल के लिए था, जो
परमेश्वर के भवन का पुनर्निर्माण कर रहा था। (पद 6)
- महान पहाड़ का हटाया जाना:
जरूबाबेल के सामने की हर बाधा एक समतल मैदान की तरह हो जाएगी। (पद 7)
- नींव से अंतिम पत्थर तक:
जरूबाबेल ने भवन की नींव रखी थी, और वही इसका समापन करेगा — यह परमेश्वर की विश्वासयोग्यता का प्रतीक
है। (पद 9)
- छोटे आरंभ का महत्व:
जो छोटे आरंभों का तिरस्कार करते हैं, वे भी उस दिन आनंदित होंगे जब यह कार्य पूरा होगा। (पद 10)
🔥
सीख:
- परमेश्वर का कार्य उसकी आत्मा की शक्ति से ही पूर्ण होता
है।
- हर बाधा उसके मार्ग में केवल एक समतल मार्ग बन सकती है।
- छोटे आरंभ महान कार्यों की नींव हो सकते हैं — उन्हें कभी
तुच्छ न समझें।
🔹
11-14 पद: दो जैतून के पेड़ों का रहस्य
अभिषेक और परमेश्वर के सेवक:
- जैतून के पेड़:
जकर्याह ने इन दो पेड़ों का अर्थ पूछा, जो स्वर्ण तेल का निरंतर प्रवाह करते थे। (पद 11-12)
- परमेश्वर का उत्तर:
ये वे दो अभिषिक्त (anointed) हैं,
जो सारी पृथ्वी के स्वामी के सम्मुख खड़े रहते हैं। (पद 14)
- मसीही अर्थ: ये
दो पेड़ संभवतः जरूबाबेल (नरेश) और यहोशू (महायाजक) का प्रतीक हैं,
जो मसीह और पवित्र आत्मा की भविष्यवाणी का भी संकेत हो सकते
हैं।
🌱
सीख:
- परमेश्वर के अभिषिक्त सेवक उसके राज्य के निर्माण और उसकी
महिमा के लिए खड़े रहते हैं।
- आत्मिक पोषण और अभिषेक केवल परमेश्वर से आता है।
- हमें निरंतर परमेश्वर के सम्मुख बने रहना चाहिए,
ताकि हम उसकी शक्ति और आशीष से भरे रहें।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर का कार्य उसकी आत्मा से ही पूर्ण होता है।
✝️
हर बाधा उसके सामने छोटी है — वह पहाड़ों को समतल कर सकता है।
✝️
छोटे आरंभ भी महान कार्यों का आधार बन सकते हैं।
✝️
अभिषेक की निरंतरता और आत्मिक पोषण का महत्व कभी न भूलें।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"न तो शक्ति से, न सामर्थ्य से,
परन्तु मेरी आत्मा से।" (जकर्याह 4:6)
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अध्याय 5 – न्याय और शुद्धिकरण का दर्शन
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 5 में दो महत्वपूर्ण दर्शनों
का उल्लेख है — उड़ता हुआ पुस्तक-पत्रक और एफा का दर्शन। ये दोनों दर्शन पाप,
न्याय और शुद्धिकरण का प्रतीक हैं। यह अध्याय इस्राएल के पापों के
नाश और पवित्रता की बहाली का संदेश देता है, जो परमेश्वर की
न्यायपूर्ण प्रकृति को प्रकट करता है।
🔹
1-4 पद: उड़ता हुआ पुस्तक-पत्रक
दर्शन का दृश्य:
- पुस्तक-पत्रक का आकार:
जकर्याह ने एक विशाल उड़ता हुआ पुस्तक-पत्रक देखा,
जो 20 हाथ लंबा और 10 हाथ चौड़ा था — लगभग 30 फीट x 15 फीट। (पद 2)
- शाप का संदेश: यह
पुस्तक उन सभी के विरुद्ध है जो चोरी और झूठी शपथ का उल्लंघन करते हैं। यह
पूरे देश पर एक शाप का प्रतीक है। (पद 3)
- परमेश्वर का न्याय:
यह शाप चोरों और झूठी शपथ खाने वालों के घर में प्रवेश करेगा और उसे नष्ट कर
देगा। (पद 4)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर का न्याय सटीक और शक्तिशाली होता है।
- पाप का नाश अवश्यंभावी है।
- परमेश्वर की दृष्टि में चोरी और झूठी शपथ गंभीर अपराध
हैं।
🔹
5-11 पद: एफा और स्त्री का दर्शन
दर्शन का दृश्य:
- एफा का माप: जकर्याह
ने एक बड़ा एफा (माप का पात्र) देखा, जो इस्राएल के पाप का प्रतीक था। (पद 6)
- पाप का प्रतीक:
इस एफा के अंदर एक स्त्री बैठी थी, जिसे "दुष्टता" कहा गया है। (पद 7-8)
- दुष्टता का निर्वासन:
दो पंखों वाली स्त्रियाँ (शायद स्वर्गदूत) इसे शिनार (बाबुल) की भूमि की ओर
ले जा रही थीं, जहाँ इसका घर
बनाया जाएगा। (पद 9-11)
🔥
सीख:
- परमेश्वर पाप को उसके उचित स्थान पर भेजता है — वह उसे
अपनी उपस्थिति से दूर कर देता है।
- दुष्टता का अंतिम स्थान बाबुल है,
जो पाप और अधर्म का प्रतीक है।
- परमेश्वर का न्याय पाप को स्थायी रूप से समाप्त करने के
लिए है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर पाप और अधर्म को सहन नहीं करता।
✝️
न्याय और शुद्धिकरण उसके स्वभाव के अभिन्न अंग हैं।
✝️
पाप का नाश निश्चित है — उसे छिपाया नहीं जा सकता।
✝️
परमेश्वर का राज्य पवित्रता और धार्मिकता पर आधारित है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"यह शाप उस चोर के घर में और उस पर झूठी शपथ खाने वाले के
घर में प्रवेश करेगा और उसे नष्ट कर देगा।" (जकर्याह
5:4)
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अध्याय 6 – चार रथों का दर्शन और मसीही राजा का राज्याभिषेक
🌟
अध्याय की झलक:
इस अध्याय में जकर्याह को अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दर्शन मिलता है
— चार रथों का दर्शन, जो परमेश्वर के न्याय और प्रभुत्व का
प्रतीक है। इसके बाद, यहोशू महायाजक का राज्याभिषेक होता है,
जो मसीह के आने वाले महायाजक और राजा के रूप में भविष्यवाणी का
संकेत है।
🔹
1-8 पद: चार रथों का दर्शन
दर्शन का दृश्य:
- कांसे के दो पर्वत:
