How old is Hindu Religion 
ये हिन्दू वेदों की वास्तविकता - वेदों के झूठ का पर्दाफाश

ब्राह्मण प्रचार करते हैं वेद 5000 साल पुराने है लेकिन इनके पास इसका कोई प्रमाण नहीं है। यूनेस्को को जो मानव स्क्रिप्ट सौपे गए हैं उसमें यह बताया गया है कि यह वेद 1464 A D हैं मतलब 14 शताब्दी में लिखे गए थे जब कागज का आविष्कार हो गया था वो भी बौद्ध शिक्षाओं को इकट्ठा कर उसमें कुछ मिलावट कर सारे वेद और हिंदुओं के धर्म ग्रंथ की रचना की गई, आप खुद यूनेस्को के वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं





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वेदों का इतिहास

1779 से पहले वेद नामक किसी भी पुस्तक का कोई अस्तित्व नही था वेद श्रुति ग्रंथ हैं इसलिए इसे सुन कर याद किया जाता था और फिर अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाता था भारत मे छपाई का इतिहास 1556 से शुरू होता है लेकिन कागज पर लेख या पुस्तकों की छपाई 1749 से 1822 के बीच ही शुरू हुई 1822 के बाद छपाई का दौर शुरू हुआ इस तरह आपकी ये धारणा खारिज हो जाती है की मनुष्य की उत्पत्ति के समय वेद नामक पुस्तक उसे किसी ईश्वर ने प्रदान की वेदों में क्या क्या वर्णित है और हमारे पूर्वज किन वैज्ञानिक चीजों का इस्तेमाल करते थे ये भी बता देते तो अच्छा होता तीर भाला गदा मंत्र श्राप और बच्चों के मनोरंजन की कहानियां इनके अलावा और कुछ हो वेदों में तो खंगाल लीजियेगा असल मे वेदों में विज्ञान का प्रोपगैंडा दयानन्द सरस्वती ने आरम्भ किया जब पूरी दुनिया विज्ञान के सहारे आगे बढ़ रही थी आधुनिक विज्ञान की शुरुआत हो चुकी थी लोग पुराणों और मिथकों की काल्पनिक दुनिया से बाहर निकल कर नई दुनिया मे विज्ञान के साथ जीने की खुशफहमी पाल रहे थे पूरी दुनिया मे धर्म की बुनियादें हिलाई जा रही थी मान्यताये ध्वस्त हो रही परम्पराओ को तोड़ा जा रहा था ऐसे दौर में धार्मिक गिरोहों के लिए विज्ञान की इस आंधी से धर्म को किसी भी तरह बचा लेने की चुनौती थी वर्ना सब खत्म
उन्नीसवीं सदी असल मे विज्ञान और धर्म के सीधे टकराव का दौर था आप गौर करेंगे तो इसी दौर में इस्लाम भी छटपटाया हुआ था गुलाम अहमद कादियानी अहमद रजा बरेलवी जैसे लोग इस्लाम की नई कवायदें जोड़ने में लगे हुए थे ऐसे में भारतीय पुरोहितों के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि धर्म को कैसे बचाएं विज्ञान की इस आंधी में क्या बचाया जा सकता है उन्होंने मूलशंकर तिवारी उर्फ दयानंद सरस्वती के नेतृत्व में आर्यसमाज के नाम पर एक अलग धड़ा तैयार किया जिसमें पुराणों मिथकों और मूर्तिपूजा की मान्यताओं को झूठा करार दिया गया लेकिन बड़ी चतुराई से वेदों को बचा लिया गया ताकि बाद में वेदों के नाम पर धार्मिक प्रोपगेंडे को फिर से स्थापित किया जा सके भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है इससे जरूरी सवाल ये होना चाहिए कि भारत ने भारत को क्या दिया है आज देश मे भयंकर विदेशी कर्ज के अलावा चारों ओर जातिवाद गरीबी अशिक्षा भय भूख भ्रस्टाचार सामाजिक असमानता आर्थिक असमानता घृणा और अराजकता का माहौल फैला हुआ है कहाँ है तुम्हारा वेदों का महान ज्ञान या उस समय ये ज्ञान कहाँ था जब देश बार बार विदेशी हमलावरों द्वारा लूटा जाता रहा।

