लैव्यव्यवस्था - हिन्दी औडियो बाइबल । Leviticus - Hindi Audio Bible
📖 लैव्यव्यवस्था
अध्याय 1 – होमबलि का नियम (Burnt Offering)
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अध्याय की झलक:
लैव्यव्यवस्था (Leviticus) की शुरुआत परमेश्वर
के वचन से होती है, जहाँ वह मूसा से मिलापवाले तम्बू (Tabernacle)
में बात करता है। यह अध्याय विशेष रूप से होमबलि
(Burnt Offering) के नियमों और उसकी विधियों का वर्णन करता है।
होमबलि पूर्ण समर्पण और परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण निष्ठा का प्रतीक है, जो पाप की क्षमा और परमेश्वर से मेल-मिलाप का मार्ग खोलता है।
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1-2 पद: बलिदान का आह्वान
परमेश्वर का बुलावा:
- यहोवा ने मूसा को मिलापवाले तम्बू से बुलाया और
इस्राएलियों से कहने के लिए कहा, "जब तुम यहोवा के पास बलिदान चढ़ाने आओ, तो अपने
पशुओं में से बलिदान लाओ — चाहे गाय-बैल हो या भेड़-बकरी।"
- यह बलिदान परमेश्वर की पवित्रता और उसके साथ मेल-मिलाप की
आवश्यकता को दर्शाता है।
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सीख:
- परमेश्वर हमें अपने पास बुलाता है — वह हमारे समर्पण और
निष्ठा की अपेक्षा करता है।
- सच्ची उपासना का अर्थ है अपने पूरे जीवन को परमेश्वर को
अर्पित करना।
🔹
3-9 पद: गाय-बैल का होमबलि
होमबलि की प्रक्रिया:
- बलिदान का चयन:
यदि बलिदान गाय-बैल का हो, तो वह निर्दोष
नर होना चाहिए। (पद 3)
- बलिदान की स्वीकृति:
व्यक्ति को बलिदान के सिर पर हाथ रखना चाहिए, ताकि यह उसे स्वीकार्य हो और उसके लिए प्रायश्चित करे। (पद 4)
- बलिदान का वध: तब
उसे उस गाय-बैल को तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने वध करना चाहिए। (पद 5)
- रक्त का छिड़काव:
याजक उस रक्त को वेदी के चारों ओर छिड़केंगे। (पद 5)
- बलिदान की तैयारी:
फिर वह बलिदान की खाल उतारे और उसके टुकड़े करे। (पद 6)
- वेदी पर अग्नि:
याजक वेदी पर अग्नि जलाएंगे और उस पर लकड़ी रखेंगे। (पद 7)
- बलिदान का अर्पण:
बलिदान के टुकड़ों को, सिर और चरबी
सहित, वेदी पर चढ़ाया जाएगा। (पद 8-9)
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सीख:
- बलिदान का अर्थ है परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण।
- केवल निर्दोष और पवित्र बलिदान ही परमेश्वर के लिए
स्वीकार्य होता है।
- पाप की क्षमा के लिए रक्त बहाना अनिवार्य है।
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10-13 पद: भेड़-बकरी का होमबलि
छोटे पशुओं का बलिदान:
- यदि बलिदान भेड़ या बकरी का हो,
तो वह भी निर्दोष नर होना चाहिए। (पद 10)
- बलिदान की प्रक्रिया गाय-बैल की तरह ही होगी — वध,
रक्त का छिड़काव, टुकड़े करना, और वेदी पर चढ़ाना। (पद 11-13)
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सीख:
- परमेश्वर केवल वही बलिदान स्वीकार करता है जो पूर्ण और
निर्दोष हो।
- छोटे बलिदान भी परमेश्वर के लिए महत्व रखते हैं,
यदि वे सच्चे हृदय से अर्पित हों।
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14-17 पद: पक्षियों का होमबलि
गरीबों के लिए विकल्प:
- यदि कोई पक्षियों का बलिदान चढ़ाए,
तो वह कबूतर या पण्डुकी (फाख्ता) होनी चाहिए। (पद 14)
- याजक उसकी गर्दन मरोड़कर वेदी पर रक्त निचोड़ेंगे। (पद 15)
- फिर पंख अलग करेंगे और उसे वेदी पर अग्नि में जलाएंगे।
(पद 16-17)
🕊️
सीख:
- परमेश्वर का प्रेम और दया सभी वर्गों के लिए समान है।
- वह अमीर और गरीब दोनों के बलिदानों को स्वीकार करता है,
बशर्ते वे सच्चे मन से चढ़ाए गए हों।
- बलिदान की गुणवत्ता से अधिक,
दिल की शुद्धता महत्वपूर्ण है।
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इस अध्याय से क्या सिखें?