जकर्याह ने दो काँसे के पर्वतों के बीच से निकलते चार रथ देखे। काँसे का
प्रयोग शक्ति और न्याय का प्रतीक है। (पद 1)
- रथों के घोड़े:
- पहला रथ: लाल
घोड़े — युद्ध और खून-खराबे का प्रतीक।
- दूसरा रथ: काले
घोड़े — अकाल और मृत्यु का प्रतीक।
- तीसरा रथ: सफेद
घोड़े — विजय और शांति का प्रतीक।
- चौथा रथ: चित्तीदार,
धब्बेदार घोड़े — विविध विनाश और न्याय का प्रतीक। (पद 2-3)
- पृथ्वी पर न्याय:
ये चार रथ स्वर्ग के चार पवनों का प्रतीक हैं, जो पूरी पृथ्वी पर परमेश्वर का न्याय लागू करने के लिए निकले थे। (पद
5)
- उत्तर और दक्षिण की विजय:
काले घोड़े उत्तर की ओर और चित्तीदार घोड़े दक्षिण की ओर जाते हैं — यह
दर्शाता है कि परमेश्वर का न्याय पूरी पृथ्वी पर फैला हुआ है। (पद 6-8)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर का न्याय सम्पूर्ण और सटीक होता है।
- उसकी दृष्टि में कोई भी स्थान न्याय से परे नहीं है।
- परमेश्वर की सेना शक्तिशाली और अजेय है।
🔹
9-15 पद: महायाजक का राज्याभिषेक — मसीह का प्रतीक
यहोशू का राज्याभिषेक:
- मुकुट का निर्माण:
यहोवा ने जकर्याह से कहा कि वह बंधुआई से लौटे हुए लोगों से सोना और चाँदी
लेकर एक मुकुट बनाए। (पद 11)
- यहोशू का राज्याभिषेक:
यह मुकुट यहोशू महायाजक के सिर पर रखा गया — यह एक अनोखी बात थी,
क्योंकि याजक और राजा का पद आमतौर पर अलग-अलग होता था। (पद 11)
- अंकुर का आगमन:
यहोशू का यह राज्याभिषेक उस मसीह की ओर संकेत करता है,
जो "अंकुर" (Branch) कहलाएगा और यहोवा के मंदिर को
बनाएगा। (पद 12-13)
- दोहरी भूमिका: यह
मसीह के दोहरे कार्य — महायाजक और राजा — का स्पष्ट चित्रण है।
- राष्ट्रों का एकत्रीकरण:
जो दूर हैं, वे भी आकर यहोवा
के मंदिर का निर्माण करेंगे — यह सभी राष्ट्रों के उद्धार का प्रतीक है। (पद 15)
🔥
सीख:
- मसीह न केवल हमारा महायाजक है,
बल्कि शाश्वत राजा भी है।
- परमेश्वर का राज्य एकता और शांति का प्रतीक है।
- मसीह का राज्य सच्चे विश्वास और आज्ञाकारिता पर आधारित
है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर का न्याय सम्पूर्ण और सटीक होता है।
✝️
मसीह राजा और महायाजक दोनों हैं — हमारा उद्धारकर्ता और शासक।
✝️
परमेश्वर का राज्य शांति, न्याय और पवित्रता
पर आधारित है।
✝️
सभी राष्ट्र उसके राज्य में एकत्र होंगे।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"देख, वह एक पुरुष है जिसका नाम 'अंकुर' है, और वह अपनी जगह से
बढ़ेगा और यहोवा का मन्दिर बनाएगा।" (जकर्याह 6:12)
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अध्याय 7 – सच्ची भक्ति और न्याय की पुकार
🌟
अध्याय की झलक:
इस अध्याय में परमेश्वर अपने लोगों को सच्ची भक्ति और पवित्र जीवन
के महत्व की शिक्षा देता है। यह केवल बाहरी उपवास और धार्मिक कर्मकांडों से अधिक
है — यह प्रेम, न्याय, और करुणा के
जीवन का आह्वान है। जकर्याह के समय, यह संदेश इस्राएल के लिए
एक आत्मनिरीक्षण का अवसर था, जिससे वे अपने दिलों की
वास्तविक स्थिति को समझ सकें।
🔹
1-3 पद: उपवास के बारे में प्रश्न
यरूशलेम का पुनर्निर्माण:
- दार्यावेश के चौथे वर्ष में:
यह संदेश राजा दार्यावेश के शासनकाल के चौथे वर्ष (लगभग 518
ई.पू.) में आया। (पद 1)
- बेतेल के लोगों का प्रश्न:
शरेसेर, रग्म्मेलेख और उनके लोग यहोवा से पूछने
आए कि क्या वे पांचवें महीने का उपवास और विलाप जारी रखें, जैसा कि वे कई वर्षों से कर रहे थे। (पद 2-3)
- पाँचवें महीने का उपवास:
यह उपवास यरूशलेम के नाश (586 ई.पू.)
की याद में रखा जाता था।
🕊️
सीख:
- केवल बाहरी धार्मिक कर्मकांड ही पर्याप्त नहीं हैं।
- परमेश्वर सच्चे हृदय और पवित्र उद्देश्य की ओर देखता है।
- धार्मिकता आत्मिक सच्चाई से उत्पन्न होती है,
न कि केवल परंपराओं से।
🔹
4-7 पद: परमेश्वर का उत्तर — सच्ची भक्ति का आह्वान
आत्मनिरीक्षण का आह्वान:
- स्वार्थी उपवास:
परमेश्वर ने पूछा कि क्या उनके उपवास और विलाप वास्तव में उसके लिए थे या
केवल अपने ही उद्देश्य के लिए। (पद 5)
- सच्ची भक्ति का अर्थ:
केवल भोजन न करना, विलाप करना या
रिवाज निभाना ही पर्याप्त नहीं है — परमेश्वर सच्चे प्रेम और आज्ञाकारिता की
अपेक्षा करता है।
- अतीत का पाठ: परमेश्वर
ने उन्हें उनके पूर्वजों की अवज्ञा और उसके परिणामों की याद दिलाई,
जब उन्होंने उसकी आज्ञाओं की अवहेलना की थी। (पद 7)
🔥
सीख:
- बाहरी धार्मिकता का कोई मूल्य नहीं,
यदि हृदय परमेश्वर की ओर न हो।
- आत्मनिरीक्षण और सच्ची भक्ति परमेश्वर को स्वीकार्य हैं।
- इतिहास से सबक लेना महत्वपूर्ण है,
ताकि हम वही गलतियाँ न दोहराएँ।
🔹
8-14 पद: सच्ची धार्मिकता के गुण
परमेश्वर की अपेक्षाएँ:
- न्याय और दया का आह्वान:
परमेश्वर ने इस्राएल से सच्चे न्याय, करुणा और दया का आह्वान किया। (पद 9)
- कमजोरों का सम्मान:
उन्होंने विधवाओं, अनाथों, परदेशियों और दरिद्रों के प्रति कठोरता न दिखाने की शिक्षा दी। (पद 10)
- हृदय की कठोरता:
इस्राएल ने इन शिक्षाओं को नकार दिया और अपने दिलों को पत्थर के समान कठोर