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चारों वेद की कोई 22443 ऋचाओं में से एक भी शब्द ऐसा नहीं है जो ट, ठ, ड, ढ से आरंभ होता है, जबकि प्राकृत भाषाओं में ट, ठ, ड, ढ से आरंभ होनेवाले शब्दों की संख्या सैकड़ों है।

यदि वैदिक भाषा ही प्राकृत भाषाओं का भी स्रोत है तो फिर वैदिक शब्दावली से एकदम अलग ट, ठ, ड, ढ से आरंभ होनेवाले इतने सारे शब्द प्राकृत भाषाओं में कहाँ से आए हैं ? 

पूरे वेद में ट, ठ, ड, ढ से शुरू होनेवाले एक भी शब्द नहीं हैं, पालि/ प्राकृत में हैं, बताइए कहाँ से आए - टोकरी, टेढ़ा, ठठेरा, ठिठोली, डमरू, ढोलक आदि।

यदि किसी देवी- देवता का नाम ट, ठ, ड, ढ से आरंभ हो तो समझिए कि वह वैदिक देवी - देवता नहीं है।

भयानक पोल खोल है, ये ,वेदों पुराणों की  भाषाइ उम्र के संबंध में। इससे ये सिद्ध होता है सर ये वेद पूरे काल्पनिक हैं।  यदि संस्कृत भाषा देवो की भाषा थी भारत की प्राचीन भाषा थी तो जन साधरण में यानी आम जनता में बोली क्यो नही गई।इसका मतलब ये है कि कुछ एक वर्ग लिखे के लिए अलग और आम बोल चाल के लिए अलग भाषा का इस्तेमाल करता था।और दूसरी भषा यानी संस्कृत भाषा मे वो गोपनीय दस्तावेज लिखता था तकि आम जनता उसे पढ़ न सके। 
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मांसाहार और हिंदु धर्म 

  • ऋग्वेद-:अध्याय नंबर 10 मंत्र नंबर 14 मैं इंद्र कहते हैं की एक बार में 05 से ज्यादा बैल पकाकर खाओ

  • ऋग्वेद-:अध्याय नंबर 10 श्लोक नंबर 91 मंत्र नंबर 14 में कहता है अग्नि के लिए घोड़े और बैल और सांड और बांझ गाय और भैंस की बलि दी जाती थी

  • ऋग्वेद-:अध्याय नंबर 10 श्लोक नंबर 72 मंत्र नंबर 06 में ब्रह्मा कहते हैं की गाय को तलवार या कुल्हाड़ी से मारकर खाया जाता था

  • #मनुस्मृति-:अध्याय नंबर 05 श्लोक नंबर 30 मे लिखा है खाने योग्य पशुओं के मांस खाने में कोई पाप नहीं है ब्रह्मा ने कुछ जानवर भक्षण के लिए और कुछ जानवर खाने के लिए बनाया है

  • मनुस्मृति-:अध्याय नंबर 05 श्लोक नंबर 35 में लिखा है उल्लेख किया गया है कि जो मनुष्य मांस नहीं खाता वह मरने के बाद 21 जन्म तक जानवरों में जन्म लेगा

  • महाभारत-:अनुशासन पर्व 208 अध्याय नंबर 199 श्लोक नंबर 08 से 10 तक मे लिखा है राजा रतनी देव की रसोई के लिए दो हजार पशु काटे जाते थे

  • महाभारत-:अनुशासन पर्व 88-मंत्र नंबर 05 मे लिखा है अगर अग्नि में गाय का मांस से श्राद्ध करोगे तो तुम्हारे पूर्वजों को 01 साल के लिए तृप्ती होगी स्वर्ग की प्राप्ति होगी

  • ऋग्वेद-:अध्याय नंबर 10 श्लोक नंबर पचासी मंत्र नंबर 13 मे लिखा है एक लड़की की शादी में बैल और गाय की बली दी गई

  • #ऋग्वेद-:अध्याय नंबर 07 श्लोक नंबर 17 मंत्र नंबर वन में कहा गया है कि इंद्र ने गाय और बछड़ा और घोड़ा और भैंस का मांस खाने के उपयोग किया करते थे

