The reality of Mahabharata


ये है महाभारत की सच्चाई  The reality of Mahabharata


👉 "जब तक समय अपने अनुकूल न हो जाये तब तक शत्रु को कंधे पर बिठाकर ढोना पङे तो ढोये परंतु जब समय अपने अनुकूल हो जाय तब उसे उसी प्रकार नष्ट कर दे जैसे घङे को पत्थर पर पटक कर फोङ डालते हैं। " 
(महाभारत, आदि पर्व अध्याय-20 श्लोक-18)

👉 साम, दाम, दण्ड, भेद, आदि सभी उपायों से शत्रु को मिटा दो।
(महाभारत, आदि पर्व अध्याय-20 श्लोक-20)

👉 शत्रु बहुत दीनतापूर्वक वचन बोले तो भी उसे जीवित नहीं छोङना चाहिए।
(महाभारत, आदि पर्व अध्याय-20 श्लोक-19)

👉 कायर को भय दिखाकर फोङ लो जो शूरवीर हो उससे हाथ जोङकर बस में कर लो। लोभी को धन देकर तथा बराबर और निर्बल को पराक्रम से बस में कर लो।
(महाभारत, आदि पर्व अध्याय-20 श्लोक-21)

👉 सौगन्ध खाकर , धन अथवा विष देकर अथवा धोखे से भी शत्रु को मार डालें। किसी भी प्रकार से क्षमा न करें।
(महाभारत, आदि पर्व अध्याय-20 श्लोक-13)

👉 शत्रु के आने पर उसका स्वागत करें। आसन और भोजन दें तथा कोई प्रिय वस्तु भेंट करें। ऐसे व्यवहार से जिसका अपने प्रति पूरा विश्वास हो गया हो उसे भी अपने लाभ के लिये मारने में संकोच न करें। सर्प की भांति तीखे दांतों से काटें जिससे फिर शत्रु फिर उठकर बैठ न सके।
(महाभारत, आदि पर्व अध्याय-20 श्लोक-30)

👉 अवसर देखकर हाथ जोङना, शपथ खाना, आश्वासन देना, पैरों पर मस्तक देकर प्रणाम करना और आशा बँधाना ये सब ऐश्वर्य प्राप्ति के इच्छुक राजा के कर्तव्य हैं।
(महाभारत, आदि पर्व अध्याय-20 श्लोक-36)

👉 जहाँ सत्य बोलने से द्विजातियों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) का हनन होता हो वहाँ असत्य सत्य से उत्तम है।
(महाभारत, अध्याय-8 श्लोक-104)

महाभारत और रामायण इतिहास नहीं है। आर्य ब्राह्मणों का नाट्य ग्रंथ है। जिसका मंचन उन्होंने किया। मंचन का उद्देश्य था - भविष्य में उनके वंशज, अनार्यों (मूलनिवासियों) के साथ वैसा ही सलूक करें जैसा कि महाभारत, रामायण, तथा अन्य ग्रंथों में दिया गया है। 

इस बात का प्रमाण उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह हैं जिनका बार-बार बयान आया है कि बाबरी मस्जिद गिराने में योजना बनाने वाले अटल बिहारी बाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी, लाल कृष्ण आडवाणी और अशोक सिंघल हैं। इन्होंने उनके साथ विश्वासघात किया। बंगारू लक्ष्मण के साथ तहलका प्रकरण, बाबू जगजीवन राम को प्रधानमंत्री न बनाया जाना, सरदार बल्लभ भाई पटेल को पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री न बनाया जाना, डॉ. अम्बेडकर को मजबूर कर धोखेबाजी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करवाना, ये ढेर सारे प्रमाण आर्य ब्राह्मणों की दगाबाजी के प्रमाण आज भी मौजूद हैं।



भारत का सबसे बड़ा झूठ "शुन्य का आविष्कार पांचवी सदी मेँ आर्यभट्ट ने किया"
ये सबसे झूठी बात है..!! 'त्रेता मेँ रावण के 10 सिर' बिना शुन्य के कैसे गिन लिये थे..?? ..कह दो कि आर्य भट्ट ने शुन्य का आविष्कार नहीँ किया था.. नहीँ तो आपकी हजारोँ वर्ष पुरानी रामायण महाभारत झूठी साबित हो जायेगी.!
महाभारत पांचवी सदी मेँ लिखी मानी जायेगी भीया क्योँकि कौरव भी 100 भाई थे और 100 मेँ तो दो शुन्य आते है जिनका आविष्कार पाँचवी सदी मेँ महान गणितज्ञ आर्यभट्ट जी ने किया..!! दो झूठ एक साथ कैसे चल सकते है कड़वी सच्चाई यही है कि रामायण महाभारत पांचवी सदी के बाद ही लिखी गयी थी और तब तक आर्यभट्ट जी द्वारा शुन्य का आविस्कार हो चुका था..!!


नियोग और पाण्डव 
।।।महाभारत से हमेँ क्या शिक्षा मिलती है ???