बना लिया। (पद 11-12)
- परिणाम: परमेश्वर
ने उन्हें उनके हठीलेपन के कारण तितर-बितर कर दिया और उनकी भूमि उजाड़ हो गई।
(पद 14)
🌱
सीख:
- सच्ची धार्मिकता में न्याय, करुणा और प्रेम का जीवन शामिल है।
- हृदय की कठोरता परमेश्वर के न्याय को आमंत्रित करती है।
- अपने दिलों को परमेश्वर के वचनों के लिए कोमल और
संवेदनशील बनाए रखना आवश्यक है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
सच्ची भक्ति केवल बाहरी रीति-रिवाजों में नहीं, बल्कि हृदय की पवित्रता में है।
✝️
परमेश्वर सच्चे न्याय, करुणा और प्रेम की
अपेक्षा करता है।
✝️
आत्मिक कठोरता हमें परमेश्वर से दूर कर देती है।
✝️
इतिहास से सबक लें और परमेश्वर की शिक्षाओं को गंभीरता से अपनाएँ।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"न्याय का सच्चा निर्णय करो और एक दूसरे पर करुणा और दया
दिखाओ।" (जकर्याह 7:9)
📖 जकर्याह
अध्याय 8 – यरूशलेम का पुनर्निर्माण और परमेश्वर की आशीष का
वादा
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 8 परमेश्वर के महान वादों से
भरा हुआ है। यह अध्याय बताता है कि कैसे परमेश्वर अपने लोगों को पुनःस्थापित करेगा,
यरूशलेम को महिमामयी बनाएगा और अपने वफादार लोगों को शांति, समृद्धि और आशीष देगा। यह एक उम्मीद और पुनरुद्धार का संदेश है, जो परमेश्वर की अटल प्रेम और करुणा को प्रकट करता है।
🔹
1-8 पद: यरूशलेम का पुनर्निर्माण और परमेश्वर की उपस्थिति
परमेश्वर की जलन और प्रेम:
- यहोवा की जलन: यहोवा
ने यरूशलेम और सिय्योन के लिए अत्यंत जलन और प्रेम से भरे हुए वचनों का
उच्चारण किया। (पद 2)
- पुनर्निर्माण का वादा:
परमेश्वर यरूशलेम में वापस लौटेगा और यह पवित्र नगर कहा जाएगा। सिय्योन का
पर्वत पवित्र पर्वत कहा जाएगा। (पद 3)
- शांति और सुरक्षा:
वृद्ध पुरुष और स्त्रियाँ फिर से यरूशलेम की सड़कों पर बैठेंगे,
और बच्चे उनकी गलियों में खेलेंगे — यह शांति और स्थायित्व का
प्रतीक है। (पद 4-5)
- परमेश्वर की शक्ति:
जो बात लोगों के लिए असंभव हो सकती है, वह परमेश्वर के लिए कठिन नहीं है। (पद 6)
- अपने लोगों का पुनरुद्धार:
परमेश्वर अपने लोगों को पूर्व और पश्चिम के देशों से वापस लाएगा और उन्हें
स्थायी रूप से अपने साथ बसाएगा। (पद 7-8)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर अपने वादों को पूरा करने में विश्वासयोग्य है।
- उसकी उपस्थिति शांति, सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक है।
- वह अपने लोगों को कभी नहीं भूलता,
चाहे वे कितने भी दूर क्यों न हो जाएँ।
🔹
9-13 पद: मजबूत बनो और पुनर्निर्माण करो
हिम्मत और आशीष का संदेश:
- मंदिर का पुनर्निर्माण:
परमेश्वर ने लोगों से कहा कि वे हिम्मत बनाए रखें और अपने हाथों को मजबूत
करें, क्योंकि मंदिर का पुनर्निर्माण जारी है।
(पद 9)
- पिछले समय की कठिनाई:
पहले के दिनों में मजदूरी बेकार थी, शांति का अभाव था और लोग एक-दूसरे के शत्रु बने हुए थे। (पद 10)
- नया युग: अब
परमेश्वर अपने लोगों के प्रति अलग होगा — वे एक आशीष के रूप में पहचाने
जाएँगे, और उनकी फसलें फलेंगी, अंगूर की बेलें फल देंगी, और पृथ्वी की उपज
समृद्ध होगी। (पद 12-13)
🔥
सीख:
- निराशा के समय में भी हिम्मत बनाए रखना आवश्यक है।
- परमेश्वर का वचन सच्चा है, और उसकी आशीषें स्थायी होती हैं।
- विश्वास और मेहनत से परमेश्वर के राज्य का पुनर्निर्माण
होता है।
🔹
14-17 पद: न्याय, प्रेम और सच्चाई का जीवन
परमेश्वर की अपेक्षाएँ:
- दया और न्याय: परमेश्वर
ने अपने लोगों से प्रेम, सच्चाई
और न्याय की अपेक्षा की। (पद 16)
- नफरत और कपट से बचें:
एक-दूसरे के खिलाफ बुरा मत सोचो और झूठी शपथ न खाओ — ये बातें परमेश्वर से
घृणास्पद हैं। (पद 17)
🌱
सीख:
- सच्ची भक्ति केवल बाहरी कर्मकांडों में नहीं,
बल्कि प्रेम और सच्चाई में होती है।
- परमेश्वर का न्याय और प्रेम हमारे जीवन के हर पहलू में
प्रतिबिंबित होना चाहिए।
- पवित्रता और सत्यता का जीवन ही परमेश्वर को प्रिय है।
🔹
18-23 पद: आशीष और राष्ट्रों का एकत्रीकरण
उत्सव और उपवास:
- उपवास के दिन आनंद में बदलेंगे:
चौथे, पाँचवे, सातवें और
दसवें महीने के उपवास अब आनंद, हर्ष और प्रसन्नता के दिन
बनेंगे। (पद 19)
- राष्ट्रों का आना:
कई राष्ट्र और सामर्थी जातियाँ यहोवा की उपासना करने और उसकी आशीष पाने
यरूशलेम आएँगे। (पद 22)
- यहूदियों का सम्मान:
दस लोग एक यहूदी का आँचल पकड़कर कहेंगे — "हम तुम्हारे साथ चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है
कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है।"
(पद 23)
💫
सीख:
- परमेश्वर का राज्य केवल एक राष्ट्र तक सीमित नहीं,
बल्कि सभी जातियों के लिए है।
- सच्ची भक्ति और पवित्रता दूसरों को परमेश्वर की ओर खींचती
है।
- परमेश्वर की उपस्थिति लोगों को आकर्षित करती है और उन्हें
आशीष देती है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ता — उसकी उपस्थिति
पुनर्निर्माण और आशीष का स्रोत है।
✝️