  • मनुस्मृति-:अध्याय नंबर 05 श्लोक नंबर 39 में लिखा है ब्रह्मा ने पशुओं को यज्ञ में बलि देने के लिए बनाया है इसलिए यज्ञ में पशु वध करना अपराध नहीं कहलाता

  • मनुस्मृति-:अध्याय नंबर05 श्लोक नंबर 08 ऊंट को छोड़ कर गाय और भेड़ और बकरी और हिरण खाने योग्य है।

  • #महर्षि_याज्ञवल्क्य_ब्राह्मण-:अध्याय नंबर 03-01-02-21

  • में कहा गया है कि मैं गौ मांस खाता हूं क्योंकि बहुत ही नरम और स्वादिष्ट होता है

  • हिंदू धर्म (ब्रामण धर्म) के प्रचारक स्वामी विवेकानंद की पुस्तक-: द: कंपलीट वर्क आफ स्वामी 

  • विवेकानंद खंड नंबर 03 पृष्ठ 536 में इस प्रकार कहा गया है कि एक अच्छा हिंदू नहीं हो सकता जो गाय का मांस नहीं खाता

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वेदों में एक निराकार ईश्वर की उपासना का ही विधान है। 

  • चारों वेदों के 20589 मंत्रों में कोई ऐसा मंत्र नहीं है जो मूर्ति पूजा का पक्षधर हो।
  • वेदों में मूर्ति–पूजा निषिद्ध है अर्थात् जो मूर्ति पूजता है वह वेदों को नहीं मानता
  • नास्तिको वेद निन्दक: 
अर्थात् मूर्ति-पूजक नास्तिक हैं।

  • अन्धन्तम: प्र विशन्ति येsसम्भूति मुपासते।
  • ततो भूयsइव ते तमो यs उसम्भूत्या-रता:।
– ( यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 9 )
अर्थ – जो लोग ईश्वर के स्थान पर जड़ प्रकृति या उससे बनी मूर्तियों की पूजा उपासना करते हैं । वह लोग घोर अंधकार ( दुख ) को प्राप्त होते हैं ।

  • न तस्य प्रतिमाsअस्ति यस्य नाम महद्यस: ।– ( यजुर्वेद अध्याय 32 , मंत्र 3 )
अर्थात- उस ईश्वर की कोई मूर्ति, प्रतिमा नहीं जिसका महान यश है ।

  • अधमा प्रतिमा पूजा ।
अर्थात् – मूर्ति-पूजा सबसे निकृष्ट है ।

  • यष्यात्म बुद्धि कुणपेत्रिधातुके ।
स्वधि … स: एव गोखर: ॥– ( ब्रह्मवैवर्त्त )
अर्थात् – जो लोग धातु , पत्थर , मिट्टी आदि की मूर्तियों में परमात्मा को पाने का विश्वास तथा जल वाले स्थानों को तीर्थ समझते हैं । वे सभी मनुष्यों में बैलों का चारा ढोने वाले गधे के समान हैं ।

जो जन परमेश्वर को छोड़कर किसी अन्य की उपासना करता है । वह विद्वानों की दृष्टि में पशु ही है । ( शतपथ ब्राह्मण 14/4/2/22 )
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अक्सर सभी ने हिन्दू धर्मावलंबियों को वेदों की दुहाई देते देखा होगा। उनके अनुसार वेदों में ब्रह्माण्ड का समस्त ज्ञान निहित है। ये बात अलग है कि 99.99% हिंदुओं ने न इन्हें पढ़ा है और न ही पढ़ सकते हैं। ये सिर्फ सुनी बातों पर अंधविश्वास लेकर चलते हैं।

वेदों में क्या है?