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परमेश्वर हमें पूर्ण समर्पण की ओर बुलाता है।
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पाप की क्षमा के लिए बलिदान आवश्यक है।
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सच्ची उपासना का अर्थ है हर प्रकार से निर्दोष और पवित्र होना।
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परमेश्वर गरीब और अमीर दोनों के समर्पण को समान रूप से महत्व देता
है।
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याद रखने योग्य वचन:
"और वह उसे वध करे... और वह यहोवा के सामने स्वीकार किया
जाएगा और उसके लिए प्रायश्चित करेगा।" (लैव्यव्यवस्था
1:4)
📖 लैव्यव्यवस्था
अध्याय 2 – अन्नबलि का नियम (Grain Offering)
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अध्याय की झलक:
लैव्यव्यवस्था का दूसरा अध्याय अन्नबलि (Grain
Offering) के नियमों का वर्णन करता है। यह बलिदान परमेश्वर के प्रति
कृतज्ञता, श्रद्धा और सम्पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। यह बलि
मुख्यतः अनाज, तेल और लोबान से तैयार की जाती है और परमेश्वर
की भलाई, आशीर्वाद और हमारे दैनिक जीवन में उसकी उपस्थिति को
मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
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1-3 पद: अन्नबलि की सामान्य विधि
अन्नबलि का उद्देश्य:
- जब कोई यहोवा के लिए अन्नबलि चढ़ाए,
तो वह सूखे आटे (fine flour) का
अर्पण करे, जिस पर तेल (olive oil) और लोबान (frankincense) डाला गया हो।
(पद 1)
- याजक उस आटे का एक मुट्ठी भर हिस्सा,
तेल और लोबान के साथ मिलाकर वेदी पर अर्पण करेगा। इसे यादगार
अंश (memorial portion) कहा जाता है, जो यहोवा के लिए एक सुवासित (pleasing aroma) अर्पण है। (पद 2)
- शेष आटा याजकों का हिस्सा होगा,
जो पवित्रतम भोजन माना जाता है। (पद 3)
🍞
सीख:
- अन्नबलि परमेश्वर के प्रति हमारे आभार और समर्पण का
प्रतीक है।
- इसे पवित्रता, श्रद्धा और प्रेम से चढ़ाया जाना चाहिए।
- परमेश्वर केवल हृदय से अर्पित बलिदान को ही स्वीकार करता
है।
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4-10 पद: अन्नबलि के विभिन्न प्रकार
बेक की हुई अन्नबलि:
- यदि अन्नबलि तंदूर (oven) में बेक की जाए, तो वह बेहमीर
(unleavened) आटे की रोटियाँ होनी चाहिए, जो तेल से सनी हो, या पतली परतें होनी चाहिए,
जिन पर तेल लगाया गया हो। (पद 4)
- यदि वह तवे (griddle) पर पकाई जाए, तो वह भी बेहमीर आटे से होनी
चाहिए, और उसमें तेल मिलाया गया हो। (पद 5-6)
- यदि अन्नबलि कड़ाही (pan) में पकाई जाए, तो वह भी तेल में मिलाई हुई होनी
चाहिए। (पद 7)
प्रस्तुति का तरीका:
- इन सभी अन्नबलियों को याजक के पास लाना है,
और वह इसका यादगार अंश वेदी पर जलाएगा, जो यहोवा के लिए एक सुवासित अर्पण होगा। (पद 8-9)
- शेष भाग याजकों का भोजन होगा और यह पवित्रतम माना जाएगा।
(पद 10)
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सीख:
- परमेश्वर को हमारे अर्पण विभिन्न रूपों में स्वीकार हैं,
यदि वे पवित्रता और प्रेम से चढ़ाए जाएँ।
- हर बलिदान का एक भाग परमेश्वर के लिए है और एक भाग उसकी
सेवा में लगे याजकों के लिए।
- हमें परमेश्वर के कार्य में योगदान देना चाहिए और उसके
सेवकों का सम्मान करना चाहिए।
🔹
11-13 पद: अन्नबलि के विशिष्ट नियम
खमीर और शहद का निषेध:
- किसी भी अन्नबलि में खमीर
(leaven) या शहद (honey) नहीं
होना चाहिए, क्योंकि ये खमीर की तरह फूले हुए और शहद की
तरह सड़ने वाले हैं। (पद 11)
- लेकिन पहिलौठी का बलिदान
(firstfruits) के समय, शहद और खमीर का
उपयोग किया जा सकता है, परंतु यह वेदी पर नहीं चढ़ाया
जाएगा। (पद 12)
नमक का महत्व:
- हर अन्नबलि में नमक
(salt) मिलाना अनिवार्य है, क्योंकि यह परमेश्वर
की वाचा का नमक है। (पद 13)
- नमक शुद्धता, स्थिरता और पवित्रता का प्रतीक है।
🧂
सीख:
- परमेश्वर की आराधना शुद्ध, स्थायी और अडिग होनी चाहिए।
- खमीर पाप का प्रतीक है, जो हमारी भक्ति को भ्रष्ट कर सकता है।
- नमक हमें पवित्रता, सत्य और निष्ठा की याद दिलाता है।
🔹
14-16 पद: पहिलौठी की अन्नबलि
पहिलौठी का अर्पण:
- यदि कोई अपनी फसल की पहली उपज (firstfruits)
अर्पण करे, तो वह भुने हुए दाने
(roasted grain) और ताजे अनाज (fresh heads of
grain) का हो। (पद 14)
- याजक इसे तेल और लोबान के साथ वेदी पर चढ़ाएगा,
और इसका स्मरणीय अंश जलाया जाएगा। (पद 15-16)
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सीख:
- हमें परमेश्वर को अपनी सबसे पहली और सबसे अच्छी उपज
अर्पित करनी चाहिए।
- परमेश्वर हमारे जीवन के हर पहलू में प्रथम स्थान का हकदार
है।
- उसकी आशीर्वाद की स्मृति में हमारी श्रद्धा और कृतज्ञता
होनी चाहिए।
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इस अध्याय से क्या सिखें?
✝️
परमेश्वर को हमारा अर्पण पवित्र, प्रेमपूर्ण
और खरा होना चाहिए।
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हमारे जीवन की पहली और सर्वोत्तम उपज उसे अर्पित करनी चाहिए।
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शुद्धता, स्थिरता और सत्यनिष्ठा परमेश्वर की
वाचा का प्रतीक हैं।
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पाप और भ्रष्टता से दूर रहते हुए, हमें पवित्र
जीवन जीना चाहिए।
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याद रखने योग्य वचन:
"हर अन्नबलि में नमक अवश्य मिलाना, क्योंकि
यह तुम्हारे परमेश्वर की वाचा का नमक है।" (लैव्यव्यवस्था
2:13)