सच्ची भक्ति न्याय, प्रेम और सच्चाई पर आधारित
होती है।
✝️
परमेश्वर की आशीषें संपूर्ण और स्थायी होती हैं।
✝️
सभी राष्ट्र परमेश्वर के राज्य का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित हैं।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"हम तुम्हारे साथ चलेंगे, क्योंकि हम
ने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है।" (जकर्याह
8:23)
📖 जकर्याह
अध्याय 9 – न्याय, उद्धार और विजयी
राजा का आगमन
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 9 मसीह के आगमन, न्याय और परमेश्वर के लोगों के उद्धार का एक शक्तिशाली संदेश है। यह
अध्याय भविष्यवाणी करता है कि कैसे परमेश्वर अपने शत्रुओं का नाश करेगा, यरूशलेम का उद्धार करेगा, और एक धर्मी और विनम्र
राजा का आगमन होगा, जो शांति और न्याय लाएगा।
🔹
1-8 पद: शत्रुओं का नाश और इस्राएल की रक्षा
परमेश्वर का न्याय:
- शत्रुओं के खिलाफ चेतावनी:
हद्राक, दमिश्क, हमात,
सोर और सैदा जैसे शक्तिशाली नगरों पर यहोवा का भारी हाथ
पड़ेगा। (पद 1-2)
- सोर का विनाश: सोर,
जो अपनी महान दीवारों और समुद्री शक्ति के लिए प्रसिद्ध था,
भी परमेश्वर के न्याय से बच नहीं सकेगा। वह आग में जलाया
जाएगा। (पद 3-4)
- पलिश्तियों का पतन:
अश्कलोन, गाजा, एश्दोद और एक्रोन जैसे पलिश्तियों के नगर भी नाश हो जाएँगे। उनकी
घमंडपूर्ण शक्ति टूट जाएगी। (पद 5-6)
- परमेश्वर की रक्षा:
यहोवा अपने लोगों के चारों ओर छावनी लगाएगा, ताकि कोई भी शत्रु उन्हें चोट न पहुँचा सके। (पद 8)
🔥
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों के शत्रुओं का न्याय करता है।
- कोई भी शक्ति उसकी शक्ति से ऊपर नहीं है।
- परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा करता है और उनकी सुरक्षा का
वचन देता है।
🔹
9-10 पद: विनम्र और धर्मी राजा का आगमन
मसीह का आगमन:
- आनंद और हर्ष: सिय्योन
और यरूशलेम को आनन्दित होने का आह्वान किया गया है,
क्योंकि उनका राजा आ रहा है। (पद 9)
- धर्मी और विनम्र:
यह राजा धर्मी, विनम्र और
उद्धार करने वाला है। वह घोड़े पर नहीं, बल्कि गदहे के
बच्चे पर सवार होकर आएगा — यह मसीह यीशु के पहले आगमन का स्पष्ट संकेत है।
- शांति का राजा:
वह युद्ध के रथ, धनुष और तलवार
को नष्ट करेगा और पृथ्वी पर शांति स्थापित करेगा। (पद 10)
🕊️
सीख:
- मसीह का राज्य विनम्रता, धर्म और शांति पर आधारित है।
- परमेश्वर का तरीका संसार की ताकत और शक्ति से अलग है।
- सच्ची शक्ति विनम्रता और प्रेम में है।
🔹
11-13 पद: बंदियों का उद्धार और इस्राएल की शक्ति
आशा का संदेश:
- बंदियों की मुक्ति:
परमेश्वर अपने लोगों को उनके बंधनों से छुड़ाएगा और उन्हें फिर से स्थिर
करेगा। (पद 11)
- दुश्मनों पर विजय:
यहोवा अपने लोगों को युद्ध में एक शक्तिशाली धनुष और तलवार के समान बनाएगा,
जो उनके शत्रुओं पर विजय पाएँगे। (पद 13)
⚔️
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों को बंधन से मुक्त करता है।
- उसकी शक्ति हमें हमारे शत्रुओं पर विजय दिलाती है।
- परमेश्वर का उद्धार हमें नई शक्ति और सामर्थ्य प्रदान
करता है।
🔹
14-17 पद: परमेश्वर की महिमा और उसकी प्रजा की आशीष
परमेश्वर की सामर्थ्य:
- आकाश में बिजली की तरह:
यहोवा अपने तीरों को बिजली की तरह छोड़ेगा और अपनी सेना का नेतृत्व करेगा।
(पद 14)
- संरक्षक और विजेता:
परमेश्वर अपने लोगों का रक्षक है और उन्हें विजय दिलाएगा। (पद 15)
- आशीष और महिमा:
यहोवा अपने लोगों को आशीषित करेगा, और वे उसके राज्य में रत्नों के समान चमकेंगे। (पद 16-17)
💫
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों की ढाल और रक्षक है।
- उसकी उपस्थिति हमारे जीवन को महिमा और आशीष से भर देती
है।
- परमेश्वर अपने लोगों को अनमोल रत्नों की तरह संजोता है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर अपने लोगों के शत्रुओं का नाश करता है और उन्हें सुरक्षा
प्रदान करता है।
✝️
मसीह का राज्य विनम्रता, धर्म और शांति पर
आधारित है।
✝️
परमेश्वर अपने लोगों को बंधन से मुक्त करता है और उन्हें नई
सामर्थ्य प्रदान करता है।
✝️
उसकी आशीषें हमें महिमा और आनंद से भर देती हैं।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"हे सिय्योन की बेटी, अत्यंत आनन्द
कर! हे यरूशलेम की बेटी, जयजयकार कर! देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह धर्मी और उद्धार करने
वाला है, नम्र है और गदहे पर, हाँ,
गदही के बच्चे पर सवार है।" (जकर्याह
9:9)
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 10 में परमेश्वर अपने लोगों को
आश्वासन देता है कि वह उनकी रक्षा करेगा, उन्हें मजबूत
बनाएगा और अपने खोए हुए लोगों को पुनः एकत्रित करेगा। यह अध्याय इस्राएल की आत्मिक
और भौतिक पुनर्स्थापना का संदेश देता है और उन झूठे अगुवों की निंदा करता है जो लोगों
को भटकाते हैं।
🔹
1-2 पद: आशीष की प्रार्थना और झूठे अगुवों की निंदा
परमेश्वर से आशीष माँगो:
- वर्षा का आह्वान:
परमेश्वर से वर्षा माँगो, क्योंकि
