टेलीविशन पर आने वाली सुपर हीरो फिल्में जैसे सुपरमैन, स्पाइडरमैन, हमें बहुत उत्साहित करती हैं और अक्सर बहुत से लोगों की यह इच्छा  होती है की वह सुपर हीरो वाली ताकतें उन्हें भी मिले, पर क्या वाकई में हमें उन सुपर हीरो ताकतों की जरूरत है?
अक्सर  सुपर हीरो फिल्मों में यह संदेश दिया जाता है कि बड़ी ताकतों के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है। क्योंकि उनके पास अद्भुत और अलौकिक शक्तियां हैं इसलिए उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उन शक्तियों का सही इस्तेमाल करें और  बुराई नहीं बल्कि अच्छाई करें। 
पर सोचिए क्या इंसान होना अपने आप में एक सुपर पावर नहीं है। हम अपने से छोटे जीवो की जगह खुद को रख कर सोचें क्या एक चींटी के लिए या एक चूहे के लिए हम अद्भुत और अलौकिक शक्ति रखने वाले नहीं हैं। आज संसार में ऐसा कोई काम नहीं जो मनुष्य नही कर सकता। इंसान चांद पर पोहुच चुका है और अंतरिक्ष को नापने की महत्वकांशा रखता है। 
मनुष्य का यह स्वभाव है कि वह अक्सर उन चीजों की अभिलाषा करता है जिनको हासिल करना उसके लिए मुश्किल हो और इसी अभिलाषा को शैतान अच्छे से जानता है। उत्पत्ति 3 में शैतान ने यही लालच देकर हव्वा को बहकाया की 'तुम खुद परमेष्वर तुल्य हो जाओगे, जबकि आदम और हव्वा को कोई ज़रूरत नही थी परमेष्वर के तुल्य होने की क्योकि परमेष्वर ने खुद ही उन्हें हर तरह से योग्य बनाया था।
शैतान ने बहुत ही चालाकी से हमारे इंसान होने की सुपर पावर को हमारे ध्यान से हटाकर हमारे सामने ऐसी शख्सियतों को रखा जो हमें छोटा और कमजोर महसूस कराएं और हमें कभी ये एहसास न होने दें कि इंसान होना अपने आप में एक सुपर पावर है जो परमेष्वर से हमें मिली है। 
क्योकि हम हमारे इंसान होने की अहमियत को नही समझते इसलिए हम पर सही होने और सही करने की ज़िम्मेदारी का एहसास भी नही होता। यही कारण है बोहुत से लोग अपराध करने को बोहुत हल्की बात समझते हैं और स्वर्ग नर्क जोकि परमेष्वर का न्याय है हमसर लिए गए फैसलों पर उसे हम बोहित हल्की बात समझते हैं।
बाइबल कहती है परमेश्वर ने मनुष्य को खुद से थोड़ा ही कम बनाया है। परमेश्वर ने इंसान को हर वो गुण दिया जो कि खुद परमेश्वर के पास है। मनुष्य अपनी सोच समझ बुद्धि और शक्ति का इस्तेमाल करके जो चाहे वह कर सकता है। क्योंकि परमेष्वर ने हमें इंसान बनाया और ये जीवन हमें दिया इसलिए हमपर ये ज़िम्मेदारी है कि हम इस जीवन का सही इस्तेमाल करें और बुराई नही बल्कि अच्छाई को अपनाएं। परमेष्वर चाहते हैं कि हर इंसान स्वर्ग में अपना अनंत जीवन बिताए न कि नर्क में। जो पाप और परमेष्वर के विरूद्ध मानव जाति ने किए उनकी सज़ा भुगतने के लिए परमेष्वर ने यीशु को संसार में भेजा और यीशु ने परमेष्वर के द्वारा ठहराया हुआ उद्धहार का कार्य पूरी आज्ञाकारिता से पूरा किया इसीलिए यीशु ने क्रूस पर यह कहकर प्राण त्यागे 'पूरा हुआ' ।