आजकल तो नियोजन का फैशन है लेकिन उन दिनों नियोग प्रथा का फैशन था अर्थात पुत्र प्राप्ति के लिए पर पुरुष समागम करने का विधान था इसलिए पांडू ने स्वयं अपनी पत्नी को आज्ञा दी बल्की खुशामद की, कि जाओ और किसी से पुत्र उत्पन्न करवाओ। देखो वह कुंती को कैसे समझाते है।

।।पत्या नियुक्ता या चैव पुत्राथ्रमेव च।।
।।न करिष्यति तस्याच भविता पातकं भुवि।।

अर्थात पति के कहने पर जो भी स्त्री पुत्र प्राप्ति के लिए पर - पुरुष से सिचंन (Sex) नहीँ करवाती पाप की भागनी होती है। और तो और वह आपनी ही माता( अंबालिका) का हवाला देते हुए कहते हे कि मेरा जन्म भी तो नियोग से ही हुआ हे तुम जानती हो! अब ऐसी हालत मेँ (कुंती माद्री) क्या करती अपने पति की आज्ञा शिरोधार्य कर अपनी सास के चरण चिन्ह पर चली पडी! अब सवाल यह उठता है कि पांडु की माता ने ऐसा क्योँ किया था ?
पांडू की माता कि सास सत्यवती ने अपनी पुत्रवधू से कहा

।।नष्टं च भारतं वर्षं पुनरेव समुद्धर।।
।।पुत्रं जनय सुश्रोणि देवराजसमप्रभम।।

-अर्थ: हे सुंदरी भारतवर्ष नष्ट हो रहा हे उसका उद्धार तुंहारे ही हाथो मेँ हे किसी इंद्र के समान तेजस्वी पुत्र को पैदा करो। इतना ही नहीँ इस पुण्य कार्य के लिए एक योग्य व्यक्ति (व्यास ) की सिफारिश भी करती हे भीषम पितामह जो अंबालिका के भसुर थे।


जब भीष्म कुंठित होने लगे तब सत्यवती ने कुछ लजाते हुए कहा। तुंहेँ एक रहस्य बता रही हूँ जब मेँ यौवन काल मेँ मत्स्यगंधा के नाम से विख्यात थी तब एक बार पाराशर मुनि मेरी नाव मेँ आए थे यमुना पार करने के लिए मैँ भी उस नाव पर थी वह मुझे देख कर मोहित हो गए ओर कामातुर होकर मुझे पकड़ लिया और मेरा भोग किया जिस से मुझे एक पुत्र उत्पन्न हुआ व पुत्र व्यास के नाम से प्रसिद्ध है तुम व्यास को बुलाकर लाओ ।


।।तव ह्यनुमते भीष्म नियतं स महातपा।।
।।विचित्रवीर्यक्षेत्रेषु पुत्रानुत्पादयिष्यति।।

"वही व्यास विचित्र वीर्य की विधवा पत्नी अंबालिका अंबिका के गभ्र से पुत्र उत्पन्न कर देंगे" तब व्यास बुलाए गए उन्ही के वीर्य से पांडु और ध्रतराष्ट्र का जन्म हुआ। चूकी अंबालिका से व्यास अधिक संतुष्ट हुए इसलिए उन्होने उसके वंशधरो (पाडंवो)का इतना पक्ष लिया है ।

महाभारत के पांच पांडव नीजोग से पैदा हुए।
जैसे युद्धिस्टर यमराज से, अर्जुन इन्दर से, भीम वायु देवता से, नकुल व् सहदेव अश्वनी भाइयो से पैदा हुए। यह सभी ब्रामण ही थे। सब के सब नाजायज ।।।
हाहा.....!  कही आज रेप और व्याभिचार का कारण ये महाभारत ग्रंथ तो नही ⁉❔
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अजीबो गरीब महाभारत 

1. घृताची नामक अप्सरा को नग्नावस्था में देखकर भारद्वाज ऋषि का वीर्यपात हो गया, जिसे उन्होंने दोने में रख दिया, उससे द्रोणाचार्य पैदा हुवे।
*(महाभारत,,आदिपर्व,अ०129)*


2. ऋषि विभाण्डक एक बार नदी में नहा रहे थे, तभी उर्वशी को देखकर उनका वीर्य स्खलित हो गया। नदी के उस वीर्य मिश्रित पानी को एक मृगी पी गई। उसने एक मानव शिशु को जन्म दिया, यहीं श्रृंग ऋषि कहलाये।
*(महाभारत,, वनपर्व,अ० 110)*


3. राजा उपरिचर का एक बार वीर्यपात हो गया। उसने उसे दोने में डालकर एक बाज के द्वारा रानी गिरिका के पास भेजा। रास्ते में किसी दूसरे बाज ने उस पर झपट्टा मारा, जिससे वह वीर्य यमुना नदी में गिर गया और एक मछली ने निगल लिया। इससे उस मछली ने एक लड़की को जन्म दिया। लड़की का नाम सत्यवती रखा गया जो महाऋषि व्यास की माँ थी।
*(महाभारत,, आदिपर्व,अ०166,15)*


4. महाऋषि व्यास हवन कर रहे थे और जल रही आग में से धृष्टधुम्न और द्रोपदी पैदा हुए।
*(महाभारत,, आदिपर्व,166,39-44)*