वही घने बादलों से मेघों को भेजता है और फसल को बढ़ाता है। (पद 1)
- झूठे अगुवे: इस्राएल
के लोग झूठे देवताओं, जादू-टोने और
झूठे नबियों पर निर्भर थे, जिससे वे भटक गए। (पद 2)
- मुक्ति का वादा:
परमेश्वर अपने लोगों को इन झूठे अगुवों से मुक्त करेगा और उन्हें सही मार्ग
पर लाएगा।
💧
सीख:
- परमेश्वर ही सच्ची आशीष का स्रोत है।
- झूठे मार्गदर्शक और मिथ्या विश्वास हमें सत्य से दूर कर
सकते हैं।
- केवल परमेश्वर की ओर लौटने से ही सच्ची समृद्धि और शांति
मिलती है।
🔹
3-5 पद: परमेश्वर का क्रोध और उसकी सेना का उदय
झूठे अगुवों पर क्रोध:
- चरवाहों पर क्रोध:
परमेश्वर अपने झूठे चरवाहों पर क्रोधित है जिन्होंने उसकी भेड़ों को भटका
दिया। (पद 3)
- मजबूत सेना का निर्माण:
यहोवा यहूदा को अपनी शानदार सेना के रूप में तैयार करेगा — वे युद्ध में
शक्तिशाली घोड़ों की तरह होंगे। (पद 3)
- सामर्थी योद्धा:
यहूदा के लोग युद्ध में शक्तिशाली योद्धा बनेंगे,
जो अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे। (पद 5)
⚔️
सीख:
- परमेश्वर झूठे अगुवों और भटकाने वालों का न्याय करेगा।
- परमेश्वर अपने लोगों को शक्ति और सामर्थ्य से भरता है।
- उसके साथ रहने से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
🔹
6-8 पद: यहूदा और एप्रैम की पुनर्स्थापना
मजबूत और एकत्रित लोग:
- यहूदा और एप्रैम की पुनर्स्थापना: परमेश्वर अपने लोगों को सामर्थ्य देगा और उन्हें पुनः
स्थापित करेगा। (पद 6)
- शत्रुओं पर विजय:
वे परमेश्वर के नाम से चलते हुए अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे। (पद 7)
- बंदियों की मुक्ति:
परमेश्वर अपने लोगों को एकत्र करेगा और उन्हें अपने पास बुलाएगा। (पद 8)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों को कभी नहीं भूलता।
- वह हमें अपनी सामर्थ्य से सशक्त करता है।
- जब हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं,
तो कोई भी शत्रु हमें पराजित नहीं कर सकता।
🔹
9-12 पद: निर्वासन से वापसी और आशीष का वादा
बिखरे हुए लोगों का पुनर्मिलन:
- निर्वासितों की वापसी:
परमेश्वर अपने बिखरे हुए लोगों को फिर से एकत्र करेगा और उन्हें उनकी भूमि
में वापस लाएगा। (पद 9-10)
- मिस्र और अश्शूर का नाश:
परमेश्वर उन राष्ट्रों का नाश करेगा जिन्होंने इस्राएल को सताया। (पद 11)
- मजबूत और स्थिर लोग:
परमेश्वर अपने लोगों को मजबूत और स्थिर करेगा, ताकि वे उसके नाम से चलते रहें। (पद 12)
💫
सीख:
- परमेश्वर हमें हमारी बंधन से मुक्त करता है।
- वह हमें फिर से स्थापित करता है और हमारी कमजोरी को ताकत
में बदलता है।
- उसका नाम हमारे लिए सामर्थ्य और विजय का स्रोत है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर ही सच्ची आशीष और सामर्थ्य का स्रोत है।
✝️
झूठे अगुवों और झूठी शिक्षाओं से दूर रहना चाहिए।
✝️
परमेश्वर हमें हर परिस्थिति में स्थिर और मजबूत बनाता है।
✝️
वह हमें कभी नहीं छोड़ता और हमारी रक्षा करता है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"उनके परमेश्वर यहोवा के द्वारा उनकी रक्षा की जाएगी,
और वे उसके नाम से चलते फिरते रहेंगे।" (जकर्याह 10:12)
📖 जकर्याह
अध्याय 11 – झूठे चरवाहे और परमेश्वर का न्याय
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 11 परमेश्वर के न्याय, उसके लोगों की निंदा, और झूठे चरवाहों के प्रति उसकी
नाराज़गी का एक गहरा संदेश है। यह अध्याय इस्राएल के नेताओं की असफलता और मसीह के
त्याग की भविष्यवाणी करता है। यह एक गंभीर चेतावनी है कि परमेश्वर के मार्ग से
भटकने के परिणाम कितने भयंकर हो सकते हैं।
🔹
1-3 पद: विनाश की घोषणा
परमेश्वर का न्याय:
- लिबानोन के दरवाज़े खोलो:
यहोवा लिबानोन के जंगलों और बलूत के वृक्षों से कहता है कि वे अपने द्वार
खोलें, क्योंकि विनाश आने वाला है। (पद 1)
- महा विलाप: देवदार,
सनौवर और बाशान के बलूतों का रोना सुनाई देता है, क्योंकि उनका वैभव नष्ट हो गया है। (पद 2)
- चरवाहों का विलाप:
चरवाहे विलाप करते हैं क्योंकि उनकी महिमा नष्ट हो गई है और जंगल का वैभव
समाप्त हो गया है। (पद 3)
🔥
सीख:
- परमेश्वर का न्याय व्यापक और निर्णायक होता है।
- जब लोग परमेश्वर की आज्ञाओं से भटकते हैं,
तो उनका वैभव नष्ट हो जाता है।
- परमेश्वर के बिना कोई भी शक्ति स्थायी नहीं होती।
🔹
4-6 पद: भेड़ों की हत्या और चरवाहों की असफलता
निर्दयी चरवाहे:
- हत्या के लिए चराई:
परमेश्वर अपने लोगों को भेड़ों के रूप में चित्रित करता है,
जिन्हें निर्दयी चरवाहों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। (पद 4)
- शासकों की क्रूरता:
जो लोग इन भेड़ों का शिकार कर रहे हैं, वे न तो पछताते हैं और न ही दोषी महसूस करते हैं। (पद 5)
- परमेश्वर का न्याय:
यहोवा घोषणा करता है कि वह अब अपने लोगों पर दया नहीं करेगा,
बल्कि उन्हें उनके शत्रुओं के हाथों में छोड़ देगा। (पद 6)
⚔️
सीख:
- जब लोग झूठे चरवाहों का अनुसरण करते हैं,
तो उनका विनाश निश्चित होता है।