वेदों में मुख्यत देवता वर्णन, ब्रह्मांड, ज्योतिष, कर्मकांड और कुछ औषधि विज्ञान है। वेद 4 हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गंधर्व वेद और अथर्ववेद का स्थापत्य वेद ये क्रमश: चारों वेदों के उपवेद बतलाए गए हैं।

ऋग्वेद : ऋक अर्थात स्थिति और ज्ञान। इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन के मंत्रों के साथ बहुत कुछ है। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। उनके सुन्दर स्वरूप और शराब के प्रति प्रेम को भी दर्शाया गया है।

यजुर्वेद : यजु अर्थात गतिशील आकाश एवं कर्म। यजुर्वेद में यज्ञ की विधियां और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। तत्वज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान। ब्रम्हांड, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। इस वेद की 2 शाखाएं हैं- शुक्ल और कृष्ण। इन्हीं यज्ञों से ब्राह्मणों ने आक्रमणकारियों को भगाने की कोशिश की। हालांकि उल्टा देश का सर्वनाश करवा दिया।

सामवेद : साम का अर्थ रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय रूप है। इसमें सविता, अग्नि और इन्द्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इसी से शास्त्रीय संगीत और नृत्य का जिक्र भी मिलता है। इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। इसमें संगीत के विज्ञान और मनोविज्ञान का वर्णन भी मिलता है। 

अथर्ववेद : थर्व का अर्थ है कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन। इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी-बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद आदि का जिक्र है। इसमें भारतीय परंपरा और ज्योतिष का ज्ञान भी मिलता है। कुछ औषधि विज्ञान के अलावा इसमें भी कुछ विशेष नहीं है बल्कि ज्योतिष इत्यादि अंधविश्वासों का घोल है। किसी भी वेद में ऐसा कुछ भी नहीं है जिस से विज्ञान ने कुछ प्राप्त किया हो या कोई और सहायता मिली हो।
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ब्राह्मण कहते हैं वेद 5000 साल पुराने हैं कोई कहता है 90000 साल पुरानी कोई कहता है इस पृथ्वी पर जब मानव का अस्तित्व नहीं था वेद तब से हैं लेकिन इनके पास इसका कोई अपडेट नहीं है आओ इस पर थोड़ा विचार करते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की सबसे समृद्धि सभ्यता थी। 1700 ईसा पूर्व यह सभ्यता अस्तित्व मे थी 563 ईसा पूर्व गौतम बुद्ध का जन्म हुआ। 


अब आते हैं मेन मुद्दे पर ब्राह्मण कहते हैं वेद हजारों वर्ष पुराने हैं हजारों वर्ष पहले जो लड़ाई हुई थी चाहे वह महाभारत हो या रामायण हो या भागवत गीता या और आदि। सब इनके धर्म ग्रंथों में उल्लेख है। अब मुझे यह बताओ इनके धर्म ग्रंथों में सिंधु घाटी सभ्यता जो पृथ्वी की सबसे समृद्ध सभ्यता थी मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का उल्लेख इन धर्म ग्रंथों में क्यों नहीं है ?? यह प्रचार करते हैं हमारे वेद हजारों वर्ष पुराने हैं हमारे धर्म ग्रंथ करोड़ों वर्ष पुराने हैं तो इन धर्म ग्रंथों में इस सभ्यता के अभिलेख क्यों नहीं है?

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भागवत पुराण अध्याय 5 श्लोक नबंर 1/33

धरती पर सात समुद्र पाए जाते हैं जो निम्न हैं :

  • खारा जल का समुद्र ,
  • ईख का रस ,
  • शराब का समुद्र ,
  • घी का समुद्र ,
  • दूध का समुद्र
  • मट्ठा का समुद्र और
  • मीठे जल का समुद्र


यजुर्वेद अध्याय ३३ श्लोक नबंर ४३
पृथ्वी ठहरी हुई है और सूर्य पृथ्वी के चारों और चक्कर लगाकर पृथ्वी के अंधकार को दूर करता हैं ।

यजुर्वेद वेद २/१२/१२
लिखा है धरती एकदम चपटी है ।

भागवत महापुराण अध्याय 10 श्लोक /90/42
महाराजा उग्रसेन के एक युद्ध मे उसके सैनिकों की संख्या 10000000000000

भागवत महापुराण अधायाय 5 श्लोक 24/2 (5/24/2)
सूर्य का आकार 30 हजार मील है , जबकि चाँद का आकार 36 हजार मील है ।