5. महाराज शशि बिंदु की एक लाख रानिया थी। हर रानी के पेट से एक-एक हजार पुत्र जन्मे। कुल मिलाकर राजा के 10 करोड़ पुत्र हुवे। तब राजा ने एक यज्ञ किया, और हर पुत्र को एक-एक ब्राह्मण को दान कर दिया, हर पुत्र के साथ सौ रथ और सौ हाथी दिए। (कुल मिलाकर 10 करोड़ पुत्र,10 करोड़ ब्राह्मण,10 अरब हाथी,10 अरब रथ), इसके अलावा हर पुत्र के साथ 100-100 युवतियां भी दान दी।।
*(महाभारत,, द्रोणपर्व,अ०65 तथा शांतिपर्व 108)*


6. एक राजा हर रोज प्रातः एक लाख साठ हजार गौएँ, दस हजार घोड़े और एक लाख स्वर्णमुद्राएँ दान करता था, यह काम वह लगातार 100 वर्षो तक करता रहा।
*(महाभारत,, आ०65,श्लोक 13)*


7. राजा रंतिदेव की पाकशाला में प्रतिदिन 2000 गायें कटती थी। मांस के के साथ-साथ अन्न का दान करते-करते रंतिदेव की कीर्ति अद्वितीय हो गयी।
*(महाभारत,, आ०208,वनपर्व,8-9)*


8. संक्रति के पुत्र राजा रंतिदेव के घर पर जिस रात में अतिथियों ने निवास किया, उस रात इक्कीस हजार गायों का वध किया गया।।
*(महाभारत,, द्रोण पर्व,अ०67,श्लोक 16)*


9. राजा क्रांति देव ने गोमेध यज्ञ में इतनी गायोँ को मारा कि रक्त, मांस, मज्जा से चर्मण्यवती नदी बह निकली।
*(महाभारत,, द्रोण पर्व अ०67,श्लोक,5)*



गांधारी के 100 पुत्र 

महाभारत के अनुसार धृतराष्ट्र की पत्नि गांधारी ने सौ पुत्रो को जन्म दिया था, जिन्हे कौरव कहा जाता है! अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई महिला अपने जीवनकाल मे सौ बच्चो को जन्म दे सकती है? 

अगर गांधारी ने प्रत्येक बच्चे नौ महीने के अन्तराल मे पैदा किये तो भी सौ पुत्र पैदा करने मे नौ सौ महीने अर्थात 75 साल लगेगे......एक महिला कम से कम 12 वर्ष की उम्र के बाद ही माँ बनने की क्षमता रखती है तो क्या गांधारी 90 वर्ष की उम्र तक बच्चे पैदा कर रही थी!

यह बात ना तो तार्किक और ना ही धार्मिक तौर पर मानने योग्य है!

विज्ञान मानता है कि महिला को कम से कम 10 वर्ष की उम्र मे माहवारी शुरू होती है और 50 वर्ष तक सूख जाती है, जब महिला 18 से 35 वर्ष के मध्य होती है तो उसे 5 से 7 दिनो ऋतुकाल रहता है, पर 35 की उम्र पार होते ही 2 से 3 दिन ही रह जाता है! मतलब साफ है कि 40 की उम्र तक ही महिला के गर्भाशय मे अण्डे तैयार होते है, और इसी उम्र तक पैदा हुये बच्चे स्वस्थ और निरोग होते है.....50 वर्ष की उम्र के बाद हार्मोंस क्षीण हो जाते हैं अतः महिला बच्चो को स्तनपान कराने मे भी सक्षम नही रहती!


अब गांधारी भी एक महिला ही थी, कोई मशीन नही, जिसने अपने जीवन मे 101 बच्चो (एक पुत्री दुश्शाला) को जन्म दिया.... जिसे मानना मुश्किल ही है! महाभारत ने उसके सौ पुत्रो के जन्म की अलग ही कहानी बताई है जिसे मानना और भी मुश्किल है! महाभारत के अनुसार व्यास ने गांधारी को सौ पुत्रो का आशीर्वाद दिया था, दो वर्ष गर्भ रहने के बाद गांधारी ने एक लोहे के पिण्ड को जन्म दिया और घबराकर उसे फेकने जा रही थी! तभी व्यास जी ने आकर उसे रोका और उस पिण्ड के सौ टुकड़े करवा कर सौ मटको मे रखवा दिया.... दो वर्ष बाद उन्ही मटको मे से गांधारी के सौ पुत्र पैदा हुऐ!

इस बात पर तो कोई भी विश्वास नही करेगा, मतलब स्पष्ट है कि गांधारी के सौ पुत्रो वाली कहानी सिर्फ गढ़ी गयी है! वैसे भी द्वैपायन व्यास ने पूर्वकाल मे महाभारत मे 8 हजार श्लोक ही लिखे थे, जो आज बढ़कर लाखो हो गये है, 

वैसे जब से मैने पढ़ा है कि दुर्योधन और उसके 99 भाई मटके से पैदा हुये थे, तब से मेरा मानसिक संतुलन धर्मग्रंथों पर और भी खराब हो गय