- परमेश्वर का धैर्य असीमित है,
लेकिन उसकी न्याय की घड़ी भी निश्चित है।
- परमेश्वर अपने लोगों को उनकी मूर्खता का परिणाम भुगतने के
लिए छोड़ सकता है।
🔹
7-14 पद: दो लाठियाँ – कृपा और एकता
सच्चा चरवाहा और उसका त्याग:
- दो लाठियाँ: परमेश्वर
ने दो लाठियाँ लीं — एक का नाम 'कृपा' और दूसरी का नाम 'एकता'
रखा। (पद 7)
- झूठे चरवाहों का नाश:
तीन चरवाहों का नाश किया गया, क्योंकि वे परमेश्वर के लोगों के लिए हानिकारक थे। (पद 8)
- वेतन की माँग: चरवाहा
(मसीह) अपने वेतन की माँग करता है, और उसे 30 चाँदी के सिक्के दिए जाते हैं — यह
मसीह के यहूदा द्वारा धोखे और उसके क्रूस पर चढ़ाए जाने का एक प्रत्यक्ष
संकेत है। (पद 12-13)
- लाठियों का तोड़ा जाना:
परमेश्वर ने अपनी 'कृपा' और 'एकता' की लाठियों को
तोड़ दिया, जो इस्राएल के साथ उसके पुराने वाचा के अंत
का प्रतीक है। (पद 10, 14)
💔
सीख:
- मसीह का त्याग और उसके खिलाफ षड्यंत्र पहले से ही भविष्यवाणी
में बताया गया था।
- जब लोग परमेश्वर की कृपा को अस्वीकार करते हैं,
तो वे उसके संरक्षण से वंचित हो जाते हैं।
- एकता और प्रेम के बिना कोई भी समुदाय स्थिर नहीं रह सकता।
🔹
15-17 पद: मूर्ख चरवाहा
निष्क्रिय और निर्दयी नेता:
- मूर्ख चरवाहे की छवि:
परमेश्वर ने जकर्याह को एक मूर्ख चरवाहे का प्रतीकात्मक कार्य करने का आदेश
दिया, जो अपने लोगों की परवाह नहीं करता। (पद 15)
- अधर्मी नेताओं का अंत:
यह चरवाहा भेड़ों की रक्षा नहीं करता, घायल को ठीक नहीं करता और खोए हुए को वापस नहीं लाता। (पद 16)
- अंतिम चेतावनी:
ऐसे चरवाहों पर परमेश्वर का कोप भारी है, और उनका नाश निश्चित है। (पद 17)
🗡️
सीख:
- झूठे अगुवे अंततः नष्ट हो जाते हैं।
- परमेश्वर सच्चे चरवाहों की खोज करता है जो उसके लोगों की
देखभाल करें।
- आत्मिक नेतृत्व की जिम्मेदारी गंभीर होती है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर का न्याय निश्चित और अपरिवर्तनीय है।
✝️
मसीह का त्याग और उद्धार की योजना पहले से ही निश्चित थी।
✝️
झूठे अगुवों का अंत हमेशा विनाश में होता है।
✝️
एकता और प्रेम के बिना कोई भी समुदाय सुरक्षित नहीं रह सकता।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"मैंने उनसे कहा, यदि तुम्हें उचित
लगे तो मेरा मूल्य दो, नहीं तो रहने दो। तब उन्होंने मेरा
मूल्य 30 चाँदी के सिक्के तौल कर दिया।" (जकर्याह 11:12)
📖 जकर्याह
अध्याय 12 – यरूशलेम की सुरक्षा और छुटकारा
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 12 एक भविष्यवाणी है जो
यरूशलेम और यहूदा की सुरक्षा, परमेश्वर की शक्ति, और मसीह के आने के समय इस्राएल के उद्धार की बात करती है। यह अध्याय
परमेश्वर की अद्भुत शक्ति, उसकी योजना और उसके चुने हुए
लोगों की पुनर्स्थापना पर जोर देता है।
🔹
1-3 पद: यरूशलेम का अद्भुत भविष्य
परमेश्वर का प्रभुत्व:
- सृष्टिकर्ता का ऐलान:
यहोवा, जिसने आकाश को ताना, पृथ्वी की नींव डाली और मनुष्य की आत्मा को बनाया, अब यरूशलेम के बारे में भविष्यवाणी कर रहा है। (पद 1)
- यरूशलेम का मजबूत किला:
परमेश्वर यरूशलेम को एक भारी पत्थर के रूप में स्थापित करेगा,
जिसे कोई हिला नहीं पाएगा। (पद 2)
- सभी राष्ट्रों का विरोध:
जो कोई इसे उठाने की कोशिश करेगा, वह खुद घायल हो जाएगा। यह एक संकेत है कि यरूशलेम अंत समय में सभी
राष्ट्रों का ध्यान केंद्रित करेगा। (पद 3)
🏰
सीख:
- परमेश्वर की योजना अडिग और स्थायी होती है।
- यरूशलेम उसकी विशेष संपत्ति है,
और उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता।
- परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा में अटल है।
🔹
4-6 पद: परमेश्वर की शक्ति और शत्रुओं का नाश
शत्रुओं का नाश:
- परमेश्वर का हस्तक्षेप:
यहोवा युद्ध के दिन अपने शत्रुओं को भ्रम में डाल देगा,
उनके घोड़ों को अंधा और सवारों को पागल कर देगा। (पद 4)
- यहूदा का सामर्थ्य:
यहूदा के घराने का सामर्थ्य परमेश्वर के कारण बढ़ेगा,
और वे अपने शत्रुओं को भस्म कर देंगे। (पद 5-6)
- यरूशलेम का बचाव:
यरूशलेम के निवासी परमेश्वर में विश्वास रखते हुए शक्तिशाली बनेंगे और अपने
शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे। (पद 6)
⚔️
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा करता है,
चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।
- जो लोग परमेश्वर पर भरोसा करते हैं,
वे किसी भी शत्रु से डरते नहीं हैं।
- परमेश्वर का हस्तक्षेप निर्णायक और शक्तिशाली होता है।
🔹
7-9 पद: यहूदा और यरूशलेम की विजय
समाज की रक्षा:
- यहूदा का सम्मान:
परमेश्वर पहले यहूदा के तंबुओं को बचाएगा, ताकि दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों को गर्व न हो। (पद 7)
- शक्तिशाली योद्धा:
यरूशलेम के लोग दाऊद के समान और परमेश्वर के स्वर्गदूतों के समान शक्तिशाली
होंगे। (पद 8)
- शत्रुओं का नाश:
परमेश्वर उन सभी राष्ट्रों को नष्ट कर देगा जो यरूशलेम के खिलाफ आएंगे। (पद 9)
🛡️
सीख:
- परमेश्वर सभी को समान सम्मान देता है — छोटे और बड़े
दोनों को।
- जब परमेश्वर हमारे साथ होता है,
तब हम अजेय होते हैं।
- परमेश्वर अपने वादों को पूरा करता है और अपने लोगों का
सम्मान बनाए रखता है।
🔹
10-14 पद: आत्मिक जागरण और पश्चाताप
मसीह का शोक:
- आत्मिक जागरण: परमेश्वर
इस्राएल पर अनुग्रह और प्रार्थना की आत्मा उंडेलेगा,
और वे उस पर दृष्टि करेंगे जिसे उन्होंने छेदा है। (पद 10)
- मसीह के प्रति शोक:
वे अपने पापों के लिए विलाप करेंगे, जैसे कोई अपने एकमात्र पुत्र के लिए करता है। (पद 10)
- परिवारों का शोक:
हर परिवार अपने-अपने घर में शोक मनाएगा — दाऊद का घराना,
नातान का घराना, लेवी का घराना, और शिमी का घराना। (पद 12-14)
🕊️
सीख:
- पश्चाताप और विनम्रता ही सच्ची मुक्ति का मार्ग है।
- मसीह का बलिदान हमारे पापों के प्रायश्चित का एकमात्र
माध्यम है।
- सच्ची आत्मिक जागृति व्यक्तिगत पश्चाताप से शुरू होती है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर यरूशलेम की सुरक्षा और पुनर्स्थापना का वादा करता है।
✝️
वह अपने लोगों की रक्षा में सदा जागरूक रहता है।
✝️
आत्मिक जागरण और पश्चाताप ही सच्ची आशीष का मार्ग है।
✝️
मसीह का बलिदान हमें शांति और मुक्ति प्रदान करता है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"वे उस पर दृष्टि करेंगे जिसे उन्होंने छेदा है, और उसके लिए विलाप करेंगे, जैसे कोई अपने एकलौते
पुत्र के लिए विलाप करता है।" (जकर्याह 12:10)
📖
जकर्याह अध्याय 13 – पाप का शुद्धिकरण और
झूठे भविष्यवक्ताओं का नाश
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 13 परमेश्वर की शुद्धिकरण
योजना, आत्मिक पुनरुत्थान, और झूठे
भविष्यवक्ताओं के नाश की भविष्यवाणी करता है। यह अध्याय मसीह के बलिदान, आत्मिक पवित्रता और शत्रुओं के नाश का प्रतीक है। यह इस्राएल की आत्मिक
बहाली का एक सुंदर चित्रण है, जहाँ पाप और अपवित्रता को सदा
के लिए समाप्त किया जाएगा।
🔹
1 पद: पाप का शुद्धिकरण
शुद्धिकरण का स्रोत:
- खुला हुआ सोता:
उस दिन, दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों
के लिए पाप और अशुद्धता को धोने के लिए एक सोता (फव्वारा) खुला जाएगा। (पद 1)
- मसीह का बलिदान:
यह फव्वारा मसीह के लहू का प्रतीक है, जो समस्त मानवता के पापों का प्रायश्चित करता है।
🕊️
सीख:
- सच्चा शुद्धिकरण केवल परमेश्वर के द्वारा संभव है।
- मसीह का बलिदान ही हमारे पापों से पूर्ण मुक्ति का मार्ग
है।
- परमेश्वर अपने लोगों को पवित्र और शुद्ध बनाना चाहता है।
🔹
2-3 पद: मूर्तियों और झूठे भविष्यवक्ताओं का नाश
झूठे उपासना का अंत:
- मूर्ति पूजा का अंत:
परमेश्वर मूर्तियों और झूठे देवताओं के नाम इस्राएल से मिटा देगा,
ताकि उनका स्मरण भी न रहे। (पद 2)
- झूठे भविष्यवक्ताओं का नाश:
जो झूठे भविष्यवक्ता होंगे, वे
शर्मिंदा होंगे और जीवित नहीं बचेंगे। यहाँ तक कि उनके अपने माता-पिता उन्हें
मार डालेंगे, क्योंकि उन्होंने झूठी भविष्यवाणी की। (पद
3)
⚔️
सीख:
- परमेश्वर झूठ और धोखे को कभी सहन नहीं करता।
- आत्मिक पवित्रता का अर्थ है हर प्रकार की बुराई और झूठी
उपासना से दूर रहना।
- सच्चाई की रक्षा और झूठ की निंदा करना हमारा कर्तव्य है।
🔹
4-6 पद: झूठे भविष्यवक्ताओं का लज्जा
झूठ का पर्दाफाश:
- भविष्यवाणी की समाप्ति:
झूठे भविष्यवक्ता अब भविष्यवाणी नहीं करेंगे, और वे अपने बालों के कपड़े (जो भविष्यवक्ता के प्रतीक थे) नहीं
पहनेंगे। (पद 4)
- झूठ का खंडन: वे
अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करेंगे और कहेंगे, "मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूँ, मैं खेतों का
मजदूर हूँ।" (पद 5)
- चोटों का रहस्य:
जब उनसे उनके घावों के बारे में पूछा जाएगा, तो वे कहेंगे, "ये मेरे मित्रों के घर में
हुए हैं।" (पद 6)
💔
सीख:
- झूठ और पाखंड सदा उजागर होते हैं।
- सच्ची आत्मिकता में छल और कपट के लिए कोई स्थान नहीं है।
- परमेश्वर सच्चाई को हमेशा प्रकट करता है।
🔹
7-9 पद: चरवाहे का मारा जाना और इस्राएल की शुद्धिकरण
मसीह का बलिदान:
- चरवाहे का मारा जाना:
परमेश्वर तलवार से कहता है, "मेरे चरवाहे, मेरे साथी के विरुद्ध उठ! चरवाहे
को मार, तब भेड़ें तितर-बितर हो जाएंगी।"
(पद 7)
- शेष का शुद्धिकरण:
परमेश्वर कहता है कि वह इस्राएल में से एक तिहाई को बचाएगा और उन्हें शुद्ध
करेगा, जैसे सोने और चांदी को अग्नि में परखा
जाता है। (पद 9)
- परमेश्वर और उसके लोगों का संबंध: वे परमेश्वर को पुकारेंगे और वह उन्हें उत्तर देगा — "वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा।"
(पद 9)
🔥
सीख:
- मसीह का बलिदान पहले से ही भविष्यवाणी में निश्चित था।
- परमेश्वर अपने लोगों को शुद्ध करने के लिए परीक्षाओं से
गुजारता है।
- सच्ची शुद्धिकरण केवल कठिनाई और परिशोधन के माध्यम से आती
है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर ने हमारे शुद्धिकरण और उद्धार का मार्ग पहले से ही तैयार
किया है।
✝️
मसीह का बलिदान हमारे पापों का एकमात्र प्रायश्चित है।
✝️
परमेश्वर अपने लोगों को शुद्ध करने और पुनर्स्थापित करने के लिए
परीक्षाओं का उपयोग करता है।
✝️
हमें झूठ और पाखंड से दूर रहना चाहिए और सच्चाई के मार्ग पर चलना
चाहिए।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा।"
(जकर्याह 13:9)
📖 जकर्याह
अध्याय 14 – परमेश्वर का न्याय और यरूशलेम का महिमामय भविष्य
🌟
अध्याय की झलक:
जकर्याह अध्याय 14 परमेश्वर के महान दिन की एक
जबरदस्त भविष्यवाणी है, जो यरूशलेम के लिए न्याय, युद्ध, विजय और अंतिम महिमा को प्रकट करता है। यह
अध्याय मसीह के दूसरे आगमन, राष्ट्रों के न्याय और पृथ्वी पर
उसके शाश्वत राज्य की स्थापना का प्रतीक है।
🔹
1-5 पद: युद्ध और यरूशलेम की विजय
महान युद्ध का दिन:
- परमेश्वर का दिन:
"यहोवा का दिन आनेवाला है..." जब यरूशलेम को घेरा जाएगा और उसकी सम्पत्ति लूटी जाएगी।
(पद 1)
- शत्रुओं का हमला:
सभी राष्ट्र यरूशलेम पर चढ़ाई करेंगे, नगर लूटा जाएगा, घरों में घुसपैठ होगी और
स्त्रियों का अपमान किया जाएगा। आधा नगर बंदी बना लिया जाएगा, लेकिन बाकी लोग नगर में ही रहेंगे। (पद 2)
- परमेश्वर का हस्तक्षेप:
तब यहोवा स्वयं उन राष्ट्रों के विरुद्ध युद्ध करेगा,
जैसे उसने प्राचीन समय में युद्ध किए थे। (पद 3)
- जैतून का पहाड़ फट जाएगा:
यहोवा जैतून के पहाड़ पर खड़ा होगा, जो बीच से फटकर एक बड़ी घाटी बनाएगा, जिससे लोग
सुरक्षित निकल सकेंगे। (पद 4-5)
⚔️
सीख:
- परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा के लिए निश्चित रूप से
हस्तक्षेप करता है।
- कठिन समय में भी, परमेश्वर हमें सुरक्षित मार्ग देता है।
- अंत में, न्याय
और विजय परमेश्वर के हाथ में है।
🔹
6-11 पद: परमेश्वर का राज्य और शांति का युग
नया युग:
- दिन और रात का अंत:
उस दिन न तो उजाला होगा और न ही अंधकार, एक निरंतर प्रकाश का समय आएगा। (पद 6-7)
- जीवन का जल: यरूशलेम
से जीवन का जल बहने लगेगा — आधा पूर्वी समुद्र की ओर और आधा पश्चिमी समुद्र
की ओर। यह शांति और जीवन का प्रतीक है। (पद 8)
- परमेश्वर का राज्य:
यहोवा अकेला राजा होगा, और उसके
नाम के सिवा कोई और नाम न होगा। (पद 9)
- यरूशलेम की पुनर्स्थापना:
नगर का पुनर्निर्माण होगा, और वह
फिर कभी न गिरेगा। (पद 10-11)
💫
सीख:
- परमेश्वर का राज्य शांति, सामर्थ्य और अनंत जीवन का स्रोत है।
- मसीह का राज्य सभी राष्ट्रों पर शाश्वत रूप से शासन करेगा।
- परमेश्वर की उपस्थिति हर प्रकार के अंधकार और विनाश को
समाप्त कर देती है।
🔹
12-15 पद: शत्रुओं का विनाश
परमेश्वर का न्याय:
- भयंकर विपत्ति:
जो राष्ट्र यरूशलेम के विरुद्ध उठेंगे, उन पर परमेश्वर एक भयंकर विपत्ति डालेगा — उनकी देह गल जाएगी,
आँखें और जीभ सड़ जाएँगी। (पद 12)
- शत्रुओं में विभाजन:
वे आपस में ही लड़ने लगेंगे, और बड़ी
भगदड़ मच जाएगी। (पद 13)
- युद्ध की लूट: यहूदा
भी युद्ध में भाग लेगा और शत्रुओं की सम्पत्ति लूटेगा। (पद 14)
- पशुओं का नाश: शत्रुओं
के घोड़े, खच्चर, ऊँट और गधों पर भी वही विपत्ति आएगी। (पद 15)
🔥
सीख:
- परमेश्वर का न्याय कभी चूकता नहीं।
- जो उसके विरुद्ध खड़े होते हैं,
वे नष्ट हो जाते हैं।
- परमेश्वर अपने लोगों की पूर्ण विजय सुनिश्चित करता है।
🔹
16-19 पद: राष्ट्रों की आराधना
मसीह का युग:
- सभी राष्ट्रों की आराधना:
जो बचे रहेंगे, वे हर वर्ष
यरूशलेम आकर यहोवा के पर्व का पालन करेंगे और उसकी आराधना करेंगे। (पद 16)
- आज्ञा का परिणाम:
जो राष्ट्र यरूशलेम में आराधना करने नहीं आएंगे,
उन पर वर्षा नहीं होगी। (पद 17)
- मिस्र का न्याय:
विशेष रूप से मिस्र का उल्लेख किया गया है, क्योंकि वह अक्सर इस्राएल का शत्रु रहा है। (पद 18-19)
🕊️
सीख:
- सच्ची आराधना और आज्ञाकारिता आशीर्वाद लाती है।
- परमेश्वर के राज्य में हर घमंड और विद्रोह नष्ट हो जाएगा।
- आराधना एक अनिवार्य और सार्वभौमिक कर्तव्य है।
🔹
20-21 पद: पवित्रता और परमेश्वर का राज्य
पवित्रता का राज्य:
- पवित्रता का चिह्न:
हर घोड़े की घंटी पर लिखा होगा — "यहोवा के लिए पवित्र"।
(पद 20)
- मंदिर की पवित्रता:
हर बर्तन पवित्र होगा, और हर कोई जो
बलिदान चढ़ाएगा, इन पवित्र पात्रों का उपयोग करेगा। (पद
21)
- बाजार का अंत: यहोवा
के घर में कोई व्यापारी न होगा, क्योंकि सब पवित्र और समर्पित होंगे। (पद 21)
🎇
सीख:
- परमेश्वर का राज्य पवित्रता और पवित्र उपासना का राज्य
होगा।
- सच्ची आराधना का अर्थ है पूरे हृदय से परमेश्वर को
समर्पित होना।
- पवित्रता और आराधना के बिना परमेश्वर का राज्य अधूरा है।
✅
इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर की विजय और न्याय निश्चित है।
✝️
मसीह का राज्य शांति, सामर्थ्य और पवित्रता से
भरपूर होगा।
✝️
जो राष्ट्र परमेश्वर की आराधना से मुँह मोड़ेंगे, वे आशीष से वंचित रहेंगे।
✝️
सच्ची पवित्रता हर क्षेत्र में आवश्यक है।
📌
याद रखने योग्य वचन:
"और यहोवा सारी पृथ्वी का राजा होगा। उस दिन यहोवा अकेला
होगा और उसका नाम भी अकेला होगा।" (जकर्याह 